Friday, June 20, 2025
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घोटालेबाज मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करे राजभवन : जन संघर्ष मोर्चा

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विकासनगर(दे.दून)। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि जिस तरह से कृषि मंत्री गणेश जोशी द्वारा लगातार घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है, उससे सरकार व प्रदेश की छवि धूमिल होती जा रही है। ऐसे महा भ्रष्ट मंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से निकल बाहर करना चाहिए।
नेगी ने कहा कि उक्त भ्रष्ट मंत्री द्वारा सबसे पहले घोटाले बाज उद्यान निदेशक बवेजा को सीबीआई जांच से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करवाई तथा इसी क्रम में हाल ही में कृषि मित्र मेला में घोटाले की पटकथा को अंजाम दिया गया व तराई बीज विकास निगम की परिसंपत्तियों/भूमि नीलाम करने में भी घोटाले का आरोप मंत्री के सर पर है! जैविक खेती/बागवानी में भी गड़बड़ी के आरोप इनके सर पर है। इसके साथ-साथ निर्माणाधीन सैन्य धाम में गड़बड़ी तथा विदेशी टूर में लाखोंरुपए की बर्बादी का आरोप भी उक्त भ्रष्ट मंत्री के सर पर है। नेगी ने कहा कि उक्त महा भ्रष्ट मंत्री द्वारा 5-7 साल में सैकड़ों करोड़ की अघोषित संपत्ति अपने गुर्गों/ परिजनों/ रिश्तेदारों के नाम अर्जित कर ली है, जिसकी जांच होनी बहुत जरूरी है। हाल ही में उच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त तमाम गड़बड़ियों के मामले में मंत्री गणेश जोशी को नोटिस जारी किया गया है, इसका संज्ञान लेकर सरकार को उक्त भ्रष्ट मंत्री को मंत्रिमंडल से निकल बाहर करना चाहिए। इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि जो व्यक्ति 15- 20 साल पहले मुफलिसी के दिन गुजर रहा था, एकदम कैसे सैकड़ों करोड़ (अघोषित) का मालिक बन बैठा।
राजभवन इस बात की भी जांच कराये कि जनपद देहरादून व आसपास जितने भी कंपलेक्स/मॉल अपार्टमेंट इमारतें बने हैं, उनमें कितने इनके परिजनों व गुर्गों के नाम धमकाकर हासिल किए गए हैं। भ्रष्ट मंत्री के काले कारनामों के चलते प्रदेश की छवि धूमिल हो रही है। उक्त भ्रष्ट मंत्री के घोटालों/कारनामों की गूंज पूरे देश प्रदेश में सुनाई दे रही है।
मोर्चा राजभवन से मांग करता है कि उक्त भ्रष्ट मंत्री के काले कारोबार का संज्ञान लेकर मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने हेतु सरकार को निर्देशित करे।पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व विजय राम शर्मा मौजूद थे।

पत्नी की हत्या कर पति खुद भी फांसी पर झूला

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हरिद्वार(आरएनएस)।  हरिद्वार से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। कनखल क्षेत्र में एक ई रिक्शा चालक ने सरिया और डंडे से पीट-पीट कर अपनी पत्नी की हत्या कर दी। इसके बाद खुद भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। दोनों के बीच 12 साल का वैवाहिक संबंध था और एक गोद लिया बेटा भी था। हरिद्वार पुलिस ने पति-पत्नी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
हरिद्वार पुलिस के सीओ सीओ शिशुपाल सिंह नेगी ने बताया कनखल थाना क्षेत्र में जमालपुर कलां की वसंत कुंज कॉलोनी में ई रिक्शा चालक ऋषि कुमार अपनी पत्नी वर्षा के साथ रहता था। मंगलवार सुबह पड़ोसियों ने घर की छत पर कपड़े सुखाने के लिए लगाए गए एंगल के सहारे ऋषि कुमार का शव बगल के खाली प्लाट की तरफ फांसी पर लटका देखा तो कॉलोनी में सनसनी फैल गई। पुलिस पड़ोसी की छत के रास्ते ऋषि कुमार के घर पहुंची और शव उतरवाया। पुलिस प्रथम तल पर पहुंची तो एक कमरे में ऋषि कुमार की पत्नी वर्षा का खून से लथपथ शव बेड पर पड़ा हुआ था। उसके सिर पर लोहे की सरिया और डंडे से किए गए गंभीर वार के निशान मिले।  पास में ही सरिया और एक डंडा पड़ा था। प्रथम दृष्टि या पुलिस या मन रही है कि ऋषि कुमार ने पहले डंडे और सरिया से पीट-पीट कर अपनी पत्नी को मौत के घाट उतारा और फिर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
पुलिस को सामने का दरवाजा बंद मिला जिसके बाद सब पीछे के दरवाजे से दाखिल हुए। अंदर पत्नी का शव पड़ा था। यह भी पता चला कि पति ने पड़ोस में हत्या के बाद फोन भी किया था,जिसमें पति ने पूछा कि दीदी क्या मैं आपके यहां आ जाऊं? पुलिस ने आगे बताया कि दोनों के बीच अक्सर झगड़ा होता रहता था। उन्होंने यह भी बताया कि प्रथम दृष्टया लग रहा है कि गुस्से में पति ने पत्नी की जान ली और आत्मग्लानि में खुद की भी जान ले ली।फिलहाल पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की गहराई से जांच की जा रही है।

