Saturday, November 16, 2024
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संघर्ष समिति ने किया देहरादून बंद का आह्वान

-दिवंगत बडोला की पत्नी और बहिन ने की पत्रकारों से वार्ता

-मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में करने की मांग

-मृतक की पत्नी को मिले स्थायी नौकरी

देहरादून, मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने देहरादून में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं को लेकर कल यानी गुरुवार 20 जून को देहरादून बंद करने का आह्वान किया है। संघर्ष समिति ने बंद को लेकर राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, व्यापारियों, पूर्व सैनिकों, युवाओं और महिलाओं से बंद को सफल बनाने में सहयोग की अपील की है।

प्रेस क्लब देहरादून में दिवंगत दीपक बडोला की पत्नी और बहिन के साथ पत्रकारों से वार्ता करते हुए मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवासियों का अस्तित्व बचाने के लिए सभी को सड़कों पर उतरना होगा। आपराधिक घटनाएं बढ़ रही है और लोग खौफ के साये में जीने को मजबूर है। मूल निवासियों को सोची-समझी साजिश के चलते मारा जा रहा है। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने बंद को सफल बनाने के लिए सभी लोगों से अपील की है। साथ ही उन्होंने दिवंगत रवि बडोला की पत्नी को स्थायी नौकरी, एक करोड़ रुपये मुआवजा, घायलों का मुफ्त इलाज, उन्हें 20-20 लाख मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने गोलीकांड मामले की जांच फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की मांग भी की। साथ ही बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को चिन्हित करने की भी मांग की।
गोलीकांड में मृतक दीपक/रवि बडोला की पत्नी उर्वी बडोला ने कहा कि अब उनके सामने अपने छोटे बच्चे के भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है। सरकार उन्हें स्थायी नौकरी दे और उनके परिवार को सुरक्षा दे। अपराधियों के पास हथियार कहाँ से आ रहे हैं और आपराधिक लोगों को कौन संरक्षण दे रहा है, इसकी जांच होनी चाहिए।

मृतक रवि बडोला की बहिन दीक्षा रतूड़ी ने कहा कि समाज को उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। यह घटनाएं कल किसी और के साथ भी हो सकती है। अपराधियों को संरक्षण देने वालों की भी पहचान जरूरी है।

संघर्ष समिति के महानगर संयोजक अनिल डोभाल ने कहा कि मूल निवासियों को अपना अस्तित्व बचाने के लिए सड़कों पर उतरना होगा। पेरोल पर दुर्दांत अपराधी कैसे छूट रहे हैं, इसकी भी जांच जरूरी है।

समिति के सचिव प्रांजल नौडियाल और पंकज उनियाल ने कहा कि मूल निवास और भू-कानून न होने से अपराधियों के हौसले बुलंद है। लंबे समय से समिति इस लड़ाई को लड़ रही है। लेकिन सरकार इन मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं है।

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