Sunday, May 18, 2025
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स्कूली बच्चों के साथ साझा की प्लास्टिक-वेस्ट और ई-वेस्ट से जुड़ी जरूरी जानकारी

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देहरादून, ईकोग्रुप सोसाइटी ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और ईआईएसीपी हब के साथ चलाए गए विश्व पर्यावरण दिवस के तहत संयुक्त अभियान में शुक्रवार को श्री गुरु राम राय पब्लिक कॉलेज, सहस्त्रधारा रोड में करीब 300 छात्र/छात्राओं के साथ प्लास्टिक-वेस्ट और ई-वेस्ट से जुड़ी ज़रूरी जानकारी साझा की । छात्र/छात्राओं को घरों और प्रतिष्ठानों से जुड़े पृथ्वी और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले भयानक प्रभावों और इनसे बचने के लिये, सरल और प्रभावी उपायों पर काम करने के लिए छात्र/छात्राओं को प्रेरित किया, सभी छात्र/छात्राओं ने ईकोब्रिक्स बनाने में खास दिलचस्पी ली और प्लास्टिक वेस्ट के सही उपयोग से उत्तराखंड के पर्यावरण को बचाने के लिए इस महत्वपूर्ण अभियान में जुड़ने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई ।
इसी अवसर पर, छात्र/छात्राओं को प्लास्टिक-वेस्ट और ई-वेस्ट से जुड़े प्रतियोगिताओं के बारे में भी जानकारी साझा की गई और प्रतियोगिताओं में सम्मिलित होने के लिये प्रोत्साहित किया | प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले छात्र/छात्राओं को आकर्षक पुरस्कारो से सम्मानित करने के लिये भी सूचना दी गयी I
ईको ग्रुप सोसाइटी, कॉलेज के प्रधानाचार्य जी व कॉलेज के अध्यापिकाओं/अध्यापकों का हार्दिक आभार प्रकट करती हैं जिनके सहयोग से यह कार्यक्रम सफल रहा |
इस कार्यक्रम में ईकोग्रुप सोसाइटी के आशीष गर्ग, अनिल कुमार मेहता, भव्या, नमन, कृतिका, चार्वी तथा रिंकू की प्रमुख भूमिका रही ।

सौर मंडल पर लिखी 14 वर्षीय छात्र हेमंत की पुस्तक का हुआ विमोचन

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नैनीताल (रामनगर), आज के इस इलेक्ट्रॉनिक युग में जहां कंप्यूटर, मोबाईल, लेपटॉप पर युवा एवं स्कूली बच्चे अधिक से अधिक समय बिता रहे हैं वहीं एक निजी विद्यालय में अध्यनरत 9वीं के छात्र हेमंत पांडेय ने एस्ट्रोनॉमी विषय पर अपनी दूसरी पुस्तक लिखकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया। हेमंत की इस पुस्तक का विमोचन उनके जन्मदिन के मौके पर मुख्य अतिथि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला, विशिष्ठ अतिथि डॉ. संदीप रावत, रिनेसा कॉलेज के निदेशक आलोक गुसाईं, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. केसी जोशी और हेमंत के पिता प्रभाकर पांडे ने संयुक्त रूप से किया। हेमंत की “द ओडिसी ऑफ द यूनिवर्स (फ्रॉम द स्मॉलेस्ट टू द लार्जेस्ट) पार्ट-1 द सोलर सिस्टम” नाम की इस एस्ट्रोनॉमी विषय पर लिखी पुस्तक की सराहना करते हुए कॉर्बेट निदेशक डॉ. बडोला ने कहा कि 14 वर्ष की उम्र में स्ट्रोनॉमी विषय का अध्ययन कर पुस्तक लिखना आश्चर्यजनक है।
विशिष्ट अतिथि इग्नू के डायरेक्टर डॉ. संदीप रावत ने कहा कि वर्ल्ड हिस्ट्री और एस्ट्रोनॉमी जैसे महत्वपूर्ण विषयों को किशोर उम्र के बालक ने पुस्तक में लिखकर सराहनीय कार्य किया है। 293 पृष्ठ की इस पुस्तक को लिखने में हेमंत को लगभग 9 माह का समय लगा है। हेमंत के पिता डॉ. प्रभाकर पांडे नगर के एमपी हिंदू कॉलेज में मनोविज्ञान विषय के प्रवक्ता है। हेमंत पांडेय की यह पुस्तक सौर मंडल के बारे में विस्तृत जानकारी देती है। किताब में सौर मंडल के रहस्यों को समझाया गया है। इसमें सौर मंडल के इतिहास, वर्तमान और भविष्य के बदलाव की संभावना के बारे में भी बताया गया है। सरल शब्दों में लिखी गयी यह पुस्तक उपग्रहों के बारे में भी विस्तृत जानकारी देती है।

सी व्यू सेवा ट्रस्ट ने निशुल्क नेत्र शिविर का किया आयोजन

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देहरादून, प्रतीत नगर रायवाला में सी व्यू सेवा ट्रस्ट द्वारा निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में प्रतित नगर और आसपास के क्षेत्रों के सैकड़ों लोगों ने जांच का लाभ उठाया। शिविर में15 लोगों को मोतियाबिंद के लिए चिह्नित किया गया, शिविर का आयोजन ग्राम प्रधान प्रधान अनिल कुमार, टीका बहादुर, विष्णु शर्मा और समस्त गोरखाली सुधार सभा के सौजन्य से किया गया। सी व्यू सेवा ट्रस्ट का उद्देश्य समाज के वंचित वर्गों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इस शिविर के माध्यम से ट्रस्ट ने लोगों को निशुल्क नेत्र सेवाएं प्रदान की गयी, वहीं नगर ग्राम प्रधान की ओर से सी व्यू सेवा ट्रस्ट और समस्त गोरखाली सुधार सभा का निशुल्क नेत्र सेवाएं प्रदान करने पर आभार व्यक्त किया गया l
इस मौके पर ट्रस्ट की ओर से अशोक भट्ट, सीनियर ऑप्टोमेट्रिस्ट, कुलभूषण नेथानी (पीआरओ), मोहित बर्तवाल, अंकित सनवाल, मनोज कुमार आदि मौजूद रहे l

धामी कैबिनेट की बैठक : ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर भारतीय सेना का अभिनंदन प्रस्ताव पारित

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देहरादून, मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद बैठक में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर भारतीय सेना, प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्रालय का अभिनंदन प्रस्ताव पारित किया गया।
मंत्रिपरिषद के प्रस्ताव में कहा गया है कि ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना के अदम्य साहस, पराक्रम और रणनीतिक कौशल की सफलता को दर्शाता है, यह सैन्य अभियान भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और आत्मबल का उदाहरण बनकर उभरा है।
मंत्रिपरिषद द्वारा विश्वास व्यक्त किया गया कि ऑपरेशन सिंदूर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा जो भारत की सैन्य गौरवगाथा में स्वर्णिम अध्याय के रूप में अंकित होगा।मंत्रिपरिषद के इस अभिनंदन प्रस्ताव को केन्द्र सरकार और रक्षा मंत्रालय को भेजा जाएगा ताकि उत्तराखण्ड राज्य की भावनाओं से उन्हें अवगत कराया जा सके।

01- उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि० में सुधार हेतु मैकेंजी इंडिया द्वारा दिये गये सुझावों पर विभाग द्वारा प्रस्तुत कार्ययोजना को कैबिनेट द्वारा दी गई मंजूरी।
उत्तराखण्ड़ पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की वित्तीय और परिचालन स्थिति में सुधार करने के लिए एक विस्तृत परिवर्तन योजना तैयार की गई है। इस योजना का उद्देश्य वितरण और ट्रांसमिशन नुकसान को कम करना, बिजली खरीद लागत को अनुकूलित करना और पूंजी निवेश के माध्यम से कंपनी के प्रदर्शन को मजबूत करना है। यह परिवर्तन योजना यू.पी.सी.एल. की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करेगी और इसे एक कुशल और लाभकारी संगठन के रूप में स्थापित करेगी।
इस योजना के चार प्रमुख उद्देश्य हैं। सबसे पहले यू.पी.सी.एल. की वित्तीय स्थिति को स्थिर और मजबूत करना है, जो इसके लगभग 5,000 करोड रूपये के बकाया को कम करने और पिछले छह वर्षों में हुए लगातार घाटे को समाप्त करने पर केन्द्रित है। दूसरा उद्देश्य वित्तरण और ट्रांसमिशन नुकसान को कम करना है, जो वर्तमान में हरिद्वार और उधमसिंह नगर जैसे क्षेत्रों में उच्चतर स्तर पर है। इसमें ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और बुनियादी ढाँचे के उन्नयन से हानियों में कमी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। तीसरा उपभोक्ताओं को बेहतर बनाना है, ताकि उपभोक्ता, संतोष में वृद्धि और संग्रह दक्षता में सुधार हो सके। अंत में हरित ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना, जिससे लागत प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा समाधान प्राप्त हो सके। ये सभी उद्देश्य यू.पी.सी.एल. को उनके ऊर्जा क्षेत्र का एक विश्वसनीय और कुशल स्तंभ बनाने में सहायक होंगे।

02- मुख्यमंत्री राहत कोष नियमावली-2013 के नियम सं0-6 के उपनियम-4 में संशोधन किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

मुख्यमंत्री राहत कोष नियमावली-2013 के नियम सं०-6 के उपनियम-4 जिसमें मुख्यमंत्री राहत कोष में प्राप्त धनराशि इस निमित्त खोले गये राष्ट्रीयकृत बैंक के खातों में जमा किये जाने का प्राविधान है, में संशोधन करते हुए राष्ट्रीयकृत बैंक के स्थान पर अनुसूचित वाणिज्य बैंक किया गया है। उक्त संशोधन करने पर मुख्यमंत्री राहत कोष जिसका वित्त पोषण दान के रूप में प्राप्त धनराशि से किया जाता है, में प्राप्त धनराशि जिसका तात्कालिक उपयोग न हो. को प्रतिस्पर्धी सौदे सुनिश्चित करते हुए कैपेबल फिक्स डिपोजिट के रूप में विनियोजित कर अधिकतम ब्याज प्राप्त किया जा सके। इस निर्णय को कैबिनेट द्वारा मंजूरी प्रदान की गई।

03- उत्तराखण्ड कुक्कुट विकास नीति-2025 को दी गई मंजूरी।
राज्य में 15444 लाख अण्डों एवं 395 लाख कि०ग्रा० पोल्ट्री मीट की प्रतिवर्ष कमी को, दूर करने के लिए उत्तराखण्ड कुक्कुट विकास नीति-2025 प्रस्तावित है। वर्ष 2023 में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में कुछ निवेशकों द्वारा राज्य में पोल्ट्री सेक्टर में निवेश करने की इच्छा जतायी गयी। उद्यमिता को बढ़ावा देने और राज्य को पोल्ट्री क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए उक्त नीति में पोल्ट्री आधारित इकाईयों के विकास को प्रोत्साहित किया गया है। इस नीति में कॉमर्शियल लेयर फार्म एवं बॉयलर पैरेंट फार्म की स्थापना की जानी है। जिसे कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई है।
उक्त नीति से राज्य में लगभग रू0 85 करोड़ का निजी निवेश प्राप्त होगा। कुल रू0 29.09 करोड का अनुदान प्रस्तावित है। उक्त नीति अगले 05 वर्ष तक के लिए प्रस्तावित होगी। प्राथमिकता के आधार पर स्थानीय निवासियों को रोजगार दिया जाना प्रस्तावित है। उक्त नीति को प्रख्यापित किये जाने के बाद उत्तराखण्ड से पलायन रूकेगा तथा राज्य को लगभग 50 लाख प्रति वर्ष जी०एस०टी० की प्राप्ति होगी। प्रतिवर्ष लगभग 32 करोड़ अण्डों एवं 32 लाख टन मीट का उत्पादन होगा। इससे उत्तराखण्ड में अण्डों एवं मीट का आयात नहीं करना पड़ेगा। उक्त नीति से राज्य में लगभग 1000 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष तथा लगभग 3500 व्यक्तियों को अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार प्राप्त होगा।

04-निराश्रित गोवंश हेतु गोसदनों के निर्माण एवं उनके भरण-पोषण हेतु नीति के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया है कि निराश्रित गोवंश हेतु गोसदनों / गोशालाओं की स्थापना / सुविधाए संबंधी निर्माण कार्य सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समिति के अंतर्गत करवाया जायेगा। इस हेतु एकीकृत बजट की व्यवस्था पशुपालन विभाग के सम्बन्धित मानक मद में की जायेगी। इसी प्रकार वर्तमान प्रचलित व्यवस्था के अंतर्गत उक्त गोसदनों में निराश्रित गोवंश के भरण पोषण हेतु बजट की व्यवस्था पशुपालन विभाग के संगत मदो में करते हुए उसे सम्बन्धित जिलाधिकारी के निवर्तन पर रखा जायेगा।
निराश्रित गोवंश को भरण पोषण हेतु दिये जाने वाले अनुदान एवं उनके लिये निर्मित होने वाले गोशालाओं के लिये बजट आवंटन हेतु पशुपालन विभाग नोडल विभाग होगा। इस हेतु बजट की व्यवस्था पशुपालन विभाग के संगत मानक मदों में की जायेगी।
नगर निकायों द्वारा संचालित कांजी हाउस के संचालन एवं उससे सम्बन्धित व्ययों के संबंध में पशुपालन विभाग का दायित्व मात्र निराश्रित गोवंश के चिकित्सकीय उपचार तक सीमित होगा तथा कांजी हाउसों का संचालन पूर्व की भांति नगर निकायों द्वारा ही किया जायेगा।
01 करोड़ तक की लागत वाले गोसदनों के निर्माण कार्य की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति हेतु संबंधित जिलाधिकारी अधिकृत होंगे। 5 करोड़ तक के सभी आगणनों / प्रस्तावों की जिला स्तरीय टीएसी द्वारा अनिवार्य रूप से जॉच की जायेगी। वहीं 01 करोड़ से अधिक के आगणनों की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति शासन स्तर पर गठित समिति के माध्यम से यथा प्रक्रिया प्रदान की जायेगी।
सम्बन्धित जिलाधिकारी द्वारा निराश्रित गोवंश हेतु गोशाला का निर्माण पशुपालन विभाग द्वार। निर्धारित मानकीकृत डिजाइन / लागत के आधार पर कराया जायेगा। मानक आगणन 50 पशुओं हेतु रू0 46.00 लाख एवं 100 पशुओं हेतु रू0 66.00 लाख निर्धारित किया गया है।

