Friday, May 23, 2025
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प्रकृति से बच्चों को जोड़ने लिए धाद का फूलदेई शुरू, प्रदेशभर से जुड़ेंगे 10 हजार छात्र-छात्राएं

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-एक महीने तक चलने वाले इस पर्व का दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में लोकगायक नरेंद्र सिह नेगी ने किया उद्घाटन

-प्रकृति, संस्कृति और सृजन के साथ जुड़े इस आयोजन में दिखा छात्र-छात्राओं का उत्साह, उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को नवाजा

देहरादून, प्रकृति का संदेश देते हुए धाद संस्था एक महीने तक चलने वाला फूलदेई प्रदेशभर के राजकीय विद्यालयों के 10 हजार छात्र-छात्राओं के साथ मनाएगी। एक महीने तक चलने वाले इस आयोजन की शुरूआत शनिवार को दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में मुख्य अतिथि लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने किया। उन्होंने जहां बच्चों को तीज त्योहार और परंपरा को जानने और इसे आगे बढ़ाने का माध्यम बताया वहीं चित्रकला प्रतियोगिता में उकृष्ट प्रदर्शन करने वाले विजेताओं को पुरस्कृत भी किया।
शनिवार को दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हिम ज्योति स्कूल, रैफल होम, एन मेरी, सेंट जोजेफ्स एकेडमी, सेंट थॉमस कॉलेज, दून इंटरनेशनल स्कूल, ज्ञानंदा समेत 12 से अधिक स्कूलों के 70 छात्र-छात्राओं ने यहां देहरी पर फूल डाले।
इसके बाद कार्यक्रम संयोजक कल्पना बहुगुणा एवं मेघा के निर्देशन में चित्रकला प्रतियोगिता में प्रकृति का संदेश और लोकपर्व फूलदेई पर आधारित चित्र बनाकर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। छात्रों ने चित्रकला, कविता के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। साथ ही इस महीने में पर्यावरण के प्रति अन्य लोगों को भी जागरूक करने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी रहे। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र का प्रमुख त्योहार मनाने का संकल्प लेने वाली धाद संस्था का कार्य सराहनीय रहा है। यह ऐसा त्याेहार है, जिसे बच्चे मनाते हैं। बच्चों को भी फूल की उपमा दी गई है। जिस तरह बच्चों का जीवन खिलता है उसी तरह इस मौसम में फूल भी खिलते हैं। आज हमने पहाड़ की जमीन भले ही छोड़ दी हो लेकिन, अपनी परम्परा, त्योहार नहीं छोड़े। इन्हें जीवित रखें और उन्हें आगे बढ़ते रहें। यह कार्य बच्चे बेहतर कर सकते हैं। आजकल के बच्चों पर पढ़ाई का बोझ अधिक रहता है लेकिन, इसमें से कुछ समय अपने लोकपर्व लिए देंगे तो पहाड़ की परंपरा जीवित रहेगी। इस दौरान उन्होंने सारी डांड्यों मां भी फ्यूंली फ्यूंली गीत सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध किया। मांगल डॉट कॉम के विजय भट्ट ने कहा कि पिताजी आर्मी में थे इसलिए ज्यादातर उत्तराखंड से बाहर ही रहे। पिछले 15 वर्षों के वापस उत्तराखंड आकर अपनी संस्कृति के लिए काम करने का प्रयास किया है। कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से आत्मीयता मिलती है। कोना कक्षा के मुख्य संयोजक गणेश उनियाल ने एक माह तक चलने वाले अभियान की रूपरेखा रखी। अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष दुर्गेश नौटियाल ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए सभी से उत्तराखंड के तीज त्यौहारों और संस्कृति के लिए बढ चढ कर काम करने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन शुभम शर्मा ने किया। शांति बिंजोला और सुनीता बहुगुणा ने ढोल दमाऊ के साथ फुलारियों का साथ दिया। इस मौके पर साकेत रावत, बृजमोहन उनियाल, डॉ विद्या सिंह, कमला कठैत, बबीता जोशी, देवेंद्र कांडपाल, नरेंद्र रावत, हिमांशु आहूजा, आशा पैनुली, वीरेंद्र खंडूरी, नीना रावत अनिमेष, राजीव पांथरी आदि मौजूद रहे।

बच्चों ने नृत्य, गायन में भी दिखाया उत्साह :

कार्यक्रम के दौरान स्कूली छात्र-छात्राओं ने नृत्य, गीत, कविता के जरिए अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। हिम ज्योति स्कूल की छात्राओं ने वंदना, ओजस्वी देशमुख ने कविता, वैष्णवी ने नृत्य, वारेनियम ने गीत और नृत्य से सभी की मंत्रमुग्ध किया।

