Saturday, April 20, 2024
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लोगों को महंगाई से मिली थोड़ी राहत, जुलाई महीने में घटकर 5.59% रही खुदरा महंगाई दर

महंगाई के मोर्चे पर जनता और सरकार, दोनों के लिए राहत भरी खबर है। जुलाई महीने में भारत की खुदरा महंगाई दर मामूली कमी के साथ 5.59 फीसदी रही। लेकिन इसमें अच्छी बात ये है कि महंगाई दर RBI के तय लक्ष्य के भीतर आ गई है। माना जा रहा है कि राज्यों के लॉकडाउन में ढील, खाने-पीने की चीजों के दाम में कमी और सप्लाई चेन की सुविधा बेहतर होने की वजह से महंगाई दर में कमी आई है। गुरुवार को सरकार ने खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी किए। जुलाई के महीने में खुदरा महंगाई दर 5.59 फीसदी रही, जबकि जून के महीने में खुदरा महंगाई दर 6.26 फीसदी और मई में यह 6.30 फीसदी रही थी। पिछले दो म RBI के टारगेट से ज्यादा थी। अभी RBI ने महंगाई दर का टारगेट 4 फीसदी तय किया है। इसमें 2 फीसदी का मार्जिन है, यानी महंगाई दर टारगेट से 2% कम या ज्यादा रह सकता है।

 

महंगाई दर में RBI का क्या है रोल?

महंगाई पर काबू पाने की जिम्मेदारी RBI की होती है। और RBI देश की आर्थिक स्थिति के मुताबिक महंगाई दर का एक अनुमान लगाकर उसे, उसी दायरे में रखने की कोशिश करता है। RBI ने खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य 4 फीसदी रखा है। इसमें 2 फीसदी का मार्जिन दिया गया है। इसका मतलब, उच्चतम 6 फीसदी और न्यूनतम 2 फीसदी की महंगाई रिजर्व बैंक के दायरे में आती है।अगर महंगाई दर इस दायरे को क्रॉस करती है तो सरकार और सेंट्रल बैंक दोनों के लिए परेशानी बढ़ जाती है। लगातार पांच महीने तक महंगाई दर RBI के दायरे में रही, जिसके बाद यह मई और जून में ये 6 फीसदी के ऊपरी सीमा को क्रॉस कर गई थी। जुलाई में एक बार फिर से यह 6 फीसदी के दायरे में आ गई।

महंगाई दर इस महीने हुई मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में अहम मुद्दा था। RBI ने सितंबर तिमाही में खुदरा महंगाई दर का अनुमान 5.9 फीसदी, दिसंबर तिमाही के लिए महंगाई दर के अनुमान को 5.3 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए यह अनुमान 5.8 फीसदी रखा है। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2022 के लिए यह अनुमान 5.1 फीसदी रखा गया है। आपको बता दें कि हर दो महीने पर होने वाली मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में नीतिगत फैसले के लिए खुदरा महंगाई दर का डेटा RBI के लिए काफी अहम होता है।

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