Wednesday, May 22, 2024
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किताब कौतिक के नौवें आयोजन की तैयारी : तीन दिन तक होंगे कई कार्यक्रम, 60 प्रकाशकों की 70 हजार किताबें होंगी उपलब्ध

(एल मोहन लखेड़ा)

देहरादून/रानीखेत, साहित्य, शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति का उत्सव “किताब कौतिक” आठ सफल आयोजन के बाद अपने नवें आयोजन के लिए अगले पड़ाव रानीखेत पहुंच रहा है। 10, 11 व 12 मई 2024 को “आओ, दोस्ती करें क़िताबों से” के विचार के साथ 60 प्रकाशकों की करीब 70 हजार पुस्तकें साहित्य प्रेमियों के अवलोकन और खरीद के लिए उपलब्ध रहेंगी। इसके अलावा साहित्यिक विमर्श, कवि सम्मेलन, नेचर वॉक, पुस्तक विमोचन और सांस्कृतिक संध्या सहित कई रोचक कार्यक्रम होंगे।
इस तीन दिवसीय आयोजन को आकर्षक और भव्य बनाने के लिए छावनी परिषद बोर्ड कक्ष में आयोजित बैठक में कार्यक्रम की रूपरेखा पर चर्चा हुई। तय किया गया कि कार्यक्रम की थीम “गौरवशाली सैन्य परंपरा” रहेगी, 10 मई को रानीखेत और आस-पास के विद्यालयों में विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा कैरियर काउंसलिंग की जाएगी।
11 मई को मुख्य आयोजन का शुभारंभ छावनी परिषद बहूद्देशीय सभागार में होगा। जिसमें देश के करीब साठ पुस्तक प्रकाशकों के स्टाल्स लगेंगे। साहित्यिक परिचर्चा, प्रसिद्ध लेखकों से सीधी बात, स्कूली बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, बच्चों के लिए विज्ञान कोना, नेचर वाक, आमंत्रित कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक संध्या, हस्त-शिल्प स्टाल्स, 12 मई को साहित्यिक सत्र में रानीखेत के गौरवशाली इतिहास और भविष्य पर चर्चा, कुमाऊं रेजिमेंट और सैन्य परम्परा पर चर्चा सहित अनेक समसामयिक विषयों पर‌ विमर्श होगा।

इसके अतिरिक्त स्कूली बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। 5 से 9 मई तक बाल प्रहरी के संपादक और साहित्यकार उदय किरौला द्वारा बच्चों के लिए रचनात्मक लेखन कार्यशाला आयोजित की जाएगी। कार्यक्रम में वरिष्ठ को सम्मानित किया जाएगा। रानीखेत किताब कौतिक में देशभर से प्रसिद्ध लेखक व साहित्यकारों को आमंत्रित किया जा रहा है।

बैठक में क्रियेटिव उत्तराखंड के हेम पंत ने बताया कि बच्चों और युवाओं में पढ़ने लिखने की संस्कृति विकसित करने के उद्देश्य से उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों में किताब कौतिक अभियान चलाया जा रहा है
रानीखेत में आयोजन के लिए वरिष्ठ पत्रकार, लेखक विमल सती को आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इसके अलावा छावनी परिषद सीईओ कुनाल रोहिला और से.नि लेफ्टिनेंट जनरल मोहन भंडारी को संरक्षक बनाया गया है। बैठक में हेम पंत, दयाल पांडेय, राजेंद्र प्रसाद पंत, मंजू आर साह, संजय पंत, गौरव तिवारी,गौरव भट्ट, आशुतोष पाण्डे, नरेश डोरबियाल, हरीश बिष्ट, सारिका वर्मा आदि मौजूद रहे।

 

खास खबर : उत्तराखंड का सबसे बड़ा चुनाव बहिष्कार : 25 ग्राम पंचायतों की जनता नहीं देगी वोट

-11अप्रैल से चलेगा बहिष्कार को सफल बनाने के लिए अभियान
-भारतीय सेना को शिफ्ट नहीं किए जाने से है नाराज
-चीन सीमा के लोग नहीं चाहते है, बलाती फॉर्म और खलिया टॉप में दख़ल