10 हजार बच्चों के साथ फूलदेई मनाने का लक्ष्य :

धाद के सचिव तन्मय ममगाईं ने बताया कि उत्तराखंड के 10 हजार बच्चों के साथ फूलदेई मनाने का लक्ष्य है। इसके तहत विभिन्न स्कूलों में जाकर रचनात्मक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। कहा कि कहीं न कहीं हमारे जीवन के साथ प्रकृति जुड़ी है। इसलिए इसकी महत्ता को समझना भी जरूरी है। बच्चों को अपनी परंपरा लोकपर्व के प्रति जागरूक करेंगे तो आने वाले समय में हमारे लोकपर्व और भी भव्य रूप से मनाएं जाएंगे।

फूलों को देहरी में डालकर आशीर्वाद देता है बच्चों का निर्मल मन :

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने फूलदेई का सांस्कृतिक पक्ष बताया। उन्होंने कहा कि हम प्राकृतिक के बीच में रहते हैं। प्रकृति भी हमारे जीवन के साथ जुड़ी है। बच्चों का निर्मल मन फूलों को देहरी में डालकर हमें आशीर्वाद देते हैं। उन्होंने बच्चों को भी पौधे लगाने को प्रेरित किया। साथ ही फ्यूंली की कथा के बारे में बताया। कहा कि पुस्तकालय में बीते आठ महीने से बाल अनुभाग में होने वाले कार्यक्रम में बच्चे उत्साह दिखाते हैं।

प्रतियोगिता के विजेताओं को नवाजा :

कार्यक्रम के समापन पर चित्रकला प्रतियोगिता के परिणाम जारी हुए। जिसमें टाप 10 स्कूलों के प्रतिभागियों को विजेता के रूप में चिह्नित किया गया। काव्या जोशी एन मेरी स्कूल, साक्षी कार्की व आरुषि हिम ज्योति स्कूल, अपर्णा सेमवाल दून इंटरनेशनल स्कूल, धानवी ग्राफिक ऐरा ग्लोबल स्कूल, अर्तिका राव माउंट लिटरा जी स्कूल, तिया रेनला जमेर ग्रेस एकेडमी व सागरिका ज्ञानंदा स्कूल विजेता रहे। मुख्य अतिथि लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया।

एक महीने तक चलता है बाल रचनात्मकता का पर्व:

फूलदेई में बच्चे घरों की दहलीज पर फूल डालकर वसंत का स्वागत करते हैं। धाद ने उत्तराखंड के लोकपर्वों को लेकर अलग अलग सामाजिक पहल की है जिसके अंतर्गत धाद उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेई के साथ हर वर्ष एक महीने बाल रचनात्मकता का पर्व आयोजित कर रहा है।
इस दौरान कोना कक्षा का-धाद के साथ जुड़े हुए स्कूल ड्राइंग, पेंटिंग, कहानी, कविता और अलग-अलग सांस्कृतिक आयोजन होंगे। ऐसा करने के लिए सभी स्कूलों को फूलदेई शीट और टाफियां भेजी गई हैं। बच्चों को प्रतिभाग सर्टिफिकेट और श्रेष्ठ प्रविष्टि इनाम दिए जाएंगे। 14 अप्रैल तक उत्तराखंड के विभिन्न स्कूलों में फूलदेई रचनात्मक प्रतियोगिता चलेगी।

 

