Friday, April 26, 2024
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नीति आयोग की बैठक में बोले पीएम, कोरोना कालखंड में राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर काम किया

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नीति आयोग की छठी गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता की है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने नीति आयोग की बैठक को संबोधित करते हुए कहा है कि हमने कोरोना कालखंड में देखा कि कैसे राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर काम किया, देश सफल हुआ। दुनिया में भारत की एक अच्छी छवि का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि आज जब देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है तब गवर्निंग काउंसिल की बैठक और महत्वपूर्ण हो गई है। मैं राज्यों से आग्रह करूंगा कि आज़ादी के 75 वर्ष के लिए अपने-अपने राज्यों में समाज के सभी लोगों को जोड़कर समितियों का निर्माण हो। किसानोें का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को थोड़ा गाइड करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के बजट पर जिस तरह का सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है, उसने जता दिया है कि ‘मूड ऑफ द नेशन’ क्या है। देश मन बना चुका है। देश तेजी से आगे बढ़ना चाहता है, देश अब समय नहीं गंवाना चाहता है। उन्होंने कहा कि हम ये भी देख रहे हैं कि कैसे देश का प्राइवेट सेक्टर, देश की इस विकास यात्रा में और ज्यादा उत्साह से आगे आ रहा है। सरकार के नाते हमें इस उत्साह का, प्राइवेट सेक्टर की ऊर्जा का सम्मान भी करना है और उसे आत्मनिर्भर भारत अभियान में उतना ही अवसर भी देना है।

केंद्र सरकार ने विभिन्न सेक्टर्स के लिए पीएलआई स्कीम शुरू की

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान, एक ऐसे भारत का निर्माण का मार्ग है जो न केवल अपनी आवश्यकताओं के लिए बल्कि विश्व के लिए भी उत्पादन करे और ये उत्पादन विश्व श्रेष्ठता की कसौटी पर भी खरा उतरे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने विभिन्न सेक्टर्स के लिए पीएलआई स्कीम शुरू की हैं। ये देश में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने का बेहतरीन अवसर है। राज्यों को भी इस स्कीम का पूरा लाभ लेते हुए अपने यहां ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हमें कृषि प्रधान देश कहे जाने के बावजूद भी आज 65,000-70,000 करोड़ का खाद्य तेल हम बाहर से लाते हैं। हम ये बंद कर सकते हैं, हमारे किसानों के खाते में पैसा जा सकता है। इन पैसों का हकदार हमारा किसान है लेकिन इसके लिए हमें अपनी योजनाएं उस तरह से बनानी होंगी। हमने पिछले दिनों दालों में प्रयोग किया, उसमें सफलता मिली, दालों को बाहर से लाने में हमारा खर्चा काफी कम हुआ है। कई चीजें आसान से हमारी टेबल पर पहुंचने लगी हैं। ऐसी चीजों के उत्पादन में कोई मुश्किल नहीं है। इसके लिए किसानों को गाइड करने की जरूरत है।’

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