Sunday, June 22, 2025
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बड़ी खबर : हेलीकॉप्टर हादसे में सीडीएस बिपिन रावत की मौत, भारतीय वायुसेना ने की पुष्टि

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“वायुसेना की तरफ से ट्विट कर बताया कि गहरे अफसोस के साथ पता चला है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में जनरल बिपिन रावत, श्रीमती मधुलिका रावत और उसमें सवार 11 अन्य लोगों की मौत हो गई है।”

नई दिल्ली, तमिलनाडु के कन्नूर में सेना के हेलीकॉप्टर हादसे में जनरल बिपिन रावत की मौत हो गई है। भारतीय वायुसेना ने सीडीएस रावत की मौत की पुष्टि की है। वायुसेना की तरफ से ट्विट कर बताया कि गहरे अफसोस के साथ पता चला है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में जनरल बिपिन रावत, श्रीमती मधुलिका रावत और उसमें सवार 11 अन्य लोगों की मौत हो गई है।बिपिन रावत बने देश के पहले CDS, जानिए क्यों पड़ी इस पद की जरूरत - army chief general bipin rawat first chief of defence staff role modi government - AajTak वायुसेना की तरफ से कहा गया कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत आज स्टाफ कोर्स के संकाय और छात्र अधिकारियों को संबोधित करने के लिए डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन (नीलगिरी हिल्स) के दौरे पर थे। एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर सुलूर से वेलिंगटन के लिए रवाना हुआ था और इसमें चालक दल सहित 14 लोग सवार थे। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष रावत वेलिंगटन में डिफेंस स्टाफ कॉलेज जा रहे थे। वायुसेना ने कहा कि हादसे की ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ के आदेश दे दिए गए हैं।

 

रक्षा मंत्री ने जताया दुख

हेलीकॉप्टर दुर्घटना को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गहरा शोक प्रकट किया है। उन्होंने ट्विट करते हुए कहा कि तमिलनाडु में आज एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य सशस्त्र बलों के जवानों के आकस्मिक निधन से गहरा दुख हुआ। जनरल रावत ने असाधारण साहस और लगन से देश की सेवा की थी। पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में उन्होंने हमारे सशस्त्र बलों की संयुक्तता की योजना तैयार की थी। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस हादसे में अपनों को खोने वालों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदना है। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं, जिनका वर्तमान में सैन्य अस्पताल, वेलिंगटन में इलाज चल रहा है।Dehradun News In Hindi, Latest देहरादून न्यूज़ Headlines - Amarujala.com

 

सीडीएस बिपिन रावत के निधन से राज्य में शोक की लहर, पैतृक गांव सैंण में हर कोई स्तब्ध

देहरादून, तमिलनाडु के कन्नूर में सेना का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया है। जिसमें सीडीएस बिपिन रावत के साथ उनकी पत्नी व अन्य अधिकारियों समेत कुल 14 लोग सवार थे। इस घटना में सीडीएस बिपिन रावत का निधन हो गया, इस हादसे के बाद से पूरे उत्तराखंड में शोक छा गया। लोग देवभूमि के बेटे की मौत की खबर आने से हर कोई स्तब्ध है। जनरल बिपिन रावत के हेलीकाॅप्टर क्रेश होने की खबर फैलने के बाद उत्तराखंड में गहमागहमी और चिंता का माहौल देखने को मिला। घटना को लेकर लगातार अपडेट लिए जा रहे थे। भाजपा चुनाव प्रभारी बीएल संतोष ने भी दोपहर बाद की बैठक छोड़ दी थी। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पार्टी कार्यालय नहीं पहुंचे थे। शाम होते-हाेते उनकी मौत की पुष्टि हुई और राज्य में सन्नाटा पसर गया। वहीं उनके पैतृक गांव सैंण में हर कोई स्तब्ध है |

पौड़ी के सैंण गांव के मूल निवासी थे रावत

Army Chief General Bipin Rawat Village Family Happy After Become First Cds  Of India - जनरल बिपिन रावत के सीडीएस बनने पर उत्तराखंड में खुशी का माहौल, पैतृक  गांव में एक जनवरी

सीडीएस बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक के सैंण गांव के मूल निवासी थे। उनकी पत्नी उत्तरकाशी जिले से हैं। जानकारी के मुताबिक देहरादून में जनरल बिपिन रावत का घर भी बन रहा था।जनरल बिपिन रावत थलसेना के प्रमुख रहे। रिटायरमेंट से एक दिन पहले बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया गया था।

इनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। रावत ने 11वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन से 1978 में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने देहरादून में कैंब्रियन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से शिक्षा ली। आईएमए में उन्हें सर्वश्रेष्ठ स्वोर्ड ऑफ ऑनर सम्मान से भी नवाजा गया था। परिवार वालों का कहना है कि उनके परिवार में सभी बच्चों के सामने जनरल बिपिन और उनके पिता का उदाहरण पेश किया जाता था।
सीडीएस बिपिन रावत अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर युद्ध और आतंकवाद विरोधी गतिविधियों की खासा जानकारी और अनुभव रखते थे। उन्होंने पूर्वी सैक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफेंट्री बटालियन की कमान संभाली। उन्होंने कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय राइफल्स और एक इंफेंट्री डिविजन की कमान संभाली। जनरल रावत ने सेना मुख्यालय की सेना सचिव शाखा में भी महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।

