देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज डोल आश्रम पहुँचकर कल्याणिका हिमालय देवस्थानम के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। उन्होंने 1100 कन्याओं का पूजन करने के साथ ही नर-नारायण मूर्तियों का अनावरण किया। मुख्यमंत्री ने श्रीयंत्र में पूजा-अर्चना की और देश एवं प्रदेश की सुख समृद्वि की कामना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परम पूज्य महाराज कल्याणदास जी ने एक साधक के रूप में पॉच दशकों तक लगातार साधना की और सम्पूर्ण भारत वर्ष के अन्दर अनेकों ऐसे प्रकंल्प खड़े किये जिनके माध्यम से सामान्य घर में पैदा होने वाले, गरीब घर में पैदा होने वाले लोगों के उत्थान का कार्य, शिक्षा देने का कार्य, स्वास्थ्य सुविधा देने का कार्य, एवं उन्हें आगे बढ़ाने का कार्य किया है। उन्होंने इस आश्रम में जिस प्रकार से श्रीयंत्र स्थापित किया है आने वाले समय में केवल भारतवर्ष ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लोग इस आश्रम में शान्ति, आध्यात्म और संस्कृति को जानने के लिए आयेंगे।
मुख्यमंत्री ने उपस्थित सभी लोगों को बुद्व पूर्णिमा की बधाई दी और महात्मा बुद्व के धर्म, शान्ति एवं अंहिसा के मार्ग पर चलने को कहा। उन्होंने कहा कि बाबा जी की जो सोच है कि आने वाले समय पर यहॉ से पलायन पर रोक लगे और यहॉ के लोगों को यहीं पर कार्य करने का अवसर मिले, इस क्षेत्र में यह केन्द्र सभी के अन्दर कही न कही जागृति लाने और उस दिशा में प्रेरित करने का कार्य भी कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आश्रम जहॉ एक ओर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है, वहीं युवाओं को भारतीय संस्कृति के बारे में शिक्षित करने का महान कार्य भी इसके माध्यम से हो रहा है। देवभूमि उत्तराखंड में जन्म लेना अपने आप में बहुत बड़ा सौभाग्य है। यह आश्रम हमारी जो पुरानी सभ्यता, संस्कृति है उसकी जीती-जागती मिशाल है। यह साधना और आध्यात्म का एक भव्य और दिव्य केन्द्र है। उन्होंने कहा कि आज हमारी सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नये उत्तराखण्ड का संकल्प लेकर निरन्तरता से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि जागेश्वर धाम भी पॉचवें धाम के रूप में विकसित करने के लिए कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में सनातन संस्कृति की पताका सम्पूर्ण विश्व में लहरा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संस्कृति संरक्षण हेतु हमारी सरकार प्रतिबद्व है, इसके लिए हमारी सरकार एक कठोर धमार्न्तरण का कानून लेकर आयी है। हमारी सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि भूमि अतिक्रमण को भी समाप्त किया जायेगा तथा समान नागरिक संहिता को लागू किया जायेगा। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यहॉ पर 03 नये पार्किग स्थल विकसित किये जायेंगे तथा आश्रम में जो संस्कृत विद्यालय संचालित किया जा रहा है उसका महाविद्यालय बनाने के लिए या विश्वविद्यालय बनाने का प्रयास किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि डोल आश्रम को पूज्य महाराज कल्याणदास जी ने स्थापित किया। उनकी सोच के अनुरूप धर्म, आध्यात्म, संस्कृति और शिक्षा के एक बड़े केन्द्र के रूप में यह आगे बढ़ रहा है एवं विकसित हो रहा है। उन्होंने महाराज जी का अभिनन्दन करते हुए कहा कि उन्होंने सम्पूर्ण जीवन यहॉ के लोगों की सेवा एवं परमार्थ के कार्यों में लगाया। उन्होंने कहा कि जो हमारा मानसखण्ड मन्दिरमाला मिशन है उस मिशन के अन्तर्गत यह आश्रम भी एक अंग के रूप में विकसित होगा तथा आने वाले समय में जिस प्रकार चारधाम यात्रा चलती है उसी प्रकार मानसखण्ड यात्रा एवं कैलाश मानसरोवर यात्रा भी चलेगी तथा उसका एक बहुत बड़ा पड़ाव डोल आश्रम तथा जागेश्वर धाम भी होगा। उन्होंने कहा कि शासन का जो मानसखण्ड मन्दिर माला मिशन का मास्टर प्लान है वह पूर्णरूप से तैयार हो चुका है, उसकी शुरूआत जागेश्वर धाम से की जायेगी।
इस अवसर पर जागेश्वर विधायक मोहन सिंह मेहरा, विधायक अल्मोड़ा मनोज तिवारी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल, पूज्य महाराज कल्याणदास जी, भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश बहुगुणा, सुभाष पाण्डे, जिलाधिकारी वन्दना, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रचिता जुयाल, सहित अनेक अखाड़ों के मंहत, अनेक जनप्रतिनिधि एवं श्रद्वालु उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम का संचालन स्वामी हरि चौतन्य ने किया।
सीएम धामी ने किया डोल आश्रम में श्रीकल्याणिका हिमालय देवस्थानम के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में प्रतिभाग
उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों की पेंशन में बदलाव को बनेगा कानून
देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के पेंशन को नया कानून बनने जा रहा है। पेंशन के इस मामले पर कुछ विभागों के कर्मचारियों ने आपत्ति भी दर्ज कराई है। उत्तराखण्ड पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा विधिमान्यकरण विधेयक-2022 को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने मंजूरी दे दी। औपचारिक अधिसूचना जारी होने के बाद यह उत्तराखंड का नया कानून बन जाएगा। इस कानून के लागू होने से मौलिक नियुक्ति की तारीख से ही सेवा अवधि की गणना की जाएगी और इसी आधार पर पेंशन तय होगी।
लंबी अस्थायी सेवाओं के बाद परमानेंट होने वाले कार्मिकों के लिहाज से यह कानून काफी महत्वपूर्ण है। सचिव-राज्यपाल रविनाथ रमन ने विधेयक को मंजूरी की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि विधेयक को मंजूरी के बाद विधायी विभाग भेज दिया गया है।
इस साल मार्च में गैरसैंण में हुए बजट सत्र में यह विधेयक पारित हुआ था। दअरसल, पेंशन लाभ के लिए दस साल की न्यूनतम सेवा अनिवार्य है। लेकिन लोनिवि, सिंचाई समेत कुछ विभागों में कार्मिकों ने अपनी दैनिक वेतन, तदर्थ, कार्यप्रभारित, संविदा, नियत वेतन व अंशकालिक रूप में अस्थायी सेवाओं को भी पेंशन के लिए जोड़ने की मांग की थी। कुछ मामलों में कोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया था। इस प्रकार के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने पेंशन को लेकर कानून बनाने का निर्णय किया । यह कानून पूर्व में जारी फैसलों पर भी लागू होगा।
माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा और महामंत्री जगमोहन सिंह रावत ने इस विधेयक को शिक्षक-कर्मचारी विरेाधी करार दिया है। उन्होंने इस विधेयक को स्वीकार न करने के बाद बाबत राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया था। डा. शर्मा के अनुसार सरकार को दोबारा से इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। कई कई साल तक तदर्थ व अस्थायी आधार पर नौकरियां करते हैं। मौलिक नियुक्ति से सेवा की गणना करना नाइंसाफी होगा।
वर्ष 2005 से पहले की विज्ञप्ति के आधार पर चयनित कार्मिकों को पुरानी पेंशन का लाभ देने के लिए सरकार फार्मूला तैयार कर रही है। 19 मई को मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु वित्त, कार्मिक, न्याय विभाग के साथ इस पर चर्चा करेंगे। वित्त विभाग ने सभी विभागों को इस विषय की तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। करीब दो हजार शिक्षक-कर्मचारियों के इस फैसले के दायरे में आने की उम्मीद है। वित्त विभाग के उपसचिव नंदन सिंह बिष्ट ने सभी विभागों को भेजे पत्र में कहा कि 19 मई को मानकों का परीक्षण किया जाएगा।
धामी कैबिनेट पिछले साल पांच जनवरी 2022 को एक समान विज्ञप्ति से चयनित कार्मिकों को पुरानी पेंशन का लाभ देने का निर्णय कर चुकी है। वहीं चंपावत के शिक्षक पल्लव जोशी बताते हैं कि एक अक्टूबर 2005 को ज्वाइनिंग न हो पाना प्रक्रियागत देरी थी। एक ही बैच के शिक्षकों के बीच दोहरी व्यवस्था बन चुकी है। प्रक्रियागत देरी की सजा शिक्षक-कर्मचारियों को नहीं दी जानी चाहिए थी।
शादी में जा रहे मासूम की मधुमक्खियों के हमले में मौत
चम्पावत। शादी समारोह में शिरकत करने जा रहे एक परिवार पर मधुमक्खियों के झुंड ने हमला कर दिया। अफरातफरी में जान बचाने के दौरान एक मासूम अपने चचेरे भाई की गोद से छिटककर खाई में जा गिरा। रात भर रेस्क्यू अभियान चलाने के बाद मासूम सुबह गंभीर हालत में बरामद हुआ, जिसे उपचार के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां उसने दम तोड़ दिया। कोतवाल चंद्र मोहन सिंह ने बताया कि गुरुवार देर शाम कोटकेंद्री निवासी एक परिवार शादी समारोह में बांस बरकूम जा रहा था। इसमें ढाई वर्षीय कार्तिक पुत्र गणेश राम अपने चचेरे भाई मनोज के साथ मामा की शादी में शामिल होने निकला था। इसी बीच अश्विनी नाले के पास जंगल में मधुमक्खियों के झुंड ने परिवार पर हमला बोल दिया। जान बचाने के चक्कर में मनोज की गोद से ढाई साल का कार्तिक छिटककर खाई में जा गिरा। परिजनों की सूचना पर एसएसबी, पुलिस और ग्रामीणों ने देर शाम तक जंगल में कार्तिक की खोजबीन की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। रात भर रेस्क्यू अभियान चलाने के बाद सुबह गंभीर हालत में बच्चा मिला। आनन फानन में एसएसबी के वाहन से बच्चे को अस्पताल लाया गया। जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया है। डॉ. हेमंत शर्मा ने बताया कि कार्तिक के सिर में गहरी चोट थी। इस कारण उसकी मौत हो गई। मासूम के पिता गणेश कृषक हैं, जबकि माता गृहणी हैं।
भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिया- शिवप्रकाश
आज जब विश्व वैश्वीकरण के एक दौर में है, तो संपूर्ण विश्व में जीवन की समस्याओं का हल हिंसा के माध्यम से ढूँढ़ा जा रहा है। यह दुःखद है कि अनेक देश एवं समाज समूह अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं। इस समय विश्व में शस्त्रों की होड़ लग गयी है, वर्चस्व स्थापित करने की इस अंधी दौड़ से ऐसा लगता है कि क्या दुनिया नष्ट होने की ओर बढ़ रही है?
