Tuesday, June 10, 2025
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राज्य में मानसिक स्वास्थ्य नियमावली पर मुहर, 13 जनपदों के 7 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्ड का गठन

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मानसिक स्वास्थ्य नियमावली का कड़ाई से होगा पालन, उल्लंघन करने पर होगी 2 साल की जेल व 5 लाख तक जुर्माना : डॉ. आर राजेश कुमार

(एल मोहन लखेड़ा)

देहरादून, केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगवाई में कैबिनेट ने मानसिक स्वास्थ्य नियमावली पर अपनी मुहर लगा दी है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभालने के बाद से मंत्री डॉ धन सिंह रावत इस पर गंभीरता से काम कर रहे थे। केन्द्र में कई बार उन्होंने इसकी पैरवी की। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने पूरी टीम के साथ इस पर गंभीरता से काम किया और केन्द्र की मुहर के बाद राज्य कैबिनेट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी।

आपको बता दें स्वास्थ्य सचिव बनने के बाद से डॉ आर राजेश कुमार ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के साथ केन्द्र की योजनाओं को राज्य में तेजी से धरातल पर उतारने में कामयाबी हासिल की है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं और केन्द्रीय स्वास्थ्य योजनाओं की प्रगति पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही समय-समय पर केन्द्र सरकार से आये अधिकारियों ने भी तारीफ की है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने इस उपलब्धि के लिए महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ विनीता शाह सहित पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के गठन से पहले इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी, बुद्वजीवी वर्ग, समाजिक कार्यों से जुड़े लोगों की राय ली गई। जिसके बाद इसके फाइनल ड्राफट पर मुहर लगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली की मंजूरी के बाद राज्य में अब नशा मुक्ति केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञ, नर्सों, मनोचिकित्सकीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। लेकिन मानसिक रोग विशेषज्ञों से पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम लागू किया था। साथ ही राज्यों को भी इस अधिनियम के तहत मानसिक स्वास्थ्य नीति और नियमावली बनाने के निर्देश दिए गए थे। अधिनियम के तहत 2019 में सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया। लेकिन नियमावली न होने के कारण प्राधिकरण काम नहीं कर पा रहा था। बीते माह स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमावली का प्रस्ताव केंद्र सरकार की अनुमति के लिए भेजा गया था। केंद्र सरकार ने नियमावली का परीक्षण करने के बाद मंजूरी दे दी है। आज कैबिनेट में इस नियमावली को मंजूरी मिल गई।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को देना होगा पंजीकरण शुल्क

प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्र या मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को अनिवार्य रूप से प्राधिकरण में पंजीकरण करना होगा। इसके लिए शुल्क भी लिया जाएगा। एक साल के अस्थायी लाइसेंस के लिए दो हजार रुपये शुल्क होगा। इसके बाद स्थायी पंजीकरण के लिए 20 हजार शुल्क देना होगा।

इन नियमों का भी करना होगा पालन :

नशा मुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा। मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर को रखना होगा। केंद्र में मानसिक रोगियों के लिए खुली जगह होनी चाहिए। जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।

13 जनपदों के 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन :

मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम-2017 को भारत सरकार द्वारा दिनांक 29 मई, 2018 को अधिसूचित कर दिया गया था, जिसको उत्तराखण्ड सरकार द्वारा मूल रूप में अधिकृत कर लिया गया है। इस अधिनियम का मूल उद्देश्य मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों, उनके उचित उपचार एवं संरक्षण करना है। इस अधिनियम के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण एवं उत्तराखण्ड के 13 जनपदों के 07 स्थानों पर पुनर्विलोकन बोर्डों का गठन कर दिया गया है। इनमें हरिद्वार जनपद में एक, देहरादून जनपद में एक, उधमसिंह नगर जनपद के रूद्रपुर में एक, पौड़ी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग, और चमोली जनपद का सेंटर श्रीगर गढ़वाल में, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी जनपद का न्यू टिहरी में और बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत जनपद का पिथौरागढ में बोर्ड का गठन किया गया है।

इस अधिनियम के आलोक में राज्य सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य देखरेख नियम, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित ) के लिए नियम विनियम एवं मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकार इत्यादि को तैयार कर लिया गया है एवं भारत से अनुमोदन प्राप्त कर मंत्री परिषद् में राज्य में प्रख्यापित करने हेतु प्रेषित किया गया, जोकि आज दिनांक 07.07.2023 को सम्पन्न हुई मंत्री परिषद की बैठक में सभी नियमो विनियमों को प्रख्यापित करने को मंजूरी दे दी गई है।

सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों (नैदानिक मनोवैज्ञानिकों, मानसिक स्वास्थ्य नर्सों एवं मनशचिकित्सीय सामाजिक कार्यकर्ताओं) को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण कार्यालय में पंजीकृत होना अनिवार्य है। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के अस्थाई पंजीकरण हेतु न्यूनतम राशि रू0 2,000/- का प्राविधान है एवं मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का पंजीकरण निःशुल्क किया जाना है।

इन नियम विनियमों के प्रख्यापित हो जाने के पश्चात सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित ) को इसमें दिये गये नियम – विनियमों के अनुरूप संस्थानों का संचालन करना होगा। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) की समय-समय पर जांच एवं निरीक्षण करने का प्रावधान भी इसमें निहित है। जिसमें किसी मानसिक स्वास्थ्य संस्थान द्वारा गैर अनुपालन या प्रावधान का उल्लंघन किया जाता है तो ऐसी स्थित में ऐसा न करने पर अधिनियम में दण्ड का प्रावधान है।

नियमों का उल्लंघन करने पर 2 साल की जेल या 50 हजार जुर्माना :

