नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के खत्म होते प्रभाव के बीच स्कूलों से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों के लड़खड़ाए शैक्षणिक सत्र को फिर से पटरी पर लाने की तैयारी शुरू हो गई है। शिक्षा मंत्रालय ने इसके लिए संबंधित एजेंसियों को सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। खासकर स्कूलों से 10वीं और 12वीं की बोर्ड को छोड़कर बाकी सभी कक्षाओं की परीक्षाएं कराने और उनके परिणाम घोषित करने का काम 31 मार्च तक पूरा करने को कहा है, ताकि एक अप्रैल से नई कक्षाएं शुरू हो सकें। इसी तरह विश्वविद्यालयों सहित दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों से भी नई कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया से जुड़ी तैयारी करने के लिए कहा गया है।
शैक्षणिक सत्र को पटरी पर लाने की यह कवायद
शैक्षणिक सत्र को पटरी पर लाने की यह कवायद तब शुरू की गई है, जब स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों तक को खोल दिया गया है। हालांकि अभी इनमें अभी पहले जैसी शैक्षणिक गतिविधियां नहीं शुरू हो पाई हैं। स्कूलों में अभी सिर्फ नौवीं से 12वीं तक के छात्रों को बुलाया जा रहा है। इनमें भी उन्हें प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट जैसी गतिविधियों तक ही सीमित रखा गया है। इसी तरह विश्वविद्यालयों में भी शोध सहित अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे छात्रों को ही बुलाया जा रहा है। हालांकि पिछले कुछ महीनों में परिस्थितियां जिस तरह से सामान्य हो रही हैं, उनमें पढ़ाई लिखाई को फिर से ट्रैक पर लाने की कोशिशें तेज हुई हैं।
नए शैक्षणिक सत्र से सब कुछ सामान्य रूप में लाने का प्रयास
फिलहाल शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई लिखाई के पुराने माहौल को वापस लाने के लिए यूजीसी और सीबीएसई आदि अपने-अपने स्तर पर जुटे हुए हैं। सभी का जोर इस बात को लेकर है कि आने वाले नए शैक्षणिक सत्र से सब कुछ सामान्य रूप में लाया जाए। वैसे भी कोरोना के खतरे को देखते हुए शैक्षणिक संस्थानों को बंद हुए करीब एक साल होने वाला है। कोरोना दस्तक के बीच वर्ष 2020 के मार्च में ही शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया था। तभी से छात्र घरों में कैद हैं। हालांकि इन दौरान उन्हें आनलाइन पढ़ाया गया है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो छात्रों को कक्षाओं में लाए बगैर उन्हें बेहतर शिक्षा नहीं दी जा सकती है। कोरोना संकट के चलते लड़खड़ाए शैक्षणिक सत्र का असर यह था कि पिछले साल विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं नवंबर तक हुई हैं।
Recent Comments