Monday, November 25, 2024
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चमोली : जिलाधिकारी के खिलाफ ‘गो बैक के नारे, प्रेस क्लब ने भी किया का बहिष्कार

‘व्यापार संघ एवं स्थानीय जनता ने प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस ने व्यापार संघ अध्यक्ष गोपेश्वर अंकोला पुरोहित सहित कुछ स्थानीय महिलाओं को हिरासत में लिया’

(जगदम्बा कोठारी)

चमोली, जनपद के जिलाधिकारी स्वाती एस भदौरिया का आपदा प्रभावित महिला को फटकारना और उनके बच्चे को कोरोना कर्फ्यू के दौरान एक होमगार्ड जवान द्वारा पार्क में खेलने ना जाने देने के बाद होमगार्ड जवान को तीन साल के लिए सस्पेंड करने का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है।

अब जिलाधिकारी द्वारा 24 घण्टे के भीतर नगर पालिका से पत्रकारों एवं व्यापार संघ को आवंटित आवास एवं दुकान खाली करवाने के आदेश के बाद आज भारी पुलिस बल के साथ पत्रकारों एवं व्यापारियों को सरकारी आवास से बाहर खदेड़ा गया और कमरों को सील कर दिया गया।

वहीं गोपेश्वर में भी कुछ व्यापारियों की दुकान को सामान सहित सील कर दिया गया।भारी पुलिस बल के साथ अचानक हुई इस कार्यवाही में कुल चार पत्रकारों के आवास और तीन व्यापारियों की दुकानों को सीज किया गया। जिसके बाद व्यापार संघ एवं स्थानीय जनता ने प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस ने व्यापार संघ अध्यक्ष गोपेश्वर अंकोला पुरोहित सहित कुछ स्थानीय महिलाओं को भी हिरासत में ले लिया।

इस विरोध में आज गोपेश्वर व्यापार संघ ने पूरा बाजार बंद कर दिया और स्थानीय व्यापारियों एवं जनता ने जिलाधिकारी गौ बैक के नारे लगाने शुरू कर दिए |
व्यापारियों का आरोप है कि, जिलाधिकारी ने बदले की भावना और तानाशाही रवैया के चलते वर्षों से आवंटित आवासों को महज 24 घंटे के भीतर खाली करने का तुगलकी फरमान जारी कर आवास और दुकानों को सीज कर दिया जिसका जनता पुरजोर विरोध करेगी।

जानिए क्या है पूरा मामला

सूत्रों की माने तो बीते लॉकडाउन मे कोरोना कर्फ्यू के दौरान चमोली डीएम स्वाति एस भदोरिया का छोटा बच्चा अपने ही केयरटेकर के साथ पार्क में खेलने जा रहा था लेकिन वहां ड्यूटी पर तैनात एक होमगार्ड के जवान ने कोविड कर्फ्यू का हवाला देते हुए उन्हें पार्क में जाने से मना कर दिया। जिसके बाद बच्चे के केयरटेकर ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी से करी तो डीएम साहिबा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए होमगार्ड के जवान को 3 साल के लिए सस्पेंड कर दिया।

मामले की भनक लगने पर कुछ स्थानीय पत्रकारों ने इस विषय को गंभीरता से प्रकाशित किया। इससे पहले भी एक आवास विहीन महिला जिलाधिकारी के पास आवास की फरियाद लेकर पहुंची थी जिसे डीएम ने फटकार सुना कर भगा दिया।

इस खबर को भी स्थानीय पत्रकारों ने डीएम के मना करने के बावजूद प्रमुखता से छापा था। जिसके बाद व्यापार संघ और स्थानीय जनता ने जिलाधिकारी का विरोध किया जो कि काफी सुर्खियों मे रहा और अब जिलाधिकारी द्वारा पत्रकारों एवं व्यापार संघ को आवंटित आवासों को भारी पुलिस बल के बीच खाली करवा दिया गया है।

हालांकि इस प्रकरण पर डीएम ने सफाई दी है कि इन लोगों ने वर्षों से अपने किराए का भुगतान नहीं किया है। इन्होंने अपनी दुकानें एवं आवास अन्य लोगों को मंहगे किराए पर दे रखी हैं लेकिन यह किराया नगर पालिका में जमा नहीं करते हैं। पूर्व में भी कई नोटिस देने के बाद भी इन्होंने अपना बकाया जमा नहीं किया जिस कारण आवास एवं दुकानों को सीज किया गया। लेकिन दूसरी ओर देखने वाली बात यह है एक तरफ तो कोविड-19 के कारण व्यापारी एवं स्थानीय जनता आर्थिक दौर से गुजर रहे हैं वहीं दूसरी ओर महामारी के इस प्रचंड काल में दुकानों एवं आवासों को पुलिस बल के साथ सीज करवाने की कार्रवाई करना कहां तक न्याय संगत है। पत्रकारों और व्यापारियों का आरोप है कि जिला अधिकारी के आदेश पर यह कार्रवाई बदले की भावना से हो रही है।
वहीं दूसरी ओर प्रेस क्लब चमोली ने सर्वसम्मति से बैठक कर जिला अधिकारी के कार्यक्रमों का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर दिया है।

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