काठ-बंगला बस्ती में घरों से ज्यादा नियम कानून का ध्वस्तीकरण : अभिनव थापर
देहरादून, राजपुर स्थित काठ बंगला बस्ती का ध्वस्तीकरण किया गया। सरकार के इशारे पर प्रशासन द्वारा कई ऐसे गरीबों के घरों को उजाडा गया जो एनजीटी के आदेशानुसार 11.03.2016 से पहले से बसे थे और उनको इस कार्यवाही पर छूट थी।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर ने कहा कि एनजीटी के आदेशों में स्पष्ट उल्लेख है कि 11.03.2016 से पहले वालों पर कार्यवाही नहीं होगी। फिर भी कई 2016 से पहले के निर्माण तोड़े गए। सरकार को ध्वस्तीकरण से पहले पुनर्वास का कार्य करना चाहिए। गरीबों को बरसात में उजाड़ने से पहले सरकार को उनके छत की व्यवस्था बनानी चाहिए थी। नगर निगम सोता रहा और अवैध बस्तियां बनती रही किन्तु वो आज इन अवैध बस्तियों को बसाने वाले जिम्मेदार नेता कहां हैं ?
कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल ने मौके पर जाकर शासन-प्रशासन से वार्ता की और समाधान के प्रयास किए। कांग्रेस की तरफ से प्रवक्ता अभिनव थापर, महामंत्री गोदावरी थापली, महानगर अध्यक्ष डा. जसविंदर सिंह गोगी, पार्षद उर्मिला थापा, पार्षद संगीता गुप्ता, सूरज छेत्री आदि ने मौके पर जन-समस्या सुनी।
रचनाशीलता के लिए कमरे की परिकल्पना अद्भुत है : सुभाष पंत
“सुरेश उनियाल द्वारा संपादित पुस्तक ‘मेरा कमरा’ भाग-2 का हुआ लोकार्पण”
देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से सोमवार शाम वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश उनियाल द्वारा संपादित एवं काव्यांश प्रकाशन, ऋषिकेश से प्रकाशित पुस्तक ‘मेरा कमरा’ भाग-2 का शहर के साहित्यप्रेमियों के बीच लोकार्पण किया गया । इस पुस्तक में हिंदी के 17 श्रेष्ठ रचनाकारों के ‘कमरे’ के इर्दगिर्द घूमती विचार श्रृंखला को अत्यंत रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है ।
पुस्तक के संपादक सुरेश उनियाल ने इस पुस्तक की रचनाओं के बारे में प्रकाश डाला और बतलाया कि इस पुस्तक के लिए किसी निश्चित विधा एवं मापदंड से इतर रचनाकार के ‘कमरे’ को आधार बनाकर जीवन और साहित्य के विभिन्न पहलुओं को इन साहित्यकारों की नजर से यथार्थपरक ढंग से देखना मुख्य उद्देश्य था । पाठकों तक अपनी बात कितनी सफलता से हम पहुंचा पाए हैं, यह पाठकों की प्रतिक्रिया ही बतलायेगी । पुस्तक के रचनाकारों की साफगोई पाठकों को अवश्य पसंद आएगी ।
इस अवसर पर गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए लोकप्रिय कथाकार सुभाष पंत ने कहा कि रचनाशीलता के लिए कमरे की परिकल्पना अद्भुत है । किसी भी रचनाकार के लिए वास्तव में विचार और परिकल्पना मुख्य है, जो सामाजिक यथार्थ और मूल्यबोधों से उत्पन्न होती है । मुख्य अतिथि पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने पुस्तक को अत्यंत रोचक और कमरे की कल्पना के चारों ओर बुनी गई रचनाकार के वास्तविक जीवन की सच्ची घटनाओं का संमरणात्मक दस्तावेज बताया ।
गोष्ठी में वक्ता नवीन कुमार नैथानी, शिव प्रसाद जोशी आदि ने भी अपने विचार ब्यक्त करते हुए इस पुस्तक को रोचक कथा के रूप में रचनाकार के ब्यक्तिगत जीवन और वैचारिक संघर्षों का प्रतिबिम्ब बतलाया । उल्लेखनीय है कि प्रकाशक प्रबोध उनियाल ने इस पुस्तक के प्रथम भाग में 40 रचनाकारों के कथारूपी आलेखों को 2 वर्ष पूर्व खुद के संपादन में प्रकाशित किया है ।
गोष्ठी का संचालन साहित्यिक संस्था ‘संवेदना’ के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने किया । कार्यकम आरम्भ होने से पूर्व दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया।
