देहरादून, स्थानीय दीनदयाल पार्क के समीप सड़क संसद के द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ट्रेड यूनियन नेता डी. एन. कोठरी की अध्यक्षता में आयोजित सभा में हिंदी दलित साहित्य के प्रतिष्ठित, ख्याति प्राप्त कवि, साहित्यकार एवं दलित उपन्यासकार जय प्रकाश नवेन्दु यथा महर्षि जे.पी. नवेन्दु को शॉल पहना कर एवं उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा माला पहना कर सम्मानित किया गया। नवेन्दु द्वारा कुल 113 कृतियों की रचना कर दलित साहित्य में बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। उत्तराखण्ड शासन के पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ने कहा कि ये अत्यंत हर्ष एवं गर्व की बात है कि हमारे बीच के एक शिक्षक साहित्यकार द्वारा दलित समाज में घटित घटनाओं एवं संघर्षों का उल्लेख करते हुए इतनी बड़ी मात्रा में पुस्तकों की रचना की है। यह एक ऐतिहासिक एवं गौरवमयी उपलब्धि है। नवेन्दु को सम्मानित करते हुए सुरेंद्र कुमार आर्य ने कहा कि उनकी कविता, कहानियाँ, उपन्यास एक अलग अध्याय को आयाम देती हैं। एक ऐसा विचार जो कि यथार्थ पूर्ण, तर्कपूर्ण एवं जन संघर्ष की व्यापकता का अहसास करता है। कामरेड जगदीश कुकरेती ने नवेन्दु महर्षि द्वारा रचित दलित साहित्य में उल्लिखित तथ्यों का ऐतिहासिक एवं सामाजिक सरोकार से परिपूर्ण बताते हुए कहा कि यह आगामी संघर्षों में देश की मेहनतकश अवाम के लिए कारगर हथियार साबित होगा। राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने उनकी रचनाओं को यथार्थवादी एवं प्रेरणादायक बताया। रंगकर्मी सतीश धौलाखण्डी द्वारा एक जनगीत एवं विक्रम पुण्डीर ने उनकी कविता का काव्य पाठ किया।
सड़क संसद को वरिष्ठ साहित्यकार गोविंदराम नौटियाल, शंकर सागर, हरजिंदर सिंह, राकेश पंत, हरिसिंह निषेद, वीरेंदर त्यागी, डॉ. जितेन्द्र भारती, जयकृत कंडवाल, राजेंद्र इष्टवाल, अशोक अकेला, विनोद खंडूरी, युगपाल सिंह असवाल, चंद्र प्रकाश थापा, ए. के. कटारिया, राजेश रावत, वी. के. डोभाल आदि ने सम्बोधित किया।
अपने सम्बोधन में नवेन्दु महर्षि ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए अपनी कविताओं का पाठ किया तथा उन्होंने कहा कि उन्होंने बड़ी विकट परिस्थितयों में संघर्ष कर इस आयाम को प्राप्त किया है। मेरी कोशिश होगी कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से दलित विमर्श को गति प्रदान की जाएगी।
उनके द्वारा रचित दलित साहित्य के ऊपर मगध विश्वविद्यालय, बिहार एवं भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली में कई छात्रों द्वारा पीएचडी की गई है तथा उनकी कृतियों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है। सभा में बड़ी संख्या में आप राहगीरों द्वारा भागीदारी की गई। सभा का संचालन कामरेड हरिओम पाली (इप्टा) द्वारा किया गया।
महर्षि नवेन्दु एक परिचय :
जन्म स्थान – 8 सितम्बर सन् 1955 ग्राम बाकर नंगला, जनपद बिजनौर (उ. प्र.)
शैक्षिक विवरण : प्राइमरी- गाँव की पाठशाला से, आठवीं पास के गाँव शादीपुर से, दसवीं बारहवीं- बहन की ससुराल में रहते हुए हिन्दू इण्टर कालेज नगीना से सन् 1972-74 में बी.ए. शुगरमिल कालोनी में चाचा के पास रहते हुए वर्धमान डिग्री कालेज बिजनौर से सन् 1976 में बी.एड. डी.ए.वी. डिग्री कालेज देहरादून से सन् 1977-78 में एम.ए. (हिन्दी)- डी.ए.वी. डिग्री कालेज देहरादून से सन् 1979-80 में पीएच.डी. अज्ञेय और जैनेन्द्र जैन के कथा साहित्य का मनोवैज्ञानिक तुलनात्मक अध्ययन विषय पर सन् 1985 में गढ़वाल विश्वविद्यालय में गवाप्रसाद शुक्ल के निर्देशन में नामांकन हुआ लेकिन अंतरिम गाइड ऊषा माथुर से जाति पर हुए मनमुटाव के चलते सन् 1987 में पीएच.डी. अधूरी छोड़ दी।
सम्प्रति- 8 जुलाई सन् 1980 को गाँधी इण्टर कालेज देहरादून में सी.टी. ग्रेड में अध्यापक नियुक्त हुए, वहीं से सन् 2016 में उप-प्रधानाचार्य के पद से सेवामुक्त हुए। प्रधानाचार्य पद सृजन कार्य में बाधा के डर से स्वयं छोड़ा। अब तक सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। दून में निवास और सृजन कार्य अभी भी जारी है।
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