वे पूर्वी कमान मुख्यालय में मेजर जनरल, जनरल स्टाफ भी रहे। उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में चैप्टर-7 मिशन में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली। लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड एंड नेशनल डिफेंस कॉलेज कोर्सेज के पूर्व छात्र थे।

उन्हें वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए पुरस्कृत भी किया गया, जिनमें यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, सीओएएस प्रशस्ति शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करते हुए उन्हें दो बार फोर्स कमांडर प्रशस्ति पुरस्कार प्राप्त हुए।

मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने किया शोक व्यक्त

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यपाल सहित अन्य गणमान्य लोगों ने बिपिन रावत के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उनके निधन को देश के लिए बड़ी क्षति बताया। वहीं उनके परिवार को शक्ति देने की प्रार्थना की।

बड़ी खबर : कुन्नूर में सेना का हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, 4 शव बरामद

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नई दिल्ली, तमिलनाडु के कन्नूर में सेना का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया है। बताया जा रहा है कि इस हेलीकॉप्टर में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी सवार है। जानकारी के मुताबिक तीन लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। इसके साथ ही चार शव भी बरामद किए गए हैं। जिन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। खराब मौसम की वजह से ये हादसा हुआ है। हेलिकॉप्टर में सीडीसी रावत की पत्नी भी सवार थीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार सीडीएस रावत अपनी पत्नी के साथ ऊंटी के एक कार्यक्रम में समल्लित होने के लिए जा रहे थे। लेक्चर के बाद कोयंबटूर लौट रहे थे उस वक्त ये हादसा हुआ है। लेकिन कन्नूर के घने जंगल में ये हादसा हो गया |

एमआई-सीरीज के हेलिकॉप्टर में 14 लोग थे सवार

एमआई-सीरीज के हेलिकॉप्टर में डीएस बिपिन रावत उनकी पत्नी, दो पायलट और स्टाफ ऑफिसर समेत 14 लोग सवार थे। तमिलनाडु के कोयंबटूर और सुलूर के बीच हुई दुर्घटना के बाद आस-पास के इलाके में खोज और बचाव अभियान शुरू किया गया।

IAF ने दिए जांच के आदेश

भारतीय वायु सेना ने ट्विट करते हुए कहा कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ एक आईएएफ एमआई-17V5 हेलीकॉप्टर, तमिलनाडु के कुन्नूर के पास आज दुर्घटना का शिकार हो गया। दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए गए हैं(साभार प्रभासाक्षी)।

अखिल गढ़वाल सभा : पहाड़ के मुद्दों पर चुप्पी साध जाते हैं पदाधिकारी, रोशन धस्माना क्यों चिपके रहना चाहते हैं कुर्सी पर..?

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पहाड़ बर्बाद हो रहे हैं। विकास के नाम पर हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं। पहाड़ों को बमों से उड़ाया जा रहा है। पहाड़ आपदा के घर बन गये हैं। इस बीच सरकार ने भू-कानून में बदलाव कर पहाड़ की जमीन को बेचने का षडयंत्र किया है। देवस्थानम् बोर्ड बना दिया। गढ़वाल के जिलों को तोड़कर तीसरी कमिश्नरी भी घोषित कर दी। पिछले 21 साल में सरकारों ने कभी गढ़वाल भाषा को पाठयक्रम का हिस्सा नहीं बनाया। कोरोना काल में लाखों प्रवासी गांव लौटे और फिर वापस मैदानों की ओर लौट गये।

पहाड़ों को लेकर ऐसे अनगिनत सवाल हैं जो सत्ता से पूछे जाने चाहिए थे। लेकिन अखिल गढ़वाल सभा चुप रही। ऐसी संस्था क्या लोकनृत्य कर ही संस्कृति बचा लेगी। ऐसी सभा का अचार डालना है क्या ? देहरादून में गढ़वाल सभा से कहीं अधिक मजबूत बिहारी महासभा है। अब अखिल गढ़वाल सभा के चुनाव 12 दिसम्बर को होने हैं। चुनाव होते हैं लेकिन हर बार रोशन धस्माना चुनाव जीत जाते हैं। लाख टके का सवाल यह है कि रोशन धस्माना देहरादून के हरबंस कपूर क्यों बनना चाहते हैं ?
आखिर क्या है इस कुर्सी में कि जिसे वो छोड़ना ही नहीं चाहते? क्या रोशन धस्माना भी राज्यमंत्री बनना चाहते हैं? क्या उन्हें भी पद्मश्री चाहिए ? आखिर वो पहाड़ के हित के मुद्दों पर भी क्यों खामोश रहते हैं ? क्यों गढ़वाल सभा आज भी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकी है। गढ़वाल सभा की पिछले 20 साल में एक भवन के अलावा क्या उपलब्धि रही ? यह बड़ा सवाल है। गढ़वाल सभा की उपलब्धियों पर एक श्वेत पत्र जैसी रिपोर्ट मांगी जा सकती है।

