Wednesday, June 25, 2025
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कोचिंग सेंटर को लेकर चलेगा अभियान, मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने जारी किए दिशा-निर्देश

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देहरादून, प्रदेश के आवास मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने दिल्ली के कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन बच्चों की मौत के मामले का संज्ञान लेकर उत्तराखंड में कोचिंग सेंटर के लिए निर्देश जारी किए हैं।
मंत्री डॉ. अग्रवाल ने अपर सचिव आवास अतर सिंह और एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी को दूरभाष पर निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने की घटना के बाद तीन छात्र जिनमें दो लड़कियां और एक लड़का निकलने में असफल रहे, जिसके चलते उनकी मौत हो गई। मंत्री डॉ अग्रवाल ने कहा कि ऐसी घटना उत्तराखंड में ना हो इसके लिए कोचिंग सेंटर पर अभियान चलाएं।

डॉ. अग्रवाल ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश के कोचिंग सेंटर में मानक अनुसार कार्य नहीं होने पर तत्काल कार्रवाई करें। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि बेसमेंट में सुरक्षा उपाय और आपदा के समय निकासी जैसे अन्य आवश्यक कार्य न होने पर कोचिंग सेंटर के खिलाफ कार्रवाई की जाए। डॉ. अग्रवाल ने यह भी कहा कि जिनमें कार्रवाई की जा रही है उन पर शीघ्र कार्रवाई की प्रक्रिया को अमल में लाएं।

 

जीएसटी में बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण लागू करने वाला उत्तराखंड बना देश का चौथा राज्य

-वित्त मंत्री अग्रवाल ने उत्तराखंड में किया रिबन काटकर शुभारंभ

-देश में गुजरात, पांडुचेरी, आंध्र प्रदेश के बाद उत्तराखंड के नाम दर्ज हुई यह उपलब्धि

देहरादून, उत्तराखंड के नाम अब एक ओर उपलब्धि जुड़ गई है। उत्तराखंड अब जीएसटी में बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण लागू करने वाला देश का चौथा जबकि उत्तर भारत का पहला राज्य बन गया है। उत्तराखंड में इसका शुभारंभ वित्त मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने रिबन काटकर किया।
बुधवार को कार्यक्रम के दौरान डॉ. अग्रवाल ने बताया कि नई दिल्ली में आहूत जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक में चरणबद्ध रूप से अखिल भारतीय स्तर पर पंजीकरण आवेदकों के लिए बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण को लागू करने की सिफारिश की गई थी। इस क्रम में उत्तराखण्ड राज्य में बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण व्यवस्था की गई है। बताया कि देश में बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण लागू करने वाला उत्तराखण्ड चौथा राज्य तथा उत्तर भारत का पहला राज्य है। इससे पूर्व गुजरात, पुद्दुचेरी तथा आंध्रप्रदेश में यह व्यवस्था है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इस व्यवस्था में जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तुत ऐसे पंजीयन आवेदन पत्रों, जिन्हें कतिपय जोखिम मानकों तथा डाटा विश्लेषण के आधार पर पोर्टल पर चिन्हित होगा। इसके सम्बन्ध में दस्तावेज़ों का सत्यापन तथा बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण कमिश्नर द्वारा अधिसूचित जीएसटी सुविधा केंद्र से कराया जाएगा।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण को क्रियान्वित किये जाने के लिए राज्य कर विभाग के प्रत्येक कार्यालय भवन में जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किया गया है, जिसके माध्यम से दस्तावेज़ों का सत्यापन तथा बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण राज्य में ऐसे 22 जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किये गए हैं।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा जीएसटी में आसान पंजीयन प्रक्रिया का अनुचित लाभ लेते हुए फर्जी पंजीयन प्राप्त किये गए हैं तथा राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया है। बताया कि बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण व्यवस्था के क्रियान्वयन से जीएसटी में पंजीकरण प्रक्रिया बेहतर होगी, जिससे फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर प्राप्त किये जाने वाले पंजीयनों तथा फर्जी इनवॉइस के माध्यम से लिए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को रोकने में सहायता मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात राज्य में बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण व्यवस्था लागू किये जाने के बाद से पंजीयन आवेदन पत्रों में लगभग 55% की कमी दर्ज की गयी है, जो इस बात का द्योतक है कि राज्य में फर्जी पंजीयन आवेदन पत्रों की संख्या कम हुई हैं l यह अनुमानित है कि इस व्यवस्था को लागू किये जाने पर उत्तराखण्ड राज्य में वार्षिक लगभग रु0 100 करोड़ से रु0 150 करोड़ तक के करापवंचन को रोकना संभव हो सकेगा l
इस अवसर पर सचिव वित्त विनोद कुमार सुमन, आयुक्त कर डॉ अहमद इकबाल, अपर आयुक्त आईएस बृजवाल, अपर आयुक्त अनिल सिंह, पीएस डुंगरियाल, संयुक्त आयुक्त प्रवीण गुप्ता, संजीव सोलंकी, अनुराग मिश्रा सहित अन्य विभागीय अधिकारी तथा कर्मचारी उपस्थित थे।

पूरे प्रदेश में 22 जीएसटी सुविधा केंद्र होंगे :
मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि 22 राज्यकर अधिकारी, 58 कर्मचारी प्रदेश के 22 जीएसटी सुविधा केंद्र में उपस्थित रहेंगे। उन्होंने बताया कि देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर और हल्द्वानी में पांच-पांच सेंटर होंगे।

