Sunday, June 15, 2025
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देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल का छठा संस्करण 8 नवंबर से होगा शुरू

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-डीडीएलएफ 2024 में साहित्य, सिनेमा और समाज का होगा संगम

देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के छठे संस्करण का शुभारंभ 8 नवम्बर से होगा, तीन दिन तक चलने वाले इस साहित्यिक और सांस्कृतिक महोत्सव का विषय साहित्य, सिनेमा, समाज है और इसका आयोजन दून इंटरनेशनल स्कूल के सिटी कैंपस में किया जाएगा।
डीडीएलएफ के संस्थापक और निर्माता समरांत विरमानी ने फेस्टिवल की निरंतर यात्रा के बारे में अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, “2017 में अपनी स्थापना के बाद से, डीडीएलएफ ने विभिन्न क्षेत्रों के लेखकों, कवियों, पाठकों, आलोचकों, पत्रकारों और सांस्कृतिक प्रतीकों के एक जीवंत समुदाय को एक साथ लाया है। 10 नवम्बर तक चलने वाले फेस्टिवल के 6वें संस्करण के साथ हमारा लक्ष्य विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों के साथ बातचीत को बढ़ावा देकर साहित्य की पारंपरिक समझ की सीमाओं को पार करना है। इस वर्ष, हम देहरादून शहर के बीचों-बीच यह फेस्टिवल आयोजित करने के लिए रोमांचित हैं, जिससे यह फेस्टिवल सभी साहित्य प्रेमियों के लिए भाग लेने में आसान हो जाएगा, जिससे उन्हें साहित्य, सिनेमा और समाज के अनूठे संगम का अनुभव करने में मदद मिलेगी।”

डीडीएलएफ 2024 के लिए प्रोग्रामिंग पर प्रकाश डालते हुए, समरांत ने कहा, “हमें वक्ताओं की एक प्रतिष्ठित सूची का स्वागत करते हुए गर्व हो रहा है, जिसमें शबाना आज़मी, इम्तियाज़ अली, सलमान खुर्शीद, अनुपमा चोपड़ा, जेरी पिंटो, अभिनव बिंद्रा, वसीम बरेलवी, अविनाश तिवारी, बीर सिंह, रजित कपूर, जानी, साजिद अली, लीना यादव, संध्या मृदुल, प्राची शाह पांड्या, त्रिनेत्र, विनीत कुमार, आदित्य कुलश्रेष्ठ और कई अन्य शामिल हैं। इसके अलावा, हमारे पास उत्तराखंड से मंजुला राणा, अभिनव बिंद्रा, आईपीएस अशोक कुमार, आईपीएस अभिनव कुमार, लोकेश ओहरी, मोना वर्मा, इरा चौहान और ज्योतिका बेदी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं, जो विचारकों की इस अद्वितीय सभा में अपना योगदान देंगे।”
डीडीएलएफ की एक विशेष पहल ‘शिवानी आयरन लेडी ऑफ़ द हिल्स अवार्ड’ है, जो गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मंजुला राणा को प्रदान किया जाएगा। इस पुरस्कार में 25,000 रुपये का नकद पुरस्कार शामिल है, और यह पुरस्कार उन महिला हिंदी लेखकों को दिया जाता है जिन्होंने साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और अपने कार्य के माध्यम से महिलाओं की आवाज़ को बुलंद किया है।
फेस्टिवल डायरेक्टर सौम्या कुलश्रेष्ठ ने सत्रों की अनूठी लाइनअप और विविध प्रोग्रामिंग के बारे में अपनी उत्सुकता साझा करते हुए कहा, “डीडीएलएफ 2024 के लिए, हमने कई तरह के सत्र तैयार किए हैं जो भाषा, प्रतिनिधित्व, दृष्टिकोण और कला रूपों में वास्तविक विविधता को दर्शाते हैं। यह फेस्टिवल साहित्य और स्वास्थ्य से लेकर संगीत, कविता और सामाजिक मुद्दों तक के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करेगा। विशेष रूप से, इस वर्ष हम समलैंगिक प्रतिनिधित्व, समावेशिता, लिंग और महिला लेखकों के साथ-साथ प्रदर्शनकारी और अनुभवात्मक कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने वाले सत्र पेश कर रहे हैं, सौम्या ने आगे कहा, “इस साल के फेस्टिवल में 100 से अधिक साहित्यिक और सिनेमाई सितारे शामिल होंगे।
दून इंटरनेशनल स्कूल के निदेशक एचएस मान ने डीडीएलएफ की मेजबानी पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “दून इंटरनेशनल स्कूल को पिछले कई सालों से देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल की मेजबानी करने का सम्मान मिला है, और इतने वर्षों की मेहनत से हम सभी ने मिलकर इस विरासत को बनाया है। देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल में प्रवेश निःशुल्क है।