05-उत्तराखण्ड प्रान्तीय राजस्व सेवा (कर) (संशोधन) नियमावली, 2025 के प्रख्यापन को दी गई मंजूरी।
राज्य कर विभाग, उत्तराखण्ड की आवश्यकता एवं राजस्व संवर्धन हेतु राज्य कर विभाग, उत्तराखण्ड के विभागीय संरचनात्मक ढाँचे के पुनर्गठन के क्रम में कतिपय विभागीय पदों में वृद्धि एवं पूर्व सृजित संयुक्त आयुक्त के पद के स्थान पर नवीन पदों यथा संयुक्त आयुक्त, ग्रेड-2 तथा संयुक्त आयुक्त, ग्रेड-1 का सृजन किया गया है।
उक्त विभागीय पुनर्गठन के दृष्टिगत् राज्य कर विभाग, उत्तराखण्ड के अधिकारियों के सेवा सम्बन्धी मामलों के सरल निस्तारण हेतु वर्तमान में प्रचलित उत्तराखण्ड प्रान्तीय राजस्व सेवा (कर) नियमावली, 2016 के कतिपय नियमों में संशोधनों के उपरान्त उत्तराखण्ड प्रान्तीय राजस्व सेवा (कर) (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2025 को कैबिनेट ने दी मंजूरी।

06-उत्तराखण्ड़ किशोर न्याय निधि नियमावली 2024 के तहत किशोर न्याय निधि के संचालन हेतु दिशा-निर्देश निर्गत किये जाने एवं किशोर न्याय निधि में उपलब्ध बजट का उपयोग कैसे किया जायेगा तथा अन्य निजी या गैर सरकारी संस्था तथा जिन जिन स्तरों से निधि में अनुदान प्राप्त होगा उसके उपयोग के सम्बन्ध में दिशा- निर्देश निर्गत किये जाने हेतु नियमावली गठन किये जाने का कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

07- सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार सड़क पर रहने वाले बच्चा (स्ट्रीट चिल्डेन) के पुर्नवास के संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं अन्य विभागों के सहयोग से मॉडल नीति / पुर्नवास नीति अर्थात् स्ट्रीट चिल्ड्रेन पॉलिसी बनाई जाने का कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

08-मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना के क्रियान्वयन के संबंध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। योजना का मुख्य उद्देश्य एकल (निराश्रित) / परित्यक्ता / विधवा महिलाओं को उनके निवास स्थान / गाँव / क्षेत्र में ही रोजगार सृजन हेतु प्रोत्साहित करना, व उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करते हुए उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर उनके जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार करना है।

09-मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं में सम्मिलित कार्यक्रमों एवं योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के उददेश्य से कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग के नियंत्रणाधीन सचिवालय स्तर पर कार्यक्रम क्रियान्वयन प्रकोष्ठ का गठन किया गया, जिसमें सचिव, कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग, उक्त प्रकोष्ठ के पदेन मुख्य समन्वयक हैं। मुख्य समन्वयक को कार्यक्रम क्रियान्वयन प्रकोष्ठ के विभागाध्यक्ष घोषित करते हुए उत्तराखण्ड वित्तीय हस्तपुस्तिका खण्ड-1 वित्तीय अधिकारों का प्रतिनिधायन, वर्ष 2018 की अध्याय 4 परिशिष्ट-1 की सूची में अग्रेत्तर सम्मिलित किये जाने का कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

10- मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एवं मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना अति सूक्ष्म उद्यम को संविलियन कर बैंक ऋण सहबद्ध मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना 2.0 लागू किये जाने का कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। योजनावधि में 50 हजार से अधिक लाभार्थियों को स्वरोजगार से सम्बद्ध करते हुये अधिकाधिक रोजगार/सहायक रोजगार सृजित किये जाने का लक्ष्य है। विनिर्माणक उद्यम में रू0 25.00 लाख लागत तक सेवा तथा व्यापार (ट्रेडिंग) एवं अन्य व्यवसाय में रु० 10.00 लाख लागत तक और सूक्ष्म गतिविधि/परियोजना में रू0 2.00 लाख लागत तक की परियोजना सम्मिलित की जायेंगी। पूर्व स्थापित इकाई के विस्तारीकरण हेतु लाभार्थी योजनान्तर्गत्त प्रावधानित व्यवस्थानुरूप पात्र होंगे।
जनपद वर्गीकरण के आधार एवं स्वीकृत परियोजना लागत के सापेक्ष 15 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक उपादान (मार्जिन मनी) सहायता के साथ ही भौगोलिक बूस्टर, सामाजिक बूस्टर एवं उत्पाद बूस्टर के रूप में उक्त में से किसी एक श्रेणी में 5 प्रतिशत अतिरिक्त उपादान (मार्जिन मनी) सहायता प्रदान की जायेगी।

11- तपोवन (ऋषिकेश) से कुन्जापुरी (नरेन्द्रनगर) रोप-वे परियोजना की तकनीकी, ऑपरेशन एवं मेन्टेनेंश के फर्म का चयन किये जाने का निर्णय।
राज्य की भौगोलिक परिस्थिति एवं पर्यटकों की निरंतर संख्या वृद्धि तथा सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए रोप-वे परियोजनाओं का शीघ्र निर्माण किया जाना आवश्यक है। राज्य में रोप-वे परियोजना के निर्माण हेतु सक्षम तकनीकी परामर्शदाता के साथ एम०ओ०यू० निष्पादन किया जाना प्रस्तावित है। तद्क्रम में मजबूत सुरक्षा मापदण्डों के आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की दो सर्वाेच्च फर्म 1-Doppelmayr एवं 2-HTI Group से सम्पर्क किया गया। एच.टी.आई. ग्रुप के अन्तर्गत तीन फर्म Leitner, Bartholet एवं Porma हैं। प्रतिउत्तर में मात्र एक फर्म Bartholet द्वारा प्रस्ताव पर अपनी सहमति प्रदान की गयी है। मूल उपकरण निर्माता फर्म Bartholet राज्य के तकनीकी परामर्शदाता के रूप में एम०ओ०यू० के तहत स्वयं के खर्च पर तकनीकी आर्थिक अध्ययन कर डी.पी.आर. तैयार करेगा। अतः राज्य में चिन्हित रोप-वे परियोजनाओं में से फर्म Bartholet को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में तपोवन (ऋषिकेश) से कुन्जापुरी (नरेन्द्रनगर) रोप-वे परियोजना हेतु राज्य सरकार के तकनीकी परामर्शदाता के रूप में एम०ओ०यू० निष्पादन किये जाने की अनुमति प्रदान की गयी है।

