हरिद्वार (कुलभूषण), भारत के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की जयंती एवं स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय के विभाग केंद्रीय संचार ब्यूरो ब्यूरो देहरादून के तत्वाधान में 29 से 31 अक्टूबर तक विकासखंड बहादराबाद के फेरूपुर राम खेड़ा गांव में स्थित फेरूपुर राम खेड़ा डिग्री कॉलेज में तीन दिवसीय राष्ट्रीय एकता दिवस एवं स्वतंत्रता की 75 वी वर्षगांठ अमृत महोत्सव को लेकर कार्यक्रमों का आयोजन होने जा रहा है उपरोक्त जानकारी केंद्रीय संचार ब्यूरो की सहायक निदेशक डॉक्टर संतोष आशीष एवं क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी एन एस न्याल ने प्रेस क्लब हरिद्वार में पत्रकारों को देते हुए बताया कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत एवं राष्ट्रीय एकता दिवस सरदार पटेल की जयंती के उपलक्ष में तीन दिवसीय चित्र प्रतियोगिता सांस्कृतिक कार्यक्रमों ,चित्रकला प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रममो सहित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन ग्राम फेरूपुर राम खेड़ा स्थित फेरूपुर राम खेड़ा डिग्री कॉलेज के प्रांगण में होने जा रहा है । जिसका शुभारंभ 29 अक्टूबर को होगा। केंद्रीय संचार ब्यूरो की सहायक निदेशक डॉक्टर संतोष आशीष ने बताया कि राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए उत्तराखंड राज्य को कर्नाटक राज्य के साथ सांस्कृतिक एकता मजबूत करने के लिए संबद्ध किया गया है । इस कार्यक्रम में जहां उत्तराखंड की झलक देखने को मिलेगी वहीं कर्नाटक की संस्कृति से भी लोगों को परिचित कराया जाएगा। केंद्र संचार ब्यूरो देहरादून के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी एन एस नयाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक दलों के द्वारा भी कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे साथ ही सरदार पटेल की जीवनी , कार्यो, उनके विराट व्यक्तित्व को समर्पित चित्र प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही हैं जो इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण होगा।
विभिन्न महिला समूहों ने यात्रा के दौरान करीब 48 लाख रुपए का किया कारोबार
उत्तराखंड में धूम मचाएगा हिमालयन फुटबॉल कप, फाइनल मुकाबलों का होगा देहरादून में आगाज


जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने सफल व सुगम यात्रा के लिए जताया सभी का आभार
रुद्रप्रयाग, रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने केदारनाथ धाम यात्रा को सफल एवं सुगम बनाने के लिए तीर्थ पुरोहित समाज, मंदिर समिति, होटल एवं व्यापार मंडलों, जनप्रतिनिधियों, घोड़ा-खच्चर संचालकों, टैक्सी यूनियन समेत यात्रा से जुड़े सभी लोगों एवं संस्थानों का धन्यवाद दिया, साथ ही जिले के सभी अधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, यात्रा मैनेजमेंट फोर्स, आपदा प्रबंधन, जल एवं विद्युत निगम, सफाई कर्मचारियों और मीडिया व प्रेस का धन्यवाद देते हुए यात्रा के सफल संचालन की बधाई दी |
उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग पर प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए शुरू की गई क्यूआर कोड योजना से प्लास्टिक निस्तारण में काफी मदद मिली, अगले साल इसे व्यापक तौर पर लागू किया जाएगा |
यात्रियों की सुविधा के लिए टोकन सिस्टम से दर्शन कराए गए, जिससे यात्रियों को अनावश्यक लाइन में नहीं लगना पड़ा और मंदिर के आसपास भी भ्रमण का मौका मिला. जिलाधिकारी ने कहा कि अगले साल और बेहतर तरीके से यात्रा संचालन के लिए प्रयास किए जाएंगे, अगले वर्ष तक वाटर एटीएम, रेन शेल्टर, म्यूजियम, चिंतन स्थल समेत कई निर्माण एवं पुनर्निर्माण कार्य पूरे हो जाएंगे, जिससे यात्रा और सुखद एवं सुगम हो जाएगी, इसके लिए जिला प्रशासन केंद्र एवं राज्य सरकार के निर्देशन में लगातार कार्य कर रहा है |