सीएम धामी ने मे.ज. जीडी बख्शी द्वारा लिखित पुस्तक ए हिस्ट्री ऑफ हिंदुइज्म का किया विमोचन

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देहरादून, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को टोंस ब्रिज स्कूल में मेजर जनरल जी.डी. बख्शी (से.नि.) द्वारा लिखित पुस्तक ए हिस्ट्री ऑफ हिंदुइज्म का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अल्मोड़ा बस हादसे में दिवंगत हुए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिजनों के साथ अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेजर जनरल जी.डी बक्शी (से.नि) की यह पुस्तक अवश्य पाठकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी। जी.डी बक्शी एक सैन्य अधिकारी के साथ महान राष्ट्रवादी और विभिन्न विषयों के जानकार एंव विचारक भी हैं। सामरिक मामलों के विशेषज्ञता के साथ ही उन्होंने सेना में अनेक विशिष्टाएं प्राप्त की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ए हिस्ट्री ऑफ हिंदुइज्म पुस्तक, इतिहास, सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहरों को नई दृष्टि से प्रस्तुत करने का बेहतरीन प्रयास है। इस पुस्तक में हमारे महान धर्म की सांस्कृतिक परंपराएं, आत्मा की अभिव्यक्ति एवं विरासत का व्यापक और समावेशी उल्लेख किया गया है। पुस्तक में बताया गया है कि कैसे हमारी सभ्यता ने ज्ञान विज्ञान, दर्शन और आधुनिकता के माध्यम से समूचे विश्व को दिशा देने काम किया है। पुस्तक में युद्ध कला, वैदिक दर्शन, योग जैसी परंपराओं का उल्लेख करते हुए युवा पीढ़ी को उससे परिचित करवाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा सनातन संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति है। हमारे धर्म में अनेक पहलू ऐसे हैं जो हमें सबसे अलग और सर्वेश्रेष्ठ बनाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों ने ऐसे महान ग्रंथों की रचना की जो हमारी गहनता व्यापकता और वैज्ञानिकता के कारण प्रासंगिक है। इस पुस्तक में भारतीय सैन्य पुनरुत्थान का भी उल्लेख किया गया है। पुस्तक में स्वतंत्रता के बाद हमारे समाज को बांटने का काम करने वाली देश विरोधी शक्तियों का भी उल्लेख किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत में एक मजबूत सरकार है। मोदी सरकार में अनेक ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं। दुनिया में भारत का मान सम्मान स्वाभिमान बढ़ा है। आज हर बड़े विषयों पर पूरी दुनिया भारत के रुख का इंतजार करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संवारने का कार्य हो रहा है। इसी का परिणाम है कि अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हुआ है। देश के अंदर तीन तलाक का अंत हुआ है। दुश्मन देश पर सर्जिकल स्ट्राइक का निर्णय, कश्मीर से धारा 370 को हटाने एंव सीएए को लागू करने जैसे अनेक निर्णय लिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा राज्य में यूसीसी का विधेयक पारित हो गया है और बहुत जल्द लागू भी होने वाला है। हाल ही में मंत्रीमंडल द्वारा दून विश्वविद्यालय में हिंदू अध्ययन केंद्र की स्थापना करने का भी निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने युवाओं से नशे से दूर रखकर नशा मुक्त उत्तराखंड बनाने में अपना योगदान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा इसके लिए अन्य लोगों को भी जागरूक करना है। इस अवसर पर मेजर जनरल जी.डी बक्शी (से.नि), चेयरमैन टोंस ब्रिज स्कूल श्री विजय नागर एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

उत्तराखंड़ राज्य पर बातचीत और बंजारा जनकवि डॉ. अतुल शर्मा डाक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन

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देहरादून(एल मोहन लखेड़ा), दून पुस्तकालय एंव शोध केन्द्र के सभागार में कवि व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अतुल शर्मा के व्यक्तित्व व कृतित्व पर केंद्रित एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बंजारा जनकवि डॉ. अतुल शर्मा प्रदर्शित की गयी। इसका निर्देशन सुशील यादव ने और सम्पादन शान्तनु ममगांई ने किया है। इसके बाद उत्तराखंड राज्य आंदोलन का निर्णायक मोड़ व उत्तराखंड राज्य: वर्तमान और भविष्य पर एक चर्चा आयोजित हुई इसमें मुख्य वक्ता रविन्द्र जुगरान व वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र नेगी रहे।
कवयित्री रंजना शर्मा ने बताया कि इस डाक्यूमेंट्री फिल्म डॉ. अतुल शर्मा की दिनचर्या में सामाजिक प्रतिबद्ध चेतना दर्शाती है। साहित्य में वैचारिक परिक्वता जनगीतों के माध्यम से सामने आयीं। सामाजिक कार्यकर्ता रविन्द्र जुगरान ने कहा कि जनकवि के रुप मे डॉ. अतुल शर्मा ने इस डाक्यूमेंट्री फिल्म में नदी और पर्वतीय जनजीवन की ज़रूरतों पर भी विचार व्यक्त किये हैं।
डाक्यूमेंट्री फिल्म के निर्देशक सुशील यादव ने कहा कि यह फिल्म एक वर्ष में तैयार हुई है। देहरादून ऋषिकेश खलंगा दून लाईब्रेरी में इसकी शूटिंग की गयी है। जिसमें डा. अतुल की सहजता उभर कर सामने आयी है। डॉ. शर्मा की पचास साल की साहित्य साधना को आधे घंटे मे बांधना एक चुनौती रही। साहित्य को सरलता और संघर्ष के साथ जीना ही उनकी कला है।
इस के बाद उत्तराखंड राज्य: वर्तमान और भविष्य पर एक विशेष चर्चा की गयी। मुख्य वक्ता रविन्द्र जुगरान और उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के सांस्कृतिक परिदृश्य पर वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र नेगी ने सवाल पूछे।
उत्तराखण्ड की दिशा और दशा पर गहन चर्चा की। रविन्द्र जुगरान ने कहा कि रामपुर तिराहा कांड उत्तराखंड आन्दोलन का महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने उस वक्त का आंखों देखा हाल भी सुनाया। उन्होंने कहा कि यह अफसोस बात है कि अभी तक आन्दोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड नहीं बन पाया है। सत्ताऐं बदलती रहीं पर हालात नहीं बदले। आज हमें मिलकर भ्रष्टाचार और अवसर वादिता के विरुद्ध आवाज उठानी होगी और एक खुसहाल राज्य की ओर अग्रसर होना होगा।
जनकवि डा अतुल शर्मा ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन ने उनके लिखे जन गीत लड़ के लेगे उत्तराखंड मे पांच बातों पर बल दिया गया था, पानी, पलायन, पर्यावरण, पहचान व पर्यटन। आज भी वह इस उत्तर की तलाश में है। उन्होंने इस जनगीत की पंक्ति सुनाई नदी पास है मगर ये पानी दूर दूर क्यों।
प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एंव शोध केन्द्र के प्रोगाम एसोसिएट ने चन्द्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया और कहा कि डॉ. शर्मा पर बनी यह डाक्यूमेंट्री पहाड़ों में हुई घटनाओं की कविता का एक दस्तावेज है।
कार्यक्रम के अंत में जनकवि डॉ. अतुल शर्मा का लिखा जन गीत सुशील यादव ने गाया,अपनी राह कबीलों वाली जाये सभी के द्वारे, हम बंजारे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लेखक आन्दोलनकारी, कवि, समाजसेवी और बुद्धिजीवी मौजूद रहे।

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शीतकालीन गद्धीस्थल में विराजे बाबा केदार, तुंगनाथ के मार्ग में बन विभाग का रोडा श्रद्धालुओं में आक्रोश

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(देवेंन्द्र चमोली)  रुद्रप्रयाग- भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्तसव डोली आज अपने शीतकालीन गद्धीस्थल ऊखीमठ पहुँच गयी। ऊखीमठ पहुँचने पर बाबा की डोली का स्थानीय लोगों व उपस्थित श्रद्धालुओं ने भोले के जयकारे के साथ भब्य स्वागत किया।
आज केदारनाथ की डोली आगमन के लिये ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया है। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ जी की डोली के दर्शन किये।

