Sunday, November 17, 2024
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पर्यावरण की लड़ाई विकास से हारती हुई आ रही नजर, आसारोडी रेंज के दो सौ साल पुराने दुर्लभ पेड़ कटने हो गये शुरू

देहरादून, विकास की दौड़ में दून की आसारोडी रेंज के साल के दो सौ साल पुराने दुर्लभ पेड़ कटने शुरू हो गए हैं । सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी में दायर अपील निरस्त हो चुकी है इसलिए कोर्ट में न्याय मिलने का कोई सवाल नही है। कुछ एनजीओ प्रदर्शन कर रहे है और आवाज उठा रहे हैं लेकिन कटान रुकने की संभावना अब कम ही लगती है।

पर्यावरण की लड़ाई विकास से हारती हुई नजर आ रही है। विकास का तर्क है कि मोहंड से मोहब्बेवाला पर अक्सर लगने वाला जाम खत्म हो जाएगा, समय की बचत होगी। इस तर्क के समर्थन में देहरादून की एक अच्छी खासी प्रतिशत जनता का समर्थन है। शायद इन्हें वनों के कटने से होने वाले गंभीर खतरों का अंदेशा नहीं है। यह एक सत्य है कि देहरादून से दुनिया से लोग यहां की हरियाली और पहाड़ देखने आते हैं, कंक्रीट के जंगल नही।May be an image of text that says 'eco w Schematic Diagram of Double Decker Road -Stretch between Ganeshpur-Mohand-Asharor-Mohabewala on Dehradun Delhi Expressway One-way One-way Elevation of Delhi-Dehradun elevated Double-decker road Ganeshpur Mohand 14mwidth width Proposed 27 width existing plan 4.9 kms Asharori 13.3 kms Mohabbewala 1.8 kms This chematic diagram property of EcoGroup Dehradun Please contact ecogroupdehrodun@gmail.com'

जब यह मसला उभरा था तो ईकोग्रूप ने दोनो पहलुओं को गंभीरता से आकलन करते हुए एक सुझाव NHAI को भेजा था । इस प्रस्ताव की विशेषता यह थी कि इसमें wildlife का मार्ग भी disturb नहीं होता और 2 टियर एलिवेटेड एक्सप्रेसवे होने के कारण यातायात भी तेज गति से चलता रहता। 2500 दुर्लभ पेड़ को भी इस निर्दयता से न काटा जाता। 2 टियर होने से रोड की चौड़ाई मौजूदा रोड की चौड़ाई तक ही सीमित रहती , इसलिए पेड़ नही कटते । इस प्रस्ताव को सरकारी और वन अधिकारियों, NGOs, पर्यावरण प्रेमियों और जनता ने भी काफी सराहा था। इसपर सफलता शायद इसलिए नही मिली कि रोड निर्माण के टेंडर जारी हो चुके थे।May be an image of outdoors

हालांकि पानी सर के ऊपर से निकल चुका है फिर भी समय की मांग है कि बाकी बचे पेड़ों को कटने से बचाने के लिए इस प्रस्ताव को पूरी ताकत से सरकार के सामने रखा जाए। हालांकि देर हो चुकी है पर फिर भी उम्मीद है । फिर भी एक आस बंधी है कि सरकार कहीं न कहीं पर्यावरण से जुड़े इस मुद्दे पर जरूर कोई निर्णय अवश्य लेगी, संभावनायें अभी बरकरार है |

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