मैं जानता हूं एक बार फिर रोशन धस्माना ही जीत जाएंगे। लेकिन वो जिम्मेदार कब बनेंगे, यह बड़ा सवाल है। गढ़वाल सभा विजय धस्माना का पल्लू पकड़ कर कब तक चलेगी ? टाउन हाल में विजय धस्माना ने सार्वजनिक मंच से गढ़वाल सभा को भिखारी कह दिया था कि जब देखो, मेरे आगे हाथ पसारते हैं। आखिर चंदे से संस्था कब तक चलेंगी? यदि ऐसी सभा हमारी लोकसंस्कृति, जैव विविधता, पलायन, पाठ्यक्रम, भाषा उन्नयन और पहाड़ों को बचाने की बात नहीं करती तो गढ़वाल सभा को मृत घोषित कर देना चाहिए। इसे दुकान की तरह किसी भी हाल में नहीं चलाया जाना चाहिए |(गुणानंद जखमोला की फेसबुक वाॕल से साभार)।

स्व. रामायण प्रसाद मेमोरियल “20वीं उत्तराखंड स्टेट क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप का 16 दिसंबर को होगा आयोजन

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देहरादून, स्वर्गीय श्री रामायण प्रसाद मेमोरियल “20वीं उत्तराखंड स्टेट क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप – 2021” गुरुवार 16 दिसंबर 2021 को मंत्रा स्पोर्ट्स क्लब, खटीमा, उधम सिंह नगर में आयोजित की जाएगी।

चैंपियनशिप का आयोजन उधम सिंह नगर एथलेटिक्स एसोसिएशन द्वारा उत्तराखंड एथलेटिक्स एसोसिएशन के तत्वावधान में किया जाएगा।
“इस प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करने वाले एथलीटों की प्रविष्टियां 15 जनवरी 2022 को कोहिमा, नागालैंड में होने वाली 56वीं राष्ट्रीय क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप के लिए भेजी जाएंगी।”

चैंपियनशिप का विवरण इस प्रकार है :

प्रतियोगिता पुरुष व महिलाओं, 20 वर्ष से कम (लड़के और लड़कियों), 18 वर्ष से कम (लड़के और लड़कियों) और 16 वर्ष से कम (लड़के और लड़कियों) श्रेणियों में आयोजित की जाएगी।

उत्तराखंड में पैदा हुए या उत्तराखंड में 4 साल से अधिक समय से रहने वाले एथलीट ही प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं।
ऑनलाइन प्रवेश फॉर्म के साथ प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता है और यदि एथलीट ने गलत जानकारी प्रस्तुत की है तो उसकी प्रविष्टि को अस्वीकार कर दिया जाएगा और इस मामले में प्रवेश शुल्क वापस नहीं किया जाएगा।

क्रॉस-कंट्री रेस, आयु ब्रैकेट और दूरी :

पुरुष और महिला (10 किमी) – 16.01.2002 को या उससे पहले पैदा हुए।
अंडर-20 लड़के (8 किमी) और लड़कियां (6 किमी) – 16.01.2002 और 15.01.2004 के बीच पैदा हुए।
अंडर-18 लड़के (6 किमी) और लड़कियां (4 किमी) – 16.01.2004 और 15.01.2006 के बीच पैदा हुए।
अंडर-16 लड़के और लड़कियां (2 किमी) – 16.01.2006 और 15.01.2008 के बीच पैदा हुए।

दौड़ समाप्त करने के लिए कट-ऑफ समय :
पुरुष (10 किमी) -44 मिनट
महिला (10 किमी) -54 मिनट
U-20 लड़के (8KM) -36 मिनट
U-20 लड़कियां (6KM) -40 मिनट
U-18 लड़के (6 किमी) -30 मिनट
U-18 लड़कियां (4 किमी) – 26 मिनट
U-16 लड़के (2 किमी) -10 मिनट
U-16 लड़कियां (2 किमी) -13 मिनट
महत्वपूर्ण नोट – भागीदारी प्रमाण पत्र केवल उन्हीं एथलीटों को प्रदान किया जाएगा जो उपरोक्त कट ऑफ समय के भीतर दौड़ पूरी करेंगे।
एथलीटों/अधिकारियों को नकारात्मक RTPCR रिपोर्ट साथ रखनी होगी। वैध RTPCR रिपोर्ट के बिना एथलीटों को भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह रिपोर्ट आयोजन के शुरू होने के 72 घंटे पहले की ही होनी चाहिए। (यदि एथलीटों को दोनों टीके लगे है तो RTPCR रिपोर्ट प्रस्तुत प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।)

पुरस्कार : सभी दौड़ों में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को पदक, प्रमाण पत्र और गुलदस्ते से सम्मानित किया जाएगा।

प्रविष्टियां भेजने की प्रक्रिया :
प्रविष्टियां 13 दिसंबर 2021 तक व्यक्तिगत एथलीट द्वारा स्वयं “ऑनलाइन” जमा की जानी चाहिए।