भारत प्राचीन काल से ही विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम (सम्पूर्ण विश्व एक परिवार) के भाव से देखता आया है। भारत में प्राचीन ऋषि परंपरा से अर्वाचीन भारतीय महापुरुषों तक ने इस सत्य की साधना की है। महत्मा बुद्ध से प्रेरणा लेकर महात्मा गाँधी, भारतरत्न बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर, डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी सहित अनेक महापुरुषों ने विश्व शांति एवं विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करने का कार्य किया है।
राजकुमार सिद्धार्थ ने गृह त्याग करने के उपरान्त घोर साधना कर विश्व के कल्याण का मार्ग खोज लिया। बुद्धत्व प्राप्त करने के कारण वह “तथागत बुद्ध” हो गए। संसार दुखमय है, दुखों से निवारण के लिए मन की साधना करते हुए धर्ममय जीवन बिताकर दुखो से मुक्ति संभव है। शील का पालन, सत्य आचरण, करुणा एवं मैत्री जैसे सद्गुणों के पालन की शिक्षा उन्होंने धर्मोंपदेश में अपने शिष्यों को दी। शोषण रहित, भेदभाव मुक्त समाज जीवन उनका आदर्श था।
बाबासाहेब आंबेडकर ने भगवान बुद्ध को अपना पहला गुरु माना है, वह कहते हैं, “मेरा जीवन तीन गुरुओं और तीन उपास्य दैवतों से बना है। मेरे पहले और श्रेष्ठ गुरु बुद्ध हैं। मेरे दूसरे गुरु कबीर हैं और तीसरे गुरु ज्योतिबा फुले हैं मेरे तीन उपास्य दैवत भी हैं। मेरा पहला दैवत ‘विद्या’, दूसरा दैवत ‘स्वाभिमान’ और तीसरा दैवत ‘शील’ (नैतिकता) है।
डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जोकि महाबोधि सोसाइटी के अध्यक्ष भी थे, उन्होंने कहा था कि, “बुद्ध ने शांति का मार्ग दिखाया, यह मृतकों की नहीं, बल्कि जीवितों की शांति है। यह गहन बुद्धिमत्ता और जीवन की वास्तविकताओं की उचित समझ से उत्पन्न हुई शांति है। शांति केवल तभी स्थायी हो सकती है जब वह अन्याय को पराजित करती हुई, मानव के आध्यात्मिक और भौतिक प्रेरणाओं के बीच एक सच्चा सद्भाव स्थापित करती हो।”
20 अप्रैल, 2023 को ग्लोबल बुद्धिस्ट समिट, को संबोधित करते हुए नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि, “हम देखते हैं, आज अपने विचारों, अपनी आस्थाओं को दूसरों पर थोपने की सोच दुनिया के लिए बहुत बड़ा संकट बन रही है। लेकिन, भगवान् बुद्ध ने कहा था- ‘अत्तान मेव पठमन्, पति रूपे निवेसये’, यानी कि, पहले स्वयं सही आचरण करना चाहिए, फिर दूसरे को उपदेश देना चाहिए। बुद्ध सिर्फ इतने पर ही नहीं रुके थे। उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर कहा था- ‘अप्प दीपो भवः’, यानि अपना प्रकाश स्वयं बनो। आज अनेकों प्रश्नों का उत्तर भगवान बुद्ध के इस उपदेश में ही समाहित है।” उन्होंने आगे यह भी कहा कि, “भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं। जहां बुद्ध की करुणा हो, वहां संघर्ष नहीं समन्वय होता है, अशांति नहीं शांति होती है।”
भारत की समृद्ध बौद्धिक विरासत के साथ, भारत का भगवान बुद्ध से रिश्ता सिर्फ ऐतिहासिक ही नहीं है, बल्कि समकालीन महत्व का भी है। आज भारत स्वयं ही नहीं बल्कि विश्व भर में भगवान बुद्ध की शिक्षा के लिए अधिक समझ और संवेदनशीलता के प्रोत्साहन के लिए प्रयास कर रहा है।
समस्त विश्व में, आज का मानव वर्तमान परिवेश में रक्षक की जगह भक्षक न बन जाये, इसके लिए बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों पर विचार करने की आवश्यकता है। जिससे व्यक्ति के आचरण, बुद्धि व विचार में परिवर्तन हो सके, क्योंकि समाज में एकता एवं समानता, मैत्री, न्याय एवं विश्व बंधुत्व का भाव उत्पन्न हो सके। अष्टांग योग में उन्होंने यही धर्माेपदेश किया है।
शांति और सद्भाव का मार्ग दुर्गम हो सकता है परंतु असाध्य नहीं। इस प्रकार 21वीं शताब्दी के भविष्य के लिये संघर्ष निवारण हेतु बौद्ध दर्शन को वैकल्पिक तंत्र के रूप में प्रयोग में लाने की आवश्यकता है। बुद्ध के संदेशों को जीवन में अगर उतारा जाता है तो हम क्रोध और संघर्ष से मुक्त हो सकते हैं। बुद्ध आज और भी प्रासंगिक है क्योंकि उन्होंने दर्शाया कि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति एक साथ संयुक्त रूप से सम्भव है। बुद्ध ने वास्तव में मानव जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट किया।