खलगां रिजर्व फॉरेस्ट के हल्दुआम में अवैध कैंपिंग को लेकर संयुक्त नागरिक संगठन ने जिलाधिकारी को दिया ज्ञापन

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देहरादून, रायपुर विधान सभा क्षेत्र के खलगां रिजर्व फॉरेस्ट के हल्दुआम में अवैध रूप से कैंपिंग साइट बनाने हेतु जिम्मेदार अशोक अग्रवाल अनिल कुमार के भू स्वामित्व से संबंधित अभिलेखों खसरा खतौनी, लीज डीड, विक्रय पत्रों, पूर्व में हुई समस्त रजिस्ट्रियों का पूरा इतिहास खंगाल कर राजस्व विभाग द्वारा विस्तृत जांच कराए जाने की मांग को लेकर संयुक्त नागरिक संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने उप जिलाधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया।
ज्ञापन के माध्यम से इन्होंने जांचोपरांत भूखंड में अवैध निर्माण पाए जाने पर कठोर कदम उठाने की मांग की। वहीं जिलाधिकारी द्वारा भूमाफियाओं की 900 बीघा जमीन को सरकार में निहित करने के फैसले को प्रशंसनीय कदम बताया।
प्रतिनिधि मंड़ल का कहना था कि राज्य में दून के अलावा अन्य 12 जनपदों से ऐसी कर कठोर कार्रवाई की सूचना नहीं मिली है। अन्य जिलाधिकारियों को भी ऐसे कदम उठाने के लिए शासन से निर्देश जारी होना जनहित में होगा। इन्होंने आशा व्यक्त की कि जिलाधिकारी प्रकरण में कठोर कदम उठाएंगे, बाद में यह प्रतिनिधिमंडल वन विभाग के मुख्यालय में प्रमुख वन संरक्षक से मिला।
संगठन की ओर से दिए ज्ञापन में खलगां रिजर्व फॉरेस्ट में अवैध रूप से पेड़ों के कटान, निर्माण कार्य के प्रयासों की उच्च स्तर से निष्पक्ष जांच होनी जरूरी है। प्रमुख वन संरक्षक हॉफ डॉक्टर धनंजय मोहन ने कहा की इस प्रकरण की जांच गढ़वाल मंडल के अपर प्रमुख वन संरक्षक को दी जा रही है। आरोपो की जांचोपरांत नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इस आश्वासन पर शिष्टमंडल द्वारा आभार व्यक करते हुए इसे सकारात्मक कदम बताया गया।
शिष्टमंडल में संजीव श्रीवास्तव, नरेश चंद्र कुलाश्री, मुकेश नारायण शर्मा, प्रदीप कुकरेती, प्रकाश नागिया, शक्ति प्रसाद डिमरी आदि उपस्थित थे।

