Sunday, June 8, 2025
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CBSE : 10वीं कक्षा के रिजल्ट जुलाई के दूसरे सप्ताह तक करेगा घोषित

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देहरादून, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) कक्षा 10वीं के परिणाम की घोषणा की तारीख बदली गई है। पहले सीबीएसई 10वीं के नतीजों की घोषणा 20 जून 2021 तक की जाने वाली थी। लेकिन अब सीबीएसई बोर्ड ने इसकी समय सीमा बढ़ा दी है। इस संबंध में बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट cbse.nic.in पर नोटिस भी जारी किया गया है।

सीबीएसई ने 10वीं बोर्ड एग्जाम रिजल्ट 2021 तैयार करने के लिए नया शेड्यूल जारी किया है। इसके अनुसार पहले की तय तारीख 20 मई 2021 को ही मार्क्स अपलोड करने के लिए सीबीएसई का पोर्टल एक्टिव कर दिया जाता। लेकिन मार्क्स सबमिशन की डेडलाइन अब 30 जून 2021 तक कर दी गई है, जो पहले 05 जून थी।अब स्कूल्स को अपने स्टूडेंट्स के मार्क्स सीबीएसई के पोर्टल पर अपलोड करने के लिए 25 दिन का अतिरिक्त समय मिल गया है। इस अनुसार अब रिजल्ट में भी देर होगी। संभावना है कि सीबीएसई क्लास 10 रिजल्ट 2021 की घोषणा जुलाई के दूसरे सप्ताह तक करेगा |

उत्तराखंड़ : वन अधिकारियों का ट्रांसफर , प्रांतीय वन सेवा के 5 अधिकारी भी हुये ट्रांसफर

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देहरादून, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के शासन में एक बार फिर उत्तराखंड के चार आईएफएस अधिकारियों की तबादला सूची जारी की गई है, जिसमें एसपी सुबुद्धि अपर प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डॉक्टर इंद्रपाल सिंह को मुख्य वन संरक्षक वानिकी प्रशिक्षण अकादमी हल्द्वानी कपिल कुमार जोशी को बाध्य प्रतीक्षा से अपर प्रमुख वन संरक्षक वन संरक्षण नोडल अधिकारी देहरादून मीना अग्रवाल को परियोजना निदेशक व अतिरिक्त निदेशक नियोजन जलागम देहरादून बनाया गया | देखिये 5 अधिकारियों की ट्रांसफर लिस्ट

LIC की बेटियों के लिए खास पॉलिसी! रोज करें 150 रुपये निवेश तो शादी पर मिलेंगे ₹22 लाख, जानें सबकुछ

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नई दिल्‍ली. भारत में ज्‍यादातर लोग बेटियों के जन्‍म लेते ही उनके बेहतर भविष्य के लिए बचत करना शुरू कर देते हैं. इस दौरान माता-पिता बेटी की पढ़ाई-लिखाई से लेकर शादी तक होने वाले अनुमानित खर्च (Estimated Expenses) को ध्‍यान में रखकर निवेश योजना (Investment Planning) बनाते हैं. अगर आप भी अपनी लाड़ली बेटी के बेहतर भविष्य के लिए कुछ निवेश करने की तैयारी कर रहे हैं तो हम आपको भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की ओर से बेटियों के लिए चलाई जा रही खास पॉलिसी के बारे में बता रहे हैं. योजना के तहत हर दिन मामूली रकम की बचत कर आप अपनी बेटी का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं.

पिता की दुर्घटना में मृत्‍यु होने पर मिलेंगे 20 लाख रुप

लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की बेटियों की शादी के लिए चलाई जाने वाली इस खास स्कीम में एकमुश्त 22 लाख रुपये मिलेंगे. पॉलिसी के तहत आपको हर दिन सिर्फ 150 रुपये निवेश करना होगा. जब आपको बेटी की शादी करनाा होगा तो 22 लाख रुपये मिलेंगे. इस पॉलिसी को लेने के बाद अगर पिता की मौत हो जाती है तो निवेश नहीं करना पड़ेगा. आसान शब्‍दों में समझें तो पिता की मृत्‍यु के बाद प्रीमियम का भुगतान नहीं करने पर भी पॉलिसी चलती रहेगी. यही नहीं पिता की मृत्‍यु होने पर तत्काल 10 लाख रुप मिलेंगे. इसके अलावा अगर पिता की मौत दुर्घटना में होती है तो 20 लाख रुपये मिलते हैं.

