Sunday, November 24, 2024
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नगर निगम में होर्डिंग टेंडर में बड़ा गड़बड़ झाला : एक ही कंपनी को बार-बार छूट और दोबारा दिया ऑर्डर : अभिनव थापर

-एक्सटेंशन के नाम पर करोड़ों रुपये के कार्य का अपने चहेतों को बिना टेंडर के ही कर दिया आवंटन

-10 वर्ष के भीतर तीन चहेती कंपनी को टेंडर दिए गए

-नगर निगम को करीब 50 करोड़ रुपये का हुआ राजस्व नुकसान

-अवैध होर्डिंग के बारे आजतक नहीं की गयी कोई कार्रवाही

-जांच न होने पर हाईकोर्ट में करेंगे अपील

देहरादून, नगर निगम देहरादून पर कांग्रेस के तेज तर्रार नेता अभिनव थापर ने होर्डिंग कंपनी को टेंडर देने में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाये। थापर ने कांग्रेस मुख्यालय में बीते रविवार को पत्रकार वार्ता बुलाई थी।
पत्रकार वार्ता में कांग्रेस नेता अभिनव थापर ने कहा है कि 10 वर्ष के भीतर तीन चहेती कंपनी को टेंडर दिए गए। इनसे करीब 300 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। साथ ही नगर निगम को करीब 50 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। आरोप लगाया कि इन कंपनियों को काम देने के लिए नगर निगम ने हाईकोर्ट के आदेशों को भी गलत तरह से पेश किया। थापर ने नगर निगम से इस मामले में जांच कराने की मांग की है। जांच न होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में अपील करने की बात भी कही है।
उन्होंने कहा कि नगर निगम को करोड़ों रुपये की हानि हुई है। निगम ने योग्य कंपनियों को काम देने से रोका है। टेंडर की शर्तों में न सिर्फ पार्टी के चयन का खेल हुआ बल्कि एक्सटेंशन के नाम पर करोड़ों रुपये के कार्य का अपने चहेतों को बिना टेंडर के ही आवंटन कर दिया। तकनीकी रूप से 2013 से 2023 तक पांच से सात टेंडर होने थे। लेकिन, इस दरम्यान केवल तीन ही टेंडर हुए |

उन्होंने कहा कि इन सभी टेंडरों में सारा काम केवल तीन कंपनियों को ही मिला। निगम ने होर्डिंग्स के जो टेंडर निकाले उनमें उत्तराखंड की अधिप्राप्ति प्राप्ति नियमावली 2008 का भारी उल्लंघन हुआ है। नियमावली में स्पष्ट लिखा है कि किसी भी टेंडर कार्य को दो प्रतिशत से ज्यादा ईएमडी नहीं ली जाएगी। लेकिन, निगम ने इसे 10 फीसदी कर दिया। थापर ने इस घपले में थर्ड पार्टी ऑडिट कराने और जांच करने की मांग की है।

थापर ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में मेयर सुनील उनियाल गामा से गत 11 अगस्त को मुलाकात की थी। उसके बाद 12 सितंबर को नगर आयुक्त को भी पत्र लिखा। अब शासन ने आठ नवंबर को नगर निगम से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है। लेकिन, निगम की अंतिम बोर्ड बैठक 28 नवंबर को होनी है और इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। थापर ने निगम पर इन कंपनियों के साथ साठ-गांठ का आरोप लगाया। थापर ने निगम से इन कंपनियों से राजस्व हानि को ब्याज सहित वसूलने की मांग की है।
कांग्रेस नेता थापर ने आगे कहा कि निगम ने 2022 में एक टेंडर निकाला। जिसमें, एक कंपनी को बार-बार लापरवाही के बावजूद बोलीदाता घोषित किया गया। टेंडर की शर्तों के अनुसार, तीन दिन के अंदर उनको जमानत राशि जमा करानी थी। इसके साथ ही एग्रीमेंट के लिए दो फीसदी की स्टांप ड्यूटी भी देनी होती है। लेकिन, नोटिस देने के बाद भी कंपनी ने यह काम नहीं किया। कई नोटिस दिए गए लेकिन कंपनी का रवैया नहीं सुधरा। इसके बाद अंतिम नोटिस दिया और तीन दिन में कार्रवाई न होने पर ऑर्डर कैंसल करने की बात कही। फिर कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जाना था। बावजूद इसके कुछ महीने बाद नौ सितंबर 2022 को उसकी कंपनी को दोबारा ऑर्डर दे दिया गया और 30 मार्च 2023 को सफल बोलीदाता घोषित कर दिया गया।
इन टेंडर में हाईकोर्ट नैनीताल के वर्ष 2017 के ऑर्डर को भी गलत तरह से पेश किया गया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से आदेश किया की इस टेंडर में जो भी कार्यवाही की जाएगी वो हाईकोर्ट के संज्ञान में लेकर अनुमति के बाद ही की जाएगी। लेकिन, निगम ने इसका उल्टा इस आदेश को ही घुमा दिया। अपने हर आदेश में यह लिखा है कि हाईकोर्ट ने आगे यह कार्रवाई से मना कर दिया है। ऐसे में अपनी चहेती कंपनियों को ही काम देते गए। थापर ने कहा कि इस तरह निगम ने कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना की।
वहीं थापर ने कहा कि साल 2019 में नगर निगम ने एक सर्वे समिति बनाई। समिति ने 325 अवैध होर्डिंग की रिपोर्ट दी, लेकिन आजतक यह नहीं बताया कि अवैध होर्डिंग कौन बेच रहा है। जो कंपनियां यह काम कर रही हैं उन पर अब तक क्या कार्रवाई हुई इस बात की जानकारी भी निगम ने नहीं दी। पत्रकार वार्ता में थापर ने 27 मार्च 2015 को भाजपा के 10 पार्षदों एक पत्र को भी दिखाया। इससे नगर निगम को आर्थिक हानि होने की संभावनाएं जताई गई थीं। सब शिकायतों को नजरंदाज करते हुए निगम ने उन्हीं कंपनियों को काम दिया जिसके खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायत थी।

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