12- राज्य में रोपवे परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु एसपीवी (UTTARAKHAND ROPEWAYS DEVELOPMENT LIMITED) के गठन के संबंध में लिया गया निर्णय।
राज्य में पर्यटकों की संख्या वृद्धि एवं राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत आवागमन को सुगम सुरक्षित एवं सुविधाजनक बनाये जाने हेतु राज्य में विभिन्न स्थलों पर रोपवे विकसित किये जा रहे हैं। इसी क्रम में पर्यटन विभाग तथा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा राज्य में चिन्हित सभी रोपवे परियोजनाओं को विकसित किये जाने के दृष्टिगत एनएचएलएमएल (नेशनल हाइवेज लोजिस्टिक्स मैनेजमेन्ट लिमिटेड) को प्रोमोटर के रूप में अधिकृत किया गया है। पर्यटन विभाग तथा एनएचएलएमएल भारत सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में परियोजनाओं का क्रियान्वयन निजी निवेशक के माध्यम क से पीपीपी मोड (डीबीएफओटी एवं एचएएम मॉडल) के आधार पर किया जाना है। रोपवे परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु उत्तराखण्ड राज्य सरकार एवं एनएचएलएमएल के मध्य एसपीवी (UTTARAKHAND ROPEWAYS DEVELOPMENT LIMITED) के गठन की अनुमति प्रदान की गयी है।

13-राज्य में उद्योगों एवं अन्य प्रतिष्ठानों हेतु 12 मीटर से कम ऊँचाई, परंतु 500 वर्ग मीटर से अधिक आच्छादित क्षेत्रफल एवं 12 मीटर से कम ऊँचाई, परंतु 500 वर्ग मीटर से कम आच्छादित क्षेत्रफल वाले लो राइज एवं मिक्स ऑक्यूपेन्सी भवनों की अग्निसुरक्षा व्यवस्था हेतु सामान्य ढांचागत व्यवस्था तथा नेशनल बिल्डिंग कोड में प्रावधानित अग्निसुरक्षा के मानकों में संशोधन के सम्बन्ध में लिया गया निर्णय।
राज्य में उद्योगों एवं अन्य प्रतिष्ठानों हेतु 12 मीटर से कम ऊँचाई, परंतु 500 वर्ग मीटर से अधिक आच्छादित क्षेत्रफल एवं 12 मीटर से कम ऊँचाई, परंतु 500 वर्ग मीटर से कम आच्छादित क्षेत्रफल वाले लो राइज एवं मिक्स ऑक्यूपेन्सी भवनों के इच्छुक आवेदकों को अग्निसुरक्षा व्यवस्था अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गमन में आ रही कठिनाइयों को दृष्टिगत रखते हुये अग्निसुरक्षा हेतु सामान्य ढांचागत व्यवस्था तथा नेशनल बिल्डिंग कोड में प्रावधानित अग्नि सुरक्षा उपकरणों के मानकों में उत्तर प्रदेश राज्य की तर्ज पर उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में आवश्यक संशोधन किये जाने के प्रस्ताव पर मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।

14-पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अन्तर्गत राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन एवं परियोजना प्रबन्धन इकाई, स्वजल में सृजित पदों की पूर्व वेतनमान सहित वर्षानुवर्ष कार्याेत्तर निरंतरता एवं इसमें नियोजित कार्मिकों को वेतन / मानदेय आदि का भुगतान के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के कार्यों को पूर्ण करने हेतु राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन को औपचारिक रूप से कार्यदायी इकाई घोषित करने की कार्याेत्तर स्वीकृति प्रदान कर राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन तथा परियोजना प्रबन्धन इकाई स्वजल में सुजित पदों की पूर्व वेतनमान सहित वर्षानुवर्ष कार्याेत्तर निरंतरता दिनांक 01.03.2021 से दिनांक 31.03.2026 तक विस्तारित किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है।
राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन एवं परियोजना प्रबन्धन इकाई, स्वजल में नियोजित कार्मिकों को दिनांक 01.03.2020 से पूर्व में दिये जा रहे वेतन/मानदेय के अनुरूप वेतन/मानदेय का भुगतान राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन के द्वारा किया जाने का निर्णय लिया गया है।

15-उत्तराखण्ड राज्य में लेखपत्रों के निबंधन की प्रक्रिया में वर्चुअल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पंजीकरण की कार्यवाही में कार्यान्वयन किये जाने के सम्बन्ध में लिया गया निर्णय।
स्टाम्प एवं निबंधन विभाग के कार्यालयों में लेखपत्र के साथ उपस्थित होकर पंजीकरण करने की व्यवस्था अद्यतन विद्यमान है। पंजीकरण के उपरांत स्कैन्ड कॉपी मुद्रित कर कार्यालयों में अनुरक्षित की जाती है तथा मूल लेखपत्र पक्षकार को प्राप्त करना होता है।
उक्त व्यवस्था को तकनीकी रूप से उन्नत करते हुए लेखपत्रों के निबंधन की प्रक्रिया में चरणबद्ध तरीके से सुधार किया जा रहा है। तकनीकी उन्नयन के अंतर्गत पेपरलेस रजिस्ट्रेशन तथा आधार ऑथेंटिकेशन एवं वर्चुअल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया गतिमान है। उक्त व्यवस्था को अपनाये जाने हेतु संशोधन नियमावली को दी गई मंजूरी।
उक्त प्रक्रिया के अस्तित्व में आने के पश्चात पक्षकार अपने ही स्थान से लेखपत्र को तैयार कर आनलाइन लिंक के माध्यम से प्रस्तुत कर सकेंगें एवं स्टाम्प ड्यूटी एवं रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान ऑनलाईन माध्यम से कर पायेंगे। पक्षकार उप निबंधक कार्यालय में उपस्थित होकर / वीडियो के.वाई.सी. के माध्यम से सत्यापन कर एवं विलेख में वर्णित तथ्यों का परीक्षण करने के उपरांत विलेखों के पंजीकरण की कार्यवाही को ई-साईन के माध्यम से पूर्ण करेंगें तत्पश्चात व्हाट्सएप व ई-मेल के माध्यम से तत्काल पक्षकार को दस्तावेज का प्रेषण किया जायेगा। उक्त प्रक्रिया को आधार प्रमाणीकरण से अंर्तसम्बन्धित किया जाने से जनसुविधा के साथ-साथ छद्म प्रतिरुपण / धोखाधड़ी से मुक्ति मिलेगी। उक्त के परिणामस्वरूप पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।

16-वित्त विभाग की अधिसूचना सं0-27057/2023, दिनांक 07 नवम्बर, 2023 में उल्लिखित अधिसूचित पदों का तात्पर्य चयन आयोगों द्वारा प्राप्त अधियाचनों के क्रम में भर्ती संबंधी विज्ञप्ति जारी किये जाने से है। अंतः विभिन्न चयन आयोगों तथा विभागीय स्तर पर किये जाने वाले चयन के संबंध में जारी विज्ञप्ति तिथि (दि० 01. अक्टूबर, 2005) के आधार पर चयनित कार्मिको को पुरानी अथवा नवीन पेंशन योजना में सम्मिलित किये जाने के लिए एक बार का विकल्प दिये जाने का निर्णय।