फर्जी रजिस्ट्रेशन पर लगेगी लगाम :
मंत्री डॉक्टर प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि राज्य कर में चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाले कुछ तथाकथित लोग अभी तक टेंपो, रिक्शा, ठेली, फड़ वाले आदि लोगों से उनके आधार नंबर व अन्य जानकारी के जरिए फर्जी तरीके से राज्य कर में चोरी करते थे उन्होंने बताया कि बायोमेट्रिक पंजीकरण के बाद से ऐसी घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश लग जाएगा। जिससे प्रदेश को स्वच्छ राज्य कर की प्राप्ति हो सकेगी।

तेज बारिश से नगर के विभिन्न क्षेत्र हुए जलमग्न

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हरिद्वार 31 जुलाई( कुलभूषण) हरिद्वार मे बुधवार को हुयी तेज बारिश के चलते जहां लोगों को पिछले काफी दिनों से हो रही तेज गर्मी से राहत मिली।वही तेज बारिश के चलते नगर के विभिन्न क्षेत्रों मे पानी भर जाने के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पडा। भगत सिंह चौक सहित नगर विभिन्न क्षेत्रों मे जलभराव हो गया।तेज बारिश के चलते खडखडी क्षेत्र स्थित सूखी नदी,रेलवे रोड ललतारो पुल स्थित ललतारो बरसाती नदी मे पहाड़ी क्षेत्रों से तेज बहाव के साथ पानी भरकर चला।

वही बाजारों मे भी लोगों की दुकानो मे तेज बारिश के चलते पानी भर गया।
खडखडी सूखी नदी क्षेत्र मे खडे कावडिय़ों ट्रक के अचानक आये तेज पानी के चपेट मे आने के चलते उसका विडियों सोशल मिडिया पर वायरल हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार ट्रक खाली खडा था। जिला प्रशासन द्वारा तत्काल मौके पर पहुंच स्थिति सामान्य बनाने की दिशा मे कार्य करने की दिशा मे कार्य करने मे लगा हैं।

योजनाओं के क्रियान्वयन में हो विज्ञान एवं तकनीकि का उपयोग-मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय में सहकारिता विभाग की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि लंबे समय से संचालित योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए इस दिशा में सुधारत्मक प्रयास की दिशा में कार्य किये जाएं। इन योजनाओं से लाभार्थियों को कितना फायदा हुआ और योजनाओं को और प्रभावी बनाने के लिए और क्या विशेष नवाचार किये जा सकते हैं, इस दिशा में नियोजन विभाग के सहयोग से कार्य किया जाए। राज्य सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं को गेम चेंजर बनाने की दिशा में कार्य किये जाने पर भी उन्होंने बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारिता विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के तहत स्वयं सहायता समूहों को प्रदान किये जा रहे ऋण की धनराशि की सीमा में वृद्धि की आवश्यकता के दृष्टिगत प्रस्ताव लाया जाए। स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों को बेहतर बाजार मिले, इसके लिए सप्लाई चेन को प्रभावी बनाया जाए। उन्होंने कहा सहकारिता विभाग संबधित विभागों से भी समन्वय स्थापित कर योजनाओं को आगे बढ़ाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बंजर भूमि चिन्हित कर विभिन्न क्लस्टरों के माध्यम से उसे खेती योग्य बनाने के प्रयास किये जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक तकनीक और पारम्परिक पद्धतियों के माध्यम से कृषि उत्पादन में वृद्धि की जाए। मुख्यमंत्री ने क्लस्टरों में मिल्लेट्स, सब्जियां, दालें, फल, औषधीय और सुगंधित पौधों फसलों, चारा फसलों और कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा हमारा उद्देश्य स्थानीय समुदाय को आजीविका के अवसर प्रदान कर, रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा देना है। सहकारिता से मिलेट्स उत्पादों को और अधिक बढ़ावा मिले, इसके भी पयास किये जाएं।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को विभिन्न जनपदों में चयनित क्लस्टरों की संख्या में वृद्धि के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के अंतर्गत मत्स्य पालन, मौन पालन, मशरूम उत्पादन के निर्धारित लक्ष्यों को बढ़ाया दिया जाए। विभिन्न परियोजनाओ में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की नवीन तकनीकियो का अधिक से अधिक उपयोग किया जाए।

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि दीन दयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार द्वारा 85 करोड की ब्याज प्रतिपूर्ति का बजटीय प्राविधान किया गया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 1,90,000 सहकारी सदस्यों को 1300 करोड़ रूपये का ब्याज रहित ऋण वितरण का लक्ष्य रखा गया है। योजना के अन्तर्गत अभी तक कुल 960510 लाभार्थियों एवं 5339 स्वयं सहायता समूहों को कुल 5621.25 करोड रूपये़ का ऋण वितरित किया जा चुका है। राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना से 50 हजार से अधिक किसान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। इसके तहत जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्धन, प्रमुख सचिव श्री आर. के सुधांशु, विशेष प्रमुख सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, निबंधक सहकारिता श्री आलोक कुमार पाण्डेय एवं सहकारिता विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में नवाचार पर दिया जाए ध्यान-मुख्यमंत्री

