- -जबाव को बताया अपमान की पराकाष्ठा
- -सीएम, गवर्नर, सीएस से हस्तक्षेप की मांग
- -जिपंस मर्तोलिया ग्राम, क्षेत्र, जिला पंचायतों में करेंगे धरना-प्रदर्शन
पिथौरागढ़, विकास खंड मुनस्यारी के चीन सीमा पर स्थित वाइब्रेंट विलेज वाले ग्राम पंचायत लास्पा तथा मिलम की बैठक में रेखीय विभागों को भेजे जाने के मामले ने अब ओर तूल पकड़ लिया। मुख्य विकास अधिकारी नंदन कुमार द्वारा दिए गए जवाब को निर्वाचित पंचायतों की अवमानना एवं अपमान की उच्च पराकाष्ठा बताते हुए जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने मुख्यमंत्री, गवर्नर तथा मुख्य सचिव को गुरुवार को ईमेल से भेजकर हस्तक्षेप किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जिले अधिकारी प्रधानमंत्री के चीन सीमा पर स्थित अंतिम गांवों को प्रथम गांव संबोधित करने तथा उनके विकास करने के विजन को पलीता लगा रहे है।
चीन बॉर्डर स्थित ग्राम पंचायत लास्पा की 18 तथा मीलम की 19 जून को बैठक आहूत की गई थी। इस बैठक में रखीय विभागों को भेजे जाने के लिए जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने 11 जून को जिलाधिकारी तथा मुख्य विकास अधिकारी को पत्र भेजा था। जिलाधिकारी के अवकाश में रहने के कारण मुख्य विकास अधिकारी के पास इस पद का भी चार्ज था।
मुख्य विकास अधिकारी द्वारा इस पत्र को शून्य की स्थिति में पहुंचा दिया गया। जिसकारण दोनों ग्राम सभाओं की बैठक भी नहीं हुई।
जिला पंचायत सदस्य ने इसे पंचायत का अपमान बताते हुए 25 जून को जिला पंचायत की सामान्य बैठक में नाराजगी जताते हुए धरना दिया था। धरने में उठने से पहले तय किया गया था कि बैठक सम्पन्न होने से पहले मुख्य विकास अधिकारी पत्र पर अपना जवाब देंगे।
पत्र का जवाब मिलने के बाद इसका अध्ययन करने के पश्चात जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने गुरुवार को राज्य के सीडीओ सहित मुख्यमंत्री, गवर्नर, तथा मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव पंचायत, जिलाधिकारी को पत्र भेज कर बताया कि त्रिस्तरीय पंचायतों की अवमानना तथा अपमान अब हदे पार हो गई है।
उन्होंने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी द्वारा पत्र का जो जवाब दिया गया है, वह इस बैठक ही नहीं की त्रिस्तरीय पंचायतों की पूरी प्रणाली पर सवाल उठा रहा है।
उन्होंने कहा कि सीडीओ के इस पत्र के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि अब क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत की बैठकों में अब रेखीय विभागों के अधिकारी आएंगे कि नहीं।
उन्होंने बताया कि ग्राम सभाओं की बैठक के लिए पंचायती राज विभाग उत्तराखंड द्वारा जो सूचना पत्र तैयार किया गया है, उसमें रेखीय विभागों को आमंत्रित किए जाने की सूचना प्रकाशित होती है। अब इस पत्र को भी पंचायतीराज विभाग को बदलना होगा।
उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि पंचायत को सिखाया जा रहा है, कि उनका संचालन कैसे होता है। उन्होंने कहा कि पंचायतों के अपमान बात को नजरअंदाज करने के लिए सीडीओ ने अपने पत्र में मनगढ़ंत तथा शासनादेशों की गलत व्याख्या की है। उन्होंने कहा कि अगर यह सीडीओ की व्याख्या सही है, तो त्रिस्तरीय पंचायतों की दो बैठकों को छोड़कर शेष दो सामान्य बैठकों में रेखीय विभाग के अधिकारियों को आने की आवश्यकता नहीं है। अब सीडीओ को अपनी बात पर अडिग रहते हुए क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत की दो शेष बैठकों में रेखीय विभागों की उपस्थिति पर रोक लगाने का आदेश जारी करना चाहिए।
उन्होंने सीडीओ से पूछा कि क्या त्रिस्तरीय पंचायत में ग्राम पंचायत की बैठक के लिए अलग रुल है। उसे भी स्पष्ट किया जाए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस मामले में छुप नहीं बैठेंगे। ग्राम सभा, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत की आगामी बैठकों में इस पर जोरदार चर्चा की जाएगी और इससे अपमान के खिलाफ फिर धरना दिया जाएगा।
अब सीडीओ के पत्र की भाषा पर बवाल :
पिथौरागढ़, सीडीओ द्वारा प्राप्त पत्र में महोदय, विषय तथा भवदीय नहीं लिखा गया है। इस पत्र के जवाब में जिला पंचायत सदस्य द्वारा भी सीडीओ को आज प्रेषित पत्र में महोदय, विषय और भवदीय नहीं लिखकर अपना विरोध जताया।
उन्होंने कहा कि पत्राचार में महोदय एक दूसरे को सम्मान दिए जाने की परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि वे सीडीओ के अधीनस्थ कार्मिक नहीं है। पत्र की भाषा भी अपमान करने की उनकी मंशा को आगे बढ़ा रही है।
कहा कि मुख्य सचिव भी अगर किसी जनप्रतिनिधि को पत्र लिखते हैं तो महोदय जैसे सम्मानित शब्दों का प्रयोग करते है। इस जनपद के सीडीओ इस परंपरा को भी तार- तार कर निर्वाचित पंचायत सदस्यों का खुलेआम अपमान करने पर आतुर है
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