Saturday, April 27, 2024
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शाबाश..! त्रिलोक सिंह, पुत्रों के साथ रच दिया इतिहास, साढ़े तीन घंटे में टिहरी झील को तैरकर किया पार

नई टिहरी, उत्तराखण्ड़ की टिहरी झील में तैर कर कोई इतिहास रच दे है ना अचरज भरी बात, वह भी साथ में दो पुत्रों के साथ | ऐसा ही कुछ कारनामा दिखाया जनपद टिहरी निवासी पिता और पुत्रों ने, देखने वाले लोग रह गये हदप्रद जब यह तैराक परिवार टिहरी झील के एक किनारे भल्डियाणा तक 12 किमी का सफर पूरा किया, उत्साह से सरोबार पिता और दो पुत्रों के इस कारनामे को देखने वाले लोगों के मुख से बरबस निकल ही गया शाबाश…! त्रिलोक कर दिया कमाल |

यह इतिहास गुरुवार को बयालीस वर्ग किमी लंबी टिहरी झील को प्रतापनगर के मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत और उनके दो पुत्रों ने टिहरी झील में सवा 12 किलोमीटर तैर कर रच दिया। दोनों पुत्रों ने जहां यह दूरी साढ़े तीन घंटे, वहीं पिता ने सवा चार घंटे में इसे तय किया। किसी भी व्यक्ति ने पहली बार टिहरी झील में तैर कर इतनी दूरी तय की है। इसके लिए विधिवत रूप से जिला प्रशासन से अनुमति ली गई थी। त्रिलोक सिंह रावत का कहना है कि अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए उन्होंने तैरने का फैसला लिया।

टिहरी झील किनारे कोटी कालोनी में गुरुवार सुबह आइटीबीपी की टीम की निगरानी में मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत (49) और उनके बेटे ऋषभ (18) और पारसवीर (15) ने तैरकर अपनी यात्रा शुरू की। त्रिलोक सिंह रावत और उनके बेटों ने भल्डियाणा तक सवा 12 किलोमीटर दूरी तैरकर तय की। त्रिलोक सिंह रावत सवा चार घंटे में पहुंचे तो उनके बेटे ऋषभ और पारसवीर साढ़े तीन घंटे में भल्डियाणा तक पहुंचे।

मोटणा गांव त्रिलोक सिंह रावत ने बताया कि टिहरी झील 42 वर्ग किमी में फैली है और लगभग 260 मीटर गहरी है। यहां पर तैरना काफी कठिन था, लेकिन वह कई साल से अपने गांव के पास झील के बैकवाटर में ही प्रैक्टिस करते थे। उन्होंने और उनके बेटों ने टिहरी झील में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए तैरने का फैसला किया। भविष्य में वह इससे ज्यादा दूरी तय कर कीर्तिमान बनाने का प्रयास करेंगे।

जिलाधिकारी इवा आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि पिता-पुत्रों ने बाकायदा जिला प्रशासन से अनुमति ली थी और उन्हें बाकायदा आइटीबीपी से सुरक्षा दी गई थी। मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत क्षेत्रीय विधायक विजय सिंह पंवार के प्रतिनिधि भी हैं और समाज सेवा से भी जुड़े हैं। रावत ने बताया कि वह बचपन से ही नदी किनारे रहे हैं। ऐसे में तैरना बचपन से ही सीख लिया। उसके बाद उन्होंने टिहरी झील में अपने दोनों बेटों को भी तैरना सिखाया। उनके बेटे ऋषभ 12वीं में और पारसवीर 10वीं में पढ़ता है। अगर सरकार का सहयोग मिला तो वह अपने बच्चों को तैराकी के क्षेत्र में भेजने का भी विचार कर सकते हैं।

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