देहरादून/ पौड़ी रविवार को विभिन्न संगठनों व राजनीतिक दलों ने उत्तराखंड बंद का ऐलान किया। जिसका मिला जुला असर देखने को मिला। कांग्रेस पार्टी ने भी उत्तराखंड बंद का समर्थन किया। विभिन्न संगठनों दोपहर 12 बजे तक उत्तराखंड बंद का मिला-जुला असर रहा। उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड महिला मंच और कुछ अन्य संगठनों ने अंकिता भंडारी हत्याकांड के विरोध में बाजार बंद का आह्वान किया।
पौड़ी और चमोली जिले में बंद का व्यापक असर दिखा। गढ़वाल मंडल के अन्य जिलों में क्षेत्र विशेष में बंद का कुछ असर दिखा। कई जगह धरना-प्रदर्शन भी किए गए |
वहीं अंकिता हत्याकांड को लेकर कुछ संगठनों की ओर से दी गई देहरादून बंद की कॉल को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर ने शहरवासियों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। उन्होंने बताया कि बंद के आह्वान को देखते हुए कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए नौ सुपर जोन, 21 जोन और 43 सेक्टरों में विभाजित किया गया है।
आमजन से अपील की कि किसी भी हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल न हो, बंद के दौरान किसी भी सरकारी व प्राइवेट संपत्ति को नुकसान न पंहुचाएं, शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए बनाए रखने में पुलिस को सहयोग प्रदान करें।
अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर राज्यभर के तमाम जन संगठनों, व्यापार संघों ने रविवार को उत्तराखंड बंद का ऐलान किया। कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड बंद का समर्थन करती है। यह बात महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने बयान जारी कर दी।
उन्होंने कहा अंकिता हत्याकांड ने उत्तराखंड के जनमानस के मन में गहरा घाव दिया है। इस राज्य की लड़ाई में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सेदारी की थी ताकि महिलाओं के विकास का राज्य बने। लेकिन आज अंकिता हत्याकांड ने राज्य की सरकारों को हकीकत जनता के सामने ला दी है। अंकिता के हत्यारों के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग को लेकर कांग्रेस समेत कई विपक्ष दलों व संगठनों ने आज उत्तराखंड बंद काआह्वान किया है। इस दौरान गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक बाजार बंद रखे गए। वहीं लोग पोस्टर बैनर लेकर सड़कों पर उतरे और इंसाफ की मांग की। वहीं, उत्तराखंड क्रांतिदल के नेताओं ने कई इलाकों में रैली निकाली। जिन जगहों पर बाजार बंद नहीं थे वहां उन्होंने दुकानदारों से दुकानें बंद करने की अपील की। उक्रांद के केंद्रीय महामंत्री विजय बौड़ाई ने कहा कि वाहनों की आवाजाही को नहीं रोका गया है। बंद में केवल बाजारों को शामिल किया गया है। इस दौरान केवल व्यापार या संगठनों के नेता ही नहीं बल्कि छात्र छात्राएं भी सड़कों पर उतरीं।
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