17-उत्तराखण्ड प्राविधिक शिक्षा विभाग (अप्राविधिक और अराजपत्रित) सेवा नियमावली, 2008 में पुस्तकालयाध्यक्ष पद हेतु निर्धारित अनिवार्य अर्हता से उच्चतर योग्यताधारी (बी.लिब. / एम.लिब.) अभ्यर्थियों के चयन / नियुक्ति के सम्बन्ध में निर्णय।
उच्च शिक्षा विभाग की तरह प्राविधिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत पुस्तकालयाध्यक्ष पद पर उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग / उत्तराखण्ड प्राविधिक शिक्षा परिषद द्वारा पूर्व में आयोजित परीक्षा में उत्तराखण्ड प्राविधिक शिक्षा विभाग (अप्राविधिक और अराजपत्रित) सेवा नियमावली, 2008 में विहित अनिवार्य अर्हता से उच्चतर बी०लिब० / एम०लिब० योग्यताधारी अभ्यर्थियों के चयन/नियुक्ति के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।

18-उत्तराखण्ड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम के अधीन मोटर यान पर ग्रीन सेस की निर्धारित दरों में वृद्धि के संबंध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
उत्तराखण्ड़ मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम एवं नियमावली, 2003 के अन्तर्गत वर्तमान में प्रवेश उपकर तथा ग्रीन सेस की दरों को सम्मिलित करते हुए उत्तराखण्ड राज्य में पंजीकृत एवं राज्य में प्रवेश करने वाले अन्य राज्य के व्यवसायिक एवं निजी वाहनों हेतु ग्रीन सेस की दरें निर्धारित की गयी हैं। प्रवेश उपकर की दरें वर्ष 2017 में निर्धारित की गयी थी, जिसके पश्चात उक्त दरों में कोई वृद्धि नहीं की गयी है। वर्ष 2017 से मुद्रा स्फीति में लगभग 28-30 प्रतिशत की वृद्धि होने के दृष्टिगत दरों में वृद्धि की गयी है, जिससे राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी। राज्य में अन्य राज्यों के वाहनों द्वारा प्रवेश करने पर ग्रीन उपकर की वसूली फास्टैग के माध्यम से की जायेगी।
19-उत्तराखण्ड में चारधाम यात्रा, महत्वपूर्ण मेलों आदि के सुव्यवस्थित संचालन हेतु उत्तराखण्ड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद् गठन के सम्बन्ध में निर्णय।
तीर्थाटन इस क्षेत्र की एक प्रमुख पर्यटन विधा रही है, जिसमें चारधाम यात्रा, नन्दादेवी राजजात यात्रा एवं आदि कैलाश यात्रा आदि कुछ प्रमुख घार्मिक यात्रायें हैं। वर्तमान समय में बेहतर परिवहन व्यवस्था, सड़क, रेल एवं वायु सेवा की सुलभता के कारण इन यात्राओं / मेलों में तीर्थयात्रियों/श्रद्धालुओं की अप्रत्याशित वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुये प्रमुख धार्मिक यात्राओं / मेलों के उचित प्रबन्धन हेतु एक पृथक नियंत्रण एवं प्रबन्धन इकाई की आवश्यकता को मध्यनजर रखते हुये धार्मिक यात्राओं एवं मेलों के लिए निम्न उद्देश्यों सहित उत्तराखण्ड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद् गठन किये जाने का कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
इसके तहत धार्मिक यात्राओं एवं मेलों हेतु समुचित प्रबन्धन एवं संचालन। धार्मिक यात्राओं एवं मेलों हेतु बेहतर मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं का सृजन, सुद्धीकरण तथा रखरखाव आदि करना तथा धार्मिक यात्राओं एवं मेलों को सहज, सुगम, सुरक्षित एवं सुखद बनाया जाना है।
उक्त परिषद के माध्यम से चारधाम यात्रा, आदि कैलाश यात्रा, पूर्णागिरी यात्रा एवं नन्दादेवी राजजात यात्रा आच्छादित होगी। उक्त परिषद हेतु पृथक से बजट प्राविधान भी किया गया है।

यात्रा मार्ग पर 25 स्थानों पर मिल रही ई चार्जिंग की सुविधा

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ग्रीन यात्रा थीम पर आयोजित हो रही है चारधाम यात्रा : धामी

देहरादून, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बार चारधाम यात्रा को ग्रीन यात्रा की थीम पर आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। यात्रा मार्ग पर 25 स्थानों पर ई चार्जिग की सुविधा मिल रही है, चारधाम यात्रा को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए, प्रदेश सरकार ने इस यात्रा सीजन से 25 स्थानों पर ई व्हीकल चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध करा दी है। इससे यात्रा में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बार चारधाम यात्रा को ग्रीन यात्रा की थीम पर आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में परिवहन विभाग (28)और टीएचडीसी (10)के सहयोग से चारधाम यात्रा मार्ग पर 38 ई व्हीकल चार्जिंग स्टेशन विकसित किए जा रहे हैं। इसमें से यात्रा शुरू होने तक 25 स्टेशन शुरु किए जा चुके हैं, जहां यात्री आसानी से अपने ई व्हीकल को चार्ज करवा रहे हैं। ज्यादातर चार्जिंग स्टेशन जीएमवीएन की प्रापर्टी में स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक स्टेशन पर 60 किलोवाट क्षमता के यूनिवर्सल चार्जर लगाए गए हैं, जिनमें 30—30 किलोवाट की दो चार्जिंग गन शामिल हैं।
जीएमवीएन के एमडी विशाल मिश्रा ने बताया कि ग्रीन चारधाम यात्रा को बढ़ावा देने के लिए मुख्य पड़ावों पर ई—चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना की गई है, ताकि यात्री इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित हो सकें। अकेले जनपद रुद्रप्रयाग में पर्यटन विभाग द्वारा संचालित चार जीएमवीएन गेस्ट हाउसों पर चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना के अनुरूप इस वर्ष चारधाम यात्रा को हरित यात्रा के रूप में आयोजित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी क्रम में यात्रा मार्ग पर ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। यह पहल न केवल श्रद्धालुओं की यात्रा को सुविधाजनक बनाएगी, बल्कि उत्तराखंड को प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में भी एक सार्थक कदम साबित होगी। सरकार का उद्देश्य है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण, रेस्पॉन्सिबल टूरिज्म और हरित पर्यटन को नई दिशा दी जा सके।

चुनाव में पारदर्शिता के लिए आयोग सख्त, व्यय विवरण न देने वालों पर होगी कार्रवाई

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‘अब पंचायत चुनाव में भी होगा खर्च का हिसाब-किताब’

देहरादून, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के उद्देश्य से इस बार चुनावी खर्च पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं और जिलावार पर्यवेक्षक नियुक्त किए जा रहे हैं ताकि प्रत्येक प्रत्याशी के खर्च का सटीक हिसाब रखा जा सके।
राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में खर्च की सख्त निगरानी का निर्णय लिया है। आयोग के अनुसार, इस बार जिलावार पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाएंगे जो प्रत्येक प्रत्याशी के व्यय का मिलान करेंगे और उसका विस्तृत ब्योरा एकत्र करेंगे। निकाय चुनाव की तर्ज पर जिन प्रत्याशियों ने खर्च का विवरण नहीं दिया, उनके खिलाफ पहले से कार्रवाई जारी है। अब पंचायत चुनाव में भी उसी तरह की सख्ती बरती जाएगी।
आयोग के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि इस बार केवल पर्यवेक्षक ही नहीं, बल्कि जिलास्तर पर भी व्यय की रिपोर्टिंग पर नजर रखी जाएगी। सभी प्रत्याशियों से अपेक्षा की गई है कि वे तय सीमा के भीतर ही खर्च करें। खास बात यह है कि इस बार विभिन्न पदों के लिए चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा में वृद्धि की गई है।