कश्मीरी संत-कवियित्री लल देद के वाख़ दून पुस्तकालय में गूंजे

देहरादून, कश्मीरी संत-कवियित्री लल देद पर दून पुस्तकालय के सभागार में एक विशेष आयोजन किया गया, इसमें कवियत्री लल देद के जीवन और कालजयी शब्दों पर एकल अभिनय (एकांकी) द्वारा शर्मिष्ठा ने शानदार प्रस्तुति दी, उल्लेखनीय है कि पूर्व में इनकी एक काव्य संग्रह पुस्तक ‘एक हलफनामा’ का लोकार्पण भी 24 दिसंबर 2024 को इसी परिसर में हुआ था। लल देद के काव्य वचनों को कश्मीरी के साथ-साथ हिंदी में प्रस्तुत कर प्रस्तुतकर्ता दर्शकों को एक भावपूर्ण यात्रा पर ले गईं।
उल्लेखनीय है कि 14वीं शताब्दी की कश्मीरी कवयित्री लाल देद, को लल्लेश्वरी या लल्ला के नाम से भी जाना जाता है. यह एक प्रसिद्ध रहस्यवादी व संत थीं, जिन्होंने अपनी कविताओं (वाख) के माध्यम से कश्मीरी साहित्य में अमूल्य योगदान दिया, उनकी कविताओं में शिव भक्ति और रहस्यवाद के विचार दिखाई देते हैं l
लाल देद ने ईश्वर की खोज में सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती भी दी और उनकी कविताएँ धार्मिक और सामाजिक बाधाओं को पार करती हैं l कश्मीर में उन्हें लगभग सात शताब्दियों से हिंदुओं व मुसलमानों दोनों द्वारा बराबर सम्मान दिया जाता रहा है,
लल देद कश्मीरी भाषा की सबसे शुरुआती और सबसे प्रसिद्ध कवयित्री के रूप में जानी जाती रही हैं l
शर्मिंष्ठा के एकल अभिनय के बाद इस विषय पर एक सार्थक चर्चा भी हुई, बातचीत का संचालन मनोज बर्थवाल ने किया। इस विशेष प्रस्तुति और चर्चा से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये। मंच संचालन शेहान द्वारा किया गया।
कार्यक्रम से पूर्व दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने शर्मिंष्ठा व उपस्थित लोगों का स्वागत व अभिनंदन किया, प्रस्तुति के दौरान निकोलस हॉफलैंड, के बी नैथानी, प्रहलाद सिंह, डॉ अतुल शर्मा, गीता गैरोला, मनमोहन सिंह चौहान, शैलेन्द्र नौटियाल,, सुंदर सिंह बिष्ट, अरुण कुमार असफल, मेघा विलसन, मधन सिंह बिष्ट,आलोक सरीन,रेखा शर्मा, रंगकर्मी, लेखक,साहित्य प्रेमी, पाठक सहित शहर के कई प्रबुद्ध लोग उपस्थित रहे ।

सख्त भू-क़ानून लागू हुआ नहीं और प्रचार पर किए जा रहे करोड़ों रुपए खर्च

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“मोहित डिमरी ने नगर निगम के मेयर पर लगाए आरोप”

देहरादून, मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने देहरादून नगर निगम के मेयर सौरभ थपलियाल पर आक्षेप लगाते हुए कहा कि वह देहरादून नगर निगम के फंड और जनता के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग पार्टी प्रचार के लिए कर रहे हैं। उन्होंने उत्तराखंड में सख्त भू कानून पारित करने पर मुख्यमंत्री धामी का आभार करते हुए लाखों रुपए के होर्डिंग पूरे देहरादून शहर में लगा रखें हैं।
मोहित डिमरी ने कहा जब देहरादून में कोई भू कानून लागू ही नहीं होता है, तब सौरभ थपलियाल जनता के टैक्स का लाखों रुपए पार्टी प्रचार पर खर्च रहे हैं। वह देहरादून नगर निगम की साफ सफाई, ट्रैफिक व्यवस्था, सीवर लाइन, स्ट्रीट लाइट, नालियों की सफाई, ट्रैफिक लाइट आदि पर काम करें, जिसके लिए उन्हें मेयर चुना गया है।
संघर्ष समिति की टीम उनके कामों पर नजर रखेगी, अगर वो देहरादून शहर की व्यवस्थाओं को सही करने का काम नहीं करते दिखेंगे तो संघर्ष समिति की टीम उनके खिलाफ सड़कों पर उतरेगी। वह देहरादून शहर पर ध्यान दें और जनता के टैक्स का पैसा अपनी पार्टी के प्रचार में ना बर्बाद करें।

प्रदेश में अब कोई भी सॉफ्टवेयर और ऐप बनाने से पहले आईटीडीए की अनुमति लेना अनिवार्य