पहाड़ की बेटी प्रीति ने महज चार दिन में साइकिल से केदारनाथ पहुँची, बनाया नया कीर्तिमान
रुद्रप्रयाग, पहाड़ की बेटी प्रीति नेगी ने महज चार दिन में साइकिल से हरिद्वार से केदारनाथ पहुंचकर नया कीर्तिमान बनाया, वहीं रुद्रप्रयाग जनपद का नाम भी रोशन किया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने प्रीति के उज्जवल भविष्य की कामना की है। जनपद रुद्रप्रयाग की तेवड़ी सेम, चंद्रनगर निवासी प्रीति नेगी के पिता गढवाल राइफल द्वितीय में हवलदार शहीद स्व. राजपाल सिंह वर्ष 2002 में जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए देश के लिए बलिदान हो गए थे। प्रीति की माता भागीरथी देवी गृहिणी है। रिस्पेक्ट टू गाड इवेंट के जरिये पहाड़ की होनहार और जोशीली बेटी प्रीति ने 18 अक्टूबर को हरिद्वार से 272 किलोमीटर की यह यात्रा शुरू की और 21 अक्टूबर को केदारनाथ धाम पहुंची। साइकिल से हरिद्वार से केदारनाथ पहुंचने वाली प्रीति पहाड़ की पहली बेटी है।
रुद्रप्रयाग सहित पूरा उत्तराखंड प्रीति पर गर्व महसूस कर रहा है। प्रीति ने बताया कि पिता के बलिदान होने की घटना ने परिवार को झकझोर दिया था, लेकिन उसने कभी खुद को कमजोर नहीं होने दिया। मां भागीरथी देवी अपनी बेटी का लगातार हौसला बढ़ाती रही। प्रीति कुछ बेहतर कर नाम रोशन करना चाहती थी, इसलिए बचपन से ही खेलकूद के साथ, बाइकिंग, माउंटेन और साइकिलिंग में खुद को निखारने लगी। अगस्त्यमुनि से शिक्षा प्राप्ति के दौरान 2015 में स्टेट बाक्सिंग खेल चुकी प्रीति ने वर्ष 2016 में पर्वतारोहण में बेसिक कोर्स किया, जिसके बाद से वह कई चोटियों का आरोहण कर चुकी है।
वर्ष 2017 में यूथ फाउंडेशन में बतौर प्रशिक्षक लड़कियों को प्रशिक्षित भी किया। वर्ष 2019 में एक स्की कोर्स किया, जिसमें दूसरा स्थान मिला और ए ग्रेड हासिल किया। वर्ष 2022 में पर्वतारोहण में बचाव पाठ्यक्रम करने के बाद से लगातार विभिन्न इंवेटों के जरिए खुद को स्थापित करने में जुटी हैं। प्रीति की सफलता पर केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत, पूर्व विधायक मनोज रावत, महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल सहित कई व्यक्तियों ने खुशी जताई है।
गंगोत्री धाम के कपाट बंद, गंगा की भोग मूर्ति मुखवा गांव पहुँची
उत्तरकाशी, लगभग 6 लाख दर्शनर्थियों को दर्शन देने के बाद गंगोत्री धाम के कपाट कल बंद होने के बाद, माँ गंगा की भोग मूर्ति आज अपने शीतकालीन आवास मुखवा गांव में उपस्थित जनसमूह एवं ग्राम देवता हमेर की उपस्थिति में अपने शीतल कालीन आवास में 6 माह के लिए पहुँच गई है | इस बार पूर्व के भांति गंगोत्री मंदिर को फूलों से सजाकर भव्यता दी गई, कल अन्नकूट पर्व पर 12-01मिनिट पर गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने के दौरान उपस्थित हजारों लोगों द्वारा अखण्ड ज्योति के दर्शन किए गये, गंगोत्री से भोगमूर्ति चलकर रात्रि को गाँव से लगभग 2 किमी पहले चंडिमंदिर में रात्रि विश्राम कर आज अपने शीतल कालीन प्रवास मुखवा में पंहुंची, जहां माँ का भव्य स्वागत हुआ, शोभा यात्रा मे मंदिर समिति के अध्यक्ष, सचिव सहित तमाम पदाधिकारी उपस्थित रहे |
वहीं दूसरी और माँ यमुना भी यमनोत्री से शनि महाराज की देवडोली के साथ अपने शीतकालीन आवास खरशाली गाँव में जनसमूह के साथ पंहुंची है, यमुनोत्री में इस बार दर्शनार्थियों की संख्या 4 लाख से ऊपर ही रही |