इस बार चुनाव खर्च सीमा में ये हुए हैं बदलाव :

सदस्य, ग्राम पंचायत
पहले की सीमा ₹10,000
संशोधित ₹10,000
उप प्रधान
पहले की सीमा ₹15,000 संशोधित ₹15,000
प्रधान
पहले की सीमा ₹50,000 संशोधित ₹75,000
सदस्य, क्षेत्र पंचायत
पहले की सीमा ₹50,000 संशोधित ₹75,000
सदस्य, जिला पंचायत
पहले की सीमा ₹1,40,000 संशोधित ₹2,00,000
कनिष्ठ उप प्रमुख
पहले की सीमा ₹50,000 संशोधित ₹75,000
ज्येष्ठ उप प्रमुख
पहले की सीमा ₹60,000 संशोधित ₹1,00,000
प्रमुख, क्षेत्र पंचायत
पहले की सीमा ₹1,40,000 संशोधित ₹2,00,000
उपाध्यक्ष, जिला पंचायत
पहले की सीमा ₹2,50,000 संशोधित ₹3,00,000

माणा गांव में शुरु हुआ पुष्कर कुंभ, दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

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 – 12 वर्षों बाद माणा गांव के केशव प्रयाग में पुष्कर कुंभ का हो रहा आयोजन
चमोली(आरएनएस)।   चमोली के सीमांत गांव माणा में स्थित केशव प्रयाग में 12 वर्षों बाद विधि विधान के साथ पुष्कर कुंभ का आयोजन शुरु हो गया है। जिसे लेकर बदरीनाथ धाम के साथ ही माणा गाँव में बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की आवाजाही बढ़ गई है। पुष्कर कुंभ के आयोजन को लेकर जिला प्रशासन के साथ पुलिस प्रशासन की ओर से यहां तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं।
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि माणा गांव के केशव प्रयाग में आयोजित पुष्कर कुंभ को लेकर पैदल मार्ग का सुधारीकरण किया गया है। यहां पैदल मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए हैं। इसके साथ ही कुंभ के सुचारु संचालन के लिए जहां पैदल मार्ग पर पुलिस की तैनाती की गई है। वहीं संगम तट पर एसडीआरएफ के जवानों की तैनाती भी की गई है। उन्होंने बताया कि तहसील प्रशासन को पुष्कर कुंभ के आयोजन को लेकर व्यवस्थाओं को सुचारु बनाए रखने के लिए नियमित मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।
बता दें कि, चमोली जिले के सीमांत गांव माणा में 12 वर्षों के बाद पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जा रहा है। धार्मिक परंपरा के अनुसार जब 12 वर्षों में बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तो माणा गांव स्थित अलकनंदा और सरस्वती नदियों संगम पर स्थित केशव प्रयाग में पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में मुख्य रुप से दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलम्बी प्रतिभाग करते हैं।

क्या है पुष्कर कुंभ का धार्मिक महत्व
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माणा गांव के पास स्थित केशव प्रयाग में महर्षि वेदव्यास ने तपस्या करते हुए हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथ महाभारत की रचना की थी। यह भी कहा जाता है कि दक्षिण भारत के महान आचार्य रामानुजाचार्य और माध्वाचार्य ने इसी स्थान पर माँ सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था। जिसके चलते अपनी पौराणिक परंपराओं के संरक्षण के लिए बदरीनाथ धाम के समीप स्थित माणा गांव पहुंच कर केशव प्रयाग में स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं।

तीर्थ स्थल न केवल हमारी धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि ये देश की एकता और सांस्कृतिक एकजुटता के भी प्रतीक हैं। विभिन्न स्थानों से आने वाले श्रद्धालु इन स्थलों पर एकत्र होकर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करते हैं। इसी क्रम में माणा गांव में आयोजित पुष्कर कुंभ, उत्तर को दक्षिण से जोड़ रहा है।  – पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में कैंची धाम के लिए बाईपास निर्माण का काम शीघ्र होगा शुरू

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 – कैंची धाम बाईपास के लिये वन भूमि प्रस्ताव को मिली सैद्धांतिक स्वीकृति।
 – इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री द्वारा केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से किया था अनुरोध।
देहरादून(आरएनएस)।  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कैंची धाम के आस पास एन० एच० 109 ई० में वाहनों के अत्यधिक दवाव व जाम के दृष्टिगत सुगम व सुरक्षित यातायात हेतु वर्ष 2023 में कैंची बाईपास मोटर मार्ग निर्माण की घोषणा की गयी थी। 19 की.मी. लम्बे कैंची धाम बाईपास मोटर मार्ग में  शिप्रा नदी पर एक सेतु का भी निर्माण किया जाना है, जिसके प्रथम 8 किमी के निर्माण/चौड़ीकरण डामरीकरण हेतु रु 1214.71 लाख की धनराशि भी लोक निर्माण विभाग को उपलब्ध करायी गयी है। मोटर मार्ग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। अवशेष 11.00 किमी0 मोटर मार्ग में वन भूमि आने के कारण वन भूमि प्रस्ताव ऑनलाइन गठित कर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार को वन भूमि हस्तान्तरण हेतु प्रेषित किया गया।
मुख्यमंत्री द्वारा किये गये विशेष प्रयासों से गुरुवार को हुई आरईसी   की बैठक मे पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वन भूमि हस्तान्तरण की सहमति प्रदान कर दी गयी है। शीघ्र ही मार्ग निर्माण हेतु कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जायेगी। कैंची धाम में प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के दृष्टिगत यातायात की सुगमता के लिये मुख्यमंत्री द्वारा यहां बाईपास निर्माण की घोषणा की गई थी साथ ही वन भूमि हस्तान्तरण की स्वीकृति के लिये पिछले सप्ताह केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से भेट कर इनकी स्वीकृति का अनुरोध किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कैंची धाम बाईपास के लिए वन भूमि प्रस्ताव को सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद उक्त सड़क का तेजी से निर्माण किया जा सकेगा, जिससे क्षेत्रीय लोगों एवं पर्यटकों को आवाजाही में सुविधा मिलेगी साथ ही कैंची धाम और भवाली के पास लगने वाले जाम से भी मुक्ति मिलेगी।

 हरिद्वार, ऋषिकेश और शारदा कॉरिडोर को लेकर सीएस की बैठक, प्राथमिक प्रोजेक्ट्स को मिलेगी जल्द हरी झंडी