“उधर अपने शीत कालीन प्रवास के लिये मक्कूमठ आ रही भगवान तुंगनाथ की डोली मक्कू बैंड पर रुक गयी, यहाँ डोली मार्ग में बन विभाग ने अपने टैंट लगाये है। वन विभाग के रवैये के खिलाफ श्रद्धालुओं में रोष व्याप्त है।
बता दें कि भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट बीते 04 नवंबर सोमवार दोपहर को बंद हुए , तुंगनाथ की उत्सव डोली ने कल चोपता प्रवास किया आज उत्सव डोली चोपता से भनकुन पहुंचना था। लेकिन मक्कू बैंड के पास पुराने परंम्परागत डोली मार्ग में बन विभाग ने अपने टैंट गाड दिये। जिससे रास्ता बंद है। डोली व डोली के साथ चल रहे श्रद्धालु घंटो से यहीं खडे है। परम्परागत डोली आने जाने का मार्ग बंद होने से तुंगनाथ छैत्र में बन विभाग व प्रशासन की कार्य प्रणाली से लोगों मे आक्रोश है। सात नवंबर को पंचमुखी उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मर्केटेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी इसी के साथ श्री मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी“।

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचने के अवसर पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी है तथा डोली यात्रा में शामिल सभी को धन्यवाद दिया है। कहा कि भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल पहुंचने के बाद श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भगवान केदारनाथ जी की शीतकालीन पूजाएं शुरू है गयी है।
इस अवसर पर श्रीनिवास पोस्ती, रणजीत सिंह राणा, अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी, केदारसभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी,केदारनाथ मंदिर प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, प्रधान पुजारी शिवशंकर लिंग, डोली प्रभारी प्रदीप सेमवाल, धर्मेंद्र तिवारी, अरविंद शुक्ला कुलदीप धर्म्वाण, प्रेम सिंह रावत, बीरेश्वर भट्ट, अभिरतन धर्म्वाण, अनूप तिवारी, रणवीर पुष्पवान, आचार्य संजय तिवारी, वेदप्रकाश त्रिवेदी, प्रकाश शुक्ला, हिमांशु बर्त्वाल सहित मंदिर समिति कर्मचारी मौजूद रहे।

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में पेट्रोल लेकर छत पर चडे छात्र, पुलिस प्रशासन मौके पर

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(देवेंन्द्र चमोली)
रुद्रप्रयाग- श्रीदेव सुमन विवि द्वारा बैक पेपर के रिजल्ट समय से जारी न करने व अगले सेमेस्टर की फीस एडवांस लेने को लेकर अगस्त्यमुनी महाविद्यालय के छात्र आक्रोशित है। विश्वविद्यालय की अनिमियता के खिलाफ छात्र संघ पदाधिकारी व छात्र नेता महाविद्यालय की छत पर चड गये। बताया जा रहा है कि आक्रोशित छात्र अपने साथ पेट्रोल लेकर छत पर चडे है। सूचना मिलने के बाद स्थानीय थाना पुलिस मौके पर पहुँच कर छोत्रों को समझाने का प्रयास कर रही है।
विभिन्न मांगों को लेकर छात्र संघ अध्यक्ष नितिन नेगी के साथ आधा दर्जन छात्र नेता मुख्य परिसर की छत पर चडे गये व विश्वविद्यालय की अनियमितता के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। सभी छात्र अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े बताये जा रहे है।
छात्र नेता अभिषेक सेमवाल, अभिनव भट्ट, भानु प्रकाश चमोला, गौरव भट्ट, आर्यन करांसी विश्वविद्यालय द्वारा बैक पेपर का परिणाम समय से जारी न करने, व छात्रों से एडवांस शुल्क लिये जाने को लेकर विश्वविद्यालय के खिलाफ मुख्य परिसर की छत पर चडे हैं। मौके पर पुलिस प्रशासन मौजूद हैं। व छात्रों से वार्ता जारी है।

पीएमजीएसवाई में भूमि मुआवजा वितरण के लंबित प्रकरण को प्राथमिकता ले अधिकारी – गणेश जोशी