चार नवंबर से शुरू होगा तीन दिवसीर ‘गढ़ कौथिग, क्लेमनटाउन के पिपलेश्वर मंदिर प्रांगण में होगा आयोजन
देहरादून, गढ़वाल भ्रातृ मंडल का तीन दिनी गढ़ कौथिग मेला 4, 5 और 6 नवंबर को क्लेमनटाउन के पिपलेश्वर मंदिर प्रांगण बेल रोड में होगा। अध्यक्ष सुंदर लाल सेमवाल, महासचिव जयपाल सिंह रावत ने बताया कि यह बीसवां गढ़ कौथिग है। जिसका उद्देश्य पहाड़ की संस्कृति, रीति रिवाजों का प्रचार प्रसार करना है। मेले में स्थानीय उत्पादों के पचास स्टॉल, गढ़ भोज, कछमोली इत्यादि के होंगे। झूला, चरखी, मिक्की माउस बच्चों को आकर्षित करेंगे। तम्बोला, खान पान, लक्की ड्रा, सैनिक परिवार व वीर नारियों की समस्याओं के समाधान के लिए विशेष शिविर का आयोजन, स्थानीय सांस्कृतिक टीमों की रंगारंग प्रस्तुतियां, गढ़वाल राइफल बैंड की प्रस्तुतियां, राठ विनसर ढोल दमौं के विशेषज्ञ कलाकारों द्वारा वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन, मेडिकल कैंप आदि लगाए जाएंगे।
छावनी क्षेत्र लैंसडौन का नाम बदलने की तैयारी, क्या रखा जाएगा नया नाम….!
पौड़ी, रक्षा मंत्रालय ने प्रस्ताव पर अमल किया तो उत्तराखंड राज्य के पौड़ी जिले में स्थित सैन्य छावनी क्षेत्र लैंसडौन का नाम बदलकर ‘कालौं का डांडा (अंधेरे में डूबे पहाड़)’ हो जाएगा। 100 साल से भी अधिक पुराने लैंसडौन नाम को बदलने की तैयारी है। रक्षा मंत्रालय ने लैंसडौन के सैन्य अधिकारियों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। लैंसडौन नाम से पहले इस इलाके को ‘कालौं का डांडा’ नाम से पुकारा जाता था। रक्षा मंत्रालय ने ब्रिटिशकाल में छावनी क्षेत्रों की सड़कों, स्कूलों, संस्थानों, नगरों और उपनगरों के रखे गए नामों को बदलने के लिए उत्तराखंड सब एरिया के साथ सेना के अधिकारियों से प्रस्ताव मांगें हैं।
उनसे ब्रिटिशकाल के समय के नामों के स्थान पर क्या नाम रखे जा सकते हैं, इस बारे में भी सुझाव देने को कहा गया है। बता दें कि स्थानीय स्तर पर लंबे समय से लैंसडौन का नाम बदलने की मांग होती आ रही है। स्थानीय लोग लैंसडौन का नाम कालौं का डांडा रखने की मांग करते आए हैं। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय को भी पत्र भेजे जा चुके हैं।
तत्कालीन वायसराय लैंसडौन के नाम से बदल गया नाम
गढ़वाली जवानों की वीरता और अद्वितीय रणकौशल से प्रभावित होकर 1886 में गढ़वाल रेजीमेंट की स्थापना हुई। पांच मई 1887 को ले.कर्नल मेरविंग के नेतृत्व में अल्मोड़ा में बनी पहली गढ़वाल रेजीमेंट की पलटन चार नवंबर 1887 को लैंसडौन पहुंची। उस समय लैंसडौन को कालौं का डांडा कहते थे। इस स्थान का नाम 21 सितंबर 1890 तत्कालीन वायसराय लार्ड लैंसडौन के नाम पर लैंसडौन रखा गया।
608 हेक्टेयर में फैला है लैंसडौन
लैंसडौन नगर सैन्य छावनी क्षेत्र है, जो 608 हेक्टेयर में फैला है। नगर के आधे से अधिक भाग में बांज, बुरांस और चीड़ के वृक्षों के सदाबहार वनों का विस्तार है। यह एक प्रसिद्ध और पसंदीदा पर्यटक स्थल भी है। केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा समय-समय पर क्षेत्र के लोग नाम बदलने की मांग करते हैं। ऐसे प्रस्तावों का रक्षा मंत्रालय परीक्षण करता है। देश, काल और परिस्थितियों को देखकर प्रस्ताव पर विचार किया जाता है।
फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा के राजस्व में 4 फीसदी की गिरावट दर्ज, निवेशकों के लिए खतरे की घंटी
नई दिल्ली। फेसबुक की मूल कंपनी मेटा ने अपनी तीसरी तिमाही में राजस्व में गिरावट दर्ज की है। कंपनी द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, मेटा के राजस्व में चार फीसदी की गिरावट आई है। अब राजस्व 29 बिलियन डॉलर से घटकर 27.7 बिलियन डॉलर हो गया है। वहीं मेटा ने अपने बयान में कहा कि इससे निपटने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव की योजना बनाई जा रही है।