कार्यक्रम के अवसर पर कृष्णा खुराना, गुरुदीप खुराना,अरविन्द शेखर , दिनेश चंद्र जोशी, जितेंद्र शर्मा, सुंदर सिंह बिष्ट, डॉली डबराल, सुधा रानी पांडेय, सविता मोहन, विद्या सिंह, चंद्रनाथ मिश्रा, धीरेन्द्रनाथ तिवारी, राजेश पाल, राजेश सकलानी, मनमोहन चड्ढा, सतीश धौलाखंडी, विजय भट्ट,विनोद रतूड़ी आदि उपस्थित थे ।
उत्तराखंड़ त्रिस्तरीय पंचायत संगठन एक सूत्रीय मांग को लेकर एक जुलाई को जिला मुख्यालयों में करेगा धरना-प्रदर्शन
देहरादून, राज्यव्यापी आव्हान पर उत्तराखंड़ त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम संबोधित ज्ञापन खंड विकास अधिकारियों को सौपा।
उन्होंने “एक देश एक चुनाव” की तर्ज पर हरिद्वार के साथ 12 जिलों का पंचायत चुनाव कराने की मांग की। प्रदेश सरकार ने दो वर्ष कार्यकाल बढाने की मांग स्वीकार नहीं किया तो एक जुलाई को 12 जिलों के मुख्यालयों में इस एक सूत्रीय मांग के समर्थन में धरना-प्रदर्शन होगा।
संगठन के कार्यक्रम संयोजक जगत मर्तोलिया ने बताया कि हरिद्वार को छोड़कर उत्तराखंड के 12 जिलों के 89 विकास खंड मुख्यालयों में 70 हजार त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों ने आज आंदोलन में भाग लिया। उन्होने बताया कि संगठन के आवाहन पर पहली बार एक सूत्रीय मांग को लेकर राज्य के वार्ड सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य तथा जिला पंचायत सदस्य सहित क्षेत्र प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष एक साथ मिलकर आंदोलन कर रहे है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में ही एक वर्ष तीन माह कार्यकाल बढ़ाकर बिना प्रशासक के पंचायतों के कार्य करने का उदाहरण है। उन्होंने आज 1996 में हुए पंचायत चुनाव के बोर्ड की फोटो जारी की।
उन्होंने कहा कि 12 जिलों के त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल दो वर्ष बढ़ाए जाने के तथा निर्वाचित प्रतिनिधियों को कार्य करने का पर्याप्त कानूनी आधार है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अध्यादेश लाकर पंचायतों का कार्यकाल दो वर्ष तक बढ़ा सकती है।
देश में बहुत राज्यों ने अध्यादेश लाकर पंचायतों का कार्यकाल छः-छःमाह करके दो वर्ष तक बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि राज्य की धामी सरकार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के एक देश एक चुनाव के विजन के लिए उत्तराखंड में “एक राज्य एक पंचायत चुनाव” पर एतिहासिक कदम उठाना चाहिए। मर्तोलिया ने कहा कि सरकार नहीं मानी तो उत्तराखंड के गांव- गांव में इस मांग के समर्थन में आंदोलन नजर आएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से कोई पहल नहीं किए जाने पर संगठन एक जुलाई को राज्य के 12 जिला मुख्यालयों पर विशाल धरना-प्रदर्शन की तैयारी में जुट गया है।
त्रिस्तरीय पंचायत संगठन के बैनर तले राज्य के 89 विकास खण्ड कार्यालयों में वार्ड सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य तथा जिला पंचायत सदस्यों ने अपनी एकजुटता दिखाई।
सोमवार को हुए आंदोलन में ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भास्कर सम्मल ने उधमसिंहनगर, जिला पंचायत अध्यक्ष संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सोना सजवान ने टिहरी, जिला पंचायत सदस्य संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने उत्तरकाशी, क्षेत्र प्रमुख संगठन के प्रदेश संयोजक डॉक्टर दर्शन सिंह दानू ने चमोली, संगठन के कार्यक्रम संयोजक जगत मर्तोलिया ने पिथौरागढ़ में भाग लिया।
पर्यावरण संरक्षण के लिये संयुक्त नागरिक संगठन ने सरकार से की जन संवाद की मांग
देहरादून, संयुक्त नागरिक संगठन ने मुख्यमंत्री आवास के मुख्य सेवक सदन में पर्यावरण संरक्षण विषय पर दूनवासी पर्यावरण प्रेमिजनों के साथ जन संवाद मांग की है। वहीं दून के कंक्रीटीकरण के लिए जिम्मेदार चीफ टाउन प्लानर शशि मोहन श्रीवास्तव से दून को मुक्ति दिलाने तथा दिलाराम चौक से मुख्यमंत्री आवास तक सड़क चौड़ीकरण के चलते पेड़ों के कटान पर रोक लगाने के फैसले का स्वागत करते हुए संयुक्त नागरिक संगठन ने सरकार को पत्र लिखा है |