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देहरादून, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के सभी सरकारी विभाग यदि कोई नया सॉफ्टवेयर या मोबाइल ऐप विकसित कराना चाहते हैं, तो उन्हें पहले आईटीडीए की तकनीकी टीम से अनुमोदन लेना होगा इसके बाद ही वे इसे बनवाने की प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे। उत्तराखंड में साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं, अब प्रदेश के किसी भी सरकारी विभाग का सॉफ्टवेयर या मोबाइल ऐप बनाने से पहले सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) की अनुमति अनिवार्य होगी। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी विभागाध्यक्षों को इस संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किए हैं।
पिछले साल उत्तराखंड में हुए बड़े साइबर हमले के बाद सरकार ने विभिन्न विभागों की वेबसाइटों, मोबाइल ऐप और सॉफ्टवेयर का विस्तृत विश्लेषण किया। इस दौरान आईटीडीए की टीम ने पाया कि कई विभागों ने एप्लीकेशन विकसित करने के दौरान सिक्योर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट गाइडलाइंस (Secure Software Development Guidelines) और जीआईजीडब्ल्यू (GIGW) गाइडलाइंस का पालन नहीं किया। इसके अलावा, जांच में यह भी सामने आया कि अधिकांश एप्लीकेशन बनाने वाली फर्में अब अस्तित्व में नहीं हैं और विभागों के पास उनके सोर्स कोड (Source Code) की कोई जानकारी नहीं है, इस वजह से इन एप्लीकेशनों का सिक्योरिटी ऑडिट भी संभव नहीं हो पा रहा है, जिससे साइबर सुरक्षा को लेकर गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि आईटीडीए की मंजूरी के बिना कोई भी सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन न तो बनाया जाएगा और न ही उसे किसी सर्वर पर होस्ट किया जा सकेगा। यह कदम प्रदेश में साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ करने और भविष्य में किसी भी संभावित साइबर हमले से बचाव के लिए उठाया गया है। पिछले साल साइबर हमले के बाद से प्रदेश में कई सरकारी वेबसाइटें अब भी ठप पड़ी हुई हैं, इन वेबसाइटों को बनाने वाली कंपनियों का कोई पता नहीं है और न ही उनके सोर्स कोड उपलब्ध हैं, इससे इनका सिक्योरिटी ऑडिट कर पाना भी मुश्किल हो गया है।
आईटीडीए ने स्पष्ट किया है कि जब तक इन वेबसाइटों की सुरक्षा की पूरी जांच नहीं हो जाती तब तक इन्हें होस्टिंग सेवा प्रदान नहीं की जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि भविष्य में कोई भी साइबर हमला विभागों की कार्यप्रणाली को बाधित न कर सके।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने यह भी कहा कि कई विभाग कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड का उपयोग करके बैंकों या अन्य संस्थानों से मुफ्त में सॉफ्टवेयर विकसित करवाते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया साइबर सुरक्षा की दृष्टि से पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। ऐसे में सरकार ने निर्देश दिया है कि इस प्रकार विकसित किए गए सभी सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड (Source Code) और अन्य तकनीकी जानकारी विभागों के पास सुरक्षित रखी जाए। इसके अलावा भविष्य में यदि कोई विभाग बाहरी एजेंसी से सॉफ्टवेयर बनवाता है, तो उसे पहले आईटीडीए की मंजूरी लेनी होगी।

सूचीबद्ध क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर पर ही होस्ट करें :

सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि प्रदेश के सभी सरकारी सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन केवल स्टेट डाटा सेंटर (State Data Center) या सरकार द्वारा सूचीबद्ध क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर पर ही होस्ट किए जाएं। यदि कोई विभाग किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर अपने डेटा को होस्ट करता है, तो उसे पहले आईटीडीए से अनुमति लेनी होगी, यदि बिना अनुमति के कोई विभाग ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है और विभाग स्वयं किसी भी डेटा लीक या साइबर हमले की स्थिति में जिम्मेदार होगा।
आईटीडीए की इस सख्त नीति से प्रदेश की साइबर सुरक्षा मजबूत होगी और सरकारी डेटा को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। अब किसी भी सरकारी सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन को विकसित करने से पहले सिक्योरिटी ऑडिट और अन्य सुरक्षा मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा, साथ ही विभागों को अपने सॉफ्टवेयर को विकसित करने वाली एजेंसियों की पूरी जानकारी भी रखनी होगी, ताकि भविष्य में किसी प्रकार की समस्या न आए। प्रदेश सरकार का यह निर्णय साइबर अपराधों को रोकने और सरकारी सिस्टम को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

उत्तराखंड के पर्यटन को दें नई पहचान, बनाएं प्रमोशन फिल्म और जीतें लाखों का इनाम

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“सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स के लिए सुनहरा मौका, उत्तराखण्ड फिल्म परिषद ने बनाई खास योजना”

देहरादून, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरकाशी के हर्षिल में राज्य के पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के जो सुझाव दिए थे, उन पर धामी सरकार तेजी से काम कर रही है। उत्तराखंड फिल्म परिषद ने सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स के लिए एक विशेष प्रतियोगिता शुरू करने की योजना बनाई है, जहां विजेताओं को लाखों रुपये का इनाम मिलेगा।
प्रतियोगिता के तहत प्रतिभागियों को उत्तराखंड की विभिन्न थीम्स पर प्रमोशनल फिल्म बनानी होगी। जो फिल्म चयनित होगी, उसे सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा।

