Wednesday, April 24, 2024
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विरासत-2022-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल का शुभारंभ

विरासत की पहली शाम छोलिया नृत्य, कथक और शहनाई वादन के नाम रहा

देहरादून-उत्तराखंड के जाने-माने सांस्कृतिक कार्यक्रम ’विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2022’ का शुभारंभ माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्टेडियम (कौलागढ़ रोड) देहरादून में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के साथ श्री आर के श्रीवास्तव प्रबंध निदेशक ओएनजीसी, पुर्व प्रबंध निदेशक ओएनजीसी डॉ. अलका मितल एवं डायरेक्टर ऑपरेशन पंकज कुमार भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री आर के सिंह, जनरल सेक्रेटरी रीच के द्वारा किया गया।May be an image of 6 people and indoor

 

माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने अपने उद्बोधन में विरासत के सभी सदस्यों को धन्यवाद दीया। उन्होंने कहा कि इस भव्य आयोजन के लिए मैं विरासत के आयोजको का आभार प्रकट करता हूं। उन्होंने कहा कि हमारे लोकल कलाकारों को भी ऐसे मंच में भाग लेने का अवसर प्रदान हो और देश-विदेश से तमाम आए हुए कलाकारों के साथ उत्तराखंड के कलाकार भी अपना नाम कमा सकें। उन्होंने कहा विरासत ने पूरे भारतवर्ष में अपनी एक सांस्कृतिक पहचान बनाई है और विरासत के सहयोग करने वाले सभी लोगों को भी मैं धन्यवाद व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि साहित्य, संगीत और कला लोगों को विनम्र बनाता है।May be an image of 4 people, people standing and indoor

 

श्री आर के श्रीवास्तव ने विरासत और ओएनजीसी के मजबूत और लंबे संबंध के साथ अपने भाषण की शुरुआत की और उन्होंने सभी कलाकारों को उनके अपार योगदान के लिए धन्यवाद दिया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत उत्तराखंड के लोकप्रिय छोलिया नृत्य के साथ हुआ जिसमें उत्तराखंड के प्रतिष्ठित कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी एवं इस प्रस्तुती ने लोगों का मन मोह लिया। यह लोक नृत्य पहले पारंपरिक युद्ध के रूप में होता था जिसमें ढोल, दमोऊ , नगाड़े वाद्य यंत्र जैसे कई यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता था इस बार पारंपरिक यंत्रों के साथ-साथ अपनी प्रस्तुति को और मनोरंजक बनाने के लिए कैसियो का इस्तेमाल भी किया गया। छोलिया नृत्य प्रस्तुति की शुरुआत उन्होंने देवताओं के आगमन से किया उसके बाद नव मूर्ति मदोबाज ,छोला युद्ध , मीनार जैसे प्रस्तुतियां दी। इस छोलिया नृत्य में मुख्य कलाकार गीता सरारी के साथ सहायक कलाकार हरीश कुमार (ढोल रणसिंह ) प्रताप राम (बैग पाइपर) मोहन राम , गिरीश कुमार , दर्शन कुमार ,राजू कुमार (छोलिया योद्धा) किशन (ताल ) रोहित (तूकी) राजू (कैसियो) में अपने पारंपरिक यंत्रों पर अपनी संगत दी।May be an image of 4 people and people standing

 

कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति में लोकप्रिय कथक नृत्यक श्री कृष्ण मोहन जी ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दी। श्री कृष्ण मोहन जी ने अपनी संस्कृति और विरासत को आगे बढ़ाने की धारणा से अपने शिष्यों के साथ यह प्रस्तुति दी, उन्होंने इस बार अपनी नई थीम ’कलर्स ऑफ कत्थक’ पर अदभुत नृत्य प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने कत्थक के सभी पहलुओं का प्रस्तुतीकरण किया एवं प्रस्तुति की शुरुआत कृष्ण की आराधना (सूरदास के पद ) से की। इसके बाद उन्होंने हिंदू काल, मुगल काल तराने सूफी जैसे पदों में प्रस्तुतियां दी। साथ ही साथ उन्होंने एक ग़ज़ल मे कथक की प्रस्तुति दी जो कि उनके द्वारा लिखी एवं संयोजित की गई है। उन्होंने रिदम में फ्यूजन का इस्तेमाल भी एक दायरे में रहते हुए किया एवं उन्होंने एक खास प्रस्तुति पंडित बिरजू महाराज जी की एक रचना में भी दी।

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कार्यक्रम की आखिरी प्रस्तुति शहनाई वादन का रहा जिसमें लोकप्रिय शहनाई वादक अश्वनी एवं संजीव शंकर ने कथक की धमाकेदार प्रस्तुतियां दी। इस प्रस्तुति में शहनाई वादक अश्वनी और उनके सहायक कलाकार योगेश शंकर (शहनाई वादक )मिथिलेश झां ( तबला वादक) पर संगत दी। अश्वनी एवं संजीव शंकर ने बताया कि उनका परिवार 300 साल से यह कार्य कर रहा है साथ ही साथ उन्होंने इस परंपरा को आगे बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की बात की। अपनी प्रस्तुति की शुरुआत उन्होंने रागबिहाग और बनारस की ठुमरी से की , उनकी प्रस्तुति में तबला और शहनाई की जुगलबंदी भी नजर आए।No photo description available.

 

इस 15 दिवसीय महोत्सव में भारत के विभिन्न प्रांत से आए हुए संस्थाओं द्वारा स्टॉल भी लगाया गया है जहां पर आप भारत की विविधताओं का आनंद ले सकते हैं। मुख्य रूप से जो स्टाल लगाए गए हैं उनमें भारत के विभिन्न प्रकार के व्यंजन, हथकरघा एवं हस्तशिल्प के स्टॉल, अफगानी ड्राई फ्रूट, पारंपरिक क्रोकरी, भारतीय वुडन क्राफ्ट एवं नागालैंड के बंबू क्राफ्ट के साथ अन्य स्टॉल भी हैं।

 

09 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2022 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।

रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था। विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है।

 

विरासत 2022 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।

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