हाईस्कूल और इंटर में टॉप करने वाले विद्यार्थी एक दिन के लिए बनेंगे डीएम और एसपी

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देहरादून, उत्तराखंड़ सरकार प्रदेश के होनहार छात्रों को नई प्रेरणा देने और नदियों के संरक्षण में जनसहभागिता को बढ़ावा देने की दिशा में दो महत्वपूर्ण योजनाएं लागू करने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं में टॉप करने वाले विद्यार्थियों को उनके जिले में एक दिन के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक का कार्यभार सौंपा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए सभी जिलों में संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। उन्होंने कहा कि इस पहल का मकसद विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता विकसित करना और उन्हें प्रशासनिक जिम्मेदारियों से रूबरू कराना है, ताकि वे बड़े लक्ष्यों के लिए प्रेरित हो सकें।
इसके साथ ही राज्य में ‘नदी उत्सव’ नामक विशेष अभियान शुरू किया जाएगा, जिसके अंतर्गत प्रमुख नदियों के नाम पर जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस आयोजन के जरिए नदियों की स्वच्छता, संरक्षण और पुनर्जीवन को लेकर लोगों को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य की नदियां केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत का भी अहम हिस्सा हैं। ‘नदी उत्सव’ अभियान से लोगों में जल स्रोतों के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी। जानकार मानते हैं कि यह पहल छात्रों को सम्मानित करने के साथ-साथ जल और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी प्रभावी भूमिका निभाएगी।

आयोग ने जारी की आधिकारिक तिथि, 29 जून को आयोजित होगी UKPCS प्रारंभिक परीक्षा

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देहरादून, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूकेपीएससी) ने सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) प्रारंभिक परीक्षा 2024 की तिथि घोषित कर दी है। यह परीक्षा 29 जून को दो सत्रों में आयोजित की जाएगी।
आयोग के अनुसार, परीक्षा राज्य के 13 जिलों के 24 शहरों में स्थापित विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर होगी। पहला सत्र पूर्वाह्न 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक होगा, जिसमें सामान्य अध्ययन (General Studies) की परीक्षा होगी। दूसरा सत्र दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक, सामान्य बुद्धिमत्ता (General Aptitude) के लिए निर्धारित है।

18 जून से डाउनलोड करें एडमिट कार्ड :
आवेदक 18 जून 2024 से आयोग की आधिकारिक वेबसाइट ukpsc.gov.in पर जाकर अपने प्रवेश पत्र (Admit Card) डाउनलोड कर सकते हैं। आयोग ने अभ्यर्थियों को समय पर एडमिट कार्ड डाउनलोड कर परीक्षा केंद्रों पर नियत समय से पहले पहुंचने की सलाह दी है।

इन विभागों के लिए हो रही है भर्ती :
आयोग की ओर से PCS परीक्षा के माध्यम से विभिन्न विभागों में खाली पदों को भरने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। प्रमुख पदों में शामिल हैं :

डिप्टी कलेक्टर – 3 पद (कार्मिक एवं सतर्कता विभाग)
पुलिस अधीक्षक – 7 पद (गृह विभाग)
वित्तीय अधिकारी/कोषाधिकारी – 10 पद (वित्त विभाग)
सहायक निदेशक / लेखा परीक्षा अधिकारी – 6 पद
उप निबंधक श्रेणी-2 – 12 पद
सहायक आयुक्त (राज्य कर) – 13 पद
राज्य कर अधिकारी – 17 पद

आयोग की तैयारी पूरी, अभ्यर्थियों से सावधानी बरतने की अपील :
उत्तराखंड़ लोक सेवा आयोग ने परीक्षा के सफल संचालन हेतु सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। साथ ही, अभ्यर्थियों से अपील की गई है कि वे एडमिट कार्ड, वैध आईडी प्रूफ और आवश्यक दस्तावेजों के साथ परीक्षा केंद्र पर उपस्थित हों, और किसी भी अफवाह से बचें।

ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर ट्रैफिक जाम से मिलेगी राहत, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी करेंगे अहम बैठक

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देहरादून, चारधाम यात्रा के दौरान बार-बार लगने वाले ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने की दिशा में अब बड़ा कदम उठाया जाएगा। खासकर ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर मुनिकीरेती और तपोवन जैसे इलाकों में ट्रैफिक बाधा बन चुके संकीर्ण मार्गों और भूस्खलन क्षेत्रों की समस्या को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी जल्द ही उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक करेंगे।
यह जानकारी गढ़वाल सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने दी। सोमवार को उन्होंने नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर चारधाम मार्ग की जमीनी हकीकत साझा की। बलूनी ने बताया कि इस दौरान उन्होंने क्षेत्र में बॉटल नेक, स्लाइड जोन और मानसून के दौरान लगने वाले जाम की समस्या को प्रमुखता से उठाया।

चारधाम यात्रा पर असर डालती हैं संकरी सड़कें :
बलूनी ने कहा कि तीर्थ यात्रा के सीजन में भारी भीड़ के चलते संकीर्ण मार्गों पर लंबा जाम लगना आम बात हो गई है, जिससे श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय निवासियों को भी बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खासकर बरसात के मौसम में यह स्थिति और गंभीर हो जाती है।

केंद्रीय मंत्री ने दिया भरोसा,जल्द होगी ठोस कार्रवाई :
अनिल बलूनी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उनकी बातों को गंभीरता से लिया है और आश्वासन दिया है कि अगले पखवाड़े के भीतर एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें इन सभी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा कर तत्काल समाधान के लिए जरूरी फैसले लिए जाएंगे।

गढ़वाल की सड़क समस्याओं के स्थायी हल की ओर एक कदम :
सांसद बलूनी ने इसे गढ़वाल की सड़क संबंधी चुनौतियों के स्थायी समाधान की दिशा में एक मील का पत्थर बताया है। उन्होंने कहा कि यह बैठक न केवल तीर्थ यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाएगी, बल्कि स्थानीय आवागमन और आपातकालीन सेवाओं की सुगमता के लिहाज़ से भी बेहद जरूरी है। साथ ही उन्होंने इसके लिए केंद्रीय मंत्री गडकरी का आभार भी व्यक्त किया।

उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन का क्रमिक अनशन आज पांचवे दिन भी जारी

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देहरादून, ऊर्जा निगम में नियमों एवं न्यायालय के आदेशों को दरकिनार करते हुए सहायक अभियंताओं की वर्ष 2008-09 की ज्येष्ठता सूची में वर्ष 2010 के सीधी भर्ती के सहायक अभियंताओं को रखे जाने जाने के खिलाफ क्रमिक अनशन आज पांचवे दिन भी ऊर्जा निगम मुख्यालय पर जारी रहा।आज एसोसिएशन की मांगो के समर्थन में ई अतुल रावत, ई अशोक यादव एवं ई अलमा अंसारी क्रमिक अनशन बैठे।
यूपीसीएल प्रबंधन द्वारा उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्ति की तिथि से रोटा कोटा करते हुए ज्येष्ठता सूची जारी करने के स्थान पर 2010 में नियुक्त सहायक अभियंताओं को चयन वर्ष 2008-09 में ज्येष्ठता दी गई है ।ऊर्जा निगम प्रबंधन इस मुद्दे पर सरकार एवं शासन को भी भ्रामक जानकारी देकर गुमराह कर रहा है। ऊर्जा निगम द्वारा अवर अभियंताओं एवं सहायक अभियंताओं की ज्येष्ठता सूची तैयार करते समय अलग अलग व्यवस्था अपनाई जा रही है जहां एक तरफ सीधी भर्ती के अवर अभियंताओं को उनकी नियुक्ति के एक वर्ष बाद ज्येष्ठता दी जा रही है वहीं दूसरी ओर सीधी भर्ती के सहायक अभियंताओं को नियुक्ति से पूर्व विज्ञापन की तिथि से ज्येष्ठता दी गई है जो ऐसे में एक ही विभाग एवं एक ही नियमावली होने के बावजूद अलग अलग तरीके से ज्येष्ठता दिया जाने की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।वक्ताओं द्वारा कहा गया कि अवर अभियंता संवर्ग के साथ भेदभाव किया जा रहा है ओर उनके जायज हक से उन्हें वंचित करने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं एवं उनके विरुद्ध गोपनीयता के नाम पर साजिशें रची जा रही है जिससे उनके अधिकारों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। अवर अभियंता संवर्ग अब अन्याय और नहीं सहेगा इसके लिए सड़क से लेकर माननीय न्यायालय तक प्रमुखता से अपने हक की लड़ाई जारी रहेगी। उपभोक्ता सेवा एवं निगम की बेहतरी के लिए प्रथम पंक्ति में रहकर प्रतिबद्धता के साथ कार्य करता है परन्तु इन सबके बावजूद निगम प्रबंधन द्वारा लगातार संवर्ग की अनदेखी की जा रही हैं। अवर अभियंता संवर्ग के सदस्यों के विभागीय प्रकरणों का निस्तारण समय से नहीं किया जा रहा है। निगम में विभागीय आदेशों को वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं किया जा रहा है। निगम प्रबंधन हठधर्मिता पर उतारू है और संवर्ग की जायज समस्याओं को सुनने के लिए भी तैयार नहीं है। एसोसिएशन हमेशा सकारात्मक वार्ता के द्वारा समाधान का पक्षधर रहा है जिस क्रम में एसोसिएशन की प्रबंध निदेशक महोदय की अध्यक्षता में निगम प्रबंधन के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई वार्ता में परन्तु यूपीसीएल प्रबंधन द्वारा एसोसिएशन के साथ सैद्धांतिक सहमति बनने के बाद भी वार्ता का कार्यवृत जारी नहीं किए जाने से गतिरोध बना हुआ है।
उत्तराखंड़ ऊर्जा प्रबंधन द्वारा बिना किसी वैध नियम के सीधी भर्ती के 2010 के सहायक अभियंताओं को 2008-09 की ज्येष्ठता देने के प्रकरण पर झूठ का विमर्श तैयार करते हुए शासन एवं सरकार को गुमराह किया जा रहा है उन नियमों को शासन के सम्मुख प्रस्तुत किया जा रहा है जो कि यूपीसीएल में लागू ही नहीं है।एसोसिएशन की सरकार एवं शासन से मांग है कि संवर्ग के सदस्यों की जायज मांग पर न्यायोचित कार्यवाही करते हुए न्याय प्रदान किया जाए। इस अन्याय के विरोध में तीनों ऊर्जा निगमों के सभी संगठन/ऐसोसिशन पूर्ण रूप से उत्तराखण्ड पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन के साथ खड़े हैं,यदि निगम प्रबंधन द्वारा शीघ्र ही इस अनियमित ज्येष्ठता सूची को निरस्त नहीं किया गया तो आंदोलन को ओर तीव्र किया जाएगा।
आज कार्यक्रम में पवन रावत,सुनील उनियाल, वी के जैन, मनोज कंडवाल, कुलभूषण कुकरेती, सतपाल तोमर, अनिल बडोनी,मुकेश सिंह, नीरज सैनी, शीतल सैनी, सरिता मेहरा,अंजुला, राहुल अग्रवाल ,मनोज रावत, सुनील पोखरियाल, सरिता मेहरा ,नवनीत चौहान, अजीव राणा, जगपाल, अनुज कुमार, ओमकार, कुसुम आदि उपस्थित रहे।

दून पुस्तकालय में दिखायी गयी तीन वृत्तचित्र फिल्में

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देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सभागार में वृत्तचित्र फिल्मों की एक शाम कार्यक्रम के तहत आज सायं तीन बस्तियों की फ़िल्में प्रदर्शित की गयीं. प्रदर्शित पहली फ़िल्म बिन सवल्यांच्या गावत थी. इसका निर्देशन निर्देशक गौरी पटवर्धन ने किया है इसकी अवधि 52 मिनट की थी.2017 में बनी यह फ़िल्म मराठी,अंग्रेजी में है. दूसरी प्रदर्शित फ़िल्म दिल की बस्ती में थी इसका निर्देशक अनवर जमाल हैं 52 मिनट अवधि की यह फ़िल्म 2011 में बनी और यह हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी में है. अंत में कोई चाँद भी नहीं, फ़िल्म के
निर्देशक, अजय टीजी थे. इसकी अवधि 26 मिनट थी. हिंदी, अंग्रेजी में यह फ़िल्म 2018 में बनी है l
उल्लेखनीय है कि बिन सवल्यांच्या गावत में दिखाया गया है कि कोई एक शहर किस तरह बनता है? शहर बनते समय क्या याद रखा जाता है? क्या भुला दिया जाता है? कुछ महत्वपूर्ण सवालों को उठाते हुए यह फिल्म बताती है कि पुणे में हेरिटेज वॉक किस तरह शहर के इतिहास को एक संकीर्ण ढांचे में परिभाषित करने की कोशिश करता है, जो मात्र उच्च वर्ग के लिए है, जबकि वे शहर का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं। शहर में ऐतिहासिक धरोहरों और इमारतों का अस्तित्व खत्म करने का दलित बहुजन समुदाय के लिए क्या मायने रखता है, जबकि वे उनमें से कुछ को वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ?
वहीं दिल की बस्ती फ़िल्म में पुरानी दिल्ली का चहारदीवारी वाला शहर अपने आप में एक सांस्कृतिक ब्रह्मांड कि तरह उभरकर आया है। एक फैला हुआ, अव्यवस्थित, लेकिन संक्रामक रूप से जीवंत पड़ोस, जहाँ जीवन अस्तित्व के निरंतर संघर्ष में कई आकर्षक रूपों में प्रकट होता है। अतीत और वर्तमान, नष्ट होते और नवीनीकरण, आशा और निराशा के बीच जकड़ा हुआ एक जीवंत शहर।
कोई चाँद भी नहीं फ़िल्म छत्तीसगढ़ में पर्यावरण और मानवाधिकारों की गहन उपेक्षा को दर्शाती है। इस तरह के विकास से प्रभावित एक आदिवासी परिवार की गवाही के आधार पर, फ़िल्म बताती है कि कैसे उनके घरों को ध्वस्त किया गया और समृद्ध खेती की जमीन को हड़प लिया गया।
प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने उपस्थित लोगों जा स्वागत किया. फ़िल्म प्रदर्शन के दौरान हिमांशु आहूजा,विजय भट्ट, कर्नल वी के दुग्गल, डॉ. योगेंद्र सिंह , बद्रीश छाबड़ा, डी के कांडपाल, इरा चौहान, बिजू नेगी, प्रोफेसर सुनील कुमार सक्सेना, कुलभूषण सहित कई फिल्मेप्रेमी, सामजिक कार्यकर्ता, लेखक, साहित्यकार व युवा
पाठक आदि उपस्थित थे. फ़िल्म का प्रदर्शन निकोलस हॉफलैंड ने किया l

महिलाओं के खिलाफ गलत टिप्पणी को कदापि भी बर्दाश्त नहीं होगी : बचना शर्मा

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देहरादून (विकासनगर), जनपद के चकराता की ग्राम सभा लाखामंडल की लड़कियों द्वारा एक सामूहिक बैठक आयोजित की गई जिसमें भारी संख्या में क्षेत्र की महिलाओं ने प्रदर्शन किया, जिसमें सभी ने क्षेत्र महिलाओं के खिलाफ गलत टिप्पणी करने वाले संस्था एवं महिला के खिलाफ भारी रोष व्यक्त किया गया, इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इस तरह का लांछन व गलत टिप्पणी को कदापि भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा l क्षेत्र की भाजपा नेत्री एवं समाज सेविका बचना शर्मा ने कहा कि जौनसार बावर में सबसे ज्यादा मान सम्मान महिलाओं को दिया जाता है, जबकि बड़ी से बड़ी घटनाएं होने के बावजूद भी गांव क्षेत्र की कोई भी महिला किसी भी फैसले को लेकर अपने विपक्ष के घर जाकर उस फैसले को सतह ही निपटारा हो जाता है वहीं किसी भी धार्मिक अनुष्ठान व शादी विवाह में जौनसार बाबर की धयानटूडियां और रेईटूडिया को सबसे ज्यादा मान सम्मान दिया जाता है, इस प्रकार के लांछन लगाने वाली संस्था एवं महिला बिना कुछ जाने पहचाने किसी पर लांछन लगाना न्याय एवं समाज के विरुद्ध घटना को माना जाता है, यह महिला ना तो जौनसार मूल की है और ना ही जौनसार बावर की संस्कृति से अवगत है, बचना शर्मा का कहना है कि उत्तराखंड ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारत में अगर महिलाओं का सबसे अधिक मान- सम्मान किया जाता है तो वह जौनसार बाबर की देवस्थली जगह है l गांव क्षेत्र की सभी महिलाओं का कहना है कि इस संस्था व महिला के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग करती है, अगर ऐसा नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा l इस आक्रोश प्रदर्शन में सम्मिलित महिलाओं में फूलों देवी, लक्ष्मी गोद, सरोज शर्मा भाजपा नेत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता बचना शर्मा, मोनिका भट्ट, ग्राम प्रधान सोनिया, क्षेत्र पंचायत उषा वर्मा, सरिता बहुगुणा, प्रेमा शर्मा, सुमन अस्वाल, सोना शर्मा, इंदिरा शर्मा, कविता बहुगुणा, रोमा गॉड, अंकिता गॉड, स्वाति गॉड, तारी देवी, सुर्जनी देवी, कृष्ण बहुगुणा, मीनो शर्मा, अंकिता बहुगुणा, अजिता, बीना भट्ट आदि मौजूद रहीं l

जिप अध्यक्ष, क्षेत्र प्रमुखों का चुनाव आम मतदाताओं से हो, सीएम तथा पंचायत मंत्री से खफा है प्रतिनिधि, अध्यादेश लाए केन्द्र सरकार

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देहरादून, उत्तराखंड़ त्रिस्तरीय पंचायत संगठन में प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा पंचायती राज मंत्री को पत्र लिखकर क्षेत्र प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव आम जनता से कराए जाने पर तत्काल निर्णय लिए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि आम जनता से चुनाव होने पर खरीद फरोख्त की प्रक्रिया बंद हो जाएगी। इससे पंचायती राज व्यवस्था और मजबूत होगी।
उत्तराखंड़ की पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज अपने कार्यकाल में क्षेत्र प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव आम जनता से कराए जाने की बात कई मर्तबा कह चुके हैं।
राज्य सरकार की ओर से एक प्रस्ताव भी भारत सरकार को दिया गया है। उत्तराखंड के 12 जनपदों में त्रिस्तरीय पंचायत 2025 शुरू होने वाला है। अभी तक क्षेत्र प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव पुरानी पद्धति से होगा या नई पद्धति से इस पर कोई स्पष्टता नहीं दिख रही है।
संगठन के राज्य संयोजक जगत मर्तोलिया ने कहा कि अनुच्छेद 243 (ग) के 5क में जैसा तय करे राज्य सरकार स्पष्ट लिखा हुआ है। इसलिए कुछ राज्यों में ग्राम प्रधान का चुनाव जनता से तथा कुछ राज्यों में वार्ड मेंबर द्वारा किया जाता है।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद के 5ख में जिला पंचायत अध्यक्ष तथा क्षेत्र प्रमुखों के चुनाव की व्यवस्था दी गई है। जिसमें क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत सदस्यों में से चुने जाने की व्यवस्था लागू गई है। उन्होंने कहा कि 5ख में भी 5क की तरह राज्य सरकारों को अधिकार दिए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार को अध्यादेश लाकर अनुच्छेद में बदलाव लाना चाहिए ताकि राज्य सरकार ने राज्य अपनी इच्छानुसार क्षेत्र प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव कर सके। उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था के चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता तथा सुधार लाने के लिए जनता के द्वारा क्षेत्र प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव कराया जाना आवश्यक है।
इस पर मुख्यमंत्री तथा पंचायती राज मंत्री को तत्काल सरकार का पक्ष उत्तराखंड की जनता के सामने रखना चाहिए।

 

तीन बच्चों का नियम पहले सांसद, विधायकों पर हो लागू

देहरादून, संगठन ने त्रिस्तरीय पंचायत के विभिन्न पदों में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए तीन बच्चों का नियम थोपने पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने कहा कि जब विधायक तथा सांसदों के चुनाव में बच्चों की संख्या की अनिवार्यता नहीं है तो पंचायत चुनाव में इस प्रकार का नियम बनाना लोकतंत्र का मजाक है। उन्होंने कहा कि पहले सांसद तथा विधायकों के लिए अनिवार्य की जाए। उसके बाद पंचायत में लागू किया जाए।
ज्ञात रहे 25 जुलाई 2019 के बाद 3 से अधिक बच्चे वाले चुनाव नहीं लड़ सकते है। इस कानून को काला कानून बताते हुए तत्काल इस पर रोक लगाने की मांग की। इससे एक पंथ की जनसँख्या में भारी बढ़ोत्तरी होने का आशंका है।