इन थीम्स पर बनानी होगी फिल्म :*

1️⃣ उत्तराखंड की संस्कृति – लोकसंस्कृति, लोकनृत्य, लोकगीत और पारंपरिक विरासत
2️⃣ होम स्टे पर्यटन – उत्तराखंड के अनूठे होम स्टे और स्थानीय आतिथ्य
3️⃣ बारहमासी पर्यटन – हर मौसम में घूमने लायक पर्यटन स्थल
4️⃣ पौराणिक मंदिर – देवभूमि के ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर
5️⃣ आयुष एवं वेलनेस – योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र
6️⃣ अनछुए पर्यटन स्थल – कम प्रसिद्ध लेकिन अद्भुत प्राकृतिक स्थान
7️⃣ साहसिक पर्यटन – ट्रेकिंग, रिवर राफ्टिंग, बंजी जंपिंग जैसी रोमांचक गतिविधियाँ
8️⃣ वेडिंग डेस्टिनेशन – उत्तराखंड को शादी और प्री-वेडिंग शूट के लिए प्रमोट करना

*पांच लाख तक का इनाम, ऑनलाइन होगी एंट्री :
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▶ फिल्म की अवधि: 1 मिनट से लेकर अधिकतम 5 मिनट तक
▶ पुरस्कार राशि: हर श्रेणी में सर्वोत्तम फिल्म को 3 से 5 लाख रुपये तक का इनाम
▶ एंट्री प्रक्रिया: प्रतियोगिता के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किए जाएंगे
▶ फिल्म अपलोडिंग: प्रतिभागी अपनी फिल्म को ऑनलाइन अपलोड कर सकेंगे और इसे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित करने का भी अधिकार होगा।

उत्तराखंड के अनछुए पर्यटन स्थलों को दिलाएं पहचान :

उत्तराखंड प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम है। कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो अभी तक लोगों की निगाहों में नहीं आए हैं। इस प्रतियोगिता के जरिए इन स्थानों को वैश्विक पहचान दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

“उत्तराखंड फिल्म परिषद जल्द ही इस योजना को लॉन्च करेगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इसका स्वरूप तैयार कर लिया गया है। यह राज्य के पर्यटन और संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का महत्वपूर्ण कदम होगा।” – बंशीधर तिवारी, सूचना महानिदेशक”

दून अस्पताल में आधा दर्जन चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार

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-स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने किया विधिवत शुभारम्भ*

-कहा, अस्पताल में आने वाले मरीजों को मिलेगी हर प्रकार की सुविधाएं

देहरादून, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आधा दर्जन से अधिक चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार किया गया। जिससे अस्पताल में आने वाले मरीजों को अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा, साथ ही उन्हें समय पर बेहरत चिकित्सा सुविधाएं भी मिल सकेंगी।
सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज राजकीय मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आधा दर्जन से अधिक विभिन्न चिकित्सा सुविधाओं का विधिवत शुभारम्भ किया। जिसमें लेजर सर्जरी, नेक्स्ट जनरेशन ई-हॉस्पिटल, ओ.पी.डी. हेल्प डेस्क, कलर डॉपलर अल्ट्रासाउंड लेवल-2, ब्लड सेम्पलिंग व रिपोर्टिंग काउंटर का शुभारम्भ किया गया। इसके अलावा ओपीडी भवन के तृतीय तल पर मेडिसिन, रेस्पेटरी मेडिसिन, नेत्र विभाग एवं दन्त विभाग के लिये पृथक से ओ.पी.डी. पंजीकरण के अतिरिक्त काउंटर का शुभारम्भ किया गया, ताकि तृतीय तल पर आने वाले मरीजों को पंजीकरण के लिये भूतल पर न जाना पड़े। विभागीय मंत्री ने बताया कि दून अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुये लगातार सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है। इसी क्रम में उपरोक्त सुविधाएं विस्तारित की गई हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा अस्पताल के वार्डों एवं परिसर में बेहतर सफाई व्यवस्था के निर्देश दिये गये हैं, साथ ही सफाई कर्मियों व अन्य चतुर्थ श्रेणी स्टॉफ के लिये ड्रेस कोड अनिवार्य रूप से लागू करने को कहा गया है। इसी क्रम में सभी वार्डों में भर्ती मरीजों को बेडशीट प्रत्येक दिन बदलने के निर्देश दिये गये हैं, जिसमें प्रत्येक दिन के लिये अलग-अलग रंग की बेडशीट निर्धारित रहेगी। विभागीय मंत्री डॉ. रावत ने कहा कि अस्पताल के 50 वार्ड ब्वॉय को एम्स ऋषिकेश में एमटीएस का प्रशिक्षण दिया जायेगा ताकि मरीजों एवं तीमारदारों को व्यवहारपूर्वक गाइड कर सकें। उन्होंने कहा कि निर्माणाधीन नये भवन में शीघ्र ही स्टॉफ कैंटीन भी शुरू की जायेगी। कार्यक्रम में राजपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक खजान दास ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेहतर हुई हैं जिसका श्रेय निश्चित रूप से स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह को जाता है। उन्होंने कहा कि आज दून मेडिकल कॉलेज में सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधाएं हैं जहां पर प्रतिदिन तीन हजार से अधिक मरीज उपचार के लिये आते हैं। इससे पहले मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गीता जैन ने दून अस्पताल में संचालित सुविधाओं का विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
कार्यक्रम में चिकित्सा अधीक्षक दून अस्पताल डॉ. रविन्द्र सिंह बिष्ट, उप चिकित्सा अधीक्षक एन.एस.बिष्ट, डॉ. अनुराग अग्रवाल, डॉ. के.सी. पंत, डॉ. सुशील ओझा, डॉ. राजीव कुशवाह, डॉ. अभय सिंह, डॉ. आर.पी. खंडूडी, वरिष्ट जनसम्पर्क अधिकारी महेन्द्र भंडारी, नीलम अवस्थी, निधि काला, मंडल अध्यक्ष भाजपा पूनम शर्मा, पार्षद रोहन चंदेल सहित नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टॉफ उपस्थित रहे।