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देहरादून,। सूबे के ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी से आज उनके कैंप कार्यालय में पीएमजीएसवाई में आउटसोर्स के माध्यम से लगाए गए जेई और कंप्यूटर ऑपरेटर कर्मचारियों एक प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी को अवगत कराया कि कुछ पदों को विभाग द्वारा हटाया जा रहा है।
ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी यूआरआरडीए व अन्य अधिकारीगण के साथ बैठक कर विस्तार से चर्चा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। मंत्री गणेश जोशी ने अधिकारियों को प्रदेश में पीएमजीसवाई के अंतर्गत क्षतिग्रस्त हुई सड़कों के मरम्मत के कार्य शीघ्र अति शीघ्र किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को फील्ड में जाकर क्षतिग्रस्त हुई सड़कों को दुरुस्त करने के भी निर्देश दिए। विभागीय मंत्री ने अधिकारियों को पीएमजीएसवाई के अंतर्गत सड़कों, पुलों के निर्माण कार्यों की समयबद्ध तरीके से कार्य करने के अधिकारियों को निर्देश दिये। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने पीएमजीएसवाई में भूमि मुआवजा वितरण के लंबित प्रकरण को प्राथमिकता लेते हुए शीघ्रता से कार्य किए जाए।
इस अवसर पर यूआरआरडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिमांशु खुराना सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।

पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारियों का सचिवालय कूच, बेरिकेडिंग पर चढ़ कर जताया विरोध

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“ओपीएस बहाली न होने पर सीएम आवास कूच की दी चेतावनी”

देहरादून, सोमवार को दून की सड़कों पर राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली मोर्चा से जुड़े कर्मचारियों ने सचिवालय कूच किया । पुरानी पेंशन बहाली को लेकर परेड ग्राउंड से सचिवालय घेराव को लेकर चले कर्मचारियों को सुभाष रोड पर लगाए गए बेरिकेडिंग पर रोक दिया गया, इस कर्मचारियों की पुलिस कर्मियों के साथ जमकर धक्का मुक्की हुई। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक प्रदेश भर से आए कर्मचारी सोमवार को परेड ग्राउंड में जुटे। यहां ढोल, दमाऊ के साथ कर्मचारियों ने सचिवालय कूच किया, कर्मचारियों की भीड़ को देखते हुए पूरे समय पुलिस साथ साथ मुस्तैद से डटी रही। सुभाष रोड पर लगाए गए बेरिकेडिंग पर भी बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी तैनात रहे। यहां कर्मचारियों को आगे बढ़ने से रोकने में पुलिस के पसीने छूट गए। कर्मचारियों ने बेरिकेडिंग पर चढ़ कर जमकर विरोध जताया।
इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपीएस रावत ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के सब्र का इम्तिहान न ले। देहरादून में निकाली गई रैली अभी सिर्फ ट्रेलर है। उन्होंने जल्द ओपीएस बहाली न होने पर सीएम आवास कूच की चेतावनी दी। इसके साथ ही भविष्य में परिजनों के साथ सड़कों पर उतरा जाएगा।
वहीं प्रदेश अध्यक्ष जयदीप रावत ने कहा कि कर्मचारियों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। सरकार की गलत नीतियों के कारण मौजूदा समय में कर्मचारियों को तीन तीन तरह की पेंशन से जोड़ा जा रहा है। कुछ कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दी जा रही है। कुछ को नई पेंशन स्कीम तो कुछ को यूपीएस से जोड़ने की तैयारी है।
कार्यकारी अध्यक्ष मनोज अवस्थी ने कहा कि सरकार अधिक विकल्पों पर माथापच्ची करने की बजाय सीधे ओपीएस को लागू करे। प्रदेश प्रभारी विक्रम सिंह रावत ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली तक ये आंदोलन जारी रहेगा। केंद्र और राज्य सरकारें जल्द कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ सुनिश्चित कराएं। महामंत्री सीताराम पोखरियाल ने कहा कि आने वाले समय में इस आंदोलन को सामाजिक आंदोलन में तब्दील कर दिया जाएगा। समाज के सभी वर्गों को इससे जोड़ा जाएगा। क्योंकि पुरानी पेंशन कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा विषय भी है। मुख्यमंत्री के पीआरओ राजेश सेठी को कर्मचारियों ने सीएम को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
इस मौके पर पूर्णानंद नौटियाल, राम सिंह चौहान, आशीष जोशी, रमेश पैन्यूली, मुकेश बहुगुणा, सोहन सिंह रावत, अशोकराज उनियाल, गिरीश पनेरु, आनंद सिंह पुजारी, जगदीश बिष्ट, पंकज बधानी, श्याम सिंह सरियाल, हेमंत पैन्यूली, संजय बिजल्वाण, महादेव मैठाणी, संदीप मौर्य, अनंत राम शर्मा, गोविंद सिंह नेगी, रंजीता विश्वकर्मा, संगीता जोशी, बबीता रानी, निर्मला राणा, मंजू असवाल, वंदना भट्ट, रोहित जोशी, अभिषेक नवानी, राजीव उनियाल, पूरण फर्स्वाण, अंकित रौथाण, लक्ष्मण सिंह सजवाण, त्रिलोक सिंह रावत, अवधेश सेमवाल, सुरेंद्र बछेती, लक्ष्मण रावत, जसपाल सिंह रावत, युद्धवीर सिंह, सतीश कुमार, बृजमोहन रावत, कीर्ति भट्ट, राकेश रावत, सौरभ नौटियाल आदि मौजूद रहे।