प्रतियोगिता शुल्क का विवरण निम्नानुसार है :
U-16yrs एथलीट – INR 150 / – प्रति एथलीट।
U-18 वर्ष, 20 वर्ष और ओपन श्रेणी के एथलीट – INR 200 / – प्रति एथलीट।

13-दिसंबर-2021 के बाद देर से प्रवेश शुल्क:
U-16 वर्ष एथलीट – INR 250 / – प्रति एथलीट।
U-18 वर्ष, 20 वर्ष और ओपन श्रेणी के एथलीट – INR 400 / – प्रति एथलीट।

जूनियर एथलीट के लिए पात्रता मानदंड :
• जूनियर एथलीटों के लिए आयु 15 जनवरी 2022 के अनुसार होगी।
• एक एथलीट केवल अपने आयु वर्ग में भाग ले सकता है।
• 15 जनवरी 2022 को 14 वर्ष से कम आयु के एथलीटों का प्रवेश स्वीकार नहीं किया जाएगा।

आयु सत्यापन के लिए केवल निम्नलिखित जन्मतिथि प्रमाण पत्र मान्य होंगे, जो एक एथलीट के जन्म के एक वर्ष के भीतर प्राप्त किए गए हैं

16 साल से ऊपर के एथलीट: • • राज्य सरकार या केंद्र सरकार के किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड द्वारा जारी मैट्रिक / हाई स्कूल / हायर सेकेंडरी कक्षा का प्रमाण पत्र।
नगर निगम/नगर महापालिका/गांव या ग्राम पंचायत के जन्म और मृत्यु पंजीकरण कार्यालय से जन्म प्रमाण पत्र और स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, यदि वह ड्रॉप आउट है। नगर निगम/नगर महापालिका/गांव या ग्राम पंचायत से जन्म प्रमाण पत्र, अगर वह बिल्कुल भी स्कूल नहीं गया है।

आयु सत्यापन/दस्तावेज़ जांच और BIB वितरण :
UKAA के सदस्यों द्वारा एथलीटों का आयु सत्यापन, चिकित्सा जांच और दस्तावेज़ सत्यापन (उत्तराखंड का निवास) 15 दिसंबर 2021 को मंत्रा स्पोर्ट्स क्लब खटीमा में दोपहर 14:00 बजे से 17:00 बजे तक किया जाएगा। सभी एथलीट, जो ऊपर बताए अनुसार जन्मतिथि और उत्तराखंड के निवास का प्रमाण प्रस्तुत नहीं करते हैं, उन्हें भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

बोर्डिंग, लॉजिंग :
उधम सिंह नगर एथलेटिक्स एसोसिएशन 1 रात के लिए (15 दिसंबर दोपहर 4:00 बजे चेक-इन और 16 दिसंबर दोपहर 12:00 बजे दोपहर चेकआउट) मुफ्त आवास प्रदान करेगा और भोजन रियायती दरों पर उपलब्ध होगा जिसके लिए एथलीट/प्रबंधक/कोच यदि वे सेवाओं का लाभ उठाते हैं तो उन्हें भुगतान करना होगा।

ज्यादा ठंड होने के कारण उक्त चैंपियनशिप में भाग लेने वाले एथलीटों को अपने साथ अपना कंबल ले जाना होगा। ठहरने की जगह पर ही आयोजक गद्दे उपलब्ध कराएंगे।

आयोजकों के संपर्क विवरण :
श्री के जे एस कलसी, सचिव उत्तराखंड एथलेटिक्स एसोसिएशन – 7017829137
श्री विजेंदर सिंह चौधरी, आयोजन सचिव और सचिव – यूएसएन एथलेटिक्स एसोसिएशन।
श्री मनीष भट्ट, प्रतिस्पर्धा सचिव – 9997620623
श्री रमेश चौहान, प्रतियोगिता समन्वयक- 89547 87979
श्री मो. रफी, तकनीकी प्रबंधक – 9756880429

कोविड-19 महामारी के संबंध में संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी अन्य दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतियोगिता सुचारू रूप से आयोजित की जाए। एसओपी का उल्लंघन करने वाले किसी भी एथलीट / अधिकारी, कोविड -19 महामारी के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों को इस चैंपियनशिप में भाग लेने से वंचित कर दिया जाएगा।

अस्वीकरण :20वीं उत्तराखंड स्टेट क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप 2021 में भाग लेने के संबंध में किसी भी प्रकार की जान/क्षति/बीमारी/चोट के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्तराखंड एथलेटिक्स एसोसिएशन या आयोजन जिला इकाई जिम्मेदार नहीं होगी। इस संबंध में आपका सहयोग अपेक्षित है।

7th Pay Commission: फिटमेंट फैक्टर बढ़ने से केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में आएगा उछाल, जानिए – कैसे होगी गणना?

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(फोटो प्रतीकात्‍मक)

7th Pay Commission Latest News Update: केंद्रीय कर्मचारियों (Central Government Employees) को एक बार फिर वेतन में बढ़ोतरी की खुशखबरी मिल सकती है.

पहले महंगाई भत्ता (DA), फिर एचआरए (HRA) और टीए प्रमोशन (TA Promotion) मिलने के बाद अब नए साल में उन्हें फिर से तोहफा मिल सकता है. दरअसल, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) को बढ़ाने की चर्चा चल रही है.