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देहरादून , मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय में पशुपालन, डेरी विकास, मत्स्य पालन और गन्ना विकास विभाग की समीक्षा की। बैठक के दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि पशुपालन और डेरी विकास के क्षेत्र में आगामी 03 वर्षों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में योगदान 03 प्रतिशत से बढ़ाकर 05 प्रतिशत करने की दिशा में कार्य किये जाएं। इसके लिए उन्होंने स्थानीय उत्पादों को तेजी से बढ़ावा दिये जाने पर भी बल दिया। उन्होंने पशुपालन और डेरी विकास के क्षेत्र में जीएसडीपी में वृद्धि के लिए आवश्यक संसाधनों का पूरा एक्शन प्लान तैयार कर प्रस्तुत करने के साथ प्रत्येक जनपद में एक-एक मॉडल पशु चिकित्सालय बनाए जाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के साथ नवाचार की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य किया जाए, जिससे स्थानीय स्तर पर लोगों की आजीविका में वृद्धि हो और पलायन भी रूके। डेरी विकास तथा पशुपालन के क्षेत्र में राज्य की आर्थिकी में सुधार के लिये अन्य प्रदेशों से आयातित दूध व दुग्ध उत्पादों, पोलट्री उत्पादों की निर्भरता को कम किया जाए। गोट वैली, कुक्कुट वैली और ब्रायलर फार्म की स्थापना राज्य में पशुपालकों की आय को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुई है। इस योजनाओं को और तेजी से बढ़ावा दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य में डेरी विकास के लिए दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के साथ ही विभिन्न दुग्ध उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से कार्य किया जाए। दुग्ध उत्पादन से लाभकारी आय के लिए इनपुट प्रोडक्सन एवं डिलीवरी सिस्टम को सुदृढ़ बनाया जाए। एफ.पी.ओ के माध्यम से किसानों को उन्नत किस्म के चारा बीज उपलब्ध कराने और हरा एवं सूखा चारा उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किये जाने के साथ राज्य में अधिक से अधिक दुग्ध उत्पादक सेवा केन्द्र स्थापित किये जाने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।

*राज्य में मछली की खपत के अनुरूप हो उत्पादन- मुख्यमंत्री*

मत्स्य विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि पर्वतीय क्षेत्रों में ट्राउट फिश के उत्पादन को तेजी से बढ़ावा दिया जाए। इनकी बिक्री के लिए भी उचित प्रबंध किये जाएं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का मत्स्य पालकों को अधिक से अधिक लाभ मिले। राज्य में मत्स्य पालन को और तेजी से बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा लक्ष्य तय किये जाएं, लक्ष्यों को फोकस करते हुए समयबद्धता के साथ आगे कार्य किये जाएं। राज्य में मछली की खपत के अनुरूप उत्पादन हो इस दिशा में भी तेजी से प्रयास किये जाएं। मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से भी अधिक से अधिक मत्स्य पालकों को जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि तालाबों के निर्माण से उनमें मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा सकता है, वहीं जल संरक्षण की दिशा में भी यह सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि कलस्टर बनाकर तालाबों का निर्माण किया जाए और उनके माध्यम से मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाए।

*गन्ना मिलों के आधुनिकीकरण, दक्षता और क्षमता में वृद्धि की दिषा में किये जाए कार्य-मुख्यमंत्री*

गन्ना विकास विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि गन्ना मिलों को घाटे से उबारा जाए। गन्ना मिलों के आधुनिकीकरण, दक्षता और क्षमता में वृद्धि की दिशा में कार्य किये जाएं। राज्य में गन्ना बीज बदलाव, जीपीएस के माध्यम से गन्ना सर्वेक्षण का कार्य तथा प्रदेश में जैविक गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देने के लक्ष्य जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान समय पर हो।

कैबिनेट मंत्री श्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि पशु स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण के लिए वृहद् स्तर पर पशुओं का टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है। मोबाईल वैटिनरी यूनिट के माध्यम से पशुपालकों के द्वार पर पशुचिकित्सा संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मुख्यमंत्री राज्य पशुधन मिशन के तहत इस वर्ष डेरी विकास के अन्तर्गत 3385 दुधारू पशुओं के क्रय के लिए 611 परिवारों को दुग्ध व्यवसाय से जोड़ने तथा 4943 पशुपालकों को बकरी व कुक्कुट पालन का लक्ष्य रखा है। पर्वतीय क्षेत्रों में साइलेज, चारा फीड ब्लाक की सुगमता से उपलब्ध होने के कारण महिलाओं के बोझ को कम किया गया है। पशुपालन से संबधित कार्यों में महिलाओं की भागीदारी 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 03 वर्षों में दुग्ध उपार्जन, संतुलित पशु आहार एवं साईलेज विक्रय में वृद्धि हुई है। गोट वैली से राज्य में डेढ़ साल में 3027 पशुपालकों को लाभ मिला है, जिसमें 37 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। राज्य में कुक्कुट की 2622 ईकाई स्थापित हैं इस वर्ष 01 हजार और ईकाई स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।

बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर. के सुधांशु, सचिव डॉ. बी.वी.आर. सी. पुरूषोत्तम, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव श्री विजय जोगदंडे, नियोजन विभाग से श्री मनोज पंत और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

*नवीन नियुक्तियों से शैक्षणिक गतिविधियों को मिलेगी धार

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देहरादून, प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी को दूर करने के दृष्टिगत चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संविदा के आधार पर मेडिकल फैकल्टी की नियुक्ति की जा रही है। इसी क्रम में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाल राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान श्रीनगर में राज्य सरकार ने विभिन्न संकायों के अंतर्गत चार मेडिकल फैकल्टी तथा दो कैज्युअल्टी मेडिकल ऑफिसर की नियुक्ति को मंजूरी प्रदान की है। नई मेडिकल फैकल्टी की नियुक्ति से जहां मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी दूर होगी वहीं शैक्षणिक गतिविधियों में सुधार आयेगा।

हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित साक्षात्कार/चयन समिति द्वारा श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के विभिन्न संकायों में रिक्त मेडिकल फैकल्टी के पदों के लिये साक्षात्कार आयोजित किया गया। जिसमें चयन कमेटी ने चार मेडिकल फैकल्टी तथा दो कैज्युअल्टी मेडिकल ऑफिसर का चयन किया। जिसमें पैथोलॉली विभाग के अंतर्गत एसोसिएट प्रोफसर के पद पर डॉ पवन भट, असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर डॉ. स्वाती पुण्डीर, आर्थोपेडिक्स में डॉ. वेद प्रकाश अग्रवाल, ईएनटी में डॉ. श्वेता पूरबी का चयन किया गया। इसी प्रकार कैज्युअल्टी मेडिकल विभाग में कैज्युअल्टी मेडिकल ऑफिसर के पद पर डॉ. अजीत कुमार तथा डॉ. कृष्णाकांत त्यागी का चयन किया गया है। इन सभी चयनित अभ्यर्थियों को राज्य सरकार ने संविदा के आधार पर नियुक्ति की मंजूरी दे दी है। चयनित मेडिकल फैकल्टी एवं कैज्युअल्टी मेडिकल ऑफिसर को तीन वर्ष अथवा उक्त पदों पर नियमित नियुक्ति होने तक जो भी पहले हो के लिये नियुक्त किया गया है। राजकीय मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल फैकल्टी की नियुक्ति के लिये सरकार लगातार प्रयासरत है। इससे पूर्व राज्य सरकार ने हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में विभिन्न संकायों में लगभग एक दर्जन मेडिकल फैकल्टी की नियुक्ति की मंजूरी प्रदान की थी। इन सभी नव नियुक्त मेडिकल फैकल्टी के आने से मेडिकल कॉलेज में शिक्षण कार्यों में गति आयेगी वहीं मरीजों को भी डॉक्टरों की नियुक्ति का लाभ मिलेगा।

*बयान-*
सरकार की मंशा प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में उच्च स्तरीय शिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराना है। जिसमें मेडिकल फैकल्टी सहित प्रयोगशाला उपकरण, पुस्तकें व शोध पत्र शामिल है। इसके लिये चरणबद्ध तरीके से सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है, साथ ही मेडिकल फैकल्टी की कमी को भी दूर किया जा रहा है।- *डॉ. धन सिंह रावत, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार।*

 

भट्ट ने की, सदन में उत्तराखंड के लिए आपदा मुआवजा में वृद्धि एवं मानकों में सुधार की मांग

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देहरादून । राज्यसभा सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट ने सदन से उत्तराखंड एवं पर्वतीय के लिए आपदा मुआवजा राशि में वृद्धि करने की मांग की है । जिसमे उन्होंने विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए मानकों में संशोधन का अधिकार राज्यों को सौंपने का भी आग्रह किया । साथ ही राज्य के दूरस्त क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या का मुद्दा उठाया।

राज्यसभा में अपने संबोधन में उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों की विषम भौगोलिक एवं आपदा की परिस्थितियों की और सदन के माध्यम से सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया ।जिसमें उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तहत आपदा प्रवाहित क्षेत्र के लिए मुवाबजे की धनराशि में वृद्धि की जाए । वहीं मानकों में भी भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए संशोधन करने का अधिकार राज्य सरकारों को प्रदान करने का अनुरोध किया। उन्होंने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तहत बाढ़ भूस्खलन और भूकंप में हुई हानि पर आवश्यक प्रतिपूर्ति तथा भवन क्षति एवं कृषि भूमि के भूस्खलन तथा बाढ़ में क्षति होने पर मिलने वाले मुवाबजे में वृद्धि को आवश्यक बताया । साथ ही कहा, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण राज्य एवं जनपदों में गठित है परंतु केंद्रीय राष्ट्रीय प्रबंधन प्राधिकरण के मानकों के दिशा निर्देश में ही मुआवजा की राशि देने का राज्यों को अधिकार है।

इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड का जिक्र करते हुए कहा, में जिस राज्य का प्रतिनिधित्व करता हूं,वहां पर दैवीय आपदा के बार-बार आने से लोगों को विस्थापित करना बड़ी चुनौती होता है । वही आपदा में क्षतिपूर्ति दर इतनी कम होती है कि प्रभावितों को न्यायोचित आर्थिक राशि नहीं मिल पाती है। वहीं पहाड़ों में मट्टी और पत्थर से बने पहाड़ी शैली के मकान होते हैं इन्हें पक्के मकान की श्रेणी में नहीं माना जाता है और ये परिवार मुआवजे से वंचित रह जाते हैं। वहीं कुछ मकान भूस्खलन क्षेत्र में पूरी तरह धराशाई नहीं होते परंतु उन मकानों पर रहना बहुत ही खतरे के दायरे में रहता है । लेकिन आपदा का मानक है कि जब तक मकान पूर्णतया धराशाई ना हो जाए उन्हें मुआवजा श्रेणी में नहीं लिया जाता है जिससे इन परिवारों को मिलने वाले मुवाबजे से वंचित रहना पड़ता है। पहाड़ों में छोटे जोत के खेत होते हैं, तथा बाढ़ एवम भूस्खलन से यह खेत पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो जाते हैं परंतु आपदा मानक के अनुसार इन खेतों को मिलने वाला मुआवजा इतना कम होता है उन्हें अपने खेतों को फिर से खेती योग्य करना संभव ही नहीं है, और अच्छे खासे खेत भी बंजर हो जाते है। इसे इस लोक महत्व का विषय बताते हुए उन्होंने सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तहत आपदा प्रवाहित क्षेत्र के लिए मुवाबजे की धनराशि में वृद्धि की जाए तथा मानकों में भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए संशोधन करने का अधिकार राज्य सरकारों को प्रदान किया जाए।