दून अस्पताल में खुलेंगे दो नये विभाग

सूबे के चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार को लेकर प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में सरकार ने दून मेडिकल कॉलेज में दो नये विभाग न्यूरोलॉजी व गैस्ट्रोलॉजी को खुलने का निर्णय लिया है, साथ ही कार्डियोलॉजी विभाग में शीघ्र ही एक और फैकल्टी तैनात की जायेगी।

दून मेडिकल कॉलेज को मिलेंगे 300 नये नर्सिंग अधिकारी

विभागीय मंत्री डा. रावत ने बताया कि राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड से करीब 1314 नर्सिंग अधिकारियों का चयन किया गया है। जिसमें से 300 नर्सिंग अधिकारी दून मेडिकल कॉलेज में तैनात किये जायेंगे। जिनको आगामी 31 मार्च से पहले नियुक्ति दे दी जायेगी। नये नर्सिंग अधिकारी मिलने से दून चिकित्सालय में आने वाले मरीजों को और बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी।

उत्तराखंड के इन जिलों में भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया येलो अलर्ट

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उत्तराखंड में मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है. पर्वतीय इलाकों में जहां ठंड का असर बना हुआ है, इसके उलट मैदानी क्षेत्रों में भी मौसम में बदलाव नजर आ रहा है. इस बीच मौसम विभाग ने एक बार फिर राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है.

मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के अनुसार, उत्तराखंड के कई जिलों में तेज बारिश और आंधी की संभावना है. इसके साथ ही 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी भी हो सकती है. मौसम विभाग ने उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों में झमाझम बारिश और आकाशीय बिजली गिरने की संभावना जताई है.

पर्वतीय होली के अवसर पर कल (शनिवार) को सार्वजनिक अवकाश घोषित*

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देहरादून, उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रदेशवासियों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार उत्तराखण्ड राज्य के अधीन समस्त शासकीय/अशासकीय कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों/विद्यालयों में दिनांक 15 मार्च 2025 (शनिवार) को पर्वतीय होली के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है।

यह अवकाश प्रदेश के सभी सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों एवं विद्यालयों में लागू रहेगा। हालांकि, यह अवकाश बैंकों, कोषागारों एवं उप कोषागारों पर लागू नहीं होगा।

जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय पर्वतीय संस्कृति एवं परंपराओं के सम्मान में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे प्रदेशवासियों को पारंपरिक पर्वतीय होली के उत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाने का अवसर प्राप्त होगा।

बड़ी खबर (देहरादून) पर्वतीय होली के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित. देखें आदेश ।। - Uttarakhand City News

