देहरादून, युवाओं में पर्यावरणीय चेतना को बढ़ावा देने और सतत अपशिष्ट प्रबंधन की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, ईकोग्रुप सोसाइटी ने EIACP हब और उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से राजकीय प्राथमिक विद्यालय, आदोइवाला, देहरादून में एक विशेष जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया।
इस अभियान में कुल 165 विद्यार्थियों ने भाग लिया, जिन्हें प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) के खतरों के बारे में जागरूक किया गया। छात्रों को यह समझाया गया कि किस प्रकार गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है, और इसे कम करना, पुन: उपयोग करना तथा सही तरीके से निपटान करना कितना जरूरी है।
यह कार्यक्रम वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ, जिनमें शामिल थे — डॉ. एस.पी. सुबुधि, निदेशक, राज्य पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय, देहरादून, और डॉ. पराग मधुकर ढकाटे, सदस्य सचिव, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड। उन्होंने जमीनी स्तर पर पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। EIACP, UKPCB की टीम की सदस्याएं निहारिका डिमरी और रचना नौटियाल भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहीं और उन्होंने छात्रों और शिक्षकों को अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण के प्रति सकारात्मक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ईको-ईंटों (Eco-Bricks) का प्रदर्शन और प्रचार था, जिसमें प्लास्टिक कचरे को बोतलों में भरकर उपयोगी निर्माण सामग्री में बदला जाता है। छात्रों ने इस नवाचार में गहरी रुचि दिखाई और इसे अपने स्कूल व घर पर अपनाने का संकल्प लिया।
ईकोग्रुप सोसाइटी के सदस्यों ने शैक्षिक सामग्री और व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से कचरा प्रबंधन की दीर्घकालिक महत्ता को समझाने में मदद की। कार्यक्रम का समापन प्लास्टिक और ई-वेस्ट में कमी से संबंधित आगामी प्रतियोगिताओं में भाग लेने के आमंत्रण के साथ हुआ, जिससे छात्रों में रचनात्मकता और नेतृत्व की भावना को प्रोत्साहन मिला।
इस अभियान का सफल संचालन इकोग्रुप सोसाइटी की समर्पित टीम — श्री आशीष गर्ग, श्री अनिल कुमार मेहता, कृतिका गुप्ता, चार्वी अरोड़ा, भावना टंडन, नमन पंवार और रिंकू — द्वारा किया गया।
ईकोग्रुप सोसाइटी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय आदोइवाला के शिक्षकों और प्रशासन का हार्दिक धन्यवाद करता है, जिनके सहयोग और उत्साह ने इस अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह पहल उत्तराखंड के लिए एक स्वच्छ और सतत भविष्य के निर्माण में सरकार, नागरिक समाज और शैक्षिक संस्थानों के बीच बढ़ती समन्वय भावना का सशक्त उदाहरण है।
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