नेहरू कॉलोनी में बनेगा MDDA का नया ऑफिस, बोर्ड ने दिया अनुमोदन

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-प्राधिकरण सभागार में गढ़वाल आयुक्त एवं अध्यक्ष एमडीडीए की अध्यक्षता में हुआ 110 वीं बोर्ड बैठक का आयोजन

शाह कल्याणपुर में 1.181 हेक्टेयर भूमि की (लैंड पुलिंग) को भी अनुमोदन प्रदान किया

देहरादून, गढ़वाल मंडल आयुक्त एवं मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष महोदय श्री विनय शंकर पांडेय की अध्यक्षता में 110 वीं बोर्ड बैठक का आयोजन किया गया। बोर्ड बैठक में प्राधिकरण कार्यालय को आगामी भविष्य में नए स्थान पर शिफ्ट करने से लेकर विभिन्न विकास कार्यों, मानचित्र इत्यादि के प्रकरणों को बोर्ड ने अपना अनुमोदन प्रदान किया।

सोमवार को प्राधिकरण सभागार में आयोजित बोर्ड बैठक में सर्वप्रथम प्राधिकरण के वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट की मदों में पुनरीक्षण को बोर्ड द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया।

बोर्ड द्वारा प्राधिकरण क्षेत्रान्तर्गत नेहरू कॉलोनी में आवास विकास परिषद के रिक्त भूखंड क्षेत्रफल 3113.44 वर्ग मीटर (सामुदायिक सेवाएं) में प्राधिकरण कार्यालय के निर्माण के संबंध में अनुमोदन प्रदान किया गया।

बोर्ड की ओर से प्राधिकरण द्वारा तरला नागल में बनाए गए सिटी फॉरेस्ट पार्क में प्रदान की जा रही विभिन्न सुविधाओं जैसे साइकिलिंग ट्रैक, पाथवे, किड्ज प्ले, ओपन जिम, ओपन एरिया थिएटर, मुक्ताकाश मंच आदि पर चर्चा के उपरांत इस पार्क के उपयोग को अनुमोदन प्रदान किया गया। लगभग 12.45 हेक्टेयर क्षेत्रफल में निर्मित इस पार्क को हरित संरक्षण योजना पर आधारित किया गया है।

बोर्ड ने विकासनगर के शाह कल्याणपुर में 1.181 हेक्टेयर भूमि की (लैंड पुलिंग) को भी अनुमोदन प्रदान किया है। इसके अलावा बोर्ड बैठक में विभिन्न विकास कार्यों के साथ ही ईको रिसोर्ट निर्माण, गेस्ट हाउस आदि निर्माण के प्रकरणों को भी अनुमोदन प्रदान किया।

बोर्ड बैठक में प्राधिकरण के उपाध्यक्ष महोदय श्री बंशीधर तिवारी सहित अन्य विभागों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

दर्दनाक हादसा : मरने वालों की संख्या 36 पहुंची, अल्मोड़ा व पौड़ी के एआरटीओ प्रर्वतन निलंबित

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सीएम ने मृतकों को चार —चार लाख रुपये मुआवजा देने के दिए निर्देश

 

