देहरादून(एल मोहन लखेड़ा), दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सभागार में मशहूर फिल्मकार विजय आनंद की फिल्मों और उनके जीवन पर फिल्म विशेषज्ञ डॉ. मनोज पंजानी और उर्दू व हिन्दी लेखिका नसीम बानो ने एक महत्वपूर्ण बातचीत आयोजित की गयी । सभागार में डॉ. पंजानी ने गाइड, ज्वेल थीफ, तीसरी मंजिल, जॉनी मेरा नाम और तेरे मेरे सपने जैसी क्लासिक फिल्मों के लेखक, निर्देशक और पटकथा लेखक विजय आनंद पर विस्तार से वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि उनकी निजी राय में विजय आनंद को सत्यजीत रे, अकीरा कुरुसोवा, इंगामा बर्गमैन और फ्रेडिको फेलिनी के साथ दुनिया के शीर्षस्थ पांच फिल्म निर्माताओं में शामिल किया जा सकता है।
फिल्मकार विजय आनंद के जीवन से सम्बन्धित किस्सों की जानकारी देते हुए डॉ. मनोज पंजानी ने कहा कि9 उन्होंने अनेक फिल्मों में पटकथा व संपादन कला और शिल्प को बहुत ही उच्च स्तर पर पहुंचाने का प्रयास किया। विशेष बात यह है कि विजय आनंद का देहरादून से गहरा नाता रहा था। आठ साल की उम्र में वह अपने बड़े भाई चेतन आनंद से मिलने आया करते थे। उनके भाई दून स्कूल में पढ़ाते थे। वह अपने बड़े भाई प्रसिद्ध चित्रकार सुधीर खश्तगीर के साथ रहते हुए उनकी कलात्मक अभिरुचि और विविध कला रूपों के चर्चा के साक्षी भी बने रहे। उनके बड़े भाई ने समय-समय पर उन्हें उपनिषदों में निहित विविध तरह की शैक्षिक जानकारी भी दी। बीच-बीच में स्लाइड शो ने इस बातचीत को और अधिक सार्थक बना दिया।
प्रारम्भ में मीनाक्षी कुकरेती भारद्वाज ने संचालन किया। राधा पुंडीर ने ‘राधा ने ओढ़ी चुनरिया…’ गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इससे पहले आलोक दीप बहुगुणा ने माउथ आॅर्गन पर कई गीतों की धुन सुनाई। अपनी भूमिका अदा की। इस अवसर पर सभागार में उपस्थित लोगों ने सम्बन्धित विषय प्रसंगों पर कई सवाल-जबाब भी किये। कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभी का स्वागत किया और अंत में निकोलस हॉफ़लैण्ड ने धन्यवाद दिया।
इस दौरान पुस्तकालय के सभागार में बिजू नेगी, अरविंद शेखर, डॉ.अतुल शर्मा, गोपाल थापा, जितेंद्र नौटियाल, भूपत सिंह बिष्ट, मदन मोहन डुकलान, सुंदर सिंह बिष्ट सहित अनेक फिल्म प्रेमी, लेखक, साहित्यकार, साहित्य प्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्विजीवी और पुस्तकालय के अनेक सदस्य व युवा पाठकगण मौजूद रहे।
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