बेटी की पढ़ाई और दूसरे खर्च के लिए हर साल 1 लाख रुपये

एलआईसी की इस विशेष पॉलिसी की सबसे बड़ी खासियत है कि जब तक बेटी का विवाह नहीं हो जाता, तब तक हर साल पढ़ाई या दूसरे खर्च के लिए 1 लाख रुपये मिलते रहेंगे. इसके साथ पॉलिसी भी चलती रहेगी. इस पॉलिसी के बारे में आप ज्‍यादा जानकारी के एलआईसी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं. इसके अलावा नजदीकी एलआईसी एजेंट से पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं.(साभार- News18)

किसानों के पक्ष में केंद्र का ऐतिहासिक फैसला! अब डीएपी खाद के हर बैग पर मिलेगी 500 के बजाय 1200 रुपये की सब्सिडी

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नई दिल्‍ली. केंद्र सरकार ने किसानों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए तय किया है कि डीएपी फर्टिलाइजर के एक बैग पर अब किसानों को 1200 रुपये की छूट दी जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई उच्‍चस्‍तरीय बैठक में डीएपी फर्टिलाइजर पर दी जाने वाली सब्सिडी में 140 फीसदी इजाफे का फैसला लिया गया. इससे किसानों को 2400 रुपये में मिलने वाला डीएपी फर्टिलाइजर का एक बैग अब 1200 रुपये में ही मिल जाएगा. हालांकि, इस फैसले के बाद केंद्र सरकार को सब्सिडी के मद में 14,775 करोड़ रुपेय अतिरिक्‍त खर्च होंगे. बता दें कि अब तक डीएपी फर्टिलाइजर के एक बैग पर किसानों को 500 रुपये की ही छूट मिलती थी. ‘फॉस्‍फोरिक एसिड-अमोनिया महंगे होने के बाद भी पुरानी दरों पर मिले खाद’

प्रधानमंत्री मोदी ने खाद कीमतों के मुद्दे पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया की बढ़ती कीमतों के कारण खाद की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा की. उन्‍होंने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद मिलनी चाहिए. इसके बाद डीएपी खाद के लिए सब्सिडी 500 रुपये प्रति बैग से 140 फीसदी बढ़ाकर 1200 रुपये करने का फैसला लिया गया. दूसरे शब्‍दों में समझें तो अब किसानों को डीएपी खाद 1200 रुपये के पुराने मूल्य पर ही मिलेगी. साथ ही मूल्य वृद्धि का सारा अतिभार केंद्र सरकार उठाएगी. बता दें कि प्रति बोरी सब्सिडी की राशि कभी भी एकबार में इतनी नहीं बढ़ाई गई है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, किसानों को नहीं झेलना पड़ा मूल्‍य वृद्धि का बोझ

डीएपी खाद की एक बोरी की वास्तविक कीमत पिछले साल 1,700 रुपये थी. इसमें केंद्र सरकार 500 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी दे रही थी. इसलिए कंपनियां किसानों को 1200 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से खाद बेच रही थीं. हाल में डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60 से 70 फीसदी तक बढ़ गई हैं. सरकार के मुताबिक, एक डीएपी बैग की वास्तविक कीमत अब 2400 रुपये है, जिसे खाद कंपनियों की ओर से 500 रुपये की सब्सिडी घटाकर 1900 रुपये में बेचा जाता है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगा कि किसानों को मूल्य वृद्धि का असर न झेलना पड़े.