साथ ही भट्ट ने उत्तराखंड से संबंधित मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या को भी सदन में उठाया । सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए उन्होंने राज्य में भारतीय संचार निगम द्वारा दी जाने वाली मोबाइल एवं इंटरनेट सुविधाओं में अधिक सुधार करने की जरूरत बताया। पहाड़ी राज्य होने के कारण दूर दराज के गांव को आज के समाचार क्रांति से जोड़ने के उद्देश्य से राज्य के 6000 अतिरिक्त गांव को संचार सुविधा से जोड़ने का निश्चय किया था, परंतु मेरी जानकारी के अनुसार अभी तक 2000 के आसपास गांव को ही इस सुविधा से जोड़ा जा सका है। बीएसएनएल द्वारा 1206 नए टावर लगाने के लक्ष्य को भी अभी तक पूर्ण नहीं किया गया है और दूर दराज के क्षेत्रों में जो टावर लगे हैं उनके द्वारा भी मोबाइल कनेक्टिविटी सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है । आज जहां अन्य मोबाईल कंपनियां 5G नेटवर्किंग की सुविधा उपभोक्ताओं को दे रही है वहीं उत्तराखंड में भारतीय संचार निगम द्वारा 4G की सुविधा भी ठीक प्रकार से नहीं दी जा रही हैं। आज के संचार युग में शिक्षा,स्वास्थ्य एवं आवागमन भी दूरसंचार एवं इंटरनेट नेटवर्किंग पर सर्वाधिक निर्भर हो गया है। भारतीय स्टेट बैंक के एटीएम संचालन के लिए बीएसएनएल कनेक्टिविटी पर निर्भर रहना पड़ता है, वहीं सीमा पर तैनात आइटीबीपी को भी आज इन्टरनेट एवम फोन की आवश्यकता रहती है। इस लोक महत्व का विषय बताते हुए उन्होंने सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए, राज्य के दूर-दराज गांव में बीएसएनएल मोबाइल सुविधा को दुरुस्त करने एवं उपभोक्ताओं को 4G कनेक्टिविटी का लाभ प्रदान करने की मांग की।

सुसाइड नोट लिखकर…..? फंदे पर लटक गया ट्रांसपोर्ट कंपनी का मैनेजर

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हल्द्वानी, शहर के यातायात नगर से आत्महत्या की खबर से सनसनी फैल गयी, मिली जानकारी के मुताबिक यातायात नगर स्थित एक कमरे में ट्रांसपोर्ट कंपनी के मैनेजर की लाश मिलने से सनसनी फैल गई। शव कमरे की छत पर लग पंखे के कुंडे से लटका मिला है। शव के पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया है जिसमें उसने अपनी पत्नी व ससुराल पक्ष को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार बताया है। पुलिस ने शव का पंचनामा करवा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा और वहां से शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। इस मामले में अभी तक किसी भी पक्ष से पुलिस को तहरीर नहीं सौंपी गई है। कोतवाली पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार यूपी के आजमगढ़ जिले के गनीपुर डबरहा निवासी 29 वर्षीय आकाश सिंह टीसीआई फ्राइट कंपनी में मैनेजर के पद पर तैनात था। कंपनी का एक ऑफिस यातायात नगर में हैं। वह यातायात नगर में कंपनी कार्यालय के नजदीक ही कमरा किराये पर लेकर रहता था। उसकी शादी आठ महीने पहले ही हुई थी।
सोमवार सुबह जब वह ऑफिस नहीं आया तो कंपनी का कर्मचारी रामवीर सिंह आकाश के कमरे में गया। रामवीर सिंह को आकाश का शव पंखे में लटका मिला। इस पर उसने टीपीनगर पुलिस को सूचना दी।

पुलिस ने शव को फंदे से उतारा और सुशीला तिवारी अस्पताल भेजा। यहां डॉक्टरों ने आकाश को मृत घोषित कर दिया। वहां से पुलिस ने एक सुसाइड नोट भी बरामद किया। जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। पुलिस की सूचना पर मृतक आकाश सिंह के परिजन देर रात हल्द्वानी पहुंचे।
पुलिस ने परिजनों के समक्ष शव का पंचनामा भर शव परिजनों को सौंप दिया। कोतवाल उमेश मलिक ने बताया कि युवक के कमरे से सुसाइड नोट मिला है। सुसाइड नोट में उसने अपनी आत्महत्या का कारण पत्नी और ससुराल पक्ष को बताया है। फिलहाल परिजनों की ओर से तहरीर नहीं मिली है।

ब्रैकिंग : बद्रीनाथ हाईवे पर भरभराकर गिरा पहाड़, 10 मीटर हिस्सा हुआ क्षतिग्रस्त

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जोशीमठ (चमोली), उत्तराखण्ड़ में भारी बारिश के चलते कई सड़क भूस्खलन से प्रभावित है, वहीं मंगलवार को बदरीनाथ राष्टीय राजमार्ग लंगसी के समीप मलबा व बोल्डर आने से बंद हो गया। सड़क का दस मीटर हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हुआ है। हाईवे बंद होने से यहां हज़ारों यात्री फंसे है। एनएच के द्वारा हाईवे को खोलने का कार्य जारी है। यमुनोत्री हाईवे पर भी सात घंटे बाद वाहनों की आवाजाही शुरू हो पाई, लेकिन यहां आवाजाही जोखिम भरी है।
यमुनोत्री हाईवे पर जगह-जगह मलबा बोल्डर आने से हाईवे दलदल में तब्दील हो गया है। वहीं दूसरी तरफ बीते शुक्रवार रात्रि में ग्वालदम हाईवे पर नारायणबगड़ के आमसोड से लापता हुए वाहन सहित दो युवकों की तलाश जारी है। यहां पर पुलिस एवं प्रशासन के द्वारा पोकलेंड मशीन की सहायता से मलबे को हटाया जा रहा है। वाहन का तिरपाल एवं रास्सा मलबे में दिखने पर युवकों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है। रेस्क्यू अभियान जारी है, जिला प्रशासन जल्द ही मार्ग खोलने की कौशिश में जुटा है |