नियमावली में नियमों का उल्लंघन करने पर मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों ( नशामुक्ति केन्द्रों सहित) द्वारा प्रथम उल्लघन पर 5,000/- से 50,000/- रूपये, दूसरे उल्लघन पर 2,00,000/- रूपये व बार-बार उल्लघन पर 5,00,000/- रूपये का जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। ऐसे मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (नशामुक्ति केन्द्रों सहित) जो पंजीकृत नहीं है, में कार्य करने वाले मानसिक स्वास्थ्य वृत्तिकों पर 25,000/- रूपये तक जुर्माना दण्ड के रूप में प्राविधान है। यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के अधीन बनाये गये नियम या विनियम के उपबंधों का उल्लंघन करता है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को प्रथम उल्लघंन पर छह माह की जेल या 10,000/- रूपये का जुर्माना अथवा दोनों व बार-बार उल्लघन पर दो वर्ष की जेल या 50,000/- रूपये से 5,00,000/- रूपये जुर्माना अथवा दोना दण्ड के रूप में प्राविधान है। इन नियम विनियमों के प्रख्यापित होने से राज्य में मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को उच्च गुणवत्तायुक्त उचित उपचार प्राप्त हो सकेगा एवं अवैध संस्थानों पर नियंत्रण हो पायेगा। भारत सरकार एवं राज्य सरकार इस क्षेत्र में कार्य करने हेतु कृतसंकल्प है।

विलुप्त होती लोक कलाओं के संरक्षण हेतु केंद्रीय विद्यालय बीरपुर में कठपुतली शो का आयोजन

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देहरादून , लोककलाओं एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के तहत आज केंद्रीय विद्यालय बीरपुर में कठपुतली कार्यक्रम का आयोजन किया गया !

विद्यालय परिसर में जयपुर से आये मदन पाल ने मंच से जैसे ही अपनी उंगलियों के इशारे पर अदृश्य धागों से बन्धी कठपुतलियों का खेल दिखाना शुरू किया बच्चों में इस कला के प्रति उत्साह बढ़ता गया और वह एकाग्र होकर इस कला का लुफ्त उठाने लगे !
पर्दे के पीछे किस प्रकार हाथ की कला से इन पुतलों को नचाया या अभिनय करवाया जाता है कलाकार मदन पाल ने बच्चों को सामने आकर दिखाया तो बच्चे रोमांचित हो गये !
कठपुतली शो के बाद विद्यालय की प्राचार्य ने बच्चों को तनावमुक्त मनोरंजन का महत्व बताया उन्होंने मोबाइल एवं सोशल मीडिया की जगह इस प्रकार के कार्यक्रमों को देख कर स्वस्थ मनोरंजन देखने की सलाह बच्चों को दी ! उन्होंने इन कलाओं के प्रति समर्पित कलाकारों के कार्यक्रम को अधिक से अधिक देखने का आग्रह सभी बच्चों एवं शिक्षकों से किया !
कठपुतली शो के दौरान मुख्य अध्यापिका आरती उनियाल शिक्षक विनय कुमार , डी एम लखेड़ा, गूँजन श्रीवास्तव, देवेंद्र कुमार , आचार्य अनुज , अनू थपलियाल, मनीषा धस्माना, उर्मिला बमरू, विदुषी नैथानी दीपमाला सहित अन्य शिक्षकों ने भी इस कार्यक्रम के माध्यम से लोक कलाओं के संरक्षण का प्रण लिया !

बद्रीनाथ हाईवे छिनका में मलबा आने से मार्ग हुआ अवरुद्ध, मलबा हटाने के बाद आवाजाही शुरू

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चमोली (जोशीमठ), बद्रीनाथ हाईवे छिनका में मलबा आने के आज शुक्रवार सुबह फिर अवरुद्ध हो गया। हाईवे के दोनों ओर 10 हजार यात्री से ज्यादा यात्री फंसे हैं। बदरीनाथ हाईवे पर छिनका में पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण बृहस्पतिवार को भी करीब 10 घंटे तक वाहनों के पहिए थमे रहे। अपराह्न तीन बजे हाईवे से मलबा हटाने के बाद वाहनों की आवाजाही शुरू हुई, लेकिन दो घंटे बाद फिर पहाड़ी से पत्थर छिटकने के कारण हाईवे बाधित हो गया, जो शाम साढ़े छह बजे खुल पाया। हाईवे बाधित होने से करीब 12 हजार तीर्थयात्री और स्थानीय लोगों ने वाहनों और दुकानों में बैठकर हाईवे खुलने का इंतजार किया।
बुधवार को देर रात से हुई बारिश बृहस्पतिवार को सुबह करीब नौ बजे थमी। बारिश के दौरान ही सुबह करीब पांच बजे छिनका में पहाड़ी से भारी मात्रा में भूस्खलन होने से बद्रीनाथ हाईवे बाधित हो गया। जिससे दोनों ओर से वाहनों की लंबी लाइन लग गई। सुबह नौ बजे तक भी पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण एनएचआईडीसीएल की जेसीबी मशीनें मलबा हटाने का काम भी शुरू नहीं कर पाईं। अपराह्न तीन बजे हाईवे वाहनों की आवाजाही के लिए खुला। पुलिस के जवानों की निगरानी में वाहनों की आवाजाही करवाई गई। लेकिन फिर पहाड़ी से पत्थर छिटकने के कारण शाम पांच बजे वाहनों की आवाजाही रोक ली गई, जो साढ़े छह बजे तक ही सुचारू हो पाया।
दिल्ली के संजय मिश्रा, कन्हैया और सुरेश शर्मा ने बताया कि केदारनाथ की यात्रा के बाद वे बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा पर जा रहे थे। पहली बार बदरीनाथ और केदारनाथ की तीर्थयात्रा पर आए हैं। उन्होंने बताया कि इन दिनों पहाड़ों में बारिश का सीजन चल रहा है, जिससे दो दिन अतिरिक्त लेकर चले थे। हाईवे खुलने पर बदरीनाथ धाम के दर्शन को जाएंगे। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि भारी बारिश से बार-बार हाईवे बाधित हो रहा है। हाईवे बाधित होने व भारी बारिश होने पर तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए पुलिस की ओर से लाउडस्पीकरण पर सूचना दी गई। अपराह्न तीन बजे हाईवे सुचारु होने पर सभी तीर्थयात्रियों को गंतव्य के लिए भेजा गया, लेकिन आज सुबह फिर पहाड़ी से मलबा गिरने से हाईवे बाधित हो गया।