पूरे विश्व में आज राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर भगवान बुद्ध का दृष्टिकोण अब अधिक जरुरी है। भगवान बुद्ध के उपदेश सार्वभौमिक व सर्वकालिक है एवं वह सभी के लिए हितकारी है और विश्व स्तर पर पनप रहे भोगवादी विचारो के कारण उत्पन्न समस्याओं जैसे ईर्ष्या-द्वेष, शोषण, भ्रष्टाचार, आतंकवाद आदि को समाप्त कर एक समरस, सम्पन्न, लोक मंगलकारी समाज बनाने के उद्देश्य को पूर्ण कर सकते हैं। करुणा, मैत्री और शांति भगवान बुद्ध के विचारों का मूल हैं, और वास्तव में एक अधिक टिकाऊ और न्यायसंगत दुनिया के लिए एक व्यवहारिक आचार संहिता के रूप में अनुवादित किए जा सकते हैं। समन्वय, सहिष्णु, शांति युक्त कल्याण कारक समाज निर्माण के लिए महात्मा बुद्ध के विचार आज भी प्रासंगिक है।
शिवप्रकाश
(राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री, भाजपा )
रोडवेज की बस दुर्घटनाग्रस्त, चालक की हुई मौत, तीन गंभीर घायल, 17 लोग थे बस में सवार
रामनगर(हल्द्वानी), रामनगर हल्द्वानी से एक सड़क दुर्घटना की खबर आ रही है, जहां हल्द्वानी के बाईपास पुल से आ रहे हैं हल्द्वानी डिपो की बस दुर्घटना की शिकार हो गयी, जिसमें बस चालक की दर्दनाक मौत हो गई और 3 यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए, चश्मदीदों की मानें तो छोटी कैंटर से टकराने से यह हादसा हुआ । बस में कुल 17 लोग सवार थे। हादसा होने के तुरंत बाद पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा और घायलों को अस्पताल ले जाया गया जहां उनका इलाज चल रहा है।
गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित मिश्रित वन का भ्रमण कर गद गद हुए पद्मश्री कल्याण सिंह रावत “मैती”
‘कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल की पहल एवं ई. महेश डोभाल का सार्थक प्रयास’
श्रीनगर (पौड़ी),विश्वविद्यालय की बंजर पड़ी दस हेक्टर भूमि को आवाद किए जाने के परिणाम दिखने लगे हैं। विगत तीन वर्षों में कुलपति के निर्देश एवम मार्ग दर्शन में हैप्रेक के वैज्ञानिकों ने बंजर भूमि को मिश्रित वन में तबदील कर दिया है। स्थिति ये है कि भूमि में लगे सेब के पेड़ दो ही साल में फल देने लगे हैं। चित्रा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम फेज में एक हेक्टेयर भूमि पर लगभग बीस प्रजातियों के 3000 जीवित पौधों का रोपण पेड़ों के रूप में प्रवर्तित होने लग गया है। जामुन, आंवला, रीठा, पीपल, बांज, सेब, हरण, पिलखन, शहतूत, तेजपत्ता, लसोड़ा, डैकन, आम, अनार, लोहकाट, प्लम, खुमानी, अमरूद, लीची, नींबू, टिमरू, इत्यादि के पेड़ों की वृद्धि देख के तो लग रहा है कि पौधे मानो आदमियों को देख के खुशी से झूम रहे हैं। पद्म श्री कल्याण सिंह रावत “मैती” जी ने जब श्रीनगर बुगाड़ी रोड की यात्रा करने पर अपने वाहन से पेड़ों को देखा तो, सोचने लगे कि तीन साल पहले तो इस जगह पर ऐसा कुछ भी नहीं था, सो गाड़ी से उतर कर भूमि का भ्रमण करने निकले। प्रकृति प्रेमी होने के नाते बंजर भूमि पर लहलहाते पेड़ों को देखते ही आंखों में आंसू आगए। कहने लगे जो प्रयास कुलपति के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे हैं, सराहनीय हैं। पढ़ाई एवम शोध के साथ साथ, पर्यावरण संरक्षण के लिए बंजर भूमि विकास जैसा महत्वपूर्ण कार्य, हमें गर्व है कि पहली बार पहाड़ की बेटी ने श्रीनगर में पहाड़ जैसा कार्य करवाया है। इस जंगल के विकसित होने से श्रीनगर के आसपास प्रदूषण की समस्या तो कम होगी ही साथ ही लोग भी मन मोहक जंगल का भ्रमण कर आनन्द की अनुभूति कर सकेंगे।
स्वस्थ जीवन के प्रति जागरूकता कार्यक्रम : 18 साल से कम उम्र के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण एवं स्वास्थ्य सलाह कैम्प का हुआ आयोजन