 

कूट रचित दस्तावेज बनाकर सरकारी/नगर निगम की भूमि को अवैध विक्रय करने पर मुकदमा दर्ज

देहरादून, कूट रचित दस्तावेज बनाकर सरकारी/नगर निगम देहरादून की भूमि को अवैध विक्रय करने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका ने प्रकरण की जांच कराई गई।
जांच उपरान्त सम्बन्धितों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। ग्राम धोरणखास स्थित नगर निगम की भूमि खसरा नं० 83 ग व 174 झ जो ग्राम समाज/राजस्व वन भूमि को विचारण होने के फलस्वरूप होते हुए भी विवादित भूमि की जानकारी होते हुए भूमि को क्रय करने एवं विवादित भूमि का नगर निगम में टैक्स जमा करने एवं विवादित भूमि की रजिस्ट्री करने एवं सरकारी भूमि के कूटरचित दस्तावेज बनाकर बेचने के सामूहिक प्रयास की शिकायत पर जांच उपरान्त आरोप सही पाये जाने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर कर निरीक्षक नगर निगम द्वारा त्र. सम्बन्धितों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है।

ग्राम धोरणखास स्थित नगर निगम की भूमि खसरा नं० 83 ग व 174झ जो ग्राम समाज/राजस्व वन भूमि को विचारण होने के फलस्वरूप होते हुए भी श्रीमती जैतून पत्नी अब्दूल मजीद जमनपुर, श्रीमती समीना पत्नी सरीफ जमनपुर, एवं मौ० आरिफ पुत्र रिजवान ग्राम कुन्डा छोटा रामपुर, द्वारा अरुण भाटिया राजपुर, द्वारा विवादित भूमि की जानकारी होते हुए भूमि को क्रय करने एवं विनोद शाब पुत्र स्व परमेश्वर शाब थाणे मुम्बई द्वारा विवादित भूमि का नगर निगम में टैक्स जमा करने एवं हिमांशु बंसल, राजपुर देहरादून, निर्मल चौहान व राजवीर परमार द्वारा विवादित भूमि की रजिस्ट्री करने एवं सरकारी भूमि के कूटरचित दस्तावेज बनाकर बेचने के सामूहिक प्रयास की पुष्टि होने पर उक्त प्रकरण में थाना राजपुर में अभियोग पंजीकृत किया गया है।

आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण में यूथ रेड क्रॉस की भूमिका सराहनीय: डॉ० नवीन सिंघल

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अनिल वर्मा को डी आई टी यूनिवर्सिटी ने किया सम्मानित