एम्स पहुंची विस अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी, पूर्व विधायक मुकेश कोली का जाना हालचाल

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ऋषिकेश, उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने एम्स ऋषिकेश पहुंचकर पौड़ी विधानसभा के पूर्व विधायक मुकेश कोली का हालचाल जाना| इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने पूर्व विधायक का इलाज कर रहे डॉक्टर से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली एवं भगवान से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की|

बता दें कि पूर्व विधायक मुकेश कोली काफी लम्बे समय पेट से संबंधित समस्या को लेकर एम्स में इलाज करवा रहे हैं । विधानसभा अध्यक्ष ने एम्स पहुंच कर पूर्व विधायक के स्वास्थ्य की जानकारी ली| जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनका स्वास्थ्य ठीक है साथ ही हर तरह की चिकित्सीय जांच की जा रही है| इस दौरान ऋषिकेश एम्स की निदेशक डॉ. मीनू सिंह भी उपस्थित रहीं।

कैबिनेट बैठक खत्म : बॉटल नेक आड़त बाजार के चौड़ीकरण को मंजूरी

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‘राजस्व विभाग एमडीडीए को 7.7 हेक्टेयर जमीन ब्रह्मणवाला में निःशुल्क उपलब्ध कराएगा’

देहरादून, उत्तराखंड़ सचिवालय में हुई धामी मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य की अस्थायी राजधानी देहरादून को लेकर बड़ा फैसला हुआ है। शहर के सबसे बड़े बॉटल नेक आड़त बाजार के चौड़ीकरण को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
इसके तहत एमडीडीए आड़त बाजार से लेकर गांधी रोड तक मार्ग का चौड़ीकरण करेगा। यहां करीब 250 दुकानदार चिन्हित हैं जिनका विस्थापन होगा। इस हेतु राजस्व विभाग एमडीडीए को 7.7 हेक्टेयर जमीन ब्रह्मणवाला में निःशुल्क उपलब्ध कराएगा।

दुकानदारों को शिफ्ट करने की नियमावली को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। मार्च 2023 में 250 ज्यादा लोग चिन्हित हुए। कैबिनेट के निर्णय के अनुसार जगह बचने पर औरों को भी स्थान दिया जा सकता है।

निम्न प्रस्तावों पर हुआ निर्णय :

1 -पर्यटन विभाग के पटेलनगर मुख्यालय में अब बिजनेस होटल बनेगा PPP मोड़ में होगा
2-जॉर्ज एवरेस्ट में एयरो स्पोर्ट्स गतिविधि क़ो मंजूरी PPP मोड़ में होगा
3-परिवहन विभाग में नियमवाली में संशोधन
4- विद्यालय शिक्षा विभाग में 2364 पदों के फोर्थ क्लास के पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरा जाएगा
5- नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के ढाँचा क़ो मंजूरी 245 पद हुए स्वीकृत
6- अंत्योदय क़ो निशुक्ल 3 सिलेंडर देने और रिफिल करने के फैसले क़ो एक साल बढ़ाया गया
7-ग्राम पंचायत अधिकारियो के उधम सिंह नगर में बढ़ाये गए पद
8 -वित्त विभाग का मामला बचत विभाग के कर्मियों क़ो कलेक्ट्रेट में समायोजित किया जाएगा
9-वित्त विभाग में वन टाइम सटेलमेंट स्कीम क़ो मंजूरी GST का मामला
10 -वित्त विभाग में केश मैनेजमेंट सेल बनाया गया 11 पदों क़ो मंजूरी
11-माल एवं सेवा कर अपिलीय अधिकर पीठ गठित करने की स्वीकृति मिली मंजूरी
12-अभी वर्तमान में भूमि खरीदने के नियम हैं अफोर्डबल हाउसिंग और खेल गतिविधियों क़ो लाने के लिए अब नई नियमावली की मंजूरी अब ये खरीद सकेंगे जमीन
13- आढ़त बाजार के चौड़ीकरण क़ो मंजूरी ब्रह्मणवाला में आढ़तियों को दी जाएगी जमीन, MDDA को निशुल्क में मिलेगी जमीन
14-अब 50 बेड तक के अस्पतालों क़ो क्लिनिकल एस्टेब्लिमेंट में शुल्क में छूट दी गई रजिस्ट्रेशन कराना होगा
15 -मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम क़ो मंजूरी अब मानक हुए तय, नशा मुक्ति केंद्र पर कसी जाएगी नकेल
16-क़ृषि एवं क़ृषि कल्याण विभाग सीएम प्राकृतिक कृषि योजना क़ो मंजूरी

 

अबैध शराब का परिवहन कर रहे चार अभियुक्त गिरफ्तार

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रुद्रप्रयाग- जनपद में अबैध शराब तस्करी के खिलाफ पुलिस की मुहिम जारी है। आज 09 पेटी (120 हाफ व 192 पव्वे) अवैध शराब का परिवहन कर रहे 04 अभियुक्तों को पुलिस गिरफ्तार करने में कामयाब रही।

केदारनाथ धाम यात्रा अवधि में शराब तस्करी की शिकायतों पर प्रभावी कार्यवाही किये जाने हेतु पुलिस अधीक्षक, रुद्रप्रयाग द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में पुलिस उपाधीक्षक, गुप्तकाशी के पर्यवेक्षण में थाना प्रभारी गुप्तकाशी व चौकी प्रभारी फाटा के नेतृत्व में चौकी फाटा पुलिस द्वारा चेकिंग के दौरान वाहन संख्या UK 13 TA 2526 Camper से 04 अभियुक्तों को 9 पेटी सोलमेट व्हिस्की (5 पेटी हाफ यानि कुल 120 हाफ तथा 4 पेटी क्वार्टर यानि 192 पव्वे) अवैध अंग्रेजी शराब सहित गिरफ्तार किया गया है। इनके विरुद्ध थाना गुप्तकाशी पर आबकारी अधिनियम की सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर शराब तस्करी में प्रयुक्त वाहन को सीज किया गया है।
पुलिस टीम में उप निरीक्षक विजय शैलानी, चौकी प्रभारी फाटा एवं आरक्षी जयप्रकाश एवं आरक्षी अंकित कुमार चौकी फाटा सम्मिलित रहे।
इस वर्ष के यात्रा काल में रुद्रप्रयाग पुलिस ने आबकारी अधिनियम के कुल 36 मुकदमों में 57 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर 1283 बोतल शराब की बरामदगी की गयी है,। जनपद रुद्रप्रयाग पुलिस का अवैध शराब तस्करी के विरुद्ध धरपकड़ अभियान निरन्तर जारी है।