पोखड़ा (पौड़ी), उत्तराखण्ड़ के पर्वतीय क्षेत्रों के बच्चों के स्वास्थय की स्थिति और स्वस्थ जीवन के प्रति जागरूकता को लेकर अनेक प्रकार के कयास लगाये जाते हैं और दावे किये जाते हैं, लेकिन न तो सरकार की तरफ से और न ही दावे करने वालों की तरफ से ठोस प्रयोगों और व्यावहारिक अनुभव पर आधारित कोई स्पष्ट आंकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं. इस कारण नीति निर्धारकों और इन विषयों पर मुखर लोगों और संस्थाओं को, कोई व्यावहारिक नीति बनाने में दिक्कत आती है। इसी समस्या का समाधान ढूंढने और भविष्य के लिए एक व्यावहारिक नीति और एडवोकेसी कार्यक्रम विकसित करने के लिए, फ्रेंड्स ऑफ़ हिमालय, फील गुड ट्रस्ट- भल-लगद, गायत्री जन कल्याण ट्रस्ट और श्री सतचढ़ी जनकल्याण समिति ने संयुक्त रूप से 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए स्वास्थय परीक्षण और स्वस्थ जीवन के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
आधुनिक मशीनों द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कलकत्ता की संस्था आरोग्य वाहिनी ट्रस्ट के कुशल डॉक्टरों की टीम द्वारा किया जा रहा है। इसमें बच्चों के स्वास्थय संबधी कुछ आंकड़े, आरोग्य वाहिनी ट्रस्ट के मुख्यालय में, इंटरनेट के माध्यम से भेजे जा रहे हैं, और वहां पर उनका विश्लेषण किया जा रहा है। श्री सतचडी जनकल्याण समिति द्वारा संचालित ऑप्टोमेट्री और नेत्र प्रशिक्षण संस्थान द्वारा बच्चों के आँखों की जांच की जा रही है।
स्वास्थय जांच परीक्षण के पहले दिन फीलगुड ट्रस्ट के गवानी स्थित केंद में 57 बच्चों के स्वास्थय की जांच की गई। जांच में सामान्यतः स्थिति ठीक है लेकिन कुछ बच्चों में ह्रदय रोग के शुरूआती लक्षण, आँखों से सम्बंधित परेशानियां उजागर हुई हैं।
स्वास्थय जांच परीक्षण के दूसरे दिन, इंटरमीडिएट कॉलेज कुटियाखाल के 80 बच्चों का स्वास्थ्यय परीक्षण और आँखों की जाँच हुई। इस जांच में भी कुछ बच्चों में स्वास्थय सम्बन्धी दिक्कतों, त्वचा रोग, आँखों से सम्बंधित समस्या, के बारे में तथ्य उजागर हुए। डॉक्टरों की टीम ने बच्चों से सामान्य स्वस्थ जीवन शैली, उम्र सम्बंधित सवालों आदि पर गहन चर्चा की। इस चर्चा में पता चला कि लगभग एक चौथाई बच्चे सुबह का नाश्ता नहीं करते हैं, सुबह को दांत साफ़ करते हैं पर रात को सोने से पहले दाँत साफ़ नहीं करते। स्वस्थ जीवन और संतुलित आहार के बारे में उनकी जानकारी बहुत कम है।
स्वास्थ्य परीक्षण के तीसरे दिन, फील गुड़ ट्रस्ट के गवानी केंद्र में बच्चों की जांच की जायेगी, तथा कल 6 मई को इंटरमीडिएट कॉलेज नौगांवखाल में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाया जायेगा।
स्वास्थ्य जांच शिविर में आरोग्य वाहिनी ट्रस्ट की डॉक्टर कोकिला मजूमदार, डॉक्टर दीपान्विता मुखर्जी, फ्रेंड्स ऑफ़ हिमालय संस्था के डॉक्टर प्रेम बहुखंडी, फील गुड ट्रस्ट के श्री सुधीर सुन्द्रियाल, व श्री जसवीर जस्टिस, श्रीमती सीमा नेगी, पोखड़ा ब्लाक के पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्री सुरेन्द्र सिंह रावत, श्री सतचडी जनकल्याण समिति के श्री कविद्र इस्टवाल, नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर पार्थो चौधरी और उनकी टीम में शामिल संस्थान के विद्यार्थियों ने प्रमुख भूमिका निभाई, स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य परीक्षण जांच का आयोजन श्रीमती निर्मला, श्रीमती दिव्या, प्रतिभा, मनीषा, मीना, सानिया, साक्षी आदि ने किया |
आयोजक : फ्रेंड्स ऑफ़ हिमालय, फील गुड ट्रस्ट- भल-लगद, गायत्री जन कल्याण ट्रस्ट और श्री सतचढ़ी जनकल्याण समिति नॉलेज पार्टनर : आरोग्य वाहिनी ट्रस्ट- कलकत्ता
अब हटेगा किच्छा रोड पर दशकों से जमा हुये कचरे का पहाड़, नगर निगम ने युद्ध स्तर पर जारी किया कार्य
रूद्रपुर, किच्छा रोड पर दशकों से जमा हुए कचरे के पहाड़ को हटाने का काम नगर निगम रुद्रपुर की ओर से युद्ध स्तर पर जारी है। आज मेयर रामपाल सिंह और नगर आयुक्त विशाल मिश्रा ने कचरा निस्तारण के कार्यों का मौके पर पहुंचकर औचक निरीक्षण किया। मेयर रामपाल सिंह और नगर आयुक्त विशाल मिश्रा ने जेसीबी पर बैठ कर ट्रेंचिंग ग्राउंड का निरक्षण किया इस दौरान नगर आयुक्त विशाल मिश्रा कचरा निस्तारण के काम में लगी कार्यदायी संस्था के काम से संतुष्ट नज़र नही आए उन्होनें बताया कि 80% कूड़े का निस्तारण किया जा चुका है शेष बचे कूड़े को हटाने के लिए कार्यदाई संस्था के अधिकारी