बढ़ सकता है फिटमेंट फैक्टर

इससे पहले साल 2016 में फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) को बढ़ाया गया था. इसी साल 7वां वेतन आयोग (7th Pay Commission) भी लागू किया गया था. उस समय कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन सीधे 6000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये कर दिया गया था. अब सरकार वर्ष 2022 में केंद्रीय कर्मचारियों (CG Employees) के वेतन में फिर से वृद्धि कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक साल की शुरुआत में केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों का फिटमेंट फैक्टर बढ़ सकता है. फिटमेंट बढ़ने से केंद्रीय कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन एक बार फिर बढ़ जाएगा.

क्या है फिटमेंट फैक्टर

फिटमेंट फैक्टर वह कारक है जो केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में ढाई गुना से अधिक की वृद्धि करता है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन भत्तों के अलावा उनके मूल वेतन और फिटमेंट फैक्टर से तय होता है.

सरकार विचार कर रही है

केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों की लंबे समय से मांग रही है कि उनका फिटमेंट फैक्टर 2.57 फीसदी से बढ़ाकर 3.68 फीसदी किया जाए. उम्मीद है कि एक फरवरी 2022 को पेश होने वाले बजट से पहले केंद्रीय कर्मचारियों का फिटमेंट फैक्टर तय हो सकता है. इसके बाद कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में भी बढ़ोतरी होगी.

न्यूनतम मूल वेतन पर गणना

न्यूनतम मूल वेतन = रु 18,000
भत्ते को छोड़कर वेतन = 18,000 X 2.57 = 46,260 रुपये.
26000X3 = रु.78000 3% के आधार पर
टी
कुल योग = 78000-46,260 = 31,740

यानी कर्मचारियों के कुल वेतन में 31,740 रुपये की बढ़ोतरी होगी. यह गणना न्यूनतम मूल वेतन पर की गई है. अधिकतम वेतन वालों को अधिक लाभ होगा.

बजट के मसौदे में हो सकता है शामिल

केंद्रीय कर्मचारियों के फिटमेंट फैक्टर को केंद्रीय कैबिनेट से मिल सकती है मंजूरी बजट से पहले कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे बजट के खर्च में शामिल किया जा सकता है. लेकिन अगर इसे कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती है तो इसे बजट (बजट 2022) के मसौदे में शामिल करने की कोई खास जरूरत नहीं है.

कितनी बढ़ेगी सैलरी

अगर फिटमेंट फैक्टर (केंद्र सरकार कर्मचारी फिटमेंट फैक्टर) को मंजूरी मिल जाती है तो कर्मचारियों के वेतन में बंपर बढ़ोतरी होगी. दरअसल, फिटमेंट फैक्टर बढ़ने से न्यूनतम मजदूरी भी बढ़ जाती है. वर्तमान में कर्मचारियों को 2.57 प्रतिशत फिटमेंट फैक्टर के आधार पर फिटमेंट फैक्टर के तहत वेतन मिल रहा है. अब इसे बढ़ाकर 3.68 फीसदी करने की चर्चा चल रही है.

फिटमेंट फैक्टर को 3 गुना बढ़ाने पर जोर

सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना चाहती है, लेकिन सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन बढ़ाने के पक्ष में नहीं है. सरकार फिटमेंट फैक्टर को 3 गुना बढ़ा सकती है. फिटमेंट फैक्टर बढ़ने से कर्मचारियों का मूल वेतन 18000 रुपये से बढ़कर 21000 रुपये हो जाएगा. उन्हें कैबिनेट सचिव के साथ कर्मचारी संघ की बैठक में भी आश्वासन मिला. सूत्रों की माने तो सरकार अब फिटमेंट फैक्टर पर ज्यादा ध्यान दे रही है.

अब जितेन्द्र के बाद क्या परिवार का कोई और सदस्य बनेगा हिंदू, वायरल वीडियो ने मचाया तहलका

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लखनऊ,  । अपना मुस्लिम धर्म बदलकर वसीम रिजवी से जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी बनने के बाद सुर्खियों का बाजार लगातार गर्म होता जा रहा है। अब एक अन्य वीडियो सोशल मी़डिया पर वायरल है, जिसमें एक महिला और एक पुरुष दिखाई दे रहे हैं। इसमें पुरुष को जितेन्द्र त्यागी और महिला को उनकी पत्नी बताया जा रहा है। वायरल वीडियों के बाद प्रदेश और देश में इस बात को लेकर चर्चाएं गर्म हैं कि क्या उनके परिवार का कोई अन्य सदस्य भी हिंदू बनेगा। जितेंद्र त्यागी बनने के बाद उन्होेंने यह साफ कहा था कि जो उनके साथ होगा वह आएगा और परिवार का जो सदस्य उनके साथ नहीं होगा, उससे वह खुद नाता तोड़ लेंगे।

