Friday, November 22, 2024
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सिविल सोसायटी की जनता के नाम अपील

देहरादून, सिविल सोसायटी ने मतदाताओं से अपील की है कि वे देश और राज्य के बेहतर भविष्य के लिए उत्तराखंड की पांचों सीटों पर इंडिया अलायंस के उम्मीदवारों को वोट दें। अपील में कहा गया है कि सिविल सोसायटी से जुड़े विभिन्न जनसंगगठनों ने जनता के मुद्दों को लेकर राज्यभर में 2 लाख से ज्यादा लोगों से संपर्क किया। ज्यादातर लोग बेतहाशा बढ़ती महंगाई और बेराजगारी से हताश और निराश हैं।

हारेगी नफरत जीतेगा भारत, भारत जोड़ो अभियान, उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड इंसानियत मंच, जनवादी महिला समिति, सर्वोदय मंडल, चेतना आंदोलन, भारत ज्ञान विज्ञान समिति और किसान सभा जैसे संगठनों की ओर से जारी इस अपील में कहा गया है कि भाजपा सरकार भ्रष्टाचार समाप्त करने के अश्वासन के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन इलेक्टोरल बॉण्ड के नाम पर डरा-धमकाकर मोटा पैसा उसी ने वसूला गया। चंदा लेकर घटिया दवाइयां तक बनाने की छूट दी गई और हमारे कई अपनों की मौत हो गई।
बेटी बचाओ और महिला सुरक्षा का नारा भी भाजपा ने दिया। लेकिन, अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में 20 महीने बाद भी किसी को सजा नहीं हुई। केस अभी चल रहा है, लेकिन सत्ता के संरक्षण में वीआईपी का नाम उजागर नहीं हुआ। बीजेपी के राज में घसियारी महिलाओं का उत्पीड़न हुआ। दलित और अन्य महिलाओं के साथ बलात्कार और हिंसक घटनाएं हुई। महिलाओं पर अत्याचार की कई घटनाओं में सरकार आरोपियों के पक्ष में खड़ी नजर आती है।

अपील में बेरोजगारी का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भाजपा ने हर वर्ष 2 करोड़ रोजगार का वायदा किया था, लेकिन मौजूदा समय में बेरोजगारी अपने सर्वोच्च स्तर पर है। सरकारी नौकरियां बेची जा रही हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक किये जा रहे हैं। नौकरी मांगने वालों पर लाठियां भांजी गई। फौज में अग्निवीर व्यवस्था की और युवाओं का भविष्य चौपट कर दिया। निराश युवा नशे की चपेट में आ रहा है। नशा रोकने के बजाय खुलेआम नशा बेचा जा रहा है। शराब और ड्रग्स गांव-गांव पहुंच गई है।

भूकानून की मांग करते हुए अपील में कहा गया है कि उत्तराखंड में जमीनों की बड़ी खरीद-फरोख्त पर पाबंदी थी। भाजपा ने 2018 में यह पाबंदी हटा दी। नतीजा यह है कि आज ज्यादातर पहाड़ धन्नासेठों ने खरीद लिये हैं। भूकानून की मांग को सरकार सुन नहीं रही है। राज्य की संपत्तियां कारपोरेट जगत को बेची जा रही हैं। इस अपील में पर्यावरण का मुद्दा भी उठाया गया है। कहा गया है कि मौजूदा सरकारें राज्य में पर्यावरण के विनाश में भागीदार रही हैं। जोशीमठ इसका उदाहरण है। सुरंगों से पूरे पहाड़ का खोखला किया जा रहा है। देहरादून शहर और पूरे पहाड़ में पेड़ों का अंधाधुंध कटान हो रहा है। इससे भावी पीढ़ी का जीवन संकट में है। लेकिन, इस खतरे की तरफ कोई ध्यान नहीं किदया जा रहा है।

सिविल सोसायटी ने राज्य में बढ़ते साम्प्रदायिक उन्माद की घटनाओं में चिन्ता जताई है। अपील में कहा गया है कि उत्तराखंड प्राकृतिक रूप से शांतिप्रिय समाज रहा है। लेकिन बीजेपी ने राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए जातीय और धार्मिक उन्माद की घटनाओं को हवा देने के प्रयास किया है। राज्य में सरेआम साम्प्रदायिक जहर फैलाने वालों के खिलाफ राज्य सरका ने कोई कार्रवाई नहीं की। अपील में मजदूर बस्तियों पर बुल्डोजर फेरने की सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाया गया है।

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