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देहरादून, प्रदेश के तीन प्रमुख धार्मिक और विकास परियोजनाओं हरिद्वार कॉरिडोर, ऋषिकेश मास्टर प्लान और शारदा कॉरिडोर को लेकर बुधवार को सचिवालय में मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में इन परियोजनाओं की प्रगति, संभावनाओं और कार्ययोजना पर चर्चा हुई। बैठक के दौरान उत्तराखंड निवेश एवं अवसंरचना विकास बोर्ड (यूआईडीबी) की ओर से संबंधित योजनाओं पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया गया, जिसमें भूमि उपयोग, पर्यावरणीय पहलू, सांस्कृतिक महत्व और आर्थिक प्रभाव जैसे बिंदुओं को रेखांकित किया गया। हरिद्वार कॉरिडोर के तहत श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं, गंगा तट पर सुव्यवस्थित घाट, पार्किंग, ट्रैफिक मैनेजमेंट और धार्मिक पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे के विकास की योजना है। ऋषिकेश मास्टर प्लान में योगनगरी के स्वरूप को संरक्षित रखते हुए सुव्यवस्थित नगरीय विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने के उपाय शामिल हैं।शारदा कॉरिडोर के अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्रों में सांस्कृतिक-धार्मिक पर्यटन को विकसित करने और पारंपरिक महत्व को पुनर्जीवित करने की रणनीति पर चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि योजनाओं को स्थानीय लोगों की भागीदारी, पर्यावरणीय संतुलन और धार्मिक गरिमा को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ाया जाए।
हरिद्वार कॉरिडोर के विकास को लेकर बुधवार को सचिवालय में हुई उच्चस्तरीय बैठक में मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर श्रेणीकृत कर शीघ्र क्रियान्वयन शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि जो योजनाएं तत्काल प्रभाव से लागू की जा सकती हैं, उन्हें अविलंब धरातल पर लाया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि हरिद्वार का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व केवल उत्तराखंड या भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विदेशों में बसे करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में कॉरिडोर के विकास में आस्था से जुड़े स्थलों, घाटों और मूल सांस्कृतिक पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि विकास के दौरान स्थानीय जनभावनाओं, धार्मिक परंपराओं और विरासत स्थलों की गरिमा को बनाए रखने के लिए संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया जाए। साथ ही परियोजनाओं की गुणवत्ता और समयबद्धता पर भी कोई समझौता न हो। बैठक में उत्तराखंड निवेश एवं अवसंरचना विकास बोर्ड (यूआईडीबी) द्वारा हरिद्वार कॉरिडोर की परियोजनाओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी गई, जिसमें प्रस्तावित विकास कार्यों की सूची, संभावित समयसीमा और लागत आकलन शामिल था।
सीएस ने योजनाओं से जुड़े हितधारकों से लगातार संवाद बनाए रखने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हरिद्वार कॉरिडोर के अंतर्गत आने वाली सभी परियोजनाओं पर बजट, क्रियान्वयन एजेंसी, उसके रखरखाव सहित समग्र योजना जल्द प्रस्तुत की जाए। उन्होंने यूआईडीबी को प्रत्येक परियोजना की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए उससे जुड़े विभागों को भी योजना में शामिल करने के निर्देश दिए। हरिद्वार कॉरिडोर की परियोजनाओं पर चर्चा के दौरान सीएस ने ब्रह्मकुंड और महिला घाट का क्षेत्रफल बढ़ाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने सती कुंड के पुनर्विकास कार्य में सती कुंड के ऐतिहासिक महत्व और थीम को बनाए रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में मल्टीलेवल पार्किंग बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि नदी दर्शन में किसी प्रकार की बाधा न आए। मुख्य सचिव ने कहा कि जिन कार्यों की डीपीआर तैयार हो गई है, उन पर जल्द ही आगे की कार्यवाही शुरू की जाए। मुख्य सचिव ने शारदा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के कार्यों की प्राथमिकता तय करने के भी निर्देश दिए।

वन भूमि में ईको टूरिज्म गतिविधियों भी हो शामिल :

मुख्य सचिव का कहना हैं कि कार्य की प्रकृति के अनुसार संबंधित विभाग द्वारा कार्य पूर्ण किया जाए। उन्होंने वन भूमि में ईको टूरिज्म गतिविधियों को भी शामिल करने की बात कही। मुख्य सचिव ने यूआईआईडीबी को जिलाधिकारी चंपावत की प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को शारदा कॉरिडोर में शामिल करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन सर्किट के विकास के साथ ही कनेक्टिविटी को ध्यान में रखते हुए हेलीपैड और हेलीपोर्ट का प्रावधान भी योजना में किया जाए।

ऋषिकेश मास्टर प्लान पर की चर्चा :

ऋषिकेश मास्टर प्लान पर चर्चा करते हुए सीएस ने अधिकारियों को ऋषिकेश और पुराने रेलवे स्टेशन के आसपास प्रस्तावित कार्यों की व्यापक गतिशीलता योजना तैयार करने के निर्देश दिए।
सीएस ने कहा कि चंद्रभागा नदी के पुनर्जीवन के लिए हाइड्रोलॉजी सर्वेक्षण कराया जाए। सीएस ने सभी परियोजनाओं की प्राथमिकता निर्धारित करते हुए आवश्यक कार्यों को तत्काल शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हरिद्वार कॉरिडोर, शारदा रिवरफ्रंट डेवलपमेंट एवं ऋषिकेश मास्टर प्लान कार्यों के महत्व को देखते हुए जल्द से जल्द कार्यवाही शुरू की जाए।

 

