Sunday, November 17, 2024
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वीर बाल दिवस का संदेश पूरी दुनिया में स्वाभिमानपूर्ण, समावेशी और सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देगाः राज्यपाल

देहरादून,राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने वीर बाल दिवस के अवसर पर कहा कि आज वीर साहिबजादों के त्याग, बलिदान, वीरता, साहस की महान पराकाष्टा को याद करने का दिन है, जिन्होंने अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि नन्हें साहिबजादों ने अत्याचारियों की बात न मानते हुए सिख धर्म की उस महान परम्परा को आगे बढ़ाया, जिसमें अन्यायी शासकों के सामने कभी न झुकने की महान शिक्षा दी गई है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर उन महान गुरूओं को याद करने का भी सुअवसर है जिन्होंने ऐसे वीर योद्धाओं को जन्म दिया।

वीर बाल दिवस के अवसर पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी के महान बलिदानी साहिबजादे पुत्रों की शहादत को वीर बाल दिवस के रूप में मनाये जाने के निर्णय हेतु माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने ऐसे वीर योद्धाओं की शहादत को चिरस्थायी बनाने का महान कार्य किया है। उन्होंने कहा कि यह क्षण भारत के महान इतिहास में एक युगान्तकारी क्षण है, जिसे युगों-युगों तक याद किया जायेगा।

राज्यपाल ने कहा कि वीर बाल दिवस का संदेश पूरी दुनिया में स्वाभिमानपूर्ण, समावेशी और सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देगा। यह दिवस नई पीढ़ी को साहिबजादों के साहस, वीरता और बलिदान से अवगत कराएगा। यह दिवस करोड़ों बच्चों को राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित करेगा साथ ही राष्ट्र सेवा, देश और धर्म की रक्षा के लिए साहिबजादों के अतुलनीय बलिदान को चिरस्थायी बनाएगा। उन्होंने कहा कि महज 6 एवं 9 साल की उम्र में दिया गया सर्वोच्च बलिदान हर भारतीय को गौरवान्वित करता है।

इस दौरान गुरू सिख मरजीवड़े, कीर्तन जत्था करनपुर द्वारा शबद कीर्तन, बाबा बंदा सिंह गतका दल ने सिख परम्परा की महान युद्ध कला पर आधारित गतका कला का प्रदर्शन किया। वहीं सिख परम्परा के महान इतिहास पर आधारित हिस्ट्री ऑफ फॉर साहिबजादा नाटक का भी मंचन हुआ। राज्यपाल ने गतका कला, शबद कीर्तन और नाटक प्रस्तुत करने वाले कलाकारों को सुन्दर कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद किया। कार्यक्रम के दौरान प्रथम महिला श्रीमती गुरमीत कौर, सचिव संस्कृति श्री हरीशचन्द्र सेमवाल, निदेशक बीना भट् सहित राजभवन के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संजू ध्यानी ने किया।

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