संयुक्त नागरिक संगठन के महासचिव सुशील त्यागी ने पत्र के माध्यम से मांग की है कि एमडीडीए, स्मार्ट सिटी, पीडब्लूडी, वन, शासन प्रशासन, नगर नियोजन विभाग आदि में वर्षों से जमे पर्यावरण के दुश्मन अधिकारियों से भी राजधानी को मुक्ति दिलाई जाए।
संगठन सचिव सुशील त्यागी ने पत्र में कहा है कि अधिकांश दूनवासी पर्यावरणीय सुविधाओं आबोहवा के लिए देशभर में विख्यात इस शहर के गगनचुंबी कंक्रीटकरण से पैदा घुटनभरे, अस्वच्छ, प्रदूषित वातावरण से अवसाद ग्रस्त हो गए हैं। दून के विकास को जिम्मेदार विभागों/अधिकारियों ने पर्यावरण संरक्षण विषय को कूड़े में फेंक कर जो योजनाएं बनाई वह सुनियोजित विकास नहीं था। भविष्य में शहर की बची एक प्रतिशत हरियाली को भी शहर का बढ़ता कंक्रीटीकरण शीघ्र निगल जायेगा।
इसके लिए जरूरी है कि सकारात्मक सुझाव के साथ आपस में बैठकर विचार-विमर्श करे तभी हम दून को फिर से हराभरा बना सकते है। संगठन ने अन्य सुझाव में कहा गया है कि मानसून के आगमन से पहले शासन के सभी विभागों को पर्यावरण संरक्षण की योजनाएं बनाने तथा धरातल पर आये इनके परिणामों की मॉनिटरिंग की व्यवस्था मुख्य सचिव स्तर पर की जाए। शासन प्रशासन के निचले से उच्च स्तर तक वृक्षारोपण और उनके अनुरक्षण को सुनिश्चित करने हेतु सभी अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी सुनिश्चित किया जाना जरूरी होगा, अन्यथा विगत वर्षों में लाखों की संख्या में किए गए हवा-हवाई वृक्षारोपण की तरह आगामी अभियान भी फाईलों में दबकर अपनी जान दे देगा। त्यागी ने पर्यावरण संरक्षण के लिये सरकार से सार्थक एवं सकारात्मक कदम उठाने की भी अपील की है |
पिलखी अस्पताल के उच्चीकरण की जगी उम्मीद
टिहरी गढ़वाल, भिलंगना ब्लॉक के पिलखी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की उच्चीकरण की उम्मीद बलवती होती दिख रही है। स्थानीय पटवारी प्रवीण सिंह रावत ने अस्पताल संघर्ष समिति के पदाधिकारिओं की उपस्थिति में अस्पताल परिसर के कब्जे में उपलब्ध भूमि की पैमाइश की।
अस्पताल उच्चीकरण संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने बताया कि कराई गयी पैमाइश में यह भूमि कुल 18 नाली से अधिक निकली है। इसके अलावा 8:30 नाली भूमि पहले ही स्थानीय काश्तकारों से खरीद कर अस्पताल प्रबंधन के नाम रजिस्ट्री की जा चुकी है। इस तरह से अब अस्पताल के पास कुल भूमि 27 नाली हो गई है।
इसके अलावा अस्पताल की सीमा से लगती हुई चार नाली भूमि एक अन्य काश्तकार अस्पताल को उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। अस्पताल के उच्चीकरण के लिए 20 नाली जमीन चाहिए।
इस अवसर पर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र पंत ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए भारत सरकार के तय पैमानों के अनुसार पिलखी स्थित अस्पताल सभी शर्तें पूरी करता है। सामाजिक कार्यकर्ता बिशन कंडारी ने बताया कि इस अस्पताल से लगभग डेढ़ लाख से भी अधिक आबादी का क्षेत्र लाभान्वित होगा।
अस्पताल संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने बताया कि पिलखी अस्पताल के उच्चीकरण तथा नवनिर्माण में आने वाली सभी बाधाओं को जल्दी ही दूर करा लिया जाएगा।
इसके लिए संघर्ष समिति किसी भी प्रयास से पीछे नहीं हटेगी।
इस दौरान क्षेत्र पंचायत सदस्य कृष्णा देवी, अमरीश नौटियाल तथा जयप्रकाश कंसवाल, प्रमोद डोभाल, विशन सिंह कंडारी तथा मनोज थपलियाल, अजय तिवारी, जितेंद्र थपलियाल, वीर सिंह चौधरी, मुरारी गैरोला आदि गणमान्य लोग शामिल थे।
Recent Comments