राज्य आंदोलनकारी करेंगे 10 जुलाई को सीएम आवास का घेराव, कई संगठनों और राजनैतिक दलों ने दिया समर्थन

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देहरादून, शहीद स्मारक कचहरी में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संयुक्त परिषद एवं संयुक्त राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा आयोजित बैठक में कई सामाजिक संगठन व राजनीतिक दल शामिल हुये और 10 जुलाई को सीएम आवास घेराव का समर्थन किया | बैठक संबोधित करते हुये उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के संरक्षक नवनीत गुसाई, प्रदेश अध्यक्ष विपुल नौटियाल एवं जिला अध्यक्ष सुरेश कुमार द्वारा मांगों को लेकर जिसमें 10% क्षैतिज आरक्षण, मूल निवास चिन्हकरण, पेंशन पट्टा ल धारा 371 को लेकर उपस्थित संगठनों व राजनीतिक दलों के साथ मिलकर चर्चा की गई | जिसमें सभी संगठनों की सहमति द्वारा सीएम आवास घेराव का निर्णय लिया गया | जिसमें
उत्तराखंड़ महिला मंच की संयोजक निर्मला बिष्ट नेताजी संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष प्रभात डंडरियाल, कांग्रेस से सुरेंद्र अग्रवाल, उत्तराखंड क्रांति दल से विजेंद्र रावत, जनवादी महिला संगठन से इंदू नौडियाल, एसएफआई से लेखराज व अनंत आकाश व संयुक्त मंच से कांति कुकरेती अंबुज शर्मा व आंदोलनकारी व राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी के बालेश बवानिया, जगमोहन रावत, सदीप पटवाल, सुशीला भट्ट, राजेश पांथरी, जगमोहन रावत, नरेंद्र नेगी, जित्ती चौहान, रामपाल, सुशील विरमानी, सुखबीर चौहान और लाखन चीलवाल हल्द्वानी से बैठक में शामिल हुए | सभी की सहमति से दस जुलाई को मुख्यमंत्री आवास के घेराव हेतु समर्थन देने के लिये पूरे प्रदेश वासियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में भागीदारी करने की अपील की गयी, बैठक वक्ताओं ने कहा कि अगर सरकार आंदोलनकारियों की यह मांगे नहीं मानती तो आंदोलनकारी व सामाजिक संगठन उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे |

 

संस्कृति या समाज की प्रगति में खेती के महत्व पर व्यापक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने में सक्षम रहा डा. सुषमा नैथानी का व्याख्यानखेती क्यों मायने रखती है, विषय पर दून पुस्तकालय व शोध केंद्र में हुई चर्चा  - Avikal Uttarakhand

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज सांय प्लांट जीनोमिक वैज्ञानिक, लेखिका और एसोसिएट प्रोफेसर सीनियर रिसर्च, ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी, सुषमा नैथानी का एक व्याख्यान का आयोजन संस्थान के सभागार में किया गया। यह व्याख्यान खेती क्यों मायने रखती है विषय पर केन्द्रित था।
डॉ. नैथानी का यह सारगर्भित व्याख्यान निश्चित तौर पर किसी भी संस्कृति या समाज की प्रगति में खेती के महत्व पर व्यापक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने में सक्षम रहा। समाज में खेती का काम कर रहे विविध किसानों , भूमि जोतों और कृषि पद्धतियों और इन सबके प्रभाव से जुड़ी कहानी पर डॉ. सुषमा नैथानी ने विस्तार से प्रकाश डाला।
व्याख्यान की अधिकांश बातचीत उनकी पुस्तक हिस्ट्री एंड साइंस ऑफ कल्टीवेटेड प्लांट्स पर आधारित थी। अपने व्याख्यान में डॉ. नैथानी ने बताया कि ग्रामीण समाज किस तरह किसान बना और वर्तमान औद्योगिक कृषि-आधारित सभ्यता तक किस तरह पहुंचे। अनेक मिथकों, ऐतिहासिक वृत्तांतों और वैज्ञानिक अवधारणाओं का उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि मानव ने अपने प्रयासों से कैसे जंगली पौधों से बड़े, स्वादिष्ट और अधिक पौष्टिक फल, सब्जियां और अनाज को आकार दिया और उसे विकसित किया। मानव सभ्यता के केंद्र में विभिन्न आर्थिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों का जिक्र करते हुए, उन्होंने फसल पौधों की उत्पत्ति, कृषि प्रतिरुपों के विकास, प्राकृतिक चयन बनाम पालतूकरण की मौलिक अवधारणाओं, प्रायोगिक और पद्धतिगत पौधों के प्रजनन और पौधों की जैव प्रौद्योगिकी पर भी प्रकाश डाला । उन्होंने जलवायु परिवर्तन, खेती के कम होते रकबे और अन्य सामाजिक-आर्थिक बाधाओं के मद्देनजर दुनिया की बढ़ती आबादी को भोजन खिलाने की चुनौतियों और 21 वीं सदी और उसके बाद के एक स्थायी कृषि प्रणाली की आवश्यकता पर भी विस्तार से चर्चा की।
व्याख्यान से पूर्व दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित लोगों का स्वागत किया। व्याख्यान के समापन में निकोलस हाॅफलैण्ड ने संस्थान की ओर से सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर साहित्यकार, नवीन नैथानी, राजेश सकलानी बिजू नेगी, राजेन्द्र गुप्ता, सुरेंद्र सजवाण, अरुण असफल, सूंदर सिंह बिष्ट और बिभूति भूषण भट्ट सहित शहर के अनेक बुद्धिजीवी, लेखक, साहित्यकार और बड़ी संख्या में पुस्तकालय के युवा पाठक उपस्थित रहे। व्याख्यान के बाद लोगों ने डॉ.सुषमा नैथानी से सवाल जबाब भी किये।