मेटा ने बताया कि फेसबुक पर माह में सक्रिय उपयोगकर्ताओं की संख्या सितंबर के अंत में दो प्रतिशत बढ़कर 2.96 अरब हो गई है। वहीं कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 87,314 हो गई, जो एक साल पहले की तुलना में 28 प्रतिशत की वृद्धि है। मेटा ने विज्ञप्ति में कहा कि हम अधिक कुशलता से काम करने के लिए बोर्ड भर में महत्वपूर्ण बदलाव कर रहे हैं।
आय में यह गिरावट ज्यादातर मेटा के मेटावर्स में भारी निवेश के कारण है। मेटा के वर्चुअल रियलिटी डिवीजन, रियलिटी लैब्स को इस तिमाही में 3.672 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। वहीं सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने तीन बिलियन डॉलर के नुकसान को उचित ठहराते हुए 2023 पर ध्यान देने की बात कही है साथ ही कहा कि मौजूदा माहौल कंपनी को मजबूत बनाने में मदद करेगा।
मेहलचौंरी लोक संस्कृति एवं कृषि विकास मेले का हुआ रंगारंग आगाज
चमोली। मेहलचौरी (गैरसैंण) में चार दिवसीय लोक सांस्कृतिक एवं कृषि विकास मेले का गुरूवार को आगाज हो गया। मा.मंत्री पशुपालन, दुग्ध, मत्स्य, गन्ना एवं चीनी उद्योग मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मेले का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने मा.मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर मेले के सफल आयोजन के लिए समिति को दो लाख देने की घोषणा भी की। मा.मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि मेले हमारी समृद्व सभ्यता व संस्कृति का प्रतीक है। मेलों के माध्यम से आपसी प्रेम और सौहार्द्व तो बढता ही है, साथ ही हमारी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में भी मेले अहम भूमिका निभाते है। उन्होंने क्षेत्रवासियों से मेलों के इस प्राचीन परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखने का आवाहन करते हुए मेले के सफल आयोजन के लिए मेला समिति व क्षेत्रवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। मा.मंत्री श्री बहुगुणा ने मेले के दौरान शहीद परिवारों को भी सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि मा.मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में आज उन्हें इस मेले में प्रतिभाग करने और शहीद परिवारों को सम्मानित करने का मौका मिला है। इसके लिए वे मुख्यमंत्री के आभारी है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार द्वारा दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में आजीविका को सशक्त बनाने का काम किया जा रहा है। पशुपालकों को दुग्ध का उचित मूल्य दिलाया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में आजीविका को सशक्त बनाने के लिए जल्द ही सरकार दो नए प्रोजेक्ट भी शुरू करने जा रही है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र वासियों ने जो भी समस्याएं उनके समक्ष रखी है, उनको मा.मुख्यमंत्री जी के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने सभी को भैया दूज की हार्दिक शुभकामनाएं भी दी।
मेले में बाल विकास, पशुपालन विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, उद्यान विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग, एनसीसी तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के स्टॉल लगााए गए थे। इस दौरान कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल, जिला पंचायत सदस्य बलबीर रावत, अध्यक्ष मेला समिति सुरेश कुमार विष्ट, व्यापार संघ अध्यक्ष मोहन नेगी, उपाध्यक्ष जीतेन्द्र मेहरा, जगमोहन कठैत, प्रेम संगेला, मंगल सिंह, दर्शन मढवाल आदि सहित बडी संख्या में मेलार्थी मौजूद रहे।