देहरादून, आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण प्रदान करने में यूथ रेडक्रास की भूमिका विशेष सराहनीय है। आपदा चूंकि उत्तराखंड का सर्वाधिक संवेदनशील विषय है अतः आपदा के दौरान जीवन एवं सम्पत्ति की सुरक्षा के उपायों का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण बेहद जरूरी है।
उक्त विचार डीआईटी यूनिवर्सिटी की डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ० मनीषा डुसेजा ने यूथ रेडक्रास कमेटी द्वारा यूनिवर्सिटी के वेदांता ऑडिटोरियम में विश्वविद्यालय के “दीक्षारम्भ -2024” कार्यक्रम के अन्तर्गत आयोजित एक दिवसीय विशेष आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण एवं जागरूकता शिविर के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि प्रशिक्षणार्थी छात्र- छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आपदाओं में जन-धन की सुरक्षा में कारगर इस अति महत्वपूर्ण प्रशिक्षण को स्वेच्छापूर्वक ग्रहण करना चाहिए, ताकि सरकार या बाहरी सहायता मिलने से पूर्व दुर्घटनास्थल पर आपातकालीन सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
इस अवसर पर डीन डॉ० मनीषा डुसेजा तथा चीफ प्रोक्टर डॉ० नवीन सिंघल ने आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण को उच्च स्तरीय एवं विशेष लाभप्रद बताते हुए मुख्य प्रशिक्षक व सदस्य नेशनल डिजास्टर वाटसन रिस्पांस टीम अनिल वर्मा को डीआईटी यूनिवर्सिटी की तरफ़ से “शाॅल ओढ़ाकर तथा बुके व “शील्ड” भेंटकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम अध्यक्ष व यूनिवर्सिटी के चीफ़ प्रोक्टर प्रोफेसर (डॉ०) नवीन सिंघल ने मुख्य प्रशिक्षक श्री वर्मा का परिचय देते हुए बताया कि आपदा प्रबंधन के मास्टर ट्रेनर अनिल वर्मा नेशनल सिविल डिफेंस कॉलेज, नागपुर महाराष्ट्र, सिविल डिफेंस प्रशिक्षण संस्थान , बक्शी का तालाब एयरफोर्स स्टेशन, लखनऊ (उ०प्र०) तथा नेशनल हैडक्वार्टर इंडियन रेडक्रास सोसायटी,न ई दिल्ली से विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त हैं। श्री वर्मा विगत 40 वर्षों से एनसीसी, एन० एस०एस०, स्काउट – गाईड, सिविल डिफेंस वार्डन , रेडक्रास वालंटियर, विभिन्न् विद्यालयों- महाविद्यालयों तथा यूनिवर्सिटी के हजारों युवा छात्र- छात्राओं सहित सरकारी /गैर सरकारी संस्थाओं के अधिकारियों व‌ कर्मचारियों को युद्ध अथवा आपदाओं के दौरान फायर फाईटिंग, फर्स्ट एड व आपदाओं में इमरजेंसी मेथड्स ऑफ रेस्क्यू के फ्री हैंड रेस्क्यू तथा रोप रेस्क्यू आदि का विशेष प्रशिक्षण देकर समाज और राष्ट्र की रक्षा कर सकने में सक्षम बनाने में सतत् संलग्न हैं।
इसके साथ ही उन्होने उत्तराखंड की दो बड़ी आपदाओं सन् 2012 में उत्तरकाशी में बादल फटने से हुई भीषण त्वरित बाढ़ आपदा तथा सन् 2013 में केदारनाथ वजल प्रलय के दौरान इंडियन रेडक्रास सोसायटी , नई दिल्ली के आदेश पर वहां जाकर अपनी विशिष्ट सेवाएं प्रदान कीं जिनसे प्रभावित होकर क्रमशः तत्कालीन राज्यपाल डॉ० अजीज कुरैशी तथा राज्यपाल डॉ० कृष्ण कांत पाॅल दोनों ने श्री वर्मा के उत्कृष्ट एवं सराहनीय योगदान के लिए श्री वर्मा को “बैज ऑफ़ ऑनर” , “प्रशस्ति पत्र ” एवं “शील्ड” प्रदान करके विभूषित किया था, जो हम सभी के लिए गर्व की बात है। हम अपेक्षा करते हैं कि डी आई टी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को समय समय-समय पर आपदा प्रबंधन का रिफ्रेशर कोर्स आपके द्वारा करवाया जाता रहेगा।
इससे पूर्व मुख्य प्रशिक्षक यूथ रेडक्रास कमेटी के अनिल वर्मा ने कहा कि उत्तराखंड भूकंप , भू- स्खलन, भू – धंसाव, बादल फटना, त्वरित बाढ़ तथा जंगल की आग आदि आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है । देहरादून तीन फाल्टों (1)मोहंड डाट की देवी (2) चमोली -उत्तरकाशी बेल्ट तथा (3) शहंशाही आश्रम फाल्ट से घिरा हुआ है। यहां किसी भी क्षण 08 रिक्टर स्केल अथवा इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आ सकता है। यानी देहरादून भूकंप के टाईम बम के मुहाने पर बैठा है। अतः आपदाओं से होने वाली जान- माल की हानि को न्यूनतम करने के लिए यहां युवाओं को पहले से ही आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण प्राप्त करना बेहद जरूरी है।
श्री वर्मा ने छात्रा कैडेटों को आपदा की परिभाषा, प्रकार व संभावित हानि का प्रतिशत बताने के साथ ही “‘सर्च एंड रेस्क्यू”‘ के तहत् भूकंप, भू स्खलन, त्वरित बाढ़ के दौरान भवनों या चट्टानों के मलबे में फंसे घायल अथवा अग्नि कांड में फंसे लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के अंतराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त “इमरजेंसी मेथड्स ऑफ रेस्क्यू” की ह्यूमन क्रेडल, ह्यूमन क्रच, फायरमैन्स लिफ्ट, फोर एंड आफ्ट मेथड, पिक अबैक, रिवर्स पिक अबैक, टू-थ्री-फोर हैंडेड सीट , टो – ड्रैग के साथ ही रोप रेस्क्यू के अंतर्गत रस्सियों में गांठें लगाकर बो लाईन- ड्रैग , फायरमैन्स चेयर नॉट, ड्रा -हिच आदि का विधिवत् सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
यूथ रेडक्रास सदस्या मेजर प्रेमलता वर्मा, डी आई टी यूनिवर्सिटी के एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट जबरिंदर सिंह तथा लेफ्टिनेंट ब्रजलता, डॉ० सौरभ मिश्रा तथा कु० मंजुला खुल्बे के नेतृत्व में छात्राओं कु० आयुषि कठैत,अनुषा नौटियाल वैभवी पाण्डेय, अक्षिता नगदाली तथा छात्रों आयुष बिष्ट , उद्धव पुण्डीर, अखिलेश नौटियाल समर्थ सवारणा, देब तथा उबैद ने आपदा के दौरान घरों , स्कूल- कालेजों , व हाई राईज बिल्डिंगों के मलबे में फंसे घायलों के बचाव के आपात्कालीन तरीकों का कुशल जीवंत प्रदर्शन किया।
श्री वर्मा ने “फर्स्ट एड प्रशिक्षण” के अंतर्गत हार्ट अटैक से मृतप्राय व्यक्ति को पुनर्जीवित करने की “कार्डियो पल्मोनरी रीससिटेशन (सी पी आर)” की प्रक्रिया का प्रशिक्षण प्रदान किया।
युवा छात्र – छात्राओं को रक्तदान हेतु प्रेरित करते हुए रक्तदाता शिरोमणि अनिल वर्मा ने बताया कि उन्होंने स्वयं 18 वर्ष 2 महीने की उम्र में पहली बार रक्तदान किया था तब से वे अब तक कुल 155 बार रक्तदान कर चुके हैं। उन्होंने इसका महत्व बताते हुए कहा कि रक्त एक औषधि है जो एक आदमी ही दूसरे आदमी को जीवनदान के रूप में दे सकता है।
श्री वर्मा ने रक्तदान के बारे शरीर में कमजोरी आने सहित सभी अंधविश्वासों को बेबुनियाद बताया तथा रक्तदान करने से उल्टे रक्तदाता को ही होने वाले अनेक लाभ गिनाए।
रक्तदाता प्रेरक अनिल वर्मा ने थैलीसीमिया रक्त रोग की गंभीरता पर कहा कि चूंकि यह रोग माता – पिता से बच्चों में आता है अतः लड़का- लड़की दोनों शादी से पूर्व जन्म कुंडली के बजाय रक्त कुंडली अवश्य मिलाएं ताकि बच्चे को थैलीसीमिया से ग्रसित होकर आजीवन रक्त पर निर्भर न रहना पड़े।
नशामुक्ति जागरूकता के तहत् पूरे देश में बढ़ती जा रही नशाखोरी विशेषकर युवा लड़के लड़कियों में आजकल स्टेट्स सिंबल , मेंटल टेंशन , रिलैक्स मूड या एंटरटेनमेंट व इंजोयमेंट के बहाने तम्बाकू, सिगरेट , सिगार या एल्कोहल का सेवन करने से शुरू होती है। परन्तु ऐसे युवा धीरे-धीरे शारीरिक , सामाजिक व आर्थिक बर्बादी का शिकार हो जाते हैं। नशामुक्ति केंद्रों की बढ़ती संख्या गंभीर राष्ट्रीय चिंता का विषय है। माता – पिता के पास अपने बच्चों के साथ उठने – बैठने बातचीत करने तथा उनपर आवश्यक निगरानी रखने के लिए समय न देना भी इस दुष्परिणाम के रूप में सामने आता है।श्री वर्मा ने नशा छुड़वाने में परिवार की भूमिका पर विस्तृत जानकारी दी । डेंगू फीवर के प्रति छात्र छात्राओं को जागरूक करते हुए डेंगू कंट्रोल रूम आईटी पार्क के पूर्व नोडल अधिकारी अनिल वर्मा ने डेंगू के कारण,लक्षण, सावधानी व उपचार की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही डेंगू फीवर को नजर अंदाज न करने की सलाह दी व एस्पिरिन या खून पतला करने वाली दवाइयां न‌ लेने का परामर्श दिया। साथ ही नारियल पानी , नींबू पानी अथवा उबालकर ठंडा किये हुए पानी का सेवन का सेवन करना चाहिए।अनावश्यक रूप से प्लेटलेट्स चढ़वाने से बचना चाहिए। यदि किसी को डेंगू से पीड़ित होने की संभावना हो तो एसिटामिनोफेन टेबलेट के साथ ही डाइक्लोफेनेक टेबलेट डाक्टर की सलाह पर ले सकते हैं। डेंगू की कोई विशेष दवा नहीं है परन्तु बुखार एवं दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामॉल टेबलेट ली जा सकती है। डेंगू की संभावना होने पर कोई भी व्यक्ति डेंगू कंट्रोल रूम के टोल फ्री नंबर 18001802525 पर सम्पर्क कर सकता है।
कार्यक्रम का संचालन तथा लाईव डिमांस्ट्रेशन की एंकरिंग एन सी सी कैडेटों अंडर ऑफीसर अमन राज, सार्जेंट चैतन्य जलवाल व कैडेट उद्धव पुण्डीर ने किया।इस अवसर पर सुविख्यात मनोचिकित्सक डॉ० मुकुल शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे।