ऐसे वक्त में महिला के साथ वायरल हुए जितेन्द्र त्यागी के इस वीडियो को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि वीडियो में महिला कौन है, इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो सकी है। वायरल वीडियो में पुरुष को जितेंद्र और महिला को उनकी पत्नी बताया जा रहा है। हालांकि दोनों मास्क लगाए हैं और उनका चेहरा स्पष्ट नजर नहीं आ रहा। इस मामले को लेकर जितेंद्र के घरवालों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन किसी ने इस बारे में बात नहीं की।

भाई ने तोड़ चुके हैं रिश्ताः जितेन्द्र के भाई पहले ही उनसे रिश्ता तोड़ चुके हैं और उन्होंने कुछ भी टिप्पणी करने से मना कर दिया। जितेन्द्र उर्फ वसीम ने दो शादियां की हैं। दोनों पत्नियां अलग रहती हैं। बेटियों की शादी हो चुकी है, जबकि एक बेटा पढ़ाई कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक वसीम उर्फ जितेन्द्र एक जगह मुतवल्ली भी हैं। ऐसे में उन्हें उनके पद से हटाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। हाल में ही जितेन्द्र के चालक की पत्नी ने उनपर दुष्कर्म, धमकी और अश्लील वीडियो बनाकर शारीरिक शोषण की एफआइआर भी दर्ज कराई थी।

शिया वक्फ बोर्ड की सदस्यता भी जाएगीः जितेन्द्र त्यागी अभी शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य हैं। नियम के मुताबिक एक मुस्लिम ही बोर्ड का सदस्य रह सकता है। माना जा रहा है कि जितेन्द्र की सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। वक्फ बोर्ड इस संबंध में विधिक राय ले रहा है।(साभार -जागरण)

‘पेंशन’ की मांग को लेकर हजारों कर्मचारी पहुंचे कोर्ट, वित्त विभाग की हरी झंडी, कानून मंत्रालय चुप

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केंद्र सरकार के कर्मचारी, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) से बाहर निकलकर पुरानी पेंशन व्यवस्था (ओपीएस) के दायरे में आने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हजारों कर्मचारी इस मुद्दे को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में पहुंच चुके हैं। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन बात नहीं बन सकी। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार की अधिकांश ‘विशेष अनुमति याचिका’ (एसएलपी) और समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णयों के मद्देनजर वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) और विधि और न्याय मंत्रालय से सुझाव मांगा है। वित्त विभाग ने अपनी ओर से हरी झंडी दे दी है, जबकि विधि और न्याय मंत्रालय अभी चुप है। दूसरी तरफ, केंद्र सरकार में अनेक ऐसे कर्मी, जिनकी भर्ती प्रक्रिया एक जनवरी 2004 के बाद पूरी हुई थी और वे एनपीएस के दायरे में आ गए थे, अब उन्हें दोबारा से ‘पुरानी पेंशन व्यवस्था’ में शामिल किया जा रहा है।
एनपीएस और पुरानी पेंशन को लेकर संघर्ष जारी है
विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में कार्यरत कर्मियों द्वारा पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कराने के लिए लगातार आवाज उठाई जा रही है। केंद्र सरकार के कार्मिकों के प्रतिनिधि समूह ‘नेशनल काउंसिल ऑफ जेसीएम’ ने डीओपीटी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में कई बार इस मुद्दे को संजीदगी से उठाया है। इसके अलावा विभिन्न कर्मचारी संगठन एवं एसोसिएशन भी समय समय पर इस मसले को लेकर आवाज बुलंद करती रही हैं। अर्धसैनिक बलों के लिए ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन’ इस मांग को पूरे जोर-शोर से उठा रही है। संसद के मौजूदा सत्र में यह भी मुद्दा कई बार उठ चुका है। सांसद चौधरी सुखराम सिंह यादव, विशंभर प्रसाद निषाद और नीरज शेखर ने पुरानी पेंशन को लेकर सवाल पूछा है। नीरज शेखर से पूछा, क्या पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीएंडपीडब्ल्यू) ने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के विभिन्न निर्णयों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) एवं विधि और न्याय मंत्रालय से उन कर्मचारियों को एनपीएस से बाहर करने व उन्हें पुरानी पेंशन योजना में शामिल करने के लिए विचार मांगे थे, जिनकी भर्ती का विज्ञापन 31 दिसंबर को या उससे पहले जारी हुआ था। संबंधित मंत्रालय एवं विभाग ने इस बाबत केंद्र सरकार को क्या सलाह दी है।
ऐसे कर्मियों को मिल सकती है ‘पेंशन’: वित्त विभाग
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय में ‘एमओएस’ डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया, वित्तीय सेवा विभाग ने पुरानी पेंशन बाबत अपनी रिपोर्ट दे दी है। पेंशन ओर पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीएंडपीडब्लू) उन कर्मचारियों, जिनकी भर्ती के लिए विज्ञापन दिनांक एक जनवरी 2004 को या उससे पहले जारी किया गया था, को ‘एनपीएस’ के दायरे से बाहर करने के संबंध में उचित निर्णय ले सकता है। मतलब ऐसे कर्मियों को ‘पुरानी पेंशन व्यवस्था’ का लाभ मिल सकता है। दूसरी तरफ, विधि कार्य विभाग से अभी तक इस मसले पर कोई टिप्पणी प्राप्त नहीं हुई है। सदन में सुखराम सिंह यादव और विशंभर प्रसाद निषाद ने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2021 के दौरान विभिन्न एसएलपी और समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस सवाल के जवाब में कहा, सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2021 के दौरान, उन सरकारी कर्मचारियों को, जिनकी चयन प्रक्रिया एक जनवरी 2004 के बाद पूरी हुई थी, पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने की अनुमति देने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के विरुद्ध भारत संघ द्वारा दायर कुछ एसएलपी को खारिज कर दिया है।
22 दिसंबर 2003 को जारी की थी अधिसूचना
बता दें कि वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग द्वारा 22 दिसंबर 2003 को एक अधिसूचना जारी की गई थी। इसके तहत सरकारी विभागों में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को लागू किया गया था। एक जनवरी 2004 के बाद केंद्र सरकार में हुई सभी नई भर्तियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) अनिवार्य तौर पर लागू कर दी गई। 22 दिसंबर 2003 की अधिसूचना के विशिष्ट उपबंधों को ध्यान में रखते हुए, पुरानी पेंशन योजना या राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत कवर किए जाने के संबंध में पात्रता निर्धारित करने के लिए रिक्तियों के विज्ञापन की तारीख को प्रासंगिक नहीं माना जाता है। अब सुप्रीम कोर्ट ने उन सरकारी कर्मचारियों को, जिनकी चयन प्रक्रिया एक जनवरी 2004 के बाद पूरी हुई थी, पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने की अनुमति देने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के विरुद्ध केंद्र सरकार द्वारा दायर कुछ एसएलपी को खारिज कर दिया है। सांसद नीरज शेखर ने पूछा, क्या उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनवाई किए बिना एसएलपी और समीक्षा याचिकाओं को प्रवेश स्तर पर खारिज करने के बाद भी सरकार के अधिकारी प्रत्येक मामले में अपने ही अधिकारियों को परेशान कर उन्हें जान बूझकर झूठे मुकदमेबाजी की सलाह दे रहे हैं। क्या ये सब केंद्र सरकार की जन-समर्थक छवि को धूमिल करने का प्रयास है।