पत्रकार छिरिंग नामग्याल खोर्त्सा की ‘लिटिल ल्हासा’ पुस्तक पर हुई चर्चा

देहरादून, लेखक और पत्रकार छिरिंग नामग्याल खोर्त्सा की पुस्तक लिटिल ल्हासा पर दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र एक चर्चा का आयोजन किया गया, गुरुवार को आयोजित इस चर्चा में मानवविज्ञानी मंजरी मेहता, लेखक एवं संगीतकार प्रशांत नवानी और बौद्ध विद्वान नोरबू वांगचुक उपस्थित थे l
पुस्तक के माध्यम से यह बात उभर कर आयी कि सत्तर साल से ज़्यादा निर्वासन में रहने के बाद, तिब्बतियों की एक पूरी पीढ़ी घर से दूर एक ऐसी जगह पर बड़ी हुई है। दलाई लामा और दूसरे महान गुरुओं के आध्यात्मिक मार्गदर्शक होने के बावजूद, वे अपनी मातृभूमि से कटे हुए बड़े हुए हैं। उनके अनुभव अनोखे रहे हैं, क्योंकि वैश्वीकरण के बावजूद उन्होंने अपने धर्म और संस्कृति को जीवित रखा है।
लिटिल ल्हासा पुस्तक पर छिरिंग नामग्याल खोर्त्सा ने बताया कि आज के अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में इस पुस्तक में विस्तार से लिखा है. विरोध प्रदर्शन आयोजित करने से लेकर, फिल्म निर्माण की संस्कृति को विकसित करने तक बहुत सी बातें इसमें आयी हैं.
चर्चा में यह बात भी सामने आयी कि इस पुस्तक में समुदाय की विविध आवाज़ें जीवंत हो उठी हैं- छात्र, आयोजक, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी, फ़िल्म निर्माता, पत्रकार, लेखक और यहाँ तक कि पूर्व राजनीतिक कैदी भी. लेखक निर्वासित तिब्बत के अनुभव के विभिन्न पहलुओं को एक साथ इस पुस्तक में लाया है।
धर्मशाला शहर भी कम महत्वपूर्ण नहीं है, जो निर्वासित तिब्बती सरकार और दलाई लामा की सीट है। त्सेरिंग नामग्याल के खुद के शब्दों में यह ‘छोटा ल्हासा’ चमकता हुआ है, इसकी संस्कृति दुनिया भर से इतने सारे लोगों द्वारा बनाई गई है। चर्चाकारों ने कहा कि लिटिल ल्हासा उन लोगों के जीवन का एक मूल्यवान अभिलेख है, जो झुकने या भूलने से इनकार करते हैं, और तेजी से बदलती दुनिया के साथ तालमेल बिठाते हुए भी अपनी जड़ों को पोषित करना जारी रखते हैं।
छिरिंग नामग्याल खोर्त्सा तिब्बती लेखक और पत्रकार हैं। उन्होंने एशिया और दुनिया भर के कुछ प्रमुख प्रकाशनों में व्यापक रूप से प्रकाशित किया है, जिनमें द वॉल स्ट्रीट जर्नल, धार्मिक डिस्पैच, एशिया सेंटिनल, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट, इंडिया टुडे, ग्लोबल एशिया और हिंदुस्तान टाइम्स शामिल हैं। भारत में जन्मे और पले-बढ़े त्सेरिंग ने नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी (ताइपेई), मिनेसोटा विश्वविद्यालय और लोवा विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने पत्रकारिता में एमए किया और रचनात्मक लेखन (काल्पनिक और साहित्यिक गैर-काल्पनिक) का भी अध्ययन किया। 2007 में, उन्हें सम्मानित किया गया. उनकी लघु कथाएँ येलो मेडिसिन रिव्यू: द जर्नल ऑफ़ इंडिजिनस लिटरेचर, आर्ट्स एंड कल्चर (साउथवेस्ट मिनेसोटा स्टेट यूनिवर्सिटी), एशिया लिटरेरी रिव्यू (पूर्व में डिमसम, हांगकांग) और हिमाल साउथएशिया में छपी हैं। उनकी एक लघु कथा ओल्ड डेमन, न्यू डेइटीज: 21 शॉर्ट स्टोरीज फ्रॉम तिब्बत में संकलित की गई थी, जिसे तेनज़िन डिकी (ओआर बुक्स, 2017) ने संपादित किया था।
प्रारम्भ में केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभी लोगों का स्वागत किया, निकोलस हॉफलैंड ने पुस्तक का संक्षिप्त परिचय दिया व अंत में आभार व्यक्त किया l
कार्यक्रम के दौरान शहर के कई साहित्यकार, लेखक, साहित्य प्रेमी व युवा पाठक सहित सतपाल गांधी, ब्रिगेडयर वीपी एस खाती, विवेक तिवारी, हिमांशु आहूजा, जगदीश बाबला, देवेंद्र कुमार, सुंदर सिंह बिष्ट,अरुण कुमार असफल, आलोक सरीन, कुलभूषण नैथानी आदि उपस्थित रहे l

डीजीपी पर लगाया सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप

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सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने उत्तराखंड़ में बढ़ती साम्प्रदायिक घटनाओं पर चिन्ता जताई

देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), उत्तराखंड़ इंसानियत मंच के बैनर तले विभिन्न सामाजिक संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने आज प्रेस क्लब में पत्रकारों के साथ बातचीत की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य के पुलिस महानिदेश पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने का आरोप लगाया है। डीजीपी को सलाह दी गई कि वे कानून के अनुसार काम करें न कि सत्ताधारी बीजेपी नेताओं के कहने पर। डीजीपी पर यह भी आरोप लगाया गया वे सामाजिक संगठनों के बार-बार अनुरोध के बाद भी मिलने का समय नहीं दे रहे हैं।
उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 अक्टूबर 2022 को उत्तराखंड के डीजीपी को स्पष्ट निर्देश दिये थे और कहा था कि यदि कोई भी व्यक्ति कोई ऐसा बयान देता है, जिससे आईपीसी की धारा 153ए, 153 बी, 295 ए और 505 का उल्लंघन होता हो, तो किसी से शिकायत मिलने का इंतजार न करें, बल्कि स्वतः संज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज करें। ये धाराएं समुदायों में दुश्मनी, देश की एकता, किसी के धर्म को अपमानित करना जैसे अपराधों से संबंधित हैं। बीएनएस में इन धाराओं का क्रमांक बदल गया है।
डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि उत्तराखंड में लगातार साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने का प्रयास हो रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसी हरकतें बड़े पैमाने पर की जा रही हैं। पुलिस ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर भी रखती है, लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत ने कहा पूरे देश में साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ा जा रहा है। उन्होंने नैनीताल की शैला नेगी के साथ ही हिमांशी नरवाल, विक्रम मिसरी और सोफिया कुरैशी को ट्रोल किये जाने की निन्दा की।
महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने कहा कि दून अस्पताल की मजार तोड़े जाने के खिलाफ राज्यपाल को ज्ञापन देने पर कुछ लोगों ने उन्हें ट्रोल किया। ट्रोल करने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ थाना नेहरू कॉलोनी में मुकदमा दर्ज करवाया गया तो सोशल मीडिया पर लाइव आकर उसने उन्हें एक्टिविस्ट इंद्रेश मैखुरी को फिर से गालियां दी। इसके साथ ही कमला पंत को भद्दी गालियां दी गई। उन्होंने कहा कि इस तरह के लोग ऐसी हिम्मत इसलिए कर पा रहे हैं कि उन्हें सरकार का संरक्षण प्राप्त है। पुलिस ऐसे लोगों को बचाने का प्रयास करती है।
सामाजिक कार्यकर्ता लताफत हुसैन ने कहा कि दून अस्पताल की मजार वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड होने के बावजूद तोड़ी गई, जबकि नये वक्फ कानून पर अभी सुप्रीम कोर्ट की रोक है। उन्होंने कहा कि इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों का जवाब तलब किया है। उत्तराखंड मसीह समाज के धर्म गुरु एसएस चौहान ने कहा कि ईसाई समाज के लोगों को चकराता में कई तरह से परेशान किया जा रहा है। चकराता की चर्च का रास्ता रोका गया है। संबंधित अधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
समाजवादी पार्टी के डॉ. एसएन सचान ने सभी राजनीतिक दलों की ओर से बात रखी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से उत्तराखंड में नफरत फैलाई जा रही है, वह गंभीर है। इस मामले में सपा के साथ ही कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई माले भी उत्तराखंड इंसानियत मंच के साथ है। पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के शीशपाल सिंह बिष्ट, सीएमएम के राजेन्द्र पुरोहित, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, दून सिटीजन फोरम के जगमोहन मेहंदीरत्ता, किसान सभा के सुरेन्द्र सजवाण, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट, इप्टा के वीके डोभाल, एनएपीएसआर के आरिफ खान आदि मौजूद थे।