नई दिल्ली: सरकार ने कहा है कि कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों (Edible Oil) पर इंपोर्ट ड्यूटी (Import Duty) कम करने का असर होने लगा है. इससे घरेलू बाजार में सरसों के तेल को छोड़कर बाकी खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आई है.
पिछले महीने हुई आयात शुल्क में कमी
सरकार ने बयान कर कहा कि पिछले महीने 11 सितंबर को पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर सीमा शुल्क में कमी कर दी गई थी. जबकि कच्चे पाम तेल पर मूल इंपोर्ट ड्यूटी (Import Duty) को 10 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया. वहीं कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर भी आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया.
खाद्य तेलों के दाम में आई गिरावट
सरकार ने कहा कि उसके इन कदमों का बाजार पर अच्छा असर पड़ा है और महंगाई में कमी आई है. इंपोर्ट ड्यूटी (Import Duty) में कमी करने से खाद्य तेलों (Edible Oil) की कीमतों में 2 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. सरकार ने कहा कि सरसों के तेल को छोड़कर बाकी सब तेल बाहर से आयात किए जाते हैं. इसलिए आयात शुल्क (Import Duty) कम करने का उनकी कीमतों पर सीधा असर पड़ा है. अब देश में उत्पादित होने वाले खाद्य तेलों को भी विभिन्न उपायों से कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
जमाखोरी को रोकने के लिए उठाए कदम
सरकार ने कहा कि खाद्य तेलों (Edible Oil) की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए इसकी जमाखोरी के खिलाफ भी कदम उठाए गए हैं. इसके लिए थोक विक्रेताओं, मिल मालिकों और रिफाइनरों को अपने स्टॉक का विवरण एक वेब पोर्टल पर रोजाना उपलब्ध कराने को कहा गया है. इसके साथ ही सभी खुदरा दुकानदारों को ब्रांडेड खाद्य तेलों की दरों को प्रमुखता से प्रदर्शित करने को कहा गया है. जिससे ग्राहक अपनी पसंद के तेल का चुनाव कर सकें. के लिए कहा गया है ताकि उपभोक्ता पसंदीदा खाद्यतेल का चुनाव कर सकें.
खाद्यान्नों की कीमतें भी हुई स्थिर
सरकार ने कहा कि किसानों की मांग पर कई फसलों के एमएसपी में वृद्धि की गई है. इसके बावजूद बाजार में चावल और गेहूं की कीमतों में कमी आई है. उनके साथ ही चना, अरहर, उड़द और मूंग की खुदरा कीमतों में भी गिरावट आई है. पिछले एक साल में आलू की औसत खुदरा कीमतों में 44.77 प्रतिशत की कमी आई है. वहीं प्याज और टमाटर की कीमतों में क्रमश: 17.09 प्रतिशत और 22.83 प्रतिशत की गिरावट आई है.
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