अमूमन पूर्व कैबिनेट मंत्री और उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत अपने समर्थकों में ‘शेर ऐ गढ़वाल’ के नाम से पहचाने जाते हैं | लेकिन चंद दिनों में राजनीति की चौसर पर ऐसी बाजी पलटी कि अब इस शेर को पूर्व सीएम हरीश रावत के सामने बकरी बनकर मिमियाने से भी गुरेज नहीं है | कम से कम उनका हरदा से एक नही सौ बार माफी मांगने का बयान तो यही दर्शाता है | हालांकि हरदा की स्थिति भी कांग्रेस में कुछ अच्छी नहीं है, वह पार्टी में उस बूढ़े शेर की तरह हैं जिसका शिकार खुद उसके शिष्य तक छीनने की जुगत में हैं |
उत्तराखंड की राजनीति में हरक सिंह रावत उन गिने चुने नेताओं में हैं जो यूपी स्टाइल में अपनी दबंग कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं | उनपर भ्रष्टाचार से लेकर बलात्कार तक के बड़े चर्चित और सनसनीखेज आरोप लगे, लेकिन उनका राजनैतिक रसूख लगातार बढ़ता रहा | 1991 से शुरू हुआ उनका विधायकी का सफर यूपी और उत्तराखंड में 4-4 बार कैबिनेट मंत्री पद से होकर गुजरा | लेकिन 2016 में वह पूर्व सीएम विजय बहुगुणा व नौ अन्य विधायकों के साथ अपनी राजनैतिक जान बचाकर कांग्रेस से भाजपा में भागे थे | उनके इस राजनैतिक पलायन का एक ही प्रमुख कारण था कि उन्हें लगता था, तत्कालीन सीएम हरीश रावत उनकी राजनैतिक हत्या कर सकते है | हालांकि भाजपा ने भी उन्हें पूरा-पूरा सम्मान दिया और पूरे 5 वर्ष भारी भरकम विभागों के साथ मंत्रीमण्डल में शामिल किया | इस दौरान उनके तल्ख बयानों में हरीश रावत को लेकर उनकी अदावत सदैव झलकती रही | उनकी कार्यशैली और भ्रष्टाचार के आरोपों ने भाजपा के लिए कई मर्तबा स्थिति असहज भी की | लेकिन 2022 का चुनाव आते आते उनका अपनी बहू और मॉडल अनुकृति गुसाई और अन्य परिचित के लिए टिकट की जिद्द ने आखिरकार पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया |
इस दौरान उनकी तैयारी महीनों पहले से कांग्रेस में वापिसी की चल रही थी | कांग्रेस का केंद्रीय आलाकमान तैयार भी था लेकिन हरीश रावत ने उनके नाम पर वीटों लगाकर उनके लिए पार्टी का दरवाजा बंद किया हुआ है | भाजपा से बर्खास्तगी के बाद हरक की स्थिति ‘न घर के न घाट’ के वाली बन गयी है | जिन विधायकों के दम पर वह भाजपा व कांग्रेस को दबाब में लेने की कोशिश कर रहे थे उन्होंने हरक के लिए दोनों पार्टियों के बंद दरवाजे देखकर ही पाला बदलने से ही इंकार कर दिया | हरदा किसी भी कीमत पर हरक को कांग्रेस में स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं, हालांकि आलाकमान के दबाब में उन्होंने पैरों में गिड़गिड़ाने वाली शर्त सामने रखी है | उन्होंने कहा है कि पार्टी में आने से पहले हरक को सार्वजनिक रूप में 2016 में पार्टी बदलने के लिए सार्वजनिक माफी मांगने को कहा है | जिस तरह की राजनीति हरक करते हैं, उनके लिए माफी मांगने की शर्त बेहद अपमानजनक है | लेकिन मरता क्या न करता की तर्ज़ पर हरक का एक नहीं सौ-सौ बार भी हरीश रावत से माफी मांगने को तैयार होना साफ जाहिर करता है कि गढ़वाल का यह ‘शेर’ हो गया ढेर | वर्तमान में भाजपा से यूं बाहर किए जाने से हरक की स्थिति बेहद खराब है, जिसका हरदा को भी बखूबी एहसास है | लेकिन उन्हें पता है कि हरक की वापिसी पार्टी में अपने विरोधियों को अधिक मजबूत करना है इसलिए सार्वजनिक माफी की अपमानजनक शर्त जोड़ दी गयी है | अब चूंकि हरक सिंह को भी भलीभांति एहसास है कि कांग्रेस में आकर ही वह हरदा विरोधियों से मिलकर ही खोई ताकत वापिस पा सकता है | लिहाजा अपमान का घूट पीने में ही भलाई है, जानकार फिलहाल कहा जा सकता है कि ‘शेर हो गया है ढे़र’ |
क्या..! डोईवाला से प्रेमचंद अग्रवाल, नरेन्द्रनगर ओम गोपाल तो सुबोध ऋषिकेश से होंगे प्रत्याशी
देहरादून, इधर भाजपा दमखम के साथ विधान सभा चुनाव की तैयारी में लगी है, उधर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत अब चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद दून की डोईवाला सीट चर्चाओं में है । पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चुनाव नहीं लड़ने की बात कही है। ऐसे में लगातार यह कयास लग रहे हैं कि भाजपा डोईवाला विधानसभा सीट में ऋषिकेश से वर्तमान विधायक और स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल को चुनाव लड़ा सकती है। भाजपा के लिये एक तो नरेन्द्रनगर सीट पर हो रहे घमासान को शान्त करने का मौका मिलेगा और ऐसी स्थिति में पार्टी नरेंद्रनगर से वर्तमान विधायक सुबोध उनियाल ऋषिकेश से चुनाव लड़ा सकती है और नरेंद्रनगर में पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत को पार्टी अपना प्रत्याशी बना सकती है। सोशल मीडिया में पिछले कई घंटों से ही बातें लगातार चल रही है। सूत्र बताते हैं डोईवाला में प्रेमचंद अग्रवाल, ऋषिकेश में सुबोध उनियाल नरेंद्र नगर से ओम गोपाल रावत चुनाव लड़ सकते। पार्टी में इसको लेकर मंथन भी चल रहा है और पार्टी बहुत ज्यादा प्रयोग करने के मूड में नहीं है और विधायकों ने उसी क्षेत्र के हिसाब से तैयारी की है। ऐसे में देखना होगा कि भाजपा हाई कमान इस पर अपनी मोहर लगा सकता है |