भू कानून को लेकर जिला प्रशासन सक्रिय

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 – प्रशासन जन जमीन का कस्टोडियन, हरहॉल में राजकाज की करेगा रखवाली
देहरादून(आरएनएस)।   मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में भू कानून को लेकर जिला प्रशासन सक्रिय। जिलाधिकारी सविन बसंल ने समस्त उप जिलाधिकारियों को अपनी-अपनी तहसील अन्तर्गत धारा 154 (4)(3)(क) और 154 (4)(3)(ख), 166/167 के  उल्लंघन मामलों पर त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए गए है।
जनपद देहरादून अंतर्गत प्रदेश के बाहर के व्यक्तियों द्वारा बिना अनुमति के 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि क्रय करने तथा अनुमति लेने के उपरांत क्रय की गई भूमि का निर्धारित समय के अंतर्गत उचित उपयोग न करने और भूमि का उपयोग अन्य कार्याे के लिए किए जाने पर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। जमींदारी विनाश अधिनियम की धारा 154 (4)(3)(क) और 154 (4)(3)(ख) का स्पष्ट उल्लंघन मानते हुए परगनाधिकारियों ने ऐसे मामलों में अदालती सूचना जारी कर फास्टटेªक कर कार्यवाही की गई। क्रय की गई करीब 200 हे0 भूमि को प्रारंभिक रूप से राज्य सरकार में निहित कर दिया है। साथ ही परगनाधिकारी ने पुनः अदालती सूचना के माध्यम से सम्बन्धितों को न्यायालय के सम्मुख अपना पक्ष और साक्ष्य रखने के आदेश जारी कर दिए है। बताया कि वादियों द्वारा नियत तिथि तक साक्ष्य और पक्ष प्रस्तुत न किए जाने पर उक्त भूमि को अन्तिम रूप से राज्य सरकार में निहित कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री के निर्देशों पर बाहरी व्यक्ति जिन्होंने नियमों का उल्लंघन करके और तथ्य छुपाकर देहरादून एवं उसके आसपास के इलाकों में भूमि क्रय की है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इन लोगों ने अन्य कार्यों के लिए अनुमति लेकर भूमि का उपयोग होमस्टे या फार्म हाउस आदि बनाकर अपने ऐशोआराम व अन्य कार्यों के लिए किया जा रहा है। जिससे उत्तराखंड के नागरिकों को जहां भूमि नहीं मिल रही है और दूसरी ओर भूमि के दाम आसमान छू रहे है। कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों पर ऐसे लोगों की भूमि राज्य सरकार में निहित करने की कार्रवाई की जा रही है।
देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत को बचाने और पर्यावरण संरक्षण एवं राज्य के नागरिकों के हित में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देशन में उत्तराखंड में नया भू-कानून लागू किया गया है। सख्त भू-कानून लागू होने से अनियंत्रित भूमि खरीद और बिक्री पर रोक लगी है। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर जिला प्रशासन इसमें पूरी सजगता से काम कर रहा है।
तहसील ऋषिकेश अन्तर्गत 21.89 हे0, डोईवाला अन्तर्गत 2.82 हे0, तहसील सदर अन्तर्गत 68.84 हे0, विकासनगर अन्तर्गत 107.12 हे0 भूमि उत्तराखण्ड उत्तरप्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 154 के कुल प्रकरण अन्तर्गत कार्यवाही की गई है, जिनमें धारा 154(4)(3)क, 154(4)(3)ख, तथा 166/167 के  के 393 मामलों में से 280 मामले पर कार्यवाही की गई तथा 166, 167 के अन्तर्गत कार्यवाही करते हुए 200 हे0 भूमि राज्य सरकार में निहित की गई।

पुलिस की मुस्तैदी से राजपुर हादसे का वाहन बरामद, मालिक की पहचान हुई उजागर

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देहरादून, राजधानी दून के राजपुर रोड पर 12 मार्च की रात हुई सड़क हादसे में पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए दुर्घटना में शामिल वाहन को बरामद कर लिया है। एसएसपी देहरादून की निगरानी में पुलिस ने रातभर सघन जांच अभियान चलाकर मामले में अहम सुराग जुटाए हैं।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि हादसा करने वाला वाहन दिल्ली से खरीदा गया था। इस जानकारी के आधार पर देहरादून पुलिस की एक टीम रात को ही दिल्ली रवाना हुई और वाहन से जुड़ी विस्तृत जानकारी जुटाई। साथ ही, एक विशेष पुलिस टीम चंडीगढ़ पहुंचकर वाहन मालिक के संबंध में पूछताछ कर चुकी है।
घटनास्थल के आसपास और संभावित इलाकों में रातभर तलाशी और चेकिंग अभियान जारी रहा। इसी क्रम में सहस्त्रधारा क्षेत्र के एक खाली प्लॉट से दुर्घटना करने वाला वाहन बरामद कर लिया गया। वाहन के स्वामी की पहचान भी कर ली गई है, और पुलिस उससे जुड़े अन्य विवरणों की पुष्टि कर रही है।