पुस्तक के बारे में :

हम सभी का खानपान से बेहद अंतरंग और प्राथमिक सम्बंध है. हम दुनिया के किसी भी हिस्से में हो, खानपान सम्बंधी चिंता हमारे मन में चाहे-अनचाहे बनी रहती है. बाजार से आटा, दाल, चावल, आलू, प्याज, फल-सब्जी, चाय, चीनी, कॉफी आदि उठाते समय हम सोचते रहते हैं कि अमुक चीज स्वास्थ्य पर कैसा असर डालेगीय उसमें पौष्टिक तत्वों की मात्रा कितनी है किसे उपयोग में और किसे उपवास में बरता जाना चाहिए आदि. लेकिन बहुतों को इस बात का अन्दाज नहीं होगा कि हम सबके खानपान सम्बंधी संस्कार, पूर्वाग्रह / चयन या दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों की खानपान से जुड़ी विशिष्ट पहचान के मूल में कृषि की एक लम्बी ऐतिहासिक यात्रा है, जिससे गुजरकर विभिन्न कृषि उत्पाद बाजार में सर्वसुलभ होकर हम तक पहुँचे हैं.
औद्योगिक क्रांति के बाद मानव आबादी का बड़ा हिस्सा खेती से अलग होकर अन्य कार्यों में लग गया, आज अमेरिका यूरोप के विकसित समाजों के एक फीसदी से भी कम लोग सीधे खेती से जुड़े हैं. भारत, चीन और अन्य एशियाई देशों में भी आबादी का 50ः से ज्यादा हिस्सा किसानी नहीं करता है. लेकिन कृषि और मनुष्य का सम्बंध जरा भी कम नहीं हुआ है. भले ही हम अन्न न उगाते हों /कई पीढ़ियों पहले हमारा परिवार किसानी छोड़ चुका हो / अन्न व खाद्य पदार्थों को पैदा करने वाले किसानों से भले ही हमारा सीधा वास्ता न हो तब भी कृषि उत्पादों पर हमारा जीवन, स्वास्थ्य, और समृद्धि टिकी हुई है और दस हजार वर्षों से चली आ रही कृषि-कथा ने हमारे अंतर्मन का एक बड़ा हिस्सा घेर रखा है. अन्न की टेढ़ी-मेढ़ी यात्रा को जानना अपने मन की इन्ही छिपी तहों के भीतर अनायास झाँक लेना है, और इस बहाने अपने अनगिनत पुरखों से रूबरू होना है जिनके जीवन के घनीभूत अनुभव पीढ़ी-दर-पीढ़ी छन-छनकर हमारे चेतन और अवचेतन पर अंकित हुए हैं. कृषि के इतिहास-भूगोल-विज्ञान की कथा के पन्ने पलटना एक बेहद निजी, मीठी गुफ्तगू में उतरना है, जिसका लुत्फ साझा करके दुगना होता जाता है. इस किताब को लिखते समय लेखिका की कोशिश रही है कि एक सामान्य हिंदी पाठक के लिए कृषि से सम्बंधित कुछ मोटी-मोटी तथ्यपरक वैज्ञानिक जानकारी, तथा कृषि की टेढ़ी-मेढ़ी ऐतिहासिक यात्रा को आसान भाषा में, बिना तकनीकी शब्दावली में उलझाए रखे। संवाद को प्राथमिकता देते हुए कई जगहों पर अंग्रेजी के सरल और हिंदुस्तानी जबान में शामिल हो रहे शब्दों के इस्तेमाल को वरीयता दी गई है, और हिंदी में गढ़ी हुई गूढ़, अबूझ तकनीकी शब्दावली को सयास छोड़ दिया गया है.
कृषि मानव सभ्यता का पहला उद्यम भी है. अब भी, दुनिया की गरीब आबादी के बड़े हिस्से की आजीविका कृषि पर निर्भर करती है. भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पचास फीसदी से ज्यादा लोग रोजगार के लिए कृषि पर निर्भर हैं, और यहाँ की एक चैथाई राष्ट्रीय आय का स्रोत भी कृषि है. इसके अलावा, कृषिजन्य उत्पादों पर कई छोटे-बड़े कारोबार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निर्भर रहते हैं, और कृषि उत्पादों का निर्यात विदेशी मुद्रा कमाने का मुख्य जरिया है. अतरू कृषि की भूमिका देश के लिए राजनैतिक, सामरिक और आर्थिक महत्व की है. मानव सभ्यता के अलग-अलग चरणों में कृषि का तत्कालीन समाज की राजनीति, अर्थव्यवस्था, तथा ज्ञान-विज्ञान से जो गहरा और अंतरगुम्फित सम्बंध रहा है उसपर प्रचलित अकादमिक कवायद से इतर सार्वजनिक बातचीत की भी जरूरत है, ताकि हम अपने समय की कृषि-नीतियों, किसानों, बाजार और उपभोक्ता के अंतर्संबंधों की कोई संगत समझ बना सकें और फिर उसकी रोशनी में पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाते हुए वैश्विक जलवायु परिवर्तन से उपजी खाद्यान संकट की चुनौती का भविष्य में कोई हल ढूँढ सके.
कुल मिलाकर इस किताब में कृषि की शुरुआत से लेकर जैव-प्रौद्योगिकी से बनी जी॰ एम॰ (जेनेटिकली मोडिफायड या जीन सँवर्धित) फसलों तक के सफर के विवरण हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में दुनिया में औद्योगिक कृषि के मॉडल की गम्भीर समीक्षा शुरू हुई है और छोटे-बड़े स्तरों पर तरह-तरह के वैकल्पिक प्रयोग शुरू हुए हैं. पुस्तक के अंत में एक संक्षिप्त टीप चुनिंदा नए प्रयोगों पर दी गई है।

