देहरादून, उत्तराखण्ड़ सरकार की कोरोना संक्रमण से माता पिता या दोनों में से किसी एक की मौत पर बच्चों के लालन-पालन के लिए वात्सल्य योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। वर्तमान में इस योजना से प्रदेश के 500 से अधिक बच्चे लाभान्वित होंगे। इनकी संख्या अगले कुछ दिनों में बढ़ सकती है। इसमें सबसे अधिक 131 बच्चे हरिद्वार जिले के हैं।
विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 264 बालक एवं 247 बालिकाओं के सिर से माता या पिता का साया उठा है। इसमें हरिद्वार के बाद दूसरे नंबर पर देहरादून में सबसे अधिक 69 मामले हैं। टिहरी गढ़वाल में 67, नैनीताल जिले में 64 प्रकरण अब तक सामने आए हैं।
प्रदेश में सबसे कम चार प्रकरण पौड़ी गढ़वाल के हैं। इस जिले में तीन बालकों एवं एक बालिका के सिर से माता पिता का साया उठा है। कैबिनेट के प्रस्ताव के मुताबिक इन बच्चों को आर्थिक सहायता, खाद्य सुरक्षा दिए जाने के साथ ही इनके इलाज एवं निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए सभी तहसीलों में नोडल अधिकारी बनाए गए हैं। प्रदेश के हर जिले में जिलाधिकारी के निर्देशन में चलने वाली जिला बाल इकाई को प्रभावित बच्चों की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर उनसे वर्चुअल या व्यक्तिगत रूप से संपर्क करना होगा। इकाई उनसे मिलकर उनकी वर्तमान स्थिति का प्रारंभिक आंकलन करेगी। जो यह देखेगी कि माता पिता या संरक्षक की मौत की वजह, परिवार की सामाजिक व आर्थिक स्थिति, परिवार की आय का जरिया, प्रभावित बच्चों की व्यक्तिगत जानकारी व उनकी शिक्षा का स्तर की जानकारी लेगी।
प्रदेश में कोविड की वजह से कई बच्चों ने अपने माता पिता या फिर कमाने वाले परिजनों को खो दिया है। सरकार की मंशा इन बच्चों की मदद करने की रही है, बुधवार को इस योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई। कैबिनेट में आए प्रस्ताव में कार्मिक विभाग ने सैद्धांतिक सहमति दी, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, तकनीकी शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा, विद्यालयी शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से योजना पर सहमति दी गई।
इस वात्सल्य योजना के तहत
ये बच्चे होंगे पात्र
– माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई हो।
– माता-पिता में से किसी एक की कोविड से मौत हो गई हो एवं दूसरे का पूर्व में देहांत हो गया हो।
– परिवार के कमाऊ सदस्य माता या पिता में से किसी एक की मृत्यु हो गई हो ।
– माता-पिता की पूर्व में मृत्यु हो चुकी हो व संरक्षक की मृत्यु हो गई हो ।
इस योजना को सुचारू रुप से चलाने के लिये प्रदेश में प्रभावित बच्चों के चिन्हीकरण के लिए समस्त तहसीलों के उपजिलाधिकारी इस कार्य के लिए उत्तरदायी होंगे। जो अपने अधीन नायब तहसीलदारों एवं प्रभारी नायब तहसीलदारों को इस काम के लिए नोडल अधिकारी नामित करेंगे। नोडल अधिकारी प्रभावित बच्चों की मदद के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समितियों, शिक्षकों, एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं, स्थानीय स्वयं सेवी संस्थाओं, चाईल्ड हेल्पलाइन, ग्राम एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों के सहयोग से प्रभावित बच्चों का चिन्हीकरण करेंगे। ऐसे लाभार्थी जिनकी देखभाल के लिए कोई नहीं है। बाल कल्याण समिति उसे जरूरतमंद श्रेणी का बच्चा घोषित करेगी।
बच्चों की पैतृक संपत्ति की होगी सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे जिलाधिकारी
जिला बाल इकाई की ओर से ऐसे बच्चों की पैतृक संपत्ति, उत्तराधिकार एवं विधिक अधिकारों को संरक्षित रखने में सहयोग किया जाएगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से उन्हें निशुल्क सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। बच्चों की पैतृक संपत्ति की सुरक्षा के लिए संबंधित जिले के जिलाधिकारी नोडल अधिकारी होंगे।
21 साल की उम्र तक हर महीने मिलेगी तीन हजार की आर्थिक सहायता
बच्चों को 21 साल की उम्र तक हर महीने तीन हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिलेगी। यदि बच्चे की उम्र 18 साल से कम है तो यह धनराशि उपयुक्त व्यक्ति,संरक्षक व बच्चे के संयुक्त खाते में डीबीटी के माध्यम से जमा की जाएगी। 18 साल की उम्र पूरी करने के बाद लाभार्थी के खाते में यह धनराशि जमा की जाएगी।
नवोदय विद्यालयों में प्रवेश में आरक्षण और निशुल्क शिक्षा
कक्षा एक से 12 तक सरकारी स्कूलों में बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। सरकारी आवासीय विद्यालयों, राजीव गांधी नवोदय विद्यालय आदि में लाभार्थियों को प्रवेश में आरक्षण व निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा उच्च शिक्षा में ऐसे बच्चों को प्रवेश में आरक्षण और निशुल्क शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा में भी प्रवेश में आरक्षण और निशुल्क शिक्षा दी जाएगी।
सरकारी नौकरियों में मिलेगा पांच फीसदी का क्षैतिज आरक्षण
प्रदेश की सरकारी सेवाओं में लाभार्थियों को पांच फीसदी का क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया जाएगा। बच्चों को योजना के लाभ के लिए आवेदन का दायित्व संबधित तहसीलों के नोडल अधिकारियों का होगा।
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