अस्पताल की जरूरी यूनिट को कोटेश्वर में स्थापित करने को लेकर लोगों में रोष, 9 दिसंबर से क्रमिक अनशन की चेतावनी

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रुद्रप्रयाग। जिला अस्पताल की कुछ यूनिटों को माधवाश्रम अस्पताल कोटेश्वर में स्थापित किए जाने को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है। उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन देते इस पर शीघ्र रोक लगाने की मांग की है। जिलाधिकारी मनुज गोयल को दिए ज्ञापन में स्थानीय लोगों ने कहा कि जनता की सुगमता को देखते हुए जिला चिकित्सालय में स्थित जरूरी ब्रांचों को अन्यत्र शिफ्ट होने का विरोध किया जाएगा। कहा कि रुद्रप्रयाग जनपद ही नहीं, बल्कि चमोली जनपद के अधिकांश हिस्सों की चिकित्सा सेवाओं का एकमात्र यही अस्पताल एक मात्र माध्यम हैं। यहां यात्रा काल में चारधाम तीर्थयात्रा के लिए भी सेवाएं मिलती रहती है। उन्होंने कहा कि ज्ञात हुआ है कि जिला चिकित्सालय की कुछ यूनिट को कोटेश्वर में स्थापित किया जा रहा है जो कि, आम और आर्थिक कमजोर जनता के लिए ठीक नहीं है। उन्हें इससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

इससे पूर्व भी पहले भी अन्य संस्थाओं द्वारा कोटेश्वर में अस्पताल संचालन किया गया था किंतु उनकी भारी असुविधा होने के कारण अस्पताल का संचालन विधिवत नहीं चल पाया। उन्होंने जनहित में मांग करते हुए कहा कि जिला अस्पताल का विस्तार विस्तार करते हुए कोटेश्वर में महिला अस्पताल व ट्रॉमा सेंटर की स्थापना करते हुए सीटी स्कैन यूनिट स्थापित करने की दिशा में प्रयास किए जाएं, जिससे आम जनता को बेहतर सुविधाएं प्राप्त हो। कहा कि यदि अस्पताल को रोकने की मांग पर जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं की गई तो 9 दिसंबर से जिला चिकित्सालय में क्रमिक अनशन शुरू किया जाएग। उन्होंने रुद्रप्रयाग और केदारनाथ विधायक को ज्ञापन प्रेषित किया है। ज्ञापन देने वालों में व्यापार मंडल जिलाध्यक्ष अंकुर खन्ना, व्यापार मंडल के नगर अध्यक्ष चन्द्रमोहन सेमवाल, सभासद संतोष रावत, सामाजिक कार्यकर्ता अनूप बिष्ट, यूकेडी जिलाध्यक्ष राजेंद्र नौटियाल, कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता सूरज नेगी, अशोक चौधरी, शमशेर सिंह सहित कई लोग शामिल हैं।

उत्तराखंड में 21 नए कोरोना केस

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देहरादून। उत्तराखंड में बीते 24 घंटे में 21 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। वहीं, किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। तीन मरीजों को ठीक होने के बाद घर भेजा गया। सक्रिय मरीजों की संख्या 189 हो गई है।
आठ जिलों में एक भी संक्रमित नहीं मिला। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, मंगलवार को छह जिलों बागेश्वर, चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी और उत्तरकाशी जिले में एक भी संक्रमित मरीज नहीं मिला है। वहीं, अल्मोड़ा और हरिद्वार में एक-एक, चंपावत में चार, देहरादून में छह, नैनीताल में पांच और पौड़ी व ऊधमसिंह नगर जिले में दो-दो तीन संक्रमित मरीज मिले हैं।
प्रदेश में अब तक कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या 344385 हो गई है। इनमें से 330611 लोग ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में कोरोना के चलते अब तक कुल 7411 लोगों की जान जा चुकी है। प्रदेश की रिकवरी दर 96.00 प्रतिशत और संक्रमण दर 0.15 प्रतिशत दर्ज की गई है।

ओखलकांडा सीएम के कार्यक्रम में गायक जितेंद्र तोमक्याल ने बांधा समां

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(चन्दन सिंह बिष्ट)

ओखलकाण्डा/भीमताल, प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को विधानसभा भीमताल के विकास खण्ड ओखलकाण्डा खनस्यू में 367 लाख की 6 योजनाओं का लोकार्पण एवं 3420.69 लाख की 17 योजनाओं का शिलान्यास किया। श्री धामी बडौन राजकीय इन्टर कालेज का उच्चीकरण, ककोड मे मोबाइल टावर हेतु धनराशि देने, विकास खण्डों मे सोशल आडिट कार्य आगे बढाने, देवलीधार-सुरंग मोटरमार्ग, ओखलढूगा-कुडगांव मोटर मार्ग, देवीधार-सुरंग मोटरमार्ग का नाम स्व0 ताराराम कवि के नाम पर रखने व खनस्यू सब स्वास्थ्य केन्द्र का कार्य हेतु धनराशि उपलब्ध कराने की घोषणा की।मुख्यमंत्री श्री धामी ने जन समूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे लिए राजनैतिक नहीं बल्कि विकास को अन्तिम छोर के व्यक्ति तक पहुॅचाना चुनौती है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने भी कहा है कि तीसरा दशक उत्तराखण्ड का दशक होगा। श्री धामी ने कहा कि जब राज्य अपने स्थापना दिवस की सिल्वर जुबली मना रहा होगा तब राज्य सभी क्षेत्रों में देश का उत्कृष्ट एवं आदर्श राज्य होगा। उन्होंने कहा कि राज्य को उत्कृष्ट एवं आदर्श बनाने के लिए बुद्धिजीवियों से विचार लिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवियों के विचार हेतु बोधिसत्व श्रंखला चलायी जा रही है। उन्होंने कहा कि 2025 में राज्य शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, बागवानी, कृषि, रोजगार आदि के क्षेत्रों में उत्कृष्ट एवं अग्रणीय राज्य बनेगा, जिसके लिए बुद्धिजीवियों के साथ ही विभागों से भी ब्लू प्रिंट लिया जा रहा है। उन्होने ने कहा कि विकास यात्रा किसी की व्यक्तिगत यात्रा नहीं है, ये सामूहिक यात्रा है। उन्होंने कहा कि युवा राज्य के युवा सपनों को पंख देने का काम सभी को मिलकर करना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की सहयोगी के रूप में काम कर रही है। श्री धामी ने कहा कि क्षेत्र का चहुमुखी विकास हो रहा है आज 37 करोड 87 लाख के कार्याे का लोकार्पण व शिलान्यास किया गया है। जिसका लाभ क्षेत्र की जनता को मिलेगा। क्षेत्रीय विधायक रामसिह कैडा ने सभी अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन करते हुये कहा कि युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिह धामी के नेतृत्व मेेें प्रदेश चहुमुखी विकास कर रहा है। कार्यक्रम में कस्तूरबा गांधी विद्यालय के बच्चो के साथ ही गायक राकेश खनवाल, जितेन्द्र तोमक्याल द्वारा गीत एंव सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।

आयुक्त दीपक रावत, डीआईजी नीलेश आनन्द भरणे, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रीति प्रियदर्शनी,बद्रीनाथ विधायक महेन्द्र भटट, ब्लाक प्रमुख ओखलकाडा कमलेश कैडा द्वारा भी सम्बोधित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य मंत्री के जनसम्पर्क अधिकारी दिनेश आर्य, अनिल कपूर डब्बू, क्षेत्र पंचायत सदस्य पंकज बोहरा सामाजिक कार्यकर्ता योगराज सिंह बिष्ट संतोष शर्मा ,अनिल चनौतिया, कमल किशोर पांडे ,राजेंद्र गहरवाल ,बद्री सिंह रावत ,प्रताप सिंह रावत, ज्येष्ठ प्रमुख प्रदीप मटियाली,डिकर सिंह मेवाडी, मंडल अध्यक्ष नन्दन सिंह नदगली, मनोज भट्ट मंडल अध्यक्ष रामगढ़ कुंदन चिलवाल व कई गणमान्य लोग मौजूद थे ।