देहरादून पुलिस ने बताया कि मामले की जांच तेजी से की जा रही है और जल्द ही पूरे घटनाक्रम से जुड़ी विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी। इस कार्रवाई में पुलिस की कई टीमें सक्रिय रहीं और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर अपराधियों तक पहुंचने की कोशिशें जारी हैं।
इस घटना ने शहर में सड़क सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, और प्रशासन अब दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है।

सीएम आवास में उत्तराखंड की सांस्कृतिक समृद्धि और एकता के हुए दर्शन

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अबीर-गुलाल संग और निखरे लोक संस्कृति के रंग

होली मिलन कार्यक्रम में जुटे प्रदेश भर के लोक कलाकार

गढ़वाल-कुमाऊं से लेकर जौनसार तक के गूंजे होली गीत

एक तरफ, हारूल नृत्य करते जौनसारी कलाकार, तो दूसरी तरफ, अपनी ही धुन में मगन होली गीत गातीं नाचतीं लोहाघाट से आईं महिला कलाकार। इन सबके बीच, पौड़ी जिले के राठ क्षेत्र से आई सांस्कृतिक टोली का अपना आकर्षण था, थारू जनजाति का नृत्य तो छोलिया नृत्य करते अल्मोड़ा के कलाकारों की अपनी मस्ती।
सीएम आवास पर होली मिलन कार्यक्रम की यही तस्वीर उभरी, जिसमें गढ़वाल-कुमाऊं से लेकर जौनसार तक का होली गायन था, नृत्य था। लोक संस्कृति का वह प्रभाव भी था, जो उत्तराखंड को सांस्कृतिक तौर पर विशिष्टता प्रदान करता है। सीएम आवास केे खुले परिसर मेें गुरूवार को उत्तराखंड की लोक संस्कृृति के तमाम रंग बिखरे। उत्तराखंड की सांस्कृतिक एकता और समृृद्धि के दर्शन हुए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिह धामी के आमंत्रण पर सीएम आवास पर सांस्कृृतिक दलों का एक मेला सा जुटा। होली के गीत गूंजे। पारंपरिक गायन हुआ। ढोल, मंजीरे बजे। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की संगत ने होली गीतों के प्रभाव को और बढ़ा दिया। आओ दगड़ियो, नाचा गावा, आ गई रंगीली होली का आह्वान यदि अल्मोड़ा से आए कलाकारों ने किया, तो राठ क्षेत्र के कलाकारों ने गाया-आई डान्ड्यू बसंत, डाली मा मौल्यार।
राठ क्षेत्र कला समिति के कलाकार इस बात से बेहद खुश दिखे कि उन्हें विशेष तौर पर बुलाया गया। अपने होली के गीतों से इस समिति ने कम समय में खास पहचान बनाई है। इस समिति के प्रमुख प्रेम सिंह नेगी ने कहा-हमारा 19 सदस्यीय दल सीएम आवास पर प्रस्तुति देकर गौरवान्वित है। लोहाघाट के शिवनिधि स्वयं सहायता समूह केे दल का आकार बड़ा रहा। इस दल में 54 सदस्यों ने होली गीतों पर बेहतरीन प्रस्तुति दी। इस ग्रुप की प्रमुख अलका का कहना है-उन्होंने पहली बार सीएम आवास में प्रस्तुति दी। यह अवसर पूरे ग्रुप के लिए महत्वपूर्ण है।

कलाकारोें संग होली के रंग में रंगे मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लोक कलाकारों के संग होली के रंगों में पूरी तरह से रंगे नजर आए। उन्होंने विभिन्न दलों के कलाकारों के साथ काफी समय बिताया। उनके साथ वह थिरके भी। ढोल, थाली और अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर हाथ भी आजमाया।

लोक संस्कृृति पर सीएम कर रहे अच्छा काम
उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों से आए लोक कलाकारों ने इस मौके पर कहा कि लोक संस्कृति पर सीएम अच्छा काम कर रहे हैं। खटीमा की वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप थारू उत्थान समिति के कलाकारों के 20 सदस्यीय दल ने भी गुरूवार को अपनी प्रस्तुति दी। इस दल के बंटी राणा व रिंकूू राणा का कहना था कि बेहतर काम करने वाले कलाकारों को तलाश कर अवसर दिए जा रहे हैं।