अल्मोड़ा, उत्तराखंड़ के सल्ट क्षेत्र के कुपी गांव के पास हुए बस हादसे में मरने वालों की संख्या 36 हो गई है। जबकि गंभीर रूप से घायल कई लोगों को रामनगर के सरकारी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। इस बीच मुख्यमंत्री ने दो एआरटीओ प्रवर्तन अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश दिए है। इनमें से एक पौड़ी और दूसरा अल्मोड़ा क्षेत्र का है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतकों के परिजनों को चार—चार और घायलों को उपचार के लिए एक एक लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। तीन घायलों को एम्स ऋषिकेश के लिए एयर लिफ्ट किया गया है। बताया जा रहा है कि बस में पचास से अधिक लोग सवार थे l
मिल रही जानकारी के अनुसार आज सुबह लगभग साढ़े आठ बजे पौड़ी जिले के गौरीखाल से चली एक निजी बस अल्मोड़ा के सल्ट विकास खंड क्षेत्र के कूपी गांव के पास अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। 42 सीटर इस बस में सवारियों की संख्या क्षमता से ज्यादा बताई जा रही है।
हादसे के बाद बीस यात्रियों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था जबकि गंभीर रूप से घायल 16 लोगों ने रामनगर चिकित्सालय पहुंच कर या पहुंचने से पहले रास्ते बाद दम तोड़ा। मंडलायुक्त दीपक रावत ने बताया कि एम्स से डाक्टरों की टीम रामनगर भेजी गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गंभीरता दिखाते हुए पौड़ी और अल्मोड़ा क्षेत्र के एक एक एआरटीओ प्रर्वतन को तुरंत निलंबित करने के आदेश दिए है। दोनों ही जिलों के इन एआरटीओ की जिम्मेदारी थी कि वे अपने अपने इलाकों में चलने वाले वाहनों की फिटनेस आदि मौके बे मौके जांचते रहें। लेकिन फौरी जांच में ऐसा दिखाई नहीं पड़ रहा। इसलिए सीएम ने मामले की कुमाऊं मंडला​युक्त दीपक रावत को प्रकरण की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।
सीएम ने मृतकों के परिजनोंको चार चार लाख और घायलों को एक एक लाख रुपये की फौरी राहत देने का आदेश भी दिया है। इस बीच रामनगर के चिकित्सालय पहुंचाए गए यात्रियों की हालत गंभीर बनी हुई है।

शब्दों का सृजन-स्थल हिमालय की गोद में भारत का पहला लेखक गाँव -गुरमीत सिंह

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लेखक गाँव :* उत्तराखण्ड की पावन धरा, जहाँ हिमालय का सौम्य आशीर्वाद और माँ गंगा की अविरल धारा समाहित हैं, वह सदा से ही साहित्य, संस्कृति, और कला की महान साधना का केंद्र रही है। इसी विरासत को संजोते हुए ‘स्पर्श हिमालय फाउंडेशन’ द्वारा भारत के पहले ‘लेखक गाँव’ की स्थापना का प्रयास एक प्रेरणादायी पहल है, जो इस गौरवशाली धरती के सृजनशील मनकों को एक नई दिशा प्रदान करने का संकल्प रखता है। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे युवा लेखकों और सृजनशील आत्माओं के लिए एक सुनहरे अवसर का स्वरूप माना।

उन्होंने कहा कि लेखक गाँव केवल एक स्थान नहीं, बल्कि एक मंच है जहाँ रचनाकार अपने विचारों और अनुभूतियों को समाज के समक्ष ला सकते हैं। यह वह स्थान है, जहाँ शब्दों की साधना की जाएगी, और जिनके माध्यम से समाज को नई दिशा मिलेगी। हमारे प्राचीन वेद, पुराण, और उपनिषद इस धरती पर ही सृजित हुए हैं, जिनमें सभ्यता की अमूल्य धरोहरें निहित हैं। इस लेखक गाँव की स्थापना उत्तराखंड के ज्ञान और साहित्य की निरंतरता का आधुनिक युग में पुनः साक्षात्कार कराएगी, जिससे आज की पीढ़ी उस पवित्र विरासत को महसूस कर सकेगी।

