(प्रमोद खण्डूडी)
पौड़ी, सांस्कृतिक व पर्यटन नगरी पौड़ी में बैसाखी पर्व तक मांगल गीतों व थड़िया चौफला की बहार रहेगी। महिला मंगल दल व जागृति समिति पौड़ी गांव की बुजुर्ग महिलाएं हर रोज शाम गांव में मांगल गीत गाएंगी। साथ ही थड़िया, चौफला व झुमेलो जैसे पारंपरिक लोक नृत्य भी करेंगे। बसंत पंचमी के पर्व से इसका शुभारंभ कर दिया गया है। बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि उनका उद्देश्य अपनी पंरपराओं का संरक्षण व युवा पीढी को उसके प्रति आकर्षित करना है।
मंगलवार को बसंत पंचमी के अवसर पर पौड़ी गांव में महिला मंगल दल व जागृति समिति पौड़ी गांव की महिलाओं ने मांगल गीतों की श्रृखंला का शुभारंभ किया। समिति की अध्यक्ष कमला नेगी ने बताया कि वर्ष 2004 से समिति इस श्रृखंला का आयोजन कर रही है। इसके तहत हर वर्ष बसंत पंचमी से बैशाखी तक समिति की सदस्य मांगल गीतों का गायन करती हैं। कमला नेंगी ने बताया कि वर्तमान समय में युवा पीढी अपनी संस्कृति व परंपराओं से दूर होती जा रही है। युवा भौतिकवादी पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ रहे हैं।
जो कि हमारे लिए नुकसानदायक है। कमला नेगी ने कहा कि हमारी पहचान उत्तराखंड की विशिष्ठ परंपराएं हैं। जिनसे हम पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखते हैं। समिति की सदस्य पवित्रा देवी, सुलोचना देवी पप्पू देवी ने कहा कि उनका प्रयास है कि वह अपनी परंपराओं को बचा कर रख सकें। नई पीढी को इन पंरपराओं से अवगत करा सके। इन महिलाओं ने युवा पीढी से अपनी परंपराओं व संस्कृति की ओर लौटने की अपील भी की। इस दौरान महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में मांगल गीतों के गायन के साथ ही झुमेलों भी किया। महिलाओं ने यहा मौजूद ग्रामीणों को टीका लगाकर पकवान भी खिलाए। सुबह सभी महिलाओं ने घर के दरवाजों पर गोबर के साथ जौ भी लगाए।
गढ़वाल प्रेस क्लब अध्यक्ष राजीव खत्री ने कहा कि बुजुर्ग महिलाओं की यह पहल हमारी संस्कृति को जीवित रखने में मील का पत्थर साबित होगी। ऐसे कार्यक्रमों से युवाओं में अपनी परंपराओं के प्रति आकर्षण बढ़ता है। इस मुहिम में हम सब को आगे आना होगा।
इस दौरान प्रमिला देवी, बंसती देवी, सुल्दी देवी, भगवती देवी, सावित्री देवी, गयली देवी, मंजू देवी, अनीता देवी, कौशल्या देवी, निर्मला देवी, गीता देवी, कुंती देवी, विमला देवी, उर्मिला देवी, अनीता रावत आदि मौजूद थे।
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