आईआईटी रुड़की ने 9वें अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर सिम्पोजियम का आयोजन किया
रुड़की भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने इंटरनेशनल एसोसिएशनफॉर हाइड्रो एनवायरनमेटल इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (आईएएचआर) के सहयोग से 24 से 27 अक्टूबर 2022 तक अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर सिम्पोजियम का आयोजन किया है।
1935 में स्थापित वैश्विक संगठन इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर हाइड्रो एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग एंड रिसर्व (आईएएचआर) हाइड्रोलिक अनुसंधान और इसके उपयोग को उत्प्रेरित और उत्साहित करता है। आईएएचआर की हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर समिति हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर पर द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम का आयोजन नी करती है। आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने यह आयोजन कर इस क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को उनके कार्य प्रस्तुत करने और हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के क्षेत्र में हाल की प्रगति साझा करने का विशिष्ट अवसर दिया है।सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो जैड अहमद ने कहा कि बार-बार बाढ़, सूखा और जल संसाधनों में तेजी से बदलाय को देखते हुए हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर तैयार कर जल संचय, जल प्रवाह को सही दिशा देना एवं नियंत्रण रखना जरूरी है। हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के विश्लेषण और डिजाइन में हाल में हुई प्रगति से कम लागत पर पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ स्ट्रक्चर बनाने में मदद मिली है।
यह सिम्पोजियम हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर का ज्ञान साझा करने के लिए जान (आईएसएचएस2018), पोर्टलैंड (आईएसएचएस2010). ब्रिस्बेन (आईएसएमएस2014) पोटों और पुर्तगाल (आईएसएचएस2012) में इससे पूर्व के सफल आयोजनों की श्रृंखला में नई कड़ी है। इस अवसर पर 10 देशों के शोधकर्ता लेखक अपना शोध निबंध प्रस्तुत करेंगे।सम्मेलन में समाज के लिए इंजीनियरिंग के महत्व पर अपनी बात रखते हुए कार्यक्रम के पूर्व उप निदेशक और मुख्य अतिथि प्रोफेसर के जी रंगा राजू ने कहा, हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के आधुनिक अध्ययन और शोधकर्ताओं को आपस में मिलने और इस क्षेत्र में सबसे हाल की प्रगति के बारे में ज्ञान साझा करने का अवसर देने में ऐसे सम्मेलनों का बहुत महत्व है। उन्होंने ऊपरी गंगा नहर पर शुरुआती दौर में कर्मल प्रोबी कॉली के कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि इस निर्माण के समय संबंधित सिद्धांतों की प्रचुरता नहीं थी और अन्य सुचारू स्ट्रक्चरों को देखने से आए विचारों के आधार पर नए स्ट्रक्चर डिजाइन किए गए थे मुझे यह जानकर खुशी है कि इस बार यह अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत में और वह भी आईआईटी रुड़की में हो रहा है।