लोकगायक नेगी को मिला ‘डिस्टिंग्विश्ड लीडरशिप इन इंडियन फोक सिंगिंग’ अवार्ड, ब्रिटिश संसद में गूंजा “ठंडो रे ठंडो” पहाड़ी गीत

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देहरादून, उत्तराखण्ड़ का सदाबहार गीत “ठंडों रे ठंडो” गीत जब ब्रिटिश संसद में गूंजा तो सभी मंत्रमुग्ध हो गये, मौका था ब्रिटेन की संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में आयोजित ग्लोबल ब्रिलिएंस अवार्ड (जीबीए) समारोह में भारतीय समुदाय के अति विशिष्ठ लोगों को सम्मानित करने का। समारोह का आयोजन आईआईएसएएफ ने किया था। यहां प्राप्त खबरों में बताया गया है कि अवार्ड विजेताओं का चयन एक ज्यूरी द्वारा किया गया। सभी विजेताओं को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस समारोह में उत्तराखंड के प्रख्यात कवि, गीतकार और लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी को उनके 50 सालों में लोक गीत, संगीत और संस्कृति के उन्नयन, संरक्षण, संवर्धन, प्रोत्साहन और योगदान के लिए डिस्टिंग्विश्ड लीडरशिप इन इंडियन फोक सिंगिंग से पुरस्कृत किया गया।

नेगी ने इस मौके पर अपने सदाबहार गीत “ठंडों रे ठंडो” गा कर उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया। जीबीए के इस कार्यक्रम में सहयोगी उत्तराखंड ग्लोबल फोरम के सह-संस्थापक संदीप बिष्ट ने इस मौक़े पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान सिर्फ़ नेगी ही नहीं बल्कि संपूर्ण उत्तराखंड और दो करोड़ से अधिक उत्तराखंडियों का सम्मान है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान आने वाले नये कलाकारों को भी प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि नेगी ने हमेशा पहाड़ों के सामाजिक सुखों और दुखों को अपने गीतों से उठाया है और हम आशा करते हैं कि वो आगे भी ऐसे ही गीत लेखन और गायन को जारी रखेंगे।

आईआईएसएएफ के अध्यक्ष आदित्य प्रताप सिंह ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि प्रतिभाशाली भारतीय पेशेवरों के प्रयासों को वैश्विक मंच पर मान्यता देने से भारत की प्रतिष्ठा को ऊपर उठाने में मदद मिलती है।

नेगी जैसे लोक कलाकार जो पिछले 50 वर्षों से अपनी भाषा, संस्कृति, परंपरा को अपने गीतों के माध्यम से संरक्षित करते हुए तत्परता से आगे बढ़ा रहे हैं, उनका यह सम्मान सारे समाज का सम्मान है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद लॉर्ड रामी रेंजर, विंडसर के एमपी जैक रांकिन, मेयर प्रेरणा भारद्वाज मौजूद थे। इसके अलावा विभिन्न देशों के दूतावासों जैसे माल्टा और इटली आदि के प्रतिनिधियों ने भी इस कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।