लेखिका के बारे में :

देहरादून की डॉ. सुषमा नैथानी अमेरिका के ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी में वनस्पति विज्ञान और पादप रोग विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर रिसर्च हैं। सुषमा नैथानी ने एम.एस. जैव प्रौद्योगिकी में और पीएच.डी. वनस्पति विज्ञान (पादप आण्विक जीवविज्ञान) में। वह एक आणविक जीवविज्ञानी और जीनोमिक वैज्ञानिक हैं . इनके तकरीबन 50 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। वह एल्सेवियर (2017-वर्तमान) द्वारा प्रकाशित करंट प्लांट बायोलॉजी जर्नल की प्रधान संपादक और प्लांट साइंस-प्लांट बायोटेक्नोलॉजी अनुभाग में फ्रंटियर की एसोसिएट एडिटर के रूप में कार्य करती हैं। वह अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक वैज्ञानिक पत्रिकाओं की समीक्षक हैं।वह एक अंग्रेजी-हिंदी द्विभाषी लेखिका, कवयित्री और प्रकृति प्रेमी भी हैं। वह 1998 में संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं। वह कोरवालिस, ओरेगॉन में रहती हैं। उनके कुछ हिन्दी आलेख कादम्बिनी, हंस, पब्लिक एजेंडा, पहाड़ सहित कई अन्य प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं और कविता की एक पुस्तक उड़ते हैं अबाबील 2011 में प्रकाशित हुई थी। खेती के इतिहास और विज्ञान पर आधारित उनकी एक लोकप्रिय पुस्तक अन्न कहाँ से आता है नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित हुई है।

 

बिना प्रतिस्थानी के शिक्षकों की कार्यमुक्ति पर पंचायत प्रतिनिधि भड़के, सीईओ कार्यालय पर उठाए सवाल

“शिक्षा मंत्री माफी मांगते हुए त्याग पत्र दे, मुनस्यारी तथा धारचूला में शिक्षा का बुरा हाल”

पिथौरागढ, विकासखंड मुनस्यारी व धारचूला से बिना प्रतिस्थानी के शिक्षकों को कार्यमुक्त किए जाने पर सीमांत के पंचायत प्रतिनिधि भड़क गए है। पंचायत प्रतिनिधियों ने मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिलाधिकारी तथा निदेशक माध्यमिक शिक्षा के आदेशों का भी अनुपालन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र से शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के लिए विभाग ज्यादा उतावला दिख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जो शिक्षा मंत्री सीमांत क्षेत्र में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने में नाकाम रहे है, उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देकर सीमांत के शिक्षक अभिभावकों एवं विद्यार्थियों से माफी भी मांगनी चाहिए।
सीमांत क्षेत्र में पिछले वर्ष 93 शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ था। तब भी मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने जिलाधिकारी के आदेश को दबा दिया गया था।
शिक्षकों के कार्य मुक्त होने के बाद बिना परेशानी के कार्यमुक्त नहीं किए जाने का आदेश खंड शिक्षा अधिकारियों को भेजा गया। इस बात को लेकर मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय की खूब किरकिरी हुई। मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने इस बात का भी सबक नहीं लिया। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी शिक्षकों को बिना प्रतिस्थानी के ही कार्य मुक्त कर दिया गया है।
इस बात से नाराज सीमांत के पंचायत प्रतिनिधि मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के खिलाफ लामबंद होने लगे है।
इस बार भी क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों ने समय से मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय तथा जिलाधिकारी को इस समस्या से अवगत करा दिया था।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया की पत्र का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी रीना जोशी ने मुख्य शिक्षा अधिकारी को तत्काल प्रभाव से कदम उठाने के निर्देश दिए थे।
मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में चालाकी दिखाते हुए जिलाधिकारी के पत्र को निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेजकर अपना पल्लू झाड़ लिया। उसके बाद फिर जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने जिलाधिकारी को दूसरा पत्र लिखा।इस पत्र के बाद भी मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने खंड शिक्षा अधिकारी मुनस्यारी तथा धारचूला को बिना प्रतिस्थानी के शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किए जाने का कोई भी आदेश जारी नहीं किया।
ताज्जुब की बात यह है कि मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने जिलाधिकारी के पत्र का संज्ञान लेते दूसरी बार भी फिर निदेशक माध्यमिक को पत्र लिखकर खानापूर्ति कर दी।
बीते सप्ताह निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी मुनस्यारी भ्रमण पर आई थी तब भी इस मामले को उनके सम्मुख उठाया गया। निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने मुख्य शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार जुकरियाया को स्पष्ट रूप से कहा था कि वह इस मामले में नोट शीट बनाकर जिलाधिकारी के माध्यम से खंड शिक्षा अधिकारियों को एक आदेश करवा लें।
ताकि बिना परेशानी के कोई भी शिक्षक कार्य मुक्त ना हो। मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय सोता रहा और शिक्षकों के स्थानांतरण का फरमान विद्यालय तक पहुंच गया। विद्यालयों ने फटाफट दर्जनों शिक्षकों को बिना प्रतिष्ठान के कार्य मुक्त कर दिया है ।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने बताया कि बीते वर्ष जिन 93 शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ था उनके सापेक्ष मात्र 37 नये अध्यापक सीमा क्षेत्र में स्थित विकासखंड मुनस्यारी तथा धारचूला में पहुंचे है। उन्होंने कहा कि इस बार हुए बंपर स्थानतरण के बाद सीमांत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का आंकड़ा आसमान छूने लगा है ।
उन्होंने कहा कि मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय जानबूझकर आदेश को बनाने में देरी करता है ताकि शिक्षक कार्य मुक्त हो जाएं। इस सांठगांठ की भी जांच की मांग उठाई है।
उन्होंने कहा कि इस प्रदेश के शिक्षा मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वह सीमा क्षेत्र में शिक्षकों के रिक्त पदों पर तैनाती करने में विफल रहे है। उन्होंने यह भी कहा कि सीमा के पंचायत प्रतिनिध मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के खिलाफ आंदोलन करेंगे।

