देहरादून, देहरादून में आज 10वें वैश्विक आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो 2024 का शुभारंभ हुआ। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चिकित्सा की प्राचीन भारतीय प्रणाली को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की जिसमें वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ़ बनाने की क्षमता है।
इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उनके संदेश को पढ़ा गया। इस सम्मेलन में 5500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें 54 देशों के 350 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हैं। श्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि आयुर्वेद में वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने की क्षमता है अगर यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का ‘ व्यापक रूप से उपचार उपलब्ध कराए और बचाव, पोषण और मानसिक स्वास्थ्य पर समान बल दे।
श्री मोदी ने विश्वास जताया कि यह चार दिवसीय बैठक वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद को बढ़ावा देने में तेजी लाए गी । उन्होंने प्रतिभागियों से इस प्रयोजन के लिए एक नया ‘ ब्लू प्रिंट ‘ प्रस्तुत करने का आग्रह किया।
इस सम्मेलन और एक्सपो का आयोजन विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है जो विज्ञान भारती, केंद्रीय आयुष मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार की एक पहल है।
सत्र को संबोधित करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भारत सरकार के आयुष राज्य मंत्री श्री प्रताप राव जाधव ने प्रतिनिधमंडलों को आश्वस्त किया कि आयुर्वेद को देश के कोने कोने में फैलाया जाएगा और हर्बल उत्पादों से जुड़े चिकित्सकों तथा विनिर्माताओं के घनिष्ठ सहयोग के साथ इसे विदेशों में लोकप्रिय बनाया जाएगा।
श्री धामी ने कोविड-19 के दौरान इस महामारी से निपटने में आयुर्वेद की महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित की। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को इस महामारी की शुरुआत से ही कोविड रोगियों के उपचार में प्रभावी पाया गया जबकि एलौपैथ के चिकित्सकों को इसका प्रभावी रुप से उपचार करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने इस पर जोर देते हुए कि पूरे विश्व ने इसके समग्र उपचार दृष्टिकोण के कारण आयुर्वेद के महत्व को स्वीकार करना आरंभ कर दिया है, श्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार 10/50 बेड के साथ 300 आयुर्वेद अस्पतालों का निर्माण कर रही है। उन्होंने एक देशव्यापी स्तर के अनुसंधान संस्थान की स्थापना के लिए केंद्र सरकार से अनुमति प्राप्त करने की इच्छा जताई। उन्होंने प्रतिभागियों से विभिन्न दवाओं के अंग्रेजी नामों को लोकप्रिय बनाने की अपील की जिससे कि उनकी बिक्री बढ़ाई जा सके और जरुरतमंद से बाजार से प्राप्त कर सकें।
केंद्रीय मंत्री श्री जाधव ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग और टेलीमेडिसिन जैसी उभरती प्रौद्योगिकीयों का उपयोग आयुर्वेद, युनानी, सिद्धा और होमियोपैथ को और अधिक बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा जिसमें पिछले कुछ समय में आठ गुनी बढोतरी हुई है।
आयुष दवाओं को बढ़ावा देने के हिस्से के रूप में, प्रत्येक नगर और शहर में केवल इन्हीं दवाओं को बेचने वाले आउटलेटों को खोला जाएगा। ऐसा पहला आउटलेट इसी वर्ष अक्तूबर में दिल्ली में खोला गया था।
आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि 1.3 बिलियन डालर के निवेश के प्रस्ताव पूरी तरह अग्रिम चरण में हैं। उन्होंने कहा कि ‘ प्रकृति परीक्षा प्रोग्राम को आशातीत सफलता प्राप्त हुई है और इससे नई दवाओं की खोज करने में सहायता मिलेगी।
उत्तराखंड के आयुष सचिव श्री रविनाथ रमण ने कहा कि राज्य में 300 आयुष्मान आरोग्य केंद्र हैं और आयुर्वेद तथा हर्बल उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में 8,000 से अधिक शिविरों का आयोजन किया गया है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह सम्मेलन आयुर्वेद को और आगे ले जाएगा।
10वें आयुर्वेद सम्मेलन के नेशनल आर्गेनाइजिंग कमिटी के अध्यक्ष डा. पी एम वारियर ने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलनों की बदौलत इस सेक्टर के विकास को काफी गति मिली है और आयुर्वेद को स्वास्थ्य प्रणाली की मुख्यधारा में पूरी तरह एकीकृत करने के सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरुप, आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में काफी सम्मान प्राप्त होने लगा है।
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