कांग्रेस ने लगाया था किसानों पर 20 हजार करोड़ का बोझ डालने का आरोप

केंद्र सरकार हर साल रासायनिक खादों पर सब्सिडी के लिए करीब 80,000 करोड़ रुपये खर्च करती है. अब खरीफ सीजन में भारत सरकार इस मद में 94,775 करोड़ रुपये खर्च करेगी. अक्षय तृतीया के मौके पर पीएम-किसान (PM-KISAN) के तहत किसानों के खाते में 20,667 करोड़ रुपये सीधे ट्रांसफर करने के बाद किसानों के हित में केंद्र सरकार का यह दूसरा बड़ा फैसला है. बता दें कि आज ही कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सरकार ने डीएपी खाद की कीमतों को बढ़ाकर किसानो पर 20,000 करोड़ का बोझ डाल दिया है. कांग्रेस के मुताबिक, डीएपी खाद की कीमत में 700 रुपये प्रति बैग की बढ़ोतरी की गई है. साथ ही कहा था कि इससे कंपनियों को 13,000 करोड़ रुपये का मुनाफा होगा.

ॠषिकेश : ब्लैक फंगस, घबराने की नहीं बल्कि सही समय पर इलाज की आवश्यकता : निदेशक एम्स

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ऋषिकेश : एम्स के निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि म्यूकोर माइकोसिस एक घातक एंजियोइनवेसिव फंगल संक्रमण है, जो मुख्यरूप से नाक के माध्यम से हमारी श्वास नली में प्रवेश करता है। मगर इससे घबराने की नहीं बल्कि सही समय पर इलाज शुरू कराने की आवश्यकता है। संस्थान के नोडल ऑफिसर कोविड डाॅ. पी.के. पण्डा ने बताया कि म्यूकोर माइकोसिस के उपचार के लिए गठित 15 सदस्यीय चिकित्सकीय दल इस बीमारी का इलाज, रोकथाम और आम लोगों को जागरुक करने का कार्य करेगी। टीम के हेड और ईएनटी के विशेषज्ञ सर्जन डा. अमित त्यागी जी ने बताया कि म्यूकोर माइकोसिस के रोगियों के इलाज के लिए अलग से एक म्यूकर वार्ड बनाया गया है। जिसमें सीसीयू बेड, एचडीयू बेड और अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं।

इंसेट म्यूकोर के प्रमुख लक्षण-

तेज बुखार, नाक बंद होना, सिर दर्द, आंखों में दर्द, दृष्टि क्षमता क्षीण होना, आंखों के पास लालिमा होना, नाक से खून आना, नाक के भीतर कालापन आना, दांतों का ढीला होना, जबड़े में दिक्कत होना, छाती में दर्द होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। यह बीमारी उन लोगों में ज्यादा देखी जा रही है, जिन्हें डायबिटीज की समस्या है।

उच्च जोखिम के प्रमुख कारण-

1- कोविड-19 का वह मरीज जिसका पिछले 6 सप्ताह से उपचार चल रहा हो।
2- अनियंत्रित मधुमेह मेलिटस, क्रोनिक ग्रेनुलोमेटस रोग, एचआईवी, एड्स या प्राथमिक इम्युनोडेफिशिएंसी स्टेटस।
3. स्टेरॉयड द्वारा इम्यूनोसप्रेशन का उपयोग (किसी भी खुराक का उपयोग 3 सप्ताह या उच्च खुराक 1 सप्ताह के लिए ), अन्य इम्युनोमोड्यूलेटर या प्रत्यारोपण के साथ इस्तेमाल की जाने वाली चिकित्सा।
4. लंबे समय तक न्यूट्रोपेनिया।
5. ट्रॉमा, बर्न, ड्रग एब्यूजर्स।
6. लंबे समय तक आईसीयू में रहना।
7. घातक पोस्ट ट्रांसप्लांट ।
8. वोरिकोनाजोल थैरेपी, डेफेरोक्सामाइन या अन्य आयरन ओवरलोडिंग थैरेपी।
9. दूषित चिपकने वाली धूल, लकड़ी का बुरादा, भवन निर्माण और अस्पताल के लिनेन।
10. कम वजन वाले शिशुओं, बच्चों व वयस्कों में गुर्दे का काम नहीं करना और दस्त तथा कुपोषण।