 

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने हेतु भारत सरकार देगा पूरा सहयोग : सुधांशु पंत

स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की नियुक्ति हेतु यू कोट वी पे मॉडल की हुई सराहना

आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत निर्माणाधीन चिकित्सा इकाइयों में तेजी लाने के दिए निर्देश

देहरादून, उत्तराखंड के स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने हेतु भारत सरकार देगा पूरा सहयोग यह बात सुधांशु पंत ओ.एस.डी. चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान कही। सचिवालय में आयोजित स्वास्थ्य अधिकारियों की समीक्षा बैठक में सुधांशु पंत ने राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की तैनाती हेतु स्वास्थ्य विभाग के यू कोट वी पे (you quote we pay) मॉडल की प्रशंसा करते हुए स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के मनोबल को बढ़ाने के लिए उच्चतम वेतन प्रदान करने के कार्य को अत्यधिक सराहा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स क्षेत्र के लोगों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा देने का काम करेंगे जो कि सराहनीय है।

बैठक में ओ.एस.डी. सुधांशु पंत ने प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-अभीम) योजना के यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज से उत्तराखंड के अधिक से अधिक लोगों को मिल रहे लाभ की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर जिनमें क्रिटिकल केयर ब्लॉक, मेडिकल कॉलेज व अन्य निर्माणाधीन कार्य में तेजी लाएं। उन्होंने चिकित्सा इकाइयों के निर्माण कार्य में तेजी लाने व दिसंबर 2023 तक निर्माण कार्यों को पूरा करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया।

इस दौरान सुधांशु पंत द्वारा उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड माहमारी के दौरान कोविड की रोकथाम हेतु किये गए प्रबंधन की सराहना की गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों व मैदानी इलाकों में कोविड टीकाकरण सहित अन्य मैनेजमेंट में अच्छा कार्य किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संबंधित सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए यह आवश्यक है कि स्वास्थ्य संबंधित परियोजनाएं जो गतिमान है उसका विभाग द्वारा स्तत अनुसरण एवं अनुपालन किया जाये ताकि इन योजनाओं का लाभ राज्य के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।

बैठक में डॉ आर राजेश कुमार सचिव स्वास्थ्य, रोहित मीणा मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, अमनदीप कौर अपर सचिव स्वास्थ्य, डॉ विनीता शाह महानिदेशक स्वास्थ्य, डॉ आशुतोष सयाना निदेशक चिकित्सा शिक्षा आदि अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।

रिश्तों की मर्यादा को किया तार- तार, बुआ की बेटी के साथ जबरन दुष्कर्म करता रहा अधेड़, इस तरह हुआ मामले का खुलासा

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रुड़की। एक अधेड़ अपनी बुआ की बेटी को डरा धमकाते हुए दुष्कर्म करता रहा। मामला खुलने पर स्वजन युवती को लेकर कोतवाली सिविललाइंस पहुंचे। इस दौरान आरोपित से युवती पक्ष की हाथापाई हो गई। पुलिस ने आरोपित को हिरासत में ले लिया। रुड़की में रहने वाले हरियाणा के पानीपत निवासी व्यक्ति की बुआ भी रुड़की में रहती है और अधेड़ की बेटी की ससुराल भी रुड़की में है। आरोप है कि पिछले कुछ समय से अधेड़ ने अपनी बुआ की लड़की को डरा धमका कर उसके साथ जबरन संबंध और अश्लील वीडियो भी बनाए।

परिवार को नुकसान पहुंचाने का डर दिखाकर उसके साथ दुष्कर्म करता रहा। युवती की कुछ समय बाद शादी होने वाली हैं। आरोपित उस पर शादी नहीं करने का भी दबाव बना रहा था। परेशान होकर युवती ने सोमवार को अपनी मां को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। अपने भतीजे की करतूत सुनकर महिला के भी पांव तले की जमीन खिसक गई।

महिला अपनी बेटी को लेकर कोतवाली पहुंची और पुलिस को तहरीर दी। पुलिस ने आरोपित को भी कोतवाली बुला लिया। इसी दौरान वह युवती की गलती निकालने लगा। इसे लेकर दोनों पक्षों में नोकझोंक और हाथापाई हो गई। पुलिस ने आरोपित को हिरासत में ले लिया। वरिष्ठ उप निरीक्षक अभिनव शर्मा ने बताया कि पुलिस जांच कर रही है।

खास खबर : जमीन की रजिस्ट्रियों के डाटाबेस में धांधली का मामला आया सामने, अधिकारियों में मचा हड़कंप

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देहरादून, उत्तराखण्ड़ राज्य बनने के बाद से जमीन की खरीद फरोख्त का धंधा खूब फलफूल रहा है, वहीं इस कार्य में हेराफेरी भी अधिक होने लगी, वहीं अब राजधानी दून में जमीन की रजिस्ट्रियों के डाटाबेस में भी सेंध लगाने का मामला सामने आया है। डाटाबेस में छेड़छाड़ कर जमीनों के रकबा और स्वामित्व तक बदल दिए गए। इसकी जानकारी मिलने के बाद अधिकारियों में हड़कंप की स्थिति है। महानिरीक्षक निबंधन (आइजी स्टांप) डा. अहमद इकबाल और जिलाधिकारी (डीएम) देहरादून सोनिका ने स्टांप मुख्यालय समेत रजिस्ट्री कार्यालयों का मुआयना कर वस्तुस्थिति का पता लगाने का प्रयास किया। जिलाधिकारी स्वयं प्रकरण की जांच की कमान संभाल रही हैं। देहरादून जिलाधिकारी को कुछ ऐसी शिकायतें मिली थीं, जिसमें विभिन्न व्यक्तियों ने यह आरोप लगाया कि उनके नाम पर पुश्तैनी जमीन चली आ रही है, जबकि कुछ अन्य लोग संबंधित भूमि को अपनी बता रहे हैं।

