Tuesday, November 26, 2024
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उत्तराखंड का गैरसैंण में 4 मार्च को बजट सत्र : दिखेंगे नए-नए आयाम, गांव-शहर का होगा समावेश : मुख्यमंत्री

देहरादून, गैरसैंण में त्रिवेंद्र सरकार अपना पांचवा बजट पेश करेगी, कोविड महामारी से प्रभावित राज्य की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार चार मार्च को गैरसैंण में अपना पांचवां बजट पेश करेगी। चुनावी वर्ष में सरकार करीब 57 हजार करोड़ से अधिक का बजट लेकर आ रही है | शनिवार को मीडिया से मुखातिब होते हुये सीएम ने कहा कि प्रदेश सरकार को 2022 तक राज्य के किसानों की आमदनी दोगुनी करने के संकल्प पूरा करना है। कोरोना महामारी से बचाव के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का भी दबाव है।

जाहिर है कि बजट में सेहत और किसानों की चिंता देखने को मिल सकती है, त्रिवेंद्र सरकार के पांचवें बजट से खेती किसानी और स्वास्थ्य सुधार को लेकर काफी उम्मीदें है। कोविड महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ ही सरकार के सामने 2020 तक किसानों की आय दोगुनी करने और जानलेवा वायरस कोरोना जैसी बीमारियों से निपटने की एक बड़ी चुनौती है। सरकार ने कृषि व बागवानी के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। लेकिन इन्हें धरातल पर उतारने के लिए बजट की दरकार है।

उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था कृषि, बागवानी, पशुपालन, वन, खनन, विनिर्माण, व्यापार, होटल व अन्य सेवा क्षेत्रों पर निर्भर है। खेतीबाड़ी में मुनाफा न होने के कारण किसान खेती छोड़ कर पलायन कर रहे हैं। राज्य गठन के बाद कृषि क्षेत्रफल में लगभग 17 प्रतिशत कम हुआ है। पहाड़ों में सिंचाई सुविधाओं का अभाव, कोल्ड चेन, मार्केटिंग का अभाव है। वहीं, राज्य में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। डॉक्टरों की कमी, वेंटीलेटर, आईसीयू बेड, ऑक्सीजन, डायलिसिस, नए मेडिकल कालेज समेत अन्य सुविधाओं के लिए अधिक बजट की दरकार है।

कृषि, स्वास्थ्य की सेहत पर रहेगी नजर :

राज्य में कृषि भूमि लगातार कम होने के बाद भी खाद्यान्न उत्पादकता बढ़ी है। लेकिन पलायन के कारण लोग खेतीबाड़ी छोड़ रहे हैं। जिससे कृषि क्षेत्रफल कम हो रहा है। वर्ष 2018-19 में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में कृषि क्षेत्र 0.81 प्रतिशत वृद्धि दर आंकी गई। प्रदेश में 70 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है। लेकिन पर्वतीय जिलों में सिंचाई की सुविधा मात्र 11 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में है। चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत, पौड़ी, नैनीताल जिलों में सिंचित क्षेत्र 10 प्रतिशत से भी कम है।

राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र में जीडीपी का लगभग तीन प्रतिशत खर्च किया जा रहा है। पहले की तुलना में स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट हर साल बढ़ रहा है। इसके बावजूद भी दूसरे राज्यों की तुलना में प्रदेश का स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च कम है। सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के मानकों को लागू कर दिया। इस पर खरा उतरने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी सुधार की जरूरत है। इसके लिए आम लोगों की सेहत के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के ज्यादा बजट जरूरत है।

वर्ष 2018 -19 कृषि 966.68, स्‍वास्‍थ्‍य 2286.57
वर्ष 2019-20 कृषि 1341.34 स्वास्थ्य 2545.40
वर्ष 2020-21 कृषि 1048.10 स्वास्थ्य 2477.23
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (भराड़ीसैंण) स्थित विधानसभा में एक मार्च से शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र में पेश होने वाले बजट में गांव और शहर का समावेश होगा। यह कहना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का। मुख्यमंत्री के मुताबिक, इस बार के बजट में नए-नए आयाम देखने को मिलेंगे,
मुख्यमंत्री शनिवार को मीडिया कर्मचारियों से बातचीत कर रहे थे। बता दें कि एक मार्च से शुरू हो रहा बजट सत्र त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल का आखिरी बजट है। इसके बाद सत्तारूढ़ दल को चुनाव की तैयारी में जुटना है। इस लिहाज से इसे चुनावी बजट माना जा रहा है।

सरकार के इस बजट से खास उम्मीदें लगी हैैं। हालांकि, बजट के स्वरूप को लेकर मुख्यमंत्री ने अपने चिर परिचित लहजे में जता दिया कि बजट में प्रदेश के हर वर्ग को सौगातें मिलेंगी।

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