देहरादून, राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति लागू करने की कवायद शुरू हो गई है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे की अध्यक्षता में शनिवार को निदेशालय अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण के सभागार में कोर कमेटी सदस्यों की बैठक हुई। बैठक में समिति सदस्यों ने सुझाव दिया कि लेक्चरर के पदों पर नियुक्ति के लिए टीईटी को अनिवार्य किया जाए। बैठक में कहा गया कि लेक्चरर के पदों पर उन्हीं अभ्यर्थियों को योग्य माना जाए जिन्होंने टीईटी पास की है। शिक्षा विभाग में अब तक प्राथमिक और सहायक अध्यापक एलटी के पदों पर टीईटी अनिवार्य है।
यदि इस सुझाव पर अमल हुआ तो लेक्चरर के पदों पर नियुक्ति के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने से इसके चयन में एक और मानक जुड़ जाएगा। बैठक में सदस्यों ने नई शिक्षा नीति के पाठ्यक्रम के विकास से पहले शिक्षक प्रशिक्षण मॉडल विकसित करने का सुझाव दिया। वहीं विषय चुनाव के बारे में सुझाव आया कि विषय चुनाव के विकल्प इस तरह से हों कि छात्रों को विषय चुनाव में कठिनाई न हो। जबकि व्यावसायिक शिक्षा के तहत राज्य की संस्कृति एवं ज्ञान को भी समाहित किया जाए।
वहीं खेलों के महत्व को देखते हुए इसके प्रति समर्पित संस्थानों को विकसित किया जाए। ईसीसीई (प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा) को लागू करने के लिए शासनादेश जारी किया जाए। सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों का चयन टीईटी परीक्षा से किया जाए।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि पाठ्यक्रम विकास से पहले शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाए ताकि भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान को सम्यक तरीके से प्रस्तुत किया जा सके। शिक्षा महानिदेशक विनय शंकर पांडे ने कहा कि नई शिक्षा नीति में शैक्षिक गुणवत्ता को अधिक महत्व दिया गया है। शिक्षकों एवं प्रिंसिपलों के प्रमोशन एवं अन्य लाभ का एक निश्चित प्रतिशत योग्यता परीक्षा होनी चाहिए। राज्य में नई शिक्षा नीति को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। बैठक में निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी, सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. रणवीर सिंह, अपर निदेशक महावीर सिंह बिष्ट, शिव प्रसाद खाली, अजय नोडियाल, शशि बाला चौधरी, कुलदीप गैरोला, डॉ. मोहन सिंह बिष्ट आदि मौजूद रहे।
Recent Comments