को तीन माह के भीतर कूड़ा हटाने के लिए निर्देशित किया तीन माह में कूड़ा ना हटने पर नोटिस जारी करने की बात कही । बता दें किच्छा रोड स्थित ट्रचिंग ग्राउण्ड में कचरे के पहाड़ को हटाने का अभियान नगर निगम की ओर से शुरू किया गया था। जो अब युद्ध स्तर पर चालू है। कचरे को हटाने की मांग लम्बे समय से की जा रही थी। जिसके लिए कई बार आंदोलन भी किये गये। मेयर रामपाल सिंह ने चुनाव के दौरान शहरवासियों से किच्छा रोड पर ट्रचिंग ग्राउण्उ को हटाने का वायदा करते हुए उसे अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। अपनी घोषणा के मुताबिक उन्होने कचरे के पहाड़ को हटाने के लिए कार्ययोजना तैयार की और कचरे को निस्तारित करने का काम दिल्ली की एक संस्था को दिया गया। दिल्ली की संस्था ने कचरे को निस्तारित करने के लिए ट्रोमल कन्वेयर मशीन स्थापित की है। जिसके माध्यम से कचरे की छनाई की जा रही है। आज मेयर रामपाल सिंह और नगर आयुक्त विशाल मिश्रा ने मौके पर पहुंचकर कचरे की छटाई के काम का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्यदायी संस्था को जल्द से जल्द कचरे को निस्तारित करने के निर्देश दिये। इस दौरान मेयर ने कहा कि शहर को स्वच्छ बनाना उनकी प्राथमिकता है। स्वच्छता के मामले में वह रूद्रपुर शहर को शीर्ष पर लाना चाहते हैं। इसके लिए शहरवासियों का सहयोग भी आवश्यक हैं। शहरवासियों के सहयोग के बिना शहर को स्वच्छ नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को गंभीरता से लेते हुए शहर में सफाई के पुख्ता इंतजाम किये हैं। शहर के सभी वार्डों में घर घर कूड़ा निस्तारण के लिए वाहन लगाये गये हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को कूड़ा सड़क पर या नालियों में डालने की आदत को छोड़ना होगा। तभी हम शहर को स्वच्छ और सुंदर बना पायेंगे।
घंटाकर्ण धाम मंदिर में महायज्ञ की तैयारियां जोरों पर, 20 मई को होगा आयोजन
(डी पी उनियाल)
गजा (टिहरी), नरेन्द्र नगर विधानसभा क्षेत्र के घंटाकर्ण धाम मंदिर में 11 वें यहां यज्ञ की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं, गजा के गौंत्याचली स्थान से लगभग 4कीलोमीटर चढ़ाई पर स्थित क्वीली डांडा में पौराणिक घंटाकर्ण मंदिर में हर साल गंगा दशहरा पर्व पर पूजा अर्चना हवनयज्ञ भंडारा का महायज्ञ आयोजित होता आया है , आपको बताते चलें कि इस पौराणिक मंदिर में हर माह संक्रांति पर्व पर पूजा अर्चना हवनयज्ञ भंडारे का आयोजन होता है साथ ही प्रतिदिन भी श्रद्धालु यहां पर मन्नत मांगने आते हैं लेकिन गंगा दशहरा पर्व पर भव्य कार्यक्रम आयोजित होता है जो कि 11दिनों तक चलता है इसमें हजारों लोग पूजा अर्चना हवनयज्ञ भंडारा कार्यक्रम में शामिल होते हैं । मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय प्रकाश विजल्वाण, कोषाध्यक्ष अशोक विजल्वाण, घंटाकर्ण देवता के पश्वा कुलबीर सिंह सजवाण ने बताया कि इस साल 20मई को पूजा अर्चना का शुभारंभ सैकड़ों भक्तों की उपस्थिति में किया जायेगा तथा हर दिन पूजा चलती रहेगी , 28 मई को दोपहर में देवता के निशान एवं डोली देवप्रयाग जायेगी ,29मई सुबह गंगा स्नान करने के बाद देवता के पश्वा की अगुवाई में गूलर दोगी होते हुए गजा के बाद घंटाकर्ण मंदिर में पहुंचेगी , 30 मई सुबह से ही भक्तों की उपस्थिति में पूजा, हवनयज्ञ भंडारा कार्यक्रम आयोजित होने के बाद दशहरा पर्व पर समापन होगा। गंगा दशहरा कार्यक्रम आयोजित किए जाने हेतु घंटाकर्ण धाम ट्रस्ट के सभी पदाधिकारियों, सदस्यों के अलावा मान सिंह चौहान, दिनेश प्रसाद उनियाल, सुरेन्द्र सिंह नेगी, आनन्द सिंह खाती, जितेन्द्र सिंह सजवाण, भगवान सिंह चौहान, राजेन्द्र सिंह सजवाण, हरीश जोशी, शीश पाल सिंह, धन सिंह सजवाण, विनोद विजल्वाण, लक्ष्मी नारायण, संजय सजवाण से सम्पर्क किया जा सकता है ।
देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष, छात्रों द्वारा मोटे अनाज से बनाए गए पकवानों को कृषि मंत्री ने सराहा