बचाव एवं सावधानियां-

1- अपने आस-पास के पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए ब्रेड, फलों, सब्जियों, मिट्टी, खाद और मल जैसे सड़ने वाले कार्बनिक पदार्थों से दूर रहना।
2- हायपरग्लेमिया को नियं​त्रित रखना।
3- स्टेरॉयड थैरेपी की आवश्यकता वाले कोविड- 19 रोगियों में ग्लूकोज की निगरानी करना।
4- स्टेरॉयड के उपयोग के लिए सही समय, सही खुराक और सही अवधि का निर्धारण।
5- ऑक्सीजन थैरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ व शुद्ध जल का उपयोग करें।
6- एंटीबायोटिक्स व एंटीफंगल का प्रयोग केवल तभी करें, जब चिकित्सक द्वारा परामर्श दिया गया हो।
7- बंद नाक वाले सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसिसिस के मामलों के रूप में नहीं मानें।
8- म्यूकोर के लक्षण महसूस होने पर मेडिसिन, ईएनटी और नेत्र विशेषज्ञों को दिखाना चाहिए।

केंद्र और राज्‍य सरकारों द्वारा उठाए इन कदमों की बदौलत कोरोना की दूसरी लहर में आई गिरावट

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नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। भारत में कोरोना की दूसरी लहर अब गिरावट की ओर है। इस दौरान मामले 4 लाख से घटकर अब 2.67 लाख पर आ गए हैं। जानकारों की मानें तो यदि गिरावट का यही दौर जारी रहा और सब कुछ ठीक रहा तो एक सप्‍ताह के अंदर ये लहर चली जाएगी। आपको बता दें कि भारत में आई दूसरी लहर का प्रकोप पहले की तुलना में तीन गुना अधिक था। पहली लहर के दौरान भारत में सितंबर में एक दिन में अधिकतम 97 हजार मामले सामने आए थे।

दूसरी लहर में लगातार गिरावट आने के बाद भी जानकार इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि खतरा टल गया है। इस बीच कोरोना महामारी की तीसरी लहर की भी आशंका लगातार बनी हुई है। बहरहाल, तीसरी लहर को देखते हुए भी राज्‍य और केंद्र सरकार ने अपनी तैयारियों को अधिक मजबूती के साथ करने में कमर कस ली है। वहीं दूसरी लहर में आ रही गिरावट की वजह भी केंद्र और राज्‍यों के लिए गए कई ऐसे फैसले रहे हैं जिनकी बदौलत ऐसा संभव हो सका है।

आपको यहां पर ये याद दिलाना जरूरी हो जाता है कि कुछ समय पहले ही केंद्र ने राज्‍यों को ये अधिकार दिया था कि वो महामारी को देखते हुए अपने यहां पर किसी भी स्‍तर पर कदम उठा सकते हैं। राज्‍यों ने इस अधिकार का भलीभांति उपयोग इस दौर में किया है। राज्‍यों ने इसके तहत जिलाधिकारियों को ये अधिकार दिया कि वो अपने स्‍तर पर कोरोना संक्रमण के मामले देखते हुए आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन तक लगाने का फैसला ले सकते हैं। ऐसा हुआ भी। महाराष्‍ट्र में इस तरह की चीजें देखने को मिली जहां पर जिला स्‍तरीय लॉकडाउन लगाया गया। इसके अलावा इसी तरह से कर्नाटक, उत्‍तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश समेत कुछ अन्‍य राज्‍यों में भी इसको अपनाया गया।

केंद्र सरकार की ही बात करें तो इस दौर में प्रधानमंत्री ने लगातार महामारी का जायजा लिया और राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों समेत जरूरत पड़ने पर महामारी से अधिक प्रभावित जिलों के डीएम तक से सीधी बातचीत की। उन्‍होंने कहा कि यदि उनका जिला इस महामारी पर काबू पाने में सफल हो सका तो उनकी बदौलत इस महामारी पर देशभर में विजय पाई जा सकेगी। इसके अलावा केंद्र की तरफ से समय समय पर दिशा-निर्देश भी राज्‍यों को दिए जाते रहे।

सरकार ने नेशनल टेक्‍नीकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्‍यूनाइजेशन की उस सलाह को भी माना जिसमें उन्‍होंने कोविशील्‍ड की दो खुराकों के बीच 3-4 माह का अंतर करने की बात कही गई थी। केंद्र सरकार ने कोरोना की विकराल होती दूसरी लहर के बीच ऑक्‍सीजन कंसंट्रेटर की खरीद की और मरीजों को इसको उपलब्‍ध करवाया। केंद्र सरकार ने आक्‍सीजन की कमी से हो रही मौतों के बीच हर संभव उपाय करे जिसकी बदौलत करोड़ों लोगों के जीवन को बचाया जा सका। केंद्र की तरफ से राज्‍यों को आक्‍सीजन सप्‍लाई के लिए रेलवे की मदद ली गई। विदेशों से दी गई मदद को तुरंत अस्‍पतालों को मुहैया करवाया गया।