ऐसे व्यक्तियों के पास रजिस्ट्री भी है। हालिया दिनों में जनसुनवाई में भी एक महिला ने जिलाधिकारी के समक्ष उसकी जमीन की रजिस्ट्री करा लेने की शिकायत भी थी। प्रारंभिक जांच में रजिस्ट्री किए जाने के प्रमाण तो नहीं मिले, लेकिन डाटाबेस में मनमाफिक बदलाव करा लिए गए। रजिस्ट्री/स्टांप के डाटाबेस में गोल्डन फारेस्ट से लेकर अन्य भूमि के रकबा और स्वामित्व बदल दिए गए हैं। अधिकारी यह अंदेशा भी जता रहे हैं कि यह फर्जीवाड़ा सोच से भी कहीं अधिक का हो सकता है। इसमें भूमाफिया और रजिस्ट्रीय कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। रजिस्ट्री के डाटाबेस में छेड़छाड़ की बात सामने आने के बाद मैंने रजिस्ट्री कार्यालय के रिकार्ड रूम के साथ राजस्व विभाग के रिकार्ड रूम की भी पड़ताल की, प्रकरण की गहन जांच कर फर्जीवाड़े की स्थिति स्पष्ट की जाएगी। नागरिकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए हरसंभव एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। सोनिका, जिलाधिकारी, देहरादून डाटाबेस में छेड़छाड़ को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सोनिका ने स्वयं जांच की कमान संभाल ली है। वहीं, प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए आईजी स्टांप डा. अहमद इकबाल जिलाधिकारी के साथ स्टांप मुख्यालय पहुंचे और आनलाइन सिस्टम की पड़ताल की। इस दौरान आइजी ने कार्मिकों के पेच भी कसे और चेतावनी दी कि इस काम में यदि कार्मिकों का हाथ पाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी

ऑनलाईन साइबर ठगी के शिकार, पीड़ित के खाते में लौटाई गई शत प्रतिशत धनराशि

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देहरादून, उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जनपद देहरादून द्वारा वर्तमान समय में बढ़ते साइबर अपराधों के दृष्टिगत जनपद में गठित साइबर क्राईम सेल को साइबर अपराधों से सम्बन्धित शिकायतें प्राप्त होने पर त्वरित कार्यवाही करते हुए पुलिस उपाधीक्षक ऑपरेशन अभिनय चौधरी के निकट पर्यवेक्षेण में प्रभारी निरीक्षक साइबर क्राइम सैल देहरादून सतबीर बिष्ट मय साइबर क्राईम सेल टीम द्वारा जालसाज खाताधारक के खाते को डेबिट फ्रीज कर धोखाधड़ी हुयी। धनराशि शत प्रतिशत रुपये 9,80,,602/- (नौ लाख, अस्सी हजार, छ सौ दो रुपये) आवेदक की कम्पनी के खाते में वापस करायी गयी।

13 जून को आवेदक अवधेश शर्मा, निवासी 11 नरेन्द्र विहार देहरादून एकाउण्टेंट मकिन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी देहरादून को अज्ञात व्यक्ति द्वारा कम्पनी के MD का भतीजा बनकर रुपये 9,80,,602/- RTGS पेमेन्ट किये जाने सम्बन्धी फर्जी मैसेज भेजा गया एवं स्वयं को मीटिंग में होना व डिस्टर्ब न किये जाने का मैसेज भेजा गया। जिस पर आवेदक द्वारा उक्त मैसेज को कम्पनी की तरफ से भेजा जाना समझकर रुपये 9,80,602/- अज्ञात व्यक्ति के खाते में त्ज्ळै कर दिया गया है। जो कि फर्जी मेसेज होना पाया गया। जिसके उपरान्त आवेदक द्वारा तत्काल उक्त फ्रॉड की जानकारी 13 जून, 2023 को स्वयं साइबर सेल कार्यालय में आकर दी गयी। जिस पर ’साइबर क्राईम सेल’ देहरादून द्वारा तत्काल आवश्यक कार्यवाही कर उक्त धनराशि के सम्बन्ध में सम्बन्धित बैंक से पत्राचार/वार्ता कर खाता फ्रीज कराया गया एंव सम्पूर्ण धनराशि रुपये 9,80,,602/- (नौ लाख, अस्सी हजार, छ सौ दो रुपये) आवेदक की कम्पनी मकिन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खाते में वापिस करायी गयी ।

पुलिस टीम :

अभिनय चौधरी – पुलिस उपाधीक्षक ऑपरेशन्स, जनपद- देहरादून
निरीक्षक सतबीर बिष्ट, प्रभारी साइबर क्राइम सेल
प्रभारी निरीक्षक सम्पूर्णानन्द गैरोला – कोतवाली कैण्ट
उ.नि. वैभव गुप्ता – साइबर क्राइम सैल
हे.का. हरीश चन्द्र जोशी
म.आ. ज्योति आर्य – साइबर क्राइम सैल
म0आ0 रचना निराला साइबर क्राइम सैल
कानि0 यादव सिंह – साइबर क्राइम सैल
कानि0 सूरज रावत – साइबर क्राइम सैल

सावधानियां :
+किसी अज्ञात व्यक्ति के कॉल और मैसेज से सावधान रहें ।
+किसी से अपना OTP, CVV शेयर ना करें।
+रिमोट एक्सैस एप्लीकेशन को डाउनलोड नहीं करें ।
+अन्जान लिंक, ऑनलाइन जॉब ऑफर से संबंधित लिंक पर क्लिक ना करें।
+अन्जान फत् कोड स्कैन ना करें । सोशल साईट पर अन्जान लोगों से मित्रता करते समय सतर्क रहें।
यदि कोई भी व्यक्ति ठगी का शिकार होता है तो तत्काल नजदीकी थाना, साइबर क्राइम का टोल फ्री नम्बर- 1930 एवं www.cybercrime.gov.in पद पर शिकायत दर्ज करायें