देहरादून, अस्पतालों में इलाज के लिए गोल्डन कार्ड की सुविधा न मिलने पर सेवानिवृत्त राजकीय पेंशनर्स संगठन उत्तराखंड ने नाराजगी जताई है।
संगठन के सचिव लाभ सिंह डोगरा ने बताया कि संगठन की बालावाला इकाई की बैठक में कहा गया कि पेशनर्स की पेंशन से पैसा काटा जा रहा है, लेकिन राज्य प्राधिकरण की लापरवाही के कारण पेंशनर्स की इसका लाभ नहीं मिल पर पा रहा है। हालांकि ग्राफिक एरा, महंत इंदरेश और हिमालयन हॉस्पिटल में गोल्डन कार्ड की सुविधा जारी रखे जाने पर प्राधिकरण का आभार भी व्यक्त किया गया।
बैठक में कहा कि भारत के अन्य राज्यों की भांति कम्यूनिट पेंशन की व्यवस्था की जाए और पेंशनर्स को इसका सीधा लाभ दिया जाए। बैठक में चिकित्सा सुविधा न मिलने के मामले में लगातार बातचीत और कार्यवाही किये जाने के लिए संगठन का चिकित्सा प्रकोष्ठ गठित करने का भी फैसला किया गया। बैठक में ऑपरेशन सिन्दूर और पहलगाम हमले में मारे गये सैनिकों और नागरिकों को श्रद्धांजलि भी दी गई।
गोल्डन कार्ड सुविधा न मिलने पर पेंशनर्स नाराज
डॉ. उमेश चमोला की बालोपयोगी लोक कथाओं के संग्रह का लोकार्पण
देहरादून, सोमवार को दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र देहरादून के तत्वावधान में डॉ. उमेश चमोला की पुस्तक ‘उत्तराखंड की एक सौ बालोपयोगी लोककथाएँ ‘ का लोकार्पण केंद्र के सभागार में सम्पन्न हुआ । पुस्तक लोकार्पण के बाद इस पर चर्चा की गई ।
लोकार्पण और चर्चा कार्यक्रम में मुकेश नौटियाल, डॉ. नन्द किशोर हटवाल, बीना बेंजवाल, रमाकांत बेंजवाल और राकेश जुगरान ने भाग लिया । वक्ताओं ने डॉ. उमेश चमोला को बधाई देते हुए कहा कि उनका प्रयास नई पीढ़ी को लोक संस्कृति से जोड़ने की दृष्टि से सफल होगा। उन्होंने कहा जहाँ लोक कथाएँ हमें किसी समाज का आइना दिखाती हैं वहीं यह लोक के समाज शास्त्र को समझने की दृष्टि से भी उपयोगी होती हैं।
कथाकार मुकेश नौटियाल ने कहा कि लोक कथाएँ हमारे समाज की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करती है। यह अन्य कहानियों के लेखन के लिए आधार का भी कार्य करती है। पुस्तक के लेखक डॉ. उमेश चमोला ने कहा कि उन्होने अब तक 23 पुस्तकें लिखी हैं जिनमे से लोक कथाओं की उनकी यह चौथी पुस्तक है। उन्होंने कहा कि इन पुस्तकों के माध्यम से उन्होंने 300 से अधिक लोक कथाओं को प्रकाशित किया है। उनका प्रयास लोक कथाओं के माध्यम से नई पीढ़ी को लोक संस्कृति से जोड़ना है।
डॉ. नन्द किशोर हटवाल ने कहा कि वर्तमान दूर संचार तकनीकी के दौर में लोक कथाओं का संकलन करना आवश्यक हो गया है। आज लोक कथाओं को सुनने और सुनाने की परम्परा समाप्त होती जा रही है। इसलिए प्रिंट माध्यम से इनका संकलन कर इनका संरक्षण करना महत्वपूर्ण है। भाषाविद रमाकांत बेंजवाल ने कहा कि लोक कथाएँ हमारी संस्कृति, रीतिरिवाज और परम्पराओं की वाहक होती हैं। लोक में प्रचलित आभूषण, क़ृषि, वस्त्र आदि से सम्बंधित कई शब्द लोक कथाओं में व्यक्त होते हैं। लोक कथाओं के लुप्त होने पर इन शब्दों के लुप्त होने का भी खतरा है।
शिक्षाविद और साहित्यकार राकेश जुगरान ने कहा कि कहानियां प्राचीन काल से ही बच्चों का प्रिय विषय रही हैं। यह बच्चों के मानसिक विकास की दृष्टि से भी उपयोगी होती हैं। इसलिए डॉ. चमोला का यह प्रयास बच्चों के हित में है।
साहित्यकार बीना बेंजवाल ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि लोक कथाएँ लोक संस्कृति की अनोखी धरोहर होती हैं। इसलिए लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए आज की परिस्थितियों के अनुरूप लोक कथाओं को संकलित किए जाने पर जोर दिया जाना चाहिए।
केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने प्रारम्भ में स्वागत करते हुए कहा कि दून पुस्तकालय और शोध केंद्र का उद्देश्य इस तरह क़े कार्यक्रमों क़े माध्यम से आम पाठकों में पठन-पाठन में अभिरूचि पैदा करना है, काव्यांश प्रकाशन के प्रबोध उनियाल ने कहा कि श्रेष्ठ पुस्तकों के प्रकाशन के माध्यम से उनका प्रकाशन पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि डॉ. चमोला की पुस्तक के माध्यम से बच्चों को अपनी संस्कृति को जानने का अवसर प्राप्त होगा।
इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी श्रीश डोभाल, शूरवीर सिंह रावत,ओम प्रकाश जमलोकी, प्रदीप डबराल, भारती मिश्रा,आलोक कुमार सरीन, सुरेन्द्र सजवