देहरादून, उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के तत्वाधान आज सचिवालय कूच का आह्वान किया गया था जिसके तहत विभिन्न सामाजिक संगठनों व राजनीतिक दलों का भी सहयोग रहा।
संयुक्त परिषद के संरक्षक नवनीत गुसाईं ने कहा का कहा कि है राज्य गठन के 23 साल बाद भी उत्तराखंड की जनता खुद को बुरी तरह से ठगा हुआ महसूस कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष विपुल नौटियाल ने सरकारी नीतियों की भर्त्सना करते हुऐ कहा इन्हीं के चलते आज देव भूमि में भू–माफिया, शराब माफिया,नकल माफिया, खनन माफियाओं का राज़ चल रहा है। यह लोग संगठित होकर यहां की खनिज संपदाओं पर अपना कब्जा जमा चुका है।
क्रान्ति कुकरेती ने सभी आंदोलनकारियों का आह्वान करते हुए कहा कि वह अपने ‘अहम और वहम’ से बहार निकले और राज्य हित में उठने वाली हर आवाज़ में अपना योगदान दें अन्यथा इस प्रदेश को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता।
कामरेड लेखराज व जनवादी महिला मंच की इंदू नौडियाल ने प्रदेश हित में होने वाले आंदोलन में अपनी पुर्ण सहमति जताई।
इंद्रमणि बडोनी स्मारक में स्थायी निवास के मुद्दे पर होगा उपवास :
मूल-निवास-भू कानून समन्वय समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने संयुक्त परिषद को अपना समर्थन देते हुए सभी उत्तराखंड आंदोलनकारियों से कल सुबह 11 बजे तक घंटाघर स्थित इंद्रमणि बडोनी स्मारक पर पहुँचने का आह्वान किया उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना दिवस के मौक़े पर हम लोग उपवास रख कर स्थायी निवास की प्रतियां जलाते हुए सरकार की इस नीति का विरोध करेंगे साथ ही श्रीनगर गढ़वाल के छात्र नेताओं पर दर्ज झूठे मुकदमे को लेकर भी पत्रकारों से वार्ता की जाएगी।
क्या हैं आंदोलनकारियों की मांगें :
उत्तराखंड आंदोलन में बहुत से सक्रिय साथी जो चिन्हीकरण की प्रक्रिया से छूट गए हैं उनके चिन्हिकरण शीघ्र किया जाये।
सभी आंदोलनकारियों को समान पेंशन 15000 तथा पेंशन पट्टा प्रदान किया जाए।
हिमाचल की तर्ज पर धारा 371 उत्तराखंड राज्य में लागू की जाए, उत्तराखंड के लिए एक सशक्त भू कानून जल्द से जल्द बनाया जाए तथा इस भू कानून को शक्ति से लागू किया जाए तथा यहां के मूल निवासियों को स्वरोजगार हेतु सरकार द्वारा प्रशिक्षित किया जाए तथा आसान किस्तों में ग्रामीण अंचल में रोजगार सरजीत करने पर ऋण उपलब्ध कराया जाए और रोजगार सृजित करने वाले को सब्सिडी दी जाए जिससे राज्य में ग्रामीण अंचलों से पलायन को रोका जा सके।
मूल निवास उच्चतम न्यायालय की गाइड लाइन के अनुसार वर्ष 1950 के आधार पर लागू किया जाए 15 साल का अस्थाई निवास प्रमाण पत्र व्यवस्था अवैध है जिसे तुरंत समाप्त किया जाए।
परेड मैदान से शुरू हुआ यह कूच सचिवालय से पहले रोक दिया गया जिस पर आंदोलनकारियों ने कड़ा विरोध जताते हुए वहीँ पर धरना शुरू कर दिया, जिसके बाद मुख्यमंत्री के जनसम्पर्क अधिकारी राजेश सेठी ने आकर ज्ञापन लेते लेते हुए कहा कि जल्द ही उनकी मुलाकात मुख्य मंत्री से करवाई जायेगी।
प्रदर्शन करने वालों में आँगन बाड़ी संगठन,राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड चिन्हित आंदोलनकारी संगठन,दिशा सामाजिक संस्था व अन्य संगठन शमिल थे। ज्ञापन देने वालों में संयुक्त परिषद के संरक्षक नवनीत गोसाई प्रदेश अध्यक्ष विपुल नौटियाल जिला अध्यक्ष सुरेश कुमार पूर्व अध्यक्ष गणेश डंगवाल, क्रान्ति कुकरेती, आमोद पैन्यूली, राजकुमार जायसवाल, अनुराग भट्ट, जगमोहन रावत, प्रभात डडरियाल, अमित पवार, धर्मानंद भट्ट, सुशील विरमानी, निर्मला बिष्ट, मुन्नी खंडूरी, पुष्प लता सिल्माना,जितेंद्र चौहान, बलेश बवानिया,प्रेम सिंह नेगी, हरी प्रकाश शर्मा, सुनील नौगई, लोक बहादुर थापा, सत्या पोखरियाल, पर्वती राठौर, मधु डबराल, प्रवीण गोसाई, कमला देवी, रेणु नेगी,प्रमोद मंदरवाल व उत्तराखंड रोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पवार, विशंभर दत्त बॉठीयाल, पहाड़ी स्वाभिमान सेवा के मोहित तिवारी, चिंतन सकलानी, सुलोचना गोसाई, इंदू नौडीयाल, अनंत आकाश, लेखराज, राजेंद्र पुरोहित,लखन सिंह नवीन नैथानी, शकुंतला देवी, प्रमिला रावत, सुमित थापा, राजेंद्र थापा संगीता रावत, आरती राणा,बृजेश नवानी,आशीष उनियाल,रावत संगीता रावत,विशाल बिष्ट,अनीता रावत, सुभागा देवी, पुष्पा नेगी, ,कल्पेश्वरी नेगी,शांति बुटोला,पुष्प लता पूर्णानंद जोशी,कुसुम नौटियाल, सरोजिनी थपलियाल, रामेश्वरी रावत, शीला देवी, लीला शर्मा, बसंती रावत, भीमा देवी, कमला देवी,प्रभा ने,शांति बुटोला, मोहित देवी,एकादशी देवी,वीरेंद्र गोसाई,राजेश्वरी चमोला, पुरुषोत्तम उनियाल,पुष्प लता वैश्य, इंद्रराज कोहली,नूरेशा अंसारी, राजदुलारी लोधी, ममता मोर्य,बिद्रा मिश्रा कपिल बोहरा,सुनीता खंडूरी, सरस्वती त्रिपाठी, नंदा बिष्ट आदि लोग मौजूद थे।
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