*साहित्य और समाज के लिए एक नई राह*

राज्यपाल ने कहा कि लेखन समाज को न केवल सजग करता है, बल्कि उसकी भावनाओं, आदर्शों और चुनौतियों को दिशा भी देता है। चाहे सामाजिक मुद्दों पर प्रखर दृष्टिकोण प्रस्तुत करना हो या मानवता के मूल्यों की रक्षा हेतु लोगों को प्रेरित करना, साहित्य सदा से ही समाज का सशक्त माध्यम रहा है। डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का साहित्य समाज को जागरूक करने का माध्यम रहा है, जो हमें शिक्षा, पर्यावरण और राष्ट्रभक्ति जैसे विषयों पर सोचने के लिए प्रेरित करता है। ‘लेखक गाँव’ के रूप में उनका यह प्रयास सृजन की शक्ति को नए स्तर तक ले जाएगा।

*नवाचार की दिशा में साहित्य का संचार*

लेखक गाँव में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा आज, चौथी औद्योगिक क्रांति के युग में, जब तकनीकी विकास जीवन के हर क्षेत्र में अपने पंख फैला चुका है, साहित्य और लेखन भी इस बदलाव का हिस्सा बन रहे हैं। डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से साहित्य को वैश्विक पाठकों तक पहुँचाने का जो अवसर प्राप्त हुआ है, वह न केवल हमारी क्षेत्रीय भाषाओं की धरोहर को संरक्षित कर रहा है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी इसके प्रति आकर्षित कर रहा है। ‘लेखक गाँव’ की यह पहल युवाओं को उनकी जड़ों से जोड़ेगी और उन्हें आत्म-चिंतन के नए आयाम प्रदान करेगी।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और तकनीकी नवाचार के माध्यम से हम साहित्य को न केवल संरक्षित कर सकते हैं बल्कि क्षेत्रीय साहित्य का वैश्विक स्तर पर संचार कर सकते हैं। यह तकनीकी प्रगति लेखकों को सशक्त बनाएगी कि वे अपने विचारों को और भी व्यापक रूप में समाज तक पहुँचा सकें। डिजिटल प्लेटफार्मों पर लेखन के माध्यम से युवा पीढ़ी को साहित्य के प्रति आकर्षित करना और इसे समाज के अन्य पहलुओं से जोड़ना, एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने का मार्ग प्रशस्त करता है।

*परिवर्तन का आधार: साहित्य और समाज की साझेदारी*

लेखन, चाहे वह एक कविता हो, एक निबंध, एक ब्लॉग या फिर एक समाचार संपादकीय – यह समाज में जागरूकता का प्रसार करने और सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक सशक्त माध्यम है। यह लेखनी की ताकत ही है कि लेखक अपने विचारों और शोध को जनमत में बदल सकते हैं।

उत्तराखंड की धरती, जहाँ महर्षि वेदव्यास, गुरु द्रोणाचार्य और आदि शंकराचार्य की तपस्या का अमिट प्रभाव है, वहीं आधुनिक काल में सुमित्रानंदन पंत और शैलेश मटियानी जैसे महान साहित्यकारों ने इस धरती को गौरव प्रदान किया है। यह पुण्यभूमि साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक नई प्रेरणा का स्रोत बन सकती है, जहाँ नवोदित लेखक अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में नए बदलाव का संचार कर सकें।

*नए भारत के निर्माण में साहित्य का योगदान*

महोत्सव को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज जब भारत ‘विकसित भारत’, ‘आत्मनिर्भर भारत’, और ‘विश्वगुरु भारत’ के संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहा है, तब यह आवश्यक है कि हम अपनी सांस्कृतिक और साहित्यिक जड़ों को मजबूती से थामे रहें। एक नए भारत की दिशा में साहित्य और लेखन का यह प्रयास एक अहम भूमिका निभा सकता है।
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा की उत्तराखण्ड की इस धरती पर लेखक गाँव की स्थापना न केवल एक स्थल की रचना है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और साहित्यिक जड़ों से जुड़े रहने का एक प्रयास है। इस पहल के लिए स्पर्श हिमालय फाउंडेशन और इसके संस्थापक डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को हम सभी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ।

उन्होंने कहा कि ‘स्पर्श हिमालय फाउंडेशन’ का यह महोत्सव इस दिशा में एक सार्थक प्रयास है, जो उत्तराखंड को एक साहित्यिक पहचान प्रदान करेगा। यह महोत्सव, जो साहित्य, कला, और संस्कृति के सृजनात्मक प्रवाह का केंद्र बन चुका है, निस्संदेह आने वाले समय में समाज को नई दिशा देगा और साहित्य, संस्कृति, तथा कला के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा।