Sunday, April 28, 2024
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Digital Gold: कैसे करें डिजिटल गोल्ड की खरीद? क्या हैं इसके नफा और नुकसान?

आज भले ही सोने को करेंसी में इस्तेमाल नहीं किया जाता है, लेकिन इसे पैसे के तौर पर अवश्य इस्तेमाल किया जा सकता है. वास्तव में, सोने को करीब 3 हजार साल से भी ज्यादा वक्त से लोग स्टोरेज करते आ रहे हैं. भारत मे सोने का ‘भगवान का धन’ माना जाता है और इसे खास मौके पर मंदिरों में चढ़ाया जाता है. यही वजह है कि भारत आज दुनिया के मुकाबले सोने का सबसे बड़ा आयातक देश है. कोरोना महामारी के बीच भारत ने पीले धातु में निवेश का नया तरीका अख्तियार कर लिया है और वो है- डिजिटल गोल्ड.

ऐसे वक्त में जब लोग ज्वैलरी स्टोर्स और ज्वैलरी डीलर्स के पास जाकर सोने की खरीददारी करने से हिचकते हैं, ऐसे में इसमें निवेश करने वालों के लिए ऑनलाइन सोने की खरीद एक विकल्प के तौर पर सामने आया है. कोरोना महामारी के चलते सोने में निवेश के लिए डिजिटल गोल्ड के तौर पर इसकी खरीददारी को काफी पॉपुलरिटी मिली है.

क्या है डिजिटल गोल्ड ?

जब आप खुद दुकान पर सोने की खरीददारी करने जाते हैं तो उसमें कई तरह के जोखिम हैं, जैसे- सोने की सही और उसकी शुद्धता की पहचान करना. उसके बाद सुरक्षित तरीके से रखना. इसके अलावा, हम इस वक्त जिस महामारी के दौर से गुजर रहे हैं, ऐसे में सोने के डीलर्स या ज्वैलरी स्टोर्स पर जाना ठीक नहीं रहेगा.

ऐसे में डिजिटल गोल्ड को ऑनलाइन खरीदा जा सकता है, ग्राहक की मांग पर इसे विक्रेता की ओर से बीमा कर स्टोर किया जा सकता है. ऐसे में शारीरिक तौर पर सोने की खरीद करने में जो भी समस्या आती है, उसका इसके जरिए समाधन हो जाता है. डिजिटल गोल्ड में कहीं से भी निवेश के लिए आपको सिर्फ आपको इंटरनेट/मोबाइल बैंकिंग की जरूरत पड़ती है.

कैसे काम करता है डिजिटली गोल्ड

आप डिजटली गोल्ड में कई तरह से निवेश कर सकते हैं, जैसे- पेटीएम, गूगल पे और फोन पे. ब्रोकर्स जैसे एचडीएफसी सिक्योरिटीज और मोतीलाल ओसवाल के पास भी डिजिटल गोल्ड में निवेश के विकल्प हैं.

वर्तमान में तीन कंपनियों डिजिटल गोल्ड में निवेश के विकल्प दे रही हैं, ये हैं-

1-ऑगमोन्ड गोल्ड लिमिटेड ( Augmont Gold Ltd).
2.(एमएमटीसी-पीएएमपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) MMTC-PAMP India Pvt. Ltd.

3.डिजिटल गोल्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड Digital Gold India Pvt/ Ltd

नुकसान

अधिकतर प्लेटफॉर्म्स पर निवेश के लिए सीमा 2 लाख रुपये तक ही है.

इसको लेकर आधिकारिक तौर पर ऑफिशियल रेगुलेटरी संस्था नहीं है, जैसे- आरबीआई और सेबी.

सोने की कीमत में डिलिवरी और मेंकिंग चार्ज जोड़ा जाता है

कुछ मामलों में कंपनियों कुछ सीमित समय तक रखने का ऑफर देती है, उसके बाद या तो उससे सोना डिलीवरी लेना पड़ेगा या फिर सोने को बेचना पड़ेगा.

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