देहरादून, मोटे अनाज की उपयोगिता को वैश्विक पहचान दिलाने के उद्देश्य से वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है, जिसके उपलक्ष्य में देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष मनाया गया | इस मौके पर कृषि मंत्री गणेश जोशी ने मोटे अनाज के प्रति जागरूकता हेतु स्मारिका पुस्तक का विमोचन किया और कहा कि मोटा अनाज आज विश्व की ज़रुरत बन चुका है |
शुक्रवार को देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ एलायड साइंसेज़ द्वारा “अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष” उत्सव मनाया गया, जिसके अंतर्गत “मिलेट: हमारे शरीर का पोषण, हमारे ग्रह का पोषण” विषय पर आधारित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया | इस दौरान मुख्य अतिथी कृषि मंत्री गणेश जोशी ने मोटे अनाज के प्रति जागरुक करती स्मारिका पुस्तक का विमोचन किया और कहा कि स्वस्थ जीवन शैली के लिए मोटा अनाज अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसका उपयोग हमें अपने दैनिक आहार में बढ़ाना होगा | ताकि पोषण संबंधी लाभों सहित मोटे अनाज पर निर्भर किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया जा सके | आज मोटा अनाज विश्व की ज़रुरत बन चुका है और यही कारण है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है | इस दौरान उन्होंने स्कूल ऑफ़ होटल मैनेजमेंट एंड टूरिज्म द्वारा आयोजित मोटे अनाज पर आधारित फ्यूज़न फ़ूड प्रतियोगिता में छात्रों की बढ़चढ़कर भागीदारी की सराहना की और कहा कि मोटे अनाज के प्रति छात्रों को जागरूक करने के लिए मैं विश्वविद्यालय प्रबंधन को बधाई देता हूँ | इसके अलावा जोशी ने 15 स्वयं सहायता समूहों द्वारा लगाए गए मोटे अनाज और उनसे तैयार उत्पादों के स्टॉल्स का जायज़ा लिया और उनकी सराहना की | इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संजय बंसल ने कृषि मंत्री गणेश जोशी का आभार व्यक्त किया और कहा कि सरकार के प्रयासों को सफल बनाने के लिए देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी सदैव तत्पर है | वहीं, विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. डॉ. प्रीति कोठियाल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष को मनाने का उद्देश्य इसे छात्रों का आन्दोलन बनाना है ताकि स्वस्थ समाज का निर्माण और देश का तेज़ी से आर्थिक विकास संभव हो सके | इस दौरान इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रीसर्च के अंतर्गत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिलेट रीसर्च के विशेषज्ञों द्वारा संगोष्ठी के माध्यम से मिलेट यानी मोटा अनाज की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया| कार्यक्रम में उपकुलपति डॉ. आरके त्रिपाठी, डीन एकेडेमिक्स अफेयर्स डॉ. संदीप शर्मा, मुख्य सलाहकार डॉ. एके जायसवाल, डीन स्कूल ऑफ़ एलायड साइंसेज़ डॉ. नबील अहमद सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे|
सुपर फ़ूड’ है मोटा अनाज : वैज्ञानिक
‘अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023’ उत्सव को मना रहे देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित संगोष्ठी के दौरान डिपार्टमेंट ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी इंडियन एग्रीकल्चर रीसर्च इंस्टिट्यूट, दिल्ली (आईसीएआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. सुनील पब्बी ने कहा कि मोटा अनाज यानी मिलेट्स एक ऐसा सुपर फ़ूड है, जिसमें प्रोटीन, फायबर, विटामिन, कैल्शियम, आयरन, जिंक, मैग्नीशियम सहित विभिन्न अन्य पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ बनाए रखने में हमारी मदद करते हैं| ये बात गाँव के लोग जानते थे और इसका भरपूर इस्तेमाल करते थे, लेकिन पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में मोटा अनाज ग्रामीण खाना कहलाया जाने लगा धीरे धीरे उसकी पैदावार ख़त्म होती चली गयी| लेकिन, अब हमें मोटा अनाज के प्रति दुनिया को जागरूक करना होगा| वहीं, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिलेट रीसर्च, हैदराबाद के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पी राजेंद्र कुमार ने कहा कि मिलेट्स का दैनिक उपयोग मोटापा तो कम करता ही है साथ ही ये कैंसर सेल्स को भी ख़त्म करता है| इसमें मौजूद भरपूर पाचक तत्व पेट की बीमारियों से दूर रखते हैं और प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाते हैं | कृषि मंत्रालय और कृषक कल्याण, भारत सरकार में मार्केटिंग ऑफिसर अभय प्रताप ने कहा कि कम पानी, उर्वरक और कीटनाशकों के साथ कम उपजाऊ मिट्टी में भी मिलेट्स उगाये जा सकते हैं| उच्च तापमान में भी इनकी पैदावार अच्छी होती है इसलिए इन्हें ‘क्लाइमेट स्मार्ट’ अनाज भी कहा जाता है| ये इनकी खासियतें हैं, जो आर्थिक दृष्टी से किसानों सहित देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं|