सिम्पोजियम का एक मुख्य आकर्षण टिहरी बाघ और ऊपरी गंगा नहर का टेक्निकल दूर है। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में अहम् भूमिका निभाने वाले हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर का अध्ययन करना था।सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए प्रो. के.के. पंत निदेशक, आईआईटी रुड़की ने कहा, “भारत में पहली बार आईआईटी रुड़की अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर सिम्पोजियम का आयोजन कर रहा है जो हमारे लिए गर्व की बात है यह संस्थान के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों से संवाद करने का बड़ा अवसर है। हमें विश्वास है कि इस सम्मेलन से प्राप्त परिणाम हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के अध्ययन में बड़ा योगदान देंगे। यह सिम्पोजियम इस क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को उनके कार्य प्रस्तुत करने और हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति साझा करने का विशिष्ट अवसर देगा।”
प्रो. के. के. पंत ने इस अवर पर चार पूर्व प्रोफेसरी प्रो. के.जी. रंगा राजू प्रो. पी.के. पांडे, प्रो. एम. के. मित्तल और प्रो. जी. एल. असावा को शिक्षा के साथ-साथ अनुसंधान में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया।अपने स्वागत संबोधन में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो प्रवीण कुमार ने कहा, ‘आईआईटी रुड़की का सिविल इंजीनियरिंग विभाग देश में सबसे पुराना और सबसे बढ़ा है और सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए देश में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है इसकी स्थापना 19 अक्टूबर, 1847 को रुड़की कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के रूप में की गई और 1854 में इसका नया नाम पठा थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग। इस विभाग से बढ़ी संख्या में इंजीनियर बन कर आज बहुत प्रतिष्ठित है भारत और पूरी दुनिया में सिविल इंजीनियरिंग परियोजनाओं की योजना बनाने और काम पूरा करने में उनके उल्लेखनीय योगदान रहे हैं। इस अवसर पर प्रस्तुति और कार्यवाही में शामिल करने के लिए 60 शोध पत्र स्वीकार किए गए। इससे पहले, उनकी सहकर्मी समीक्षा की गई। सम्मेलन में कुल 16 देशों के शोधपत्र लेखक शामिल थे।सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर जुल्फीकार अहमद, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की, प्रो. सेबेस्टियन किम, लीज युनिवर्सिटी, बेल्जियम और अन्य प्रतिष्ठित विशेषज्ञ इस अवसर के प्रमुख वक्ता थे।
इस अवसर पर 24 अक्टूबर को ऊपरी गंगा नहर का टेक्निकल टूर आयोजित किया गया और 25 अक्टूबर 2022 को नॉन- लीनियर वियर के सस्टेनेबल डिजाइन और निर्माण पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रो. सेबेस्टियन एपिंकम लीज यूनिवर्सिटी, बेल्जियम और प्रो. ब्रायन एम. कुकस्टम यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए ने सिम्पोजियम का संचालन किया। कार्यशाला के बाद सिविल इंजीनियरिंग विभाग की हाइड्रोलिक प्रयोगशाला पर एक व्यावहारिक प्रयोग किया गया जिसका संचालन प्रो. जेठ अहमद और अनुसंधान विद्वानों ने किया।
सम्मेलन के मुख्य प्रतिभागी संगठन:-
केंद्रीय जल आयोग
टिहरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन > उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड
श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट कोलकाता
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण
असम पावर जनरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड एनसीसी प्राइवेट लिमिटेड
एक्वाग्रीन इंजीनियरिंग मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड
ट्रैक्टवेल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड इष्टिसा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड