‘वित्त विभाग का तर्क, वेतन बढ़ाने से राजकोष पर पड़ेगा 128 करोड़ रुपये सालाना वित्तीय बोझ’
देहरादून, प्रदेश के 20 हजार उपनल कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी पर वित्त विभाग का पेंच फंस गया। कैबिनेट सब कमेटी की रिपोर्ट से उपसमिति के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत और सदस्य सैन्य कल्याण मंत्री गणेश जोशी खासे नाराज है दोनों नेताओं ने कैबिनेट की बैठक में वित्त विभाग की आपत्ति पर कड़ा एतराज जताया है। अब यह प्रस्ताव कैबिनेट की अगली बैठक में दोबारा आएगा।
राज्य के विभिन्न विभागों में नियमित खाली पदों के सापेक्ष कार्यरत उपनल कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी व अन्य मसलों के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया था। उपसमिति में मुख्य सचिव, सचिव वित्त और सचिव न्याय भी सदस्य थे। बैठकों के बाद उपसमिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को दे दी। लेकिन सिफारिशें देने के बाद भी प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में नहीं लाया गया। प्रस्ताव में हो रही देरी पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी पहले ही एतराज जता चुके थे और उन्हें दावा किया था कि शुक्रवार की कैबिनेट में प्रस्ताव पर चर्चा होगी।
वित्त विभाग की आपत्तियों के चलते प्रस्ताव लटक गया
सूत्रों के मुताबिक, प्रस्ताव पर चर्चा तो हुई। लेकिन वित्त विभाग की आपत्तियों के चलते प्रस्ताव लटक गया। वित्त विभाग की ओर से यह तर्क दिया गया कि वेतन बढ़ाने से राजकोष पर 128 करोड़ रुपये सालाना वित्तीय बोझ पड़ जाएगा। अस्थाई सेवा वाले दूसरे कर्मचारी भी वेतन बढ़ाने की मांग करेंगे। वित्त विभाग द्वारा लगाये गये इन तमाम तर्कों का कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और गणेश जोशी ने विरोध किया और कड़ा एतराज जताया। सूत्रों के मुताबिक, प्रस्ताव का एक बार फिर से परीक्षण कराने और उसके बाद कैबिनेट की अगली बैठक में लाने का निर्णय हुआ। हालांकि दोनों मंत्री इससे सहमत नहीं थे।
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