आर्किटेक्ट, स्टूडियो मंडला की आर. मौलिश्री मिश्रा को वित्त वर्ष 2022-23 के हुडको बेस्ट प्रैक्टिसेज अवार्ड से किया गया सम्मानित
देहरादून, दून स्थित आर्किटेक्ट, स्टूडियो मंडला की आर. मौलिश्री मिश्रा को वित्त वर्ष 2022-23 में रहन-सहन में सुधार के लिए हुडको बेस्ट प्रैक्टिसेज अवार्ड से सम्मानित किया गया है। भारत सरकार के आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी की अध्यक्षता में पिछले माह 25 अप्रैल को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में मंडला की टीम ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किया।
स्टूडियो मंडला की विजेता प्रविष्टि, जिसका शीर्षक है “पुरानी परित्यक्त विरासत का अनुकूल पुनः उपयोग,” क्षमता निर्माण द्वारा निर्माण की पारंपरिक सामग्रियों और प्रथाओं को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है, जिसमें सचेत और टिकाऊ दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उनकी प्रविष्टि थीम VI – शहरी डिजाइन और क्षेत्रीय योजना, आंतरिक शहर पुनरोद्धार और संरक्षण के तहत हुडको पुरस्कारों की सर्वश्रेष्ठ अभ्यास श्रेणी में देश भर से शीर्ष सात विजेता प्रविष्टियों में से चुनी गई थी।
2017 में देहरादून में स्थापित, स्टूडियो मंडला का प्रमुख ध्यान पुरानी और परित्यक्त विरासत की बहाली और पुनः उपयोग पर है। वे शहर में विरासत संरचनाओं की पहचान और प्रलेखन की एक गहन अनुसंधान प्रक्रिया का पालन करते हैं, ताकि शहर और उसके आसपास की विरासत के बारे में ज्ञान बनाया जा सके। इस शोध को DEHRADOON:An Illustrated Journey of a city नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया था।
स्टूडियो मंडला पारंपरिक निर्माण में उपयोग किए जाने वाले स्थायी दृष्टिकोणों को पुनर्जीवित करने के लिए क्षमता निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हुडको बेस्ट प्रैक्टिसेज अवार्ड जीतना सभी के लिए एक संदेश है, जैसा कि हम जलवायु परिवर्तन और घटते संसाधनों के मुद्दों का सामना कर रहे हैं, हमें कोशिश करनी चाहिए कि पुरानी परित्यक्त विरासत को सबसे टिकाऊ तरीके से नया जीवन देकर उसे फिर से जिंदा किया जा सके। संसाधनों को बचाने की दिशा में बहाली/संरक्षण को अपनाया जाना चाहिए, जो अन्यथा पुराने को ध्वस्त करने और नए का पुनर्निर्माण करने में खर्च किया जाएगा, साथ ही शहर की पहचान और विरासत की रक्षा की जाएगी। इसलिए सबसे पहले किसी शहर की विरासत को चिन्हित करना और उसकी सुरक्षा के लिए हेरिटेज कानून बनाना बहुत जरूरी है।
शहरी पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार शहरी नीति निर्माताओं और शहर प्रबंधकों के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता बन गई है। हुडको इन क्षेत्रों में प्रयासों को प्रोत्साहित करने और अन्य शहर सरकारों और पैरास्टेटल को अपने शहरों में इस तरह की सर्वोत्तम प्रथाओं को दोहराने के लिए प्रेरित करने के महत्व को पहचानता है। इस दिशा में एक कदम के रूप में हुडको ने शहरी विकास की विभिन्न श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ व्यवहार पुरस्कारों की स्थापना की है, जिन्हें वार्षिक रूप से सम्मानित किया जाता है।
इस पुरस्कार के सात विषय क्षेत्र हैं :
1. शहरी प्रशासन, 2. आवास-शहरी गरीबी और इंफ्रास्ट्रक्चर, 3. शहरी परिवहन, 4.पर्यावरण प्रबंधन, 5. ऊर्जा संरक्षण और ग्रीन बिल्डिंग, 6. स्वच्छता, 7. शहरी डिजाइन और क्षेत्रीय योजना- इनर सिटी रिवाइवल और संरक्षण और आपदा प्रबंधन-शमन-पुनर्वास।