Saturday, April 27, 2024
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गोवंशीय पशु को मारकर खाली प्लाट में डालने से भड़के हिंदू संगठन, प्रशासन की सजगता से स्थिति नियंत्रण में आयी

रुद्रपुर, इधर राज्य में विधान सभा चुनाव की तैयारी चल रही है और दूसरी तरफ कुछ असामाजिक तत्व अथवा शरारती लोग देवभूमि के सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कौशिश में लगे हैं, ऐसा ही मामला ऊधमसिंह नगर जिले में रुद्रपुर का है। चुनावी बेला में रुद्रपुर में हुआ बवाल चिंता में डालने वाला है। गोवंशीय पशु को मारकर एक खाली प्लाट में डालने से हिंदू संगठन भड़क गए। शहर में तनाव फैल गया। हालांकि पुलिस और प्रशासन की सजगता से स्थिति नियंत्रण में आ गई। जिलाधिकारी ने तत्काल इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी, जिन्हें देर शाम बहाल भी कर दिया गया। यह पहला मौका नहीं है, जब चुनाव के वक्त इस तरह की हरकत हुई हो। वर्ष 2012 में चुनाव से पहले रुद्रपुर में दंगे भड़के थे। इसमें कुछ ने जान गंवाई और शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा। अब यह जांच का विषय है कि रुद्रपुर में हुई घटना शरारती तत्वों की कारस्तानीभर है या ये यह किसी षड्यंत्र के तहत हुआ है। सवाल यह है कि क्या ये चुनाव के वक्त माहौल को बिगाड़ने का प्रयास है या कुछ और। पुलिस का दायित्व है कि जल्द से जल्द घटना की तह में जाकर वास्तविक दोषियों को सामने लाए।

देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड की शांत वादियों में शातिरों की हरकतें बढ़ती जा रही है। जुलाई 2017 में पौड़ी जिले के सतपुली में दंगा भड़क गया। तब किसी ने इंटरनेट मीडिया पर एक विवादित पोस्ट डाल दी। टिहरी जिले के घनसाली क्षेत्र में भी इस तरह का तनाव देखने को मिला। यहां हेयर कटिंग सैलून चलाने वाला व्यक्ति एक स्थानीय नाबालिग को लेकर फरार हो गया था। कोटद्वार में भी कई बार इस तरह की परिस्थितियां उत्पन्न हो चुकी हैं। भाजपा के साथ ही कई सामाजिक संगठन प्रदेश में आबादी की संरचना में बदलाव को लेकर भी सवाल उठाते रहे हैं। इनका आरोप है कि कई जिलों में स्थानीय व्यक्तियों की संख्या में काफी कमी आई है, जबकि बाहर से आए नागरिकों की आबादी लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि सरकार ने इस मामले में अध्ययन कराने का निर्णय लिया और इसके लिए एक समिति का गठन भी किया।

खैर, समिति की रिपोर्ट कब तक आएगी, यह तो भविष्य की गर्त में छिपा है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तराखंड के सौहार्द को कोई भी ताकत बिगाड़ नहीं सकती, यहां का सामाजिक तानाबाना ही कुछ ऐसा है कि जिसमें ऐसे तत्वों को प्रश्रय नहीं मिल सकता। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार, शासन और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए व्यवस्था को बेहतर करेंगे, ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

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