पिथौरागढ़ (मुनस्यारी), बलाती फार्म भारतीय सेना को शिफ्ट नहीं किए जाने से सीमांत के पंचायत प्रतिनिधि इस कदर नाराज है, कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा के बाद रणनीति को कारगार बनाने के अपने अभियान का आज खुलासा किया।
उत्तराखंड में यह सबसे बड़ा चुनाव बहिष्कार होगा, जहां 25 ग्राम पंचायतो के 12 हजार से अधिक मतदाता अपने मतों का प्रयोग नहीं करेंगे।
अल्पाइन हिमालय में स्थित पर्यावरणीय दृष्टि से अति संवेदनशील से बालती फॉर्म तथा खलिया टॉप को बचाने के लिए चीन सीमा से लगे 25 ग्राम पंचायतों की जनता इस बार लोकसभा चुनाव में वोट नहीं देगी। चुनाव बहिष्कार के अभियान को सफल बनाने के लिए 11 अप्रैल से घर-घर संपर्क अभियान शुरू किया जाएगा। इसकी सूचना जिला निर्वाचन अधिकारी पिथौरागढ़ को आज ईमेल के द्वारा दे दी गई है।
इस अभियान के संयोजक तथा जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने बताया कि अल्पाइन हिमालय क्षेत्र में स्थित बालती फॉर्म तथा खालिया टॉप में 1999 से भारतीय सेना की घुसपैठ जारी है। तत्कालीन उप जिलाधिकारी द्वारा सीमांत के पंचायत प्रतिनिधियों की आपत्ति पत्र पर सेना को विस्तार करने से रोकने का आदेश भी दिया गया था।
कोविड 19 का लाभ उठाते हुए भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में अपना विस्तार कर दिया। भारतीय सेना द्वारा क्षेत्र में आने से पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों से कोई बातचीत या अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि इस अल्पाइन हिमालय क्षेत्र मे मुनस्यारी के 25 ग्राम पंचायतों का पर्यावरणीय भविष्य जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के पानी से इनमें से अधिकांश ग्राम पंचायतों की प्यास बुझती है।
पेयजल स्रोतों को सेना के द्वारा दूषित कर दिया गया है।
इस क्षेत्र के जैव विविधता को भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम केवल सेना को शिफ्ट किए जाने की मांग कर रहे है।
5 वर्षों हमारे द्वारा दिए गए ज्ञापनों पर जिला प्रशासन ने एक बैठक तक नहीं बुलाई।
उन्होंने कहा कि हम अपने भावी पीढ़ी के लिए इस क्षेत्र के अति संवेदनशील पर्यावरण को ऐसे ही नष्ट नहीं होने दे सकते है।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को शिफ्ट किए जाने के लिए जमीन का सुझाव भी हमने दिया है। उस पर अमल करने की जगह अल्पाइन हिमालय में सेना प्रशासन के सहयोग से लगातार अपना विस्तार कर रही है। जो मुनस्यारी के भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है।
उन्होंने कहा कि वन विभाग, कुमाऊं मंडल विकास निगम, खेल विभाग, उद्यान विभाग, पर्यटन विभाग की गतिविधियों को भी इस क्षेत्र में सीमित करना आवश्यक है। इनके द्वारा भी किए जा रहे कच्चे तथा पक्के निर्माणों पर स्थाई रूप लगाए जाने की आवश्यकता है।
इसके लिए भी जिला प्रशासन को कठोर कदम उठाने के लिए ज्ञापन देखते-देखी हम था भर चुके है।
उन्होंने कहा कि बहिष्कार को सफल बनाने के लिए तय किया गया है कि 11 अप्रैल को ग्राम पंचायत बूंगा, सरमोली, मल्ला घोरपट्टा, तल्ला घोरपट्टा, बनियागांव, कवाधार 12 अप्रैल को पापड़ी, सेरा सुराईधार, दराती, खसियाबाडा 13 अप्रैल को जैती, सुरिंग, जलथ, दरकोट, दुम्मर 14 अप्रैल को हरकोट, धापा, लास्पा, मिलम 15 अप्रैल को क्वीरीजिमिया, सांईपोलू, पातो 16 अप्रैल को रालम, बुई, ढिमढिमिया मैं घर घर जनसंपर्क तथा बैठा आयोजित कर इस अभियान को सफल बनाने के लिए वातावरण का सृजन किया जाएगा।
17 अप्रैल को तहसील मुख्यालय स्थित शास्त्री चौक में इन मांगों के पक्ष में एक विशाल जनसभा आयोजित की जाएगी। जनसभा के माध्यम से आम जनता से लोकसभा चुनाव में वोट नहीं देने की अंतिम अपील की जाएगी।

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