केंद्र ने इस दौरान महामारी की रोकथाम के लिए तेजी से लोगों को वैक्‍सीनेट करने की नीति पर भी काम किया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 19 मई तक देश में 18,58,09,302 खुराक दी जा चुकी हैं। मंगलवार की तुलना में बुधवार को 13,12,155 खुराक अधिक दी गई हैं। केंद्र ने राज्‍यों को टीकाकरण को सुचारू रूप से चलाने के लिए वैक्‍सीन की उचित व्‍यवस्‍था की। साथ ही दवाओं और लाइफ सेविंग इक्‍यूपमेंट्स की कालाबाजारी करने वालों पर नकेल कसी।

केंद्र ने उत्‍तराखंड में हुए कुंभ मेले को लेकर न सिर्फ अपनी चिंताएं व्‍यक्‍त की थी बल्कि इसको लेकर व्‍यवस्‍था की समीक्षा करने के लिए 16 मार्च को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक के नेतृत्व में केंद्र सरकार के एक दल ने उत्तराखंड का दौरा भी किया था।

कोरोना अपडेट : उत्तराखंड में आज 4492 कोरोना संक्रमण के नये मामले आये, 110 लोगों की हुई मौत

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देहरादून, उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण से आज भी कोई राहत भरी खबर नहीं आई, राज्य में आज 4492 नए कोविड संक्रमण के नये मामले सामने आए है। जबकि 110 लोगों की मौत हुई है और 7333 लोग आज ठीक होकर घर गए।

आज अल्मोड़ा में 292 ,बागेश्वर में 83, चमोली में 363, चंपावत में 283, देहरादून में 874, हरिद्वार में 548, नैनीताल में 621 पौड़ी गढ़वाल में 356 पिथौरागढ़ में 85 ,रुद्रप्रयाग में 318, टिहरी गढ़वाल में 169, उधम सिंह नगर में 341 औरउत्तरकाशी में 199 केस आये है।

हरिद्वार : बदमाशों ने खाना खाया और चाय पी, फिर दिया डकैती को अंजाम, लाखों का सामान लेकर हुए फरार

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हरिद्वार, जनपद में परिवार को बंधक बनाकर डकैती डालने का मामला प्रकाश में आया है, मिली जानकारी के मुताबिक बदमाशों ने नकदी और जेवरात बटोरने से पहले आराम से खाना बनवाकर खाया और चाय भी पी। इसके बाद परिवार वालों को बंधक बनाकर डकैती को अंजाम दिया।

हरिद्वार के बहादराबाद के धनौरी रोड पर स्थित गांव दौलतपुर में रहने वाले संदीप गिरी के मकान में बदमाश रात 11 बजे घुसे थे। इसके बाद संदीप को कहा कि उन्हें भूख लगी है, खाना खिलाओ, इसके बाद संदीप की पत्नि ने खाना बनाया फिर बदमाशों ने खाना खाया और चाय भी पी | करीब दो घंटे बाद परिवार के लोगों को अलग-अलग कमरों में बंद कर दिया। परिजनों ने बताया कि बदमाश बार-बार कर रहे थे कि वह नौ आदमी हैं और उनका खाना बनना है। घर के अंदर छह बदमाश थे। जबकि एक छत पर खड़ा था।

इसके साथ ही थर्माकोल भट्ठी के चौकीदार को बंधक बनाकर दो बदमाश बैठे हुए थे। सुबह चार बजे बदमाश पूरी के तस्सली साथ घर से वापस उसी रास्ते से निकले जिस रास्ते से वह आए थे। बदमाशों ने घटना के दौरान अपना मुंह भी नहीं ढका हुआ था। बदमाशों का मुंह न ढकना साफ-साफ इशारा करता है कि डकैती डालने के लिए आया गैंग बाहरी था। डकैती डालने आए बदमाशों ने परिवार के किसी भी सदस्य के साथ कोई मारपीट नहीं की, न ही किसी को चोट पहुंचाई। वही, संदीप का एक भाई हरिद्वार में रहता है, जबकि दूसरा भाई शांतरशाह में किराये के मकान में। घटना की सूचना मिलने पर उसके दोनों भाई भी मौके पर पहुंचे।

संदीप अपने गांव जटौला में दो दिन पहले हिस्से की जमीन बेचकर आया था। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि बदमाशों को पता था कि संदीप के पास इस समय रुपया है।
पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी की फुटेज की भी जांच शुरू कर दी है। थर्माकोल भट्ठी के चौकीदार मुकेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है, सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने घटनास्थल पर फारेंसिंक साइंस लैब (एफएसएल) की टीम को मौके पर बुलाया और घटना स्थल से फिंगर प्रिंट समेत कई अन्य सबूत एकत्र करवाए।

कालसन रेस्टोरेंट में लगी आग, दमकल टीम पहुंचने से पहले कर्मचारियों ने बुझायी आग

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देहरादून, राजपुर रोड स्थित कालसन रेस्टोरेंट में आग लग गई। कर्मचारियों ने मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। दमकल की टीम के पहुंचने से पहले ही आग बुझा ली गई थी।

डालनवाला कोतवाली क्षेत्र का कालसन रेस्टोरेंट कोरोना कर्फ्यू में होम डिलीवरी के चलते खुला था। दोपहर में अचानक किचन से धुंआ उठने लगा। धीरे-धीरे आग की लपटें बढ़नी शुरू हो गईं, जिसने किचन में रखे सामान को चपेट में ले लिया। यह देखकर कर्मचारियों में हड़कंप मच गया।

कर्मचारियों ने पानी और फायर एक्सटिंगविशर से आग को काबू करने की कोशिश की। साथ ही दमकल विभाग को भी सूचना दी। दमकल की टीम की दो गाड़ियां मौके पर पहुंची, लेकिन इससे पहले ही कर्मचारियों ने मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। अग्नशिमन अधिकारी सुरेश चंद्र रवि ने बताया कि दमकल की टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। कर्मचारियों ने आग को बुझा लिया था। करीब ढाई से तीन लाख का नुकसान होने की आशंका है। आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है।

उत्तराखण्ड़ : प्रदेश में 1 अप्रैल के बाद कोरोना पॉजीटिव मामलों में 62 प्रतिशत पुरुष, गढ़वाल मंडल में 50 मेट्रिक टन तो कुमाऊं मंडल में 40 मेट्रिक टन आक्सीजन को रखा गया रिजर्व

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देहरादून,  उत्तराखंड में कोविड-19 की रोकथाम के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में सचिवालय मीडिया सेंटर में सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने जानकारी देते हुए बताया कि बीते 24 घंटों में 7000 से अधिक मरीज स्वस्थ हुए हैं जबकि करीब 4800 नए मामले सामने आए हैं सचिव स्वास्थ्य ने ई-संजीवनी की बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 1200 लोगों ने कल ईसंजीवनी के जरिए निशुल्क स्वास्थ्य का परामर्श लिया। अभी तक 26 हज़ार से ज्यादा लोग पिछले कुछ दिनों में ही ई-संजीवनी का लाभ ले चुके हैं।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोविड-19 पॉजीटिवीटी रेट 23 से घटकर 15 प्रतिशत तक आ गया है। प्रदेश में लगातार सैंपलिंग बढ़ाई जा रही है। कल प्रदेश में 35 हजार की सेंपलिंग की गई। सचिव श्री नेगी ने बताया वर्तमान में प्रदेश का कोविड टेस्टिंग रेट राष्ट्रीय औसत के दोगुनी है।

सचिव श्री अमित नेगी ने यह भी बताया कि 1 अप्रैल 2021 के बाद से महिला और पुरुषों के पॉज़िटिविटी आंकड़ों के अनुसार संक्रमित में 62 प्रतिशत पुरुष हैं जबकि 38 प्रतिशत महिलाएं हैं। इसके अलावा सबसे अधिक तीन श्रेणी में युवा आयु वर्ग के लोगों में कोरोना संक्रमण देखने को मिल रहा है।

उन्होंने बताया कि सेकंड वेव में संक्रमितों में 20 से लेकर 29 साल की आयु वर्ग के लोगों में 21.9 प्रतिशत, 30 से लेकर 39 साल की आयु वर्ग के लोगों में 24.2 प्रतिशत, 40 से लेकर उम्र 49 आयु वर्ग के लोगों में 18.5 प्रतिशत हैं। इसके अलावा 1 अप्रैल 2021 के बाद 40 वर्ष से 79 आयुवर्ग के लोगों में मौत का औसत सबसे ज्यादा है। उन्होंने जानकारी दी कि कोरोना डेथ में 40 से 49 वर्ष तक की आयु वर्ग के लोगों की मृत्यु 17 प्रतिशत, 50 से 59 वर्ष तक की आयु के लोगों की मृत्यु 23 प्रतिशत, 60 से 69 वर्ष तक की आयु के लोगों की मृत्यु 24 प्रतिशत, जबकि 70 से 79 वर्ष तक की आयु के लोगों की मृत्यु 16.42 प्रतिशत लोगों मृत्यु हुई है।

ऑक्सीजन सप्लाई के नोडल अफसर सचिव परिवहन रंजीत सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड में आक्सीजन आपूर्ति पर सबसे पहले हमने मैपिंग की कि कहाँ कहाँ उत्पादन हो रहा है और किस किस जिले को आक्सीजन कहाँ से दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 3 बड़े प्लांट के जरिए 96 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भारत सरकार की तरफ से आवंटन है। इसके अलावा 6 छोटी यूनिटो से लगभग 70 मैट्रिक टन उत्पादन है। इनसे 7700 जम्बो ऑक्सीजन सिलेंडर भरे जा सकते हैं। प्रदेश के सभी 13 जिलों को अलग-अलग स्थानों पर ऑक्सीजन सप्लाई हेतु फिलिंग प्वाइंट आवंटित कर दिए गए हैं जिसके जरिए रोजाना 167 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन और आपूर्ति राज्य में हो रही है। इसके अलावा भारत सरकार से दूसरे राज्यों से 60 मैट्रिक टन आवंटित किया है। अभी तक बाहर से तीन बार में 260 मैट्रिक टन प्राप्त हुआ है।

सचिव श्री रणजीत सिन्हा ने बताया कि गढ़वाल मंडल में 50 मेट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन को रिजर्व में रखा गया है जबकि कुमाऊं मंडल में 40 मेट्रिक टन ऑक्सीजन को रिजर्व कोटे में रखा गया है। ताकि पीक के समय संकट न हो। इसके अलावा 11 अस्पतालों के अंदर छोटे ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा चुके हैं। इसके अलावा 11 नये स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट का काम चल रहा है जबकि 11 की स्वीकृति मिल चुकी है। जबकि 15 नए स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट का प्रस्ताव तैयार हो गया है। इसके अलावा बड़े अस्पतालों में स्टोरेज बढ़ाने के लिए नए ऑक्सीजन टैंक की योजना भी बनाई जा रही है। श्री सिन्हा ने बताया कि पहाड़ी जिलों में 72 घंटे की ऑक्सीजन को रिज़र्व कोटे में रखा गया है जबकि मैदानी जिलों में 24 घंटे के ऑक्सीजन को रिजर्व कोटे में रखा गया है।

आईजी अमित सिन्हा ने कालाबाजारी को लेकर किए जा रहे हैं कार्यवाही के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उधम सिंह नगर जिले में फर्जी RT PCR लैब में छापेमारी कर मुकदमा दर्ज किया गया है, जबकि एंबुलेंस और अस्पतालों में ओवरचार्जिंग के मामले में भी कार्रवाई की जा रही है।

डीआईजी एसडीआरएफ़ रिधिम अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिए एसडीआरएफ़ ने 20 गांव को गोद लिया है। एसडीआरएफ़ द्वारा गांव में बने क्वारेंटीन सेंटर्स में योगाभ्यास करवाया जा रहा है। होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को जरूरी दवा और सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा एसडीआरएफ़ द्वारा जन जागरूकता के लिए विशेष प्रचार प्रसार किया जा रहा है।