Wednesday, June 25, 2025
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उत्तराखंड : प्रदेश में हाउस टैक्स अब सीधे सर्किल रेट से जुड़ा

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देहरादून, उत्तराखंड सरकार ने नगर निगम और नगर पालिका क्षेत्रों में हाउस टैक्स तय करने की प्रक्रिया को सीधे सर्किल रेट से जोड़ दिया गया है और इसको लेकर अध्यादेश को राजभवन ने मंजूरी दे दी है। विधायी से अध्यादेश की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। अब संपत्ति कर की दर वार्षिक मूल्य 0.01 प्रतिशत से एक प्रतिशत के बीच होगी।

पूंजीगत मूल्य आधारित संपत्ति कर प्रारंभ होने के अगले पांच वर्षों में किसी भी दशा में ठीक पूर्व के वर्ष में निर्धारित कर से कम या पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। इसके बाद आने वाले वर्षों में संपत्ति कर में प्रतिवर्ष की वृद्धि की अधिकतम दर नियमावली में तय प्रावधानों के तहत तय होगी।

राज्य के नगरीय क्षेत्र के लोगों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े इसके लिए सरकार ने अगले पांच साल तक सालाना अधिकतम बढ़ोत्तरी पांच प्रतिशत तक सीमित रखी है। इसके साथ ही पूंजीगत मूल्य आधारित संपत्ति कर का निर्धारण हर वर्ष में एकबार किया जाएगा। एक अप्रैल को तय सर्किल रेट के आधार पर ही पूरे वर्ष का संपत्ति कर निर्धारित होगा।

नई व्यवस्था को लेकर शासन में प्रमुख सचिव विधायी हीरा सिंह बोनाल की ओर से विधिवत अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस नये भवन कर से भवन या भूमि या दोनों जैसी भी स्थिति हो, के पूंजीगत मूल्य जो कि भवन के कवर्ड एरिया या भूमि के क्षेत्रफल या दोनों जैसी भी स्थिति हो, को सर्किल रेट से गुणा कर प्राप्त मूल्य होगा। इस कुल मूल्य पर सामान्य कर की दर वार्षिक मूल्य के 0.01 प्रतिशत से एक प्रतिशत के बीच होगी। जो अगले पांच सालों में किसी भी दशा में ठीक पिछले वर्ष के निर्धारित कर से कम या पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

मुख्यमंत्री ने फिल्म ‘‘हिन्दुत्व’’ का मुहुर्त शाॅट लिया, उत्तराखण्ड में होगी फिल्म की अधिकांश शूटिंग

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देहरादून, सूबे के मुखिया त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में फिल्म ‘‘हिन्दुत्व’’ का मुहुर्त शाॅट लिया। इस फिल्म के निर्देशक श्री करण राजधान हैं। इस फिल्म की अधिकांश शूटिंग उत्तराखण्ड में होगी। फिल्म के मुख्य कलाकार आशीष शर्मा, सोनारिका, दीपिका चिखलिया, अनूप जलोटा एवं अंकित राज हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जिस उद्देश्य के साथ हिन्दुत्व फिल्म बनाई जा रही है, उम्मीद है कि यह फिल्म हिन्दुत्व को दुनिया में पहुंचाने में सफल होगी। फिल्मों का समाज एवं मानव जीवन कितना गहरा प्रभाव पड़ता है, इसके अनेक उदाहरण है। हिन्तुत्व शब्द प्रेम, उदार और विश्वास का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति है, और सनातन संस्कृति का आधार हिन्दुत्व है।
फिल्म के निर्देशक करण राजधान ने कहा कि हिन्दुत्व फिल्म में मुख्य उद्देश्य प्रेम, बलिदान एवं सद्भावना के मिलन को दिखाने का प्रयास किया जायेगा। इस फिल्म के माध्यम से दुनियाभर में हिन्दुत्व का संदेश देने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही उत्तराखण्ड में एक और फिल्म की शूटिंग की जायेगी।
इस अवसर पर विधायक कैलाश चन्द गैहतौड़ी, मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार के.एस. पंवार, सचिव सूचना दिलीप जावलकर, उत्तराखण्ड फिल्म विकास परषिद के नोडल अधिकारी के.एस. चौहान आदि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित हुई उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद् के शासी निकाय की नवी बैठक

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देहरादून। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में उत्तराखण्ड हथकरघा एवं हस्त शिल्प विकास परिषद के शासी निकाय की नवीं बैठक आयोजित हुई। बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि राज्य के हस्तशिल्प एवं अन्य उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के लिये पेशेवर डिजायनरों की सेवायें ली जाय तथा उपयुक्त स्थलों पर उत्पादों के इम्पोरियम स्थापित किये जाय। राज्य के उत्पादों के इम्पोरियम बड़े शहरों में भी स्थापित किये जायें। इसके साथ ही ऊन के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये ऊन के कलस्टर तैयार करने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे उत्पादों को विशिष्ट पहचान मिले, इसके लिये उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाय। बांस, भीमल व पिरूल का भी हस्तशिल्प में विशेष उपयोग किया जाय। वन पंचायतों के माध्यम से रिंगाल उत्पादन की दिशा में कार्य किया जाय।
बैठक में मुख्यमंत्री ने हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद् के लिये एक करोड़ की अतिरिक्त धनराशि भी स्वीकृत की। परिषद् को यह धनराशि रिवॉल्विंग फण्ड के रूप में उपलब्ध होगी। पूर्व मे इसके लिये एक करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई थी। शिल्पियों एवं बुनकरों आदि को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिये यह अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत की गई है।

बैठक में सचिव श्री सचिन कुर्वे ने बताया कि भारत सरकार के एकीकृत हस्तशिल्प विकास एवं प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत चयनित विकास खण्डों में दो माह की डिजाइन कार्यशाला एवं 5 माह की एकीकृत डिजाइन विकास कार्यशाला, टूल वितरण, ब्रायर सेलर मीट प्रदर्शनी, राज्य स्तरीय मार्केटिंग वर्कशाप के जरिये 50 हजार शिल्पियों को लाभान्वित किया गया है, जिसमें 14 हजार बुनकर भी शामिल है। राज्य के ऐंपण काष्ठ कला, आर्टिटिस्क ऊन उत्पाद, प्राकृतिक रेशां जैसे विभिन्न शिल्पों के सर्वे एवं अध्ययन की योजना दून विश्वविद्यालय के माध्यम से पूर्ण कर ली गई है।

इसके अतिरिक्त मानव संसाधन विकास योजना के तहत कलात्मक कार्पेट का 4 माह का प्रशिक्षण उधम सिंह नगर में, काष्ठ शिल्प प्रशिक्षण श्रीनगर में तथा ऊलन क्राफ्ट का तकनीकि प्रशिक्षण धारचूला, मुन्स्यारी व नाकुरी (उत्तकाशी) में पूर्ण किया गया है। इसके साथ ही नैनीताल, उधम सिंह नगर, चमोली, उत्तरकाशी एवं पौड़ी मे 4 माह के छः तकनीकि प्रशिक्षिण कार्यक्रम भी गत वर्ष आयोजित किये गये हैं। इसके साथ ही विभिन्न जनपदों में 5 माह के 9 एकीकृत डिजाइन विकास कार्यक्रम भी आयोजित किये गये। एकीकृत हस्तशिल्प विकास एवं प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत चयनित 15 विकास खण्डो के सुविधा केन्द्रों में जूट, काष्ठ, रिगाल, ऐंपण, वूलन, ताम्र, कार्पेट, ब्लॉक प्रिन्टिंग एवं पॉटरी आदि से सम्बन्धित मशीन एवं उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में शिल्प आधारित ग्रोथ सेन्टरों की स्थापना के अन्तर्गत ग्रोथ सेन्टरों की स्थापना के अन्तर्गत उत्तरकाशी के श्रीकोट, पुरोला में काष्ठ शिल्प, हल्द्वानी में एपण एवं जूट, घिंघराण चमोली में वूलन तथा पीपलकोटी में काष्ठ एवं रिगाल के ग्रोथ सेन्टर स्वीकृत किये गये हैं।
बैठक में हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद् के उपाध्यक्ष श्री रोशन लाल सेमवाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी बांस एवं रेशा विकास परिषद् श्री मनोज चन्द्रन, निदेशक उद्योग एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सुधीर नौटियाल के साथ ही शासी निकाय के अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।

बजट सत्र के दूसरे दौर में सामान्य तरीके से चलाई जा सकती है संसद, जानें वजह और क्‍या बन रही संभावनाएं

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नई दिल्ली,। बजट सत्र के पहले चरण के कोरोना से मुक्त रहने की बात को ध्यान में देखते हुए संसद में सामान्य स्थिति बहाल किए जाने के विकल्पों पर चर्चा शुरू हो गई है। इस विचार पर गौर किया जा रहा है कि कोरोना का असर कमजोर पड़ने से बजट सत्र के दूसरे हिस्से में संसद के दोनों सदनों की बैठक अलग-अलग पालियों की बजाय सामान्य रूप से बुलाई जाए। दो हफ्ते के बजट सत्र के पहले हिस्से में सांसदों की सक्रियता पिछले करीब एक साल में सबसे ज्यादा रही। इसके बावजूद काफी कम संख्या में सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए।

केवल तीन सांसद ही कोरोना पॉजिटिव निकले

संसदीय सचिवालय के सूत्रों के अनुसार बजट सत्र के पहले चरण से पूर्व सैकड़ों सांसद समेत करीब 5000 कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों, मीडिया आदि के प्रतिनिधियों का कोरोना टेस्ट हुआ। इसमें इक्का-दुक्का लोगों के अलावा केवल तीन सांसद ही कोरोना पॉजिटिव निकले। बेशक संसद की ओर से कोरोना प्रोटोकाल का सत्र के दौरान पूरा प्रबंध ही नहीं नियंत्रण भी रहा पर सांसदों की आवाजाही और आपसी मेल-मिलाप इस बार कहीं ज्यादा रहा। जबकि बेहद छोटे मानसून सत्र के दौरान सदस्यों की मौजूदगी काफी कम रही फिर भी उस समय तीन दर्जन से ज्यादा सांसद कोरोना पॉजिटिव हो गए।

आंकड़ों के आधार पर होगा विचार

देश में कोरोना मामलों की घटती संख्या के साथ बजट सत्र के पहले हिस्से में इसका खास असर नहीं होने के आंकड़ों के आधार पर ही संसद में सामान्य स्थिति बहाली के विकल्प पर गौर किया जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बजट सत्र के पहले चरण के आखिरी दिन बातचीत के दौरान इस बारे में पूछे जाने पर दो पालियों की बजाय एक ही पाली में संसद की बैठकें बुलाए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया। हालांकि यह पूरी तरह तात्‍कालिक परिस्थितियों पर भी निर्भर करेगा…

ज्‍यादा रही सांसदों की मौजूदगी

लोकसभा अध्‍यक्ष का कहना था कि कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए मौजूदा सत्र में अधिक संख्या में सांसदों की मौजूदगी रही। ऐसे में संसद में सामान्य स्थिति जल्द बहाल हो इस पर गौर किया जाएगा। गौरतलब है कि कोरोना के कारण शीत सत्र की बैठक नहीं बुलाई गई तो संसदीय स्थायी समितियों की बैठकों में भी सांसद काफी कम संख्या में शामिल हो रहे थे। कई समितियों की बैठकें तो कोरम लायक सांसदों के न जुट पाने की वजह से टल गईं। लेकिन बजट सत्रावकाश के दौरान प्रस्तावित संसदीय समितियों की बैठकों में सांसदों की उपस्थिति बढ़ने के पुख्ता आसार हैं।( जेएनएन)

Digital Gold: कैसे करें डिजिटल गोल्ड की खरीद? क्या हैं इसके नफा और नुकसान?

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आज भले ही सोने को करेंसी में इस्तेमाल नहीं किया जाता है, लेकिन इसे पैसे के तौर पर अवश्य इस्तेमाल किया जा सकता है. वास्तव में, सोने को करीब 3 हजार साल से भी ज्यादा वक्त से लोग स्टोरेज करते आ रहे हैं. भारत मे सोने का ‘भगवान का धन’ माना जाता है और इसे खास मौके पर मंदिरों में चढ़ाया जाता है. यही वजह है कि भारत आज दुनिया के मुकाबले सोने का सबसे बड़ा आयातक देश है. कोरोना महामारी के बीच भारत ने पीले धातु में निवेश का नया तरीका अख्तियार कर लिया है और वो है- डिजिटल गोल्ड.

ऐसे वक्त में जब लोग ज्वैलरी स्टोर्स और ज्वैलरी डीलर्स के पास जाकर सोने की खरीददारी करने से हिचकते हैं, ऐसे में इसमें निवेश करने वालों के लिए ऑनलाइन सोने की खरीद एक विकल्प के तौर पर सामने आया है. कोरोना महामारी के चलते सोने में निवेश के लिए डिजिटल गोल्ड के तौर पर इसकी खरीददारी को काफी पॉपुलरिटी मिली है.

क्या है डिजिटल गोल्ड ?

जब आप खुद दुकान पर सोने की खरीददारी करने जाते हैं तो उसमें कई तरह के जोखिम हैं, जैसे- सोने की सही और उसकी शुद्धता की पहचान करना. उसके बाद सुरक्षित तरीके से रखना. इसके अलावा, हम इस वक्त जिस महामारी के दौर से गुजर रहे हैं, ऐसे में सोने के डीलर्स या ज्वैलरी स्टोर्स पर जाना ठीक नहीं रहेगा.

ऐसे में डिजिटल गोल्ड को ऑनलाइन खरीदा जा सकता है, ग्राहक की मांग पर इसे विक्रेता की ओर से बीमा कर स्टोर किया जा सकता है. ऐसे में शारीरिक तौर पर सोने की खरीद करने में जो भी समस्या आती है, उसका इसके जरिए समाधन हो जाता है. डिजिटल गोल्ड में कहीं से भी निवेश के लिए आपको सिर्फ आपको इंटरनेट/मोबाइल बैंकिंग की जरूरत पड़ती है.

कैसे काम करता है डिजिटली गोल्ड

आप डिजटली गोल्ड में कई तरह से निवेश कर सकते हैं, जैसे- पेटीएम, गूगल पे और फोन पे. ब्रोकर्स जैसे एचडीएफसी सिक्योरिटीज और मोतीलाल ओसवाल के पास भी डिजिटल गोल्ड में निवेश के विकल्प हैं.

वर्तमान में तीन कंपनियों डिजिटल गोल्ड में निवेश के विकल्प दे रही हैं, ये हैं-

1-ऑगमोन्ड गोल्ड लिमिटेड ( Augmont Gold Ltd).
2.(एमएमटीसी-पीएएमपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) MMTC-PAMP India Pvt. Ltd.

3.डिजिटल गोल्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड Digital Gold India Pvt/ Ltd

नुकसान

अधिकतर प्लेटफॉर्म्स पर निवेश के लिए सीमा 2 लाख रुपये तक ही है.

इसको लेकर आधिकारिक तौर पर ऑफिशियल रेगुलेटरी संस्था नहीं है, जैसे- आरबीआई और सेबी.

सोने की कीमत में डिलिवरी और मेंकिंग चार्ज जोड़ा जाता है

कुछ मामलों में कंपनियों कुछ सीमित समय तक रखने का ऑफर देती है, उसके बाद या तो उससे सोना डिलीवरी लेना पड़ेगा या फिर सोने को बेचना पड़ेगा.

मोबाइल फोन से अब 15 देशों की करेंसी में भेज सकते हैं पैसे, इस बैंक ने लॉन्च की नई स्कीम

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नई दिल्ली. मोबाइल फाेन के जरिए आप भी 15 देशों की करेंसी में रुपए भेज सकते हैं. इसके लिए कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) ने सोमवार को ग्राहकों के लिए नई सर्विस लॉन्च की है. बैंक ने मोबाइल पर आउटवर्ड फॉरेक्स रिमिटन्स सर्विस कोटक रिमिट (Kotak Remit) शुरू की है.
कोटक रिमिट के जरिए विदेश में रह रहे अपने सगे-संबंधियों को सीधे मोबाइल फोन से फंड ट्रांसफर कर सकते हैं. यह सर्विस यूजर्स को अपने मोबाइल से डायरेक्ट विदेश में पैसे भेजने की अनुमति देता है. आउटवर्ड फॉरेक्स रिमिटन्स सॉल्यूशन कोटक मोबाइल बैंकिंग ऐप पर लाइव है. कोटक महिंद्रा बैंक ने एक प्रेस रिलीज में कहा, पहली बार कोटक ग्राहक अपने मोबाइल से विदेश में अपने लाभार्थियों को सीधे पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. ग्राहकों को 25,000 अमेरिकी डॉलर तक के लेनदेन के लिए कोई फिजिकल डॉक्यूमेंट्स नहीं देने होंगे.

डॉलर से लेकर सऊदी रियाद जैसी करेंसी में पैसे हो सकते हैं ट्रांसफर
कोटक रिमिट 15 करेंसीज में रिमिटन्स ऑफर कर करता है जिसमें अमेरिकी डॉलर, ऑस्ट्रेलियन डॉलर, यूके पाउंड स्टर्लिंग, हांग कांग डॉलर, सऊदी रियाल, कनैडियन डॉलर, सिंगापुर डॉलर, यूरो, जापानी येन शामिल हैं. कोटक महिंद्रा बैंक के प्रेसिडेंट और को-हेड- ट्रिजरी एंड ग्लोबल मार्केट्स फनी शंकर ने कहा, मोबाइल क्रांति ने हमारे बैंक, निवेश, दुकान और भुगतान के तरीके को बदल दिया है. घरेलू भुगतान फोकस के मुख्य क्षेत्रों में से एक रहा है. मोबाइल पर कोटक रेमिट के लॉन्च के साथ अंतरराष्ट्रीय भुगतानों को शामिल करते हुए डिजिटल परिवर्तन के एक नए चरण में प्रवेश किया है। यह ग्राहकों को मोबाइल पर बैंकिंग के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय फंड ट्रांसफर करने की सुविधा देता है.

सालाना ढाई लाख डॉलर की है लिमिट
ट्रांसफर डिटेल्स और बेनिफिशियरी डिटेल्स भरकर, ग्राहक कोटक रिमिट के जरिये प्रति दिन 25,000 अमेरिकी डॉलर (18 लाख रुपए ) या समकक्ष और एक वित्तीय वर्ष में 250,000 अमेरिकी डॉलर तक या इसके बराबर भुगतान कर सकते हैं. ग्राहक को लेन-देन की प्रक्रिया के हर स्तर पर एक नोटिफिकेशन मिलेगा.

श्रीदेव सुमन विवि में लागू होगी केन्द्रीय मूल्यांकन व्यवस्था: डा. धन सिंह

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नई टिहरी, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में आगामी सत्र से परीक्षाओं का केंन्द्रीय मूल्यकांन कराया जायेगा, ताकि परीक्षा परिणाम एक निश्चित समय सीमा के अंतर्गत जारी किया जा सके। केन्द्रीय मूल्यंाकन विश्वविद्यालय के ऋषिकेश परिसर में होगा। यही नहीं परीक्षाएं सम्पन्न कराये जाने का कार्य भी भारत सरकार या राज्य सरकार में सूचीबद्ध विशेषज्ञ कंपनियों को दिया जायेगा। इसके अलावा राजकीय महाविद्यालय ऋषिकेश का परिसर एक सप्ताह के भीतर विश्वविद्यालय को मिल जायेगा। जिसकी कार्यवाही शासन स्तर पर अंतिम चरण में है।

यह बात उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विश्वविद्यालय में विभिन्न बिन्दुओं पर आयोजित समीक्षा बैठक के उपरांत कही। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत सभी विश्वविद्यालयों को नैक मूल्यांकन कराना अति आवश्यक है। जिसके लिए प्रदेश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानांे को निर्देश दिये जा चुके हैं कि वह वर्ष 2022 तक नैक मूल्यांकन करा लें। बैठक में कुलपति प्रो. पी.पी. ध्यानी ने विश्वविद्यालय में स्थाई अधिकारियों एवं कार्मिकों की तैनाती की बात रखी। जिस पर विभागीय मंत्री ने कहा कि शीघ्र ही विश्वविद्यालय को कुलसचिव मिल जायेगा साथ ही परीक्षा संबंधी कार्यों के लिए सेवानिवृत्त अनुभवी कार्मियों को रखने की अनुमति दे दी जयेगी।

डा. रावत ने इस बात पर नाराजगी जताई कि विश्वविद्यालय में वर्ष 2016 से स्वीकृत कई शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर पद रिक्त पड़े हुए हैं। जिस पर उन्होंने तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश विश्वविद्यालय प्रशासन को दिये। निजी संस्थानों के संबंद्धता में आ रही दिक्कतों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मानक पूरे करने वाले संस्थानों को तत्काल संबंद्धता प्रदान की जाय। जिसके लिए विश्वविद्यालय चाहे तो अपनी परिनियमावली में संशोधन कर सकता है। निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए डा. रावत ने कहा कि विवि के मुख्यालय बादशाहीथौल एवं ऋषिकेश परिसर के लिए तत्काल प्रस्ताव तैयार कर निर्माण कार्य शुरू कराये जाय। विश्वविद्यालय प्रशासन को यूजीसी गाइडलाइन के अंतर्गत शीघ्र डीजी लाॅकर सिस्टम लागू करने के साथ ही बेवसाइट अपग्रेड कराने के भी निर्देश दिये गये।

डा. रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय में नए परीक्षा नियंत्रक की तैनाती कर दी गई है। इसी प्रकार संबद्धता संबंधी कार्यों के लिए स्थाई कर्मचारी को जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए। बजट संबंधी विषय पर चर्चा करते हुए विभागीय मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय के शासन स्तर पर लम्बित प्रकरण का भी शीघ्र समाधान कर लिया जायेगा तथा जो स्वीकृत धनराशि शासन स्तर पर लम्बित है उसको भी आवश्यकतानुसार जारी कर दिया जायेगा।
बैठक में स्थानीय विधायक धन सिंह नेगी, कुलपति प्रो. पी.पी. ध्यानी, परीक्षा नियंत्रक डा. महावीर सिंह रावत, सहायक परीक्षा नियंत्रक डा. हेमंत बिष्ट, बी लाल आर्य, आदि उपस्थित रहे।

हल्द्वानी- नये DM की नयी नायाब पहल, अब ऐपण कला की दस्तक हर सरकारी दफ्तर में

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(चन्दन सिंह बिष्ट)

हल्द्वानी- नैनीताल जिले के नवनियुक्त जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने उत्तराखंड की लोक कला और लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए एक नायाब पहल शुरू की है जिस तरह इससे पूर्व पौड़ी जिले में उन्होंने अपने कार्यकाल में अलग कार्य कर अपनी पहचान बनाई थी उसी तरह नैनीताल जिले में भी अब हर सरकारी दफ्तर में जिलाधिकारी के निर्देश के बाद ऐपण कला की दस्तक दिखाई देगी क्योंकि जिलाधिकारी के निर्देश पर अब हर सरकारी दफ्तर में सरकारी अधिकारियों के पद नाम ऐपण कला में दिखाई देंगे।

उत्तराखंड की लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने के साथ ही जिलाधिकारी की यह पहल ऐपण लोक कला से जुड़ी महिलाओं के लिए रोजगार का नया माध्यम बनेगी जिलाधिकारी द्वारा जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक विपिन कुमार को निर्देशित किया गया है कि वह सभी विभागों के अधिकारियों के दफ्तर में लगने वाले नेम प्लेट सहित अन्य प्रतीक चिन्ह ऐपण लोक कला में बनाएंगे।

जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक विपिन कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर अभी उनके द्वारा सभी विभागों से पद और नाम मांगे गए हैं साथ ही ऐपण कला से जुड़ी महिलाओं से सैंपल बनाने के लिए कहा गया है जिलाधिकारी द्वारा जिस सैंपल को फाइनल किया जाएगा उसी तरह की नेम प्लेट जिले के हर दफ्तर में दिखाई देगी।गौरतलब है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा इस इनिशिएटिव को शुरू किया गया है इससे पूर्व पिथौरागढ़ मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय में भी ऐपण लोक कला की शानदार छवि देखने को मिली है यह न सिर्फ उत्तराखंड की पहचान बनेगी बल्कि इस लोक कला के माध्यम से स्वरोजगार भी मिलेगा।

कोरोना संक्रमण के आज मिले 47 संक्रमित, लगातार दूसरे दिन भी नहीं हुई एक भी संक्रमित मरीज की मौत

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देहरादून, उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित मामलों में कमी आने लगी है, राज्य में लगातार दूसरे दिन एक भी संक्रमित मरीज की मौत नहीं हुई है, जबकि पांच जिलों में 47 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं। कुल संक्रमितों की संख्या 96867 हो गई है। इसमें 93160 मरीजों ने कोरोना को मात दी है। वर्तमान में 615 सक्रिय मरीजों का इलाज चल रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को 7859 सैंपलों की जांच रिपोर्ट निगेटिव मिली है। देहरादून जिले में 17 कोरोना मरीज मिले हैं। हरिद्वार में 16, नैनीताल में आठ, चमोली जिले में पांच, ऊधमसिंह नगर जिले में एक संक्रमित मिला है।

 

प्रदेश में अब तक 1680 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं, आज 99 मरीजों को ठीक होने के बाद घर भेजा गया। इन्हें मिला कर 93160 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। हरिद्वार और नैनीताल को छोड़ कर बाकी 11 जिलों में सक्रिय मरीजों की संख्या सौ से कम है। जबकि हरिद्वार में 149 और नैनीताल जिले में 101 एक्टिव केस हैं। संक्रमितों की तुलना में ठीक होने वालों की संख्या अधिक होने से प्रदेश में रिकवरी दर 96.17 प्रतिशत हो गई है।

एम्स : कोविड-19 वैक्सीन टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण शुरू

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ऋषिकेश,एम्स में कोविड-19 टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण सोमवार को शुरू हो गया। दूसरे चरण के अभियान के पहले दिन एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता समेत कई अन्य लोगों ने कोरोना टीकाकरण कराया। इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि कोविड-19 टीकाकरण के तहत दूसरी डोज लगने के बाद भी कोरोना का खतरा अभी अगले 2 महीने तक और रह सकता है। लिहाजा किसी को भी इसको लेकर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

रविवार को भारत सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद सोमवार से एम्स, ऋषिकेश में कोविड वैक्सीन टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू कर दिया गया। संस्थान के आयुष भवन स्थित कोविड वैक्सीनेशन सेंटर में सोमवार को अन्य लोगों के साथ साथ एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी और डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता जी ने भी कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाई।

इस मौके पर निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि दूसरी डोज लगाने के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी किसी तरह की कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगने पर कुछ सामान्य दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन यह वैक्सीन लगने के बाद के सामान्य लक्षण होते हैं। लिहाजा इनसे घबराना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरी डोज लगने के बाद भी हमें कोरोना से बचाव के नियमों को नहीं भूलना है। उन्होंने कोविड संक्रमण से बचाव के लिए 5 बातों को विशेष ध्यान रखने और अनिवार्यरूप से इनका पालन करने की बात कही। कहा कि अगले 2 महीने तक दूसरी डोज लग जाने के बाद भी हमें सही ढंग से मास्क का दैनिक तौर से उपयोग करना होगा। इसके अलावा हाथों को साबुन से ठीक तरह से धोना, एक-दूसरे से 2 गज की दूरी बनाए रखना, किसी प्रकार के लक्षण दिखने पर स्वयं को अन्य लोगों से अलग करना तथा लक्षण दिखने पर तत्काल जांच कराना बहुत जरूरी है। निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने कहा कि वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के बाद एंटीबाॅडी बनने में 2 महीने लग जाते हैं। लिहाजा अगले 2 महीनों तक विशेष सावधानी बरतने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना पर विजय पाने के लिए जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति कोविड वैक्सीन लगवाए।

इस अवसर पर सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सैना, वरिष्ठ सर्जन व आईबीसीसी प्रमुख प्रोफेसर बीना रवि, सीएफएम विभाग के डा. प्रदीप अग्रवाल, डा. योगेश बहुरूपी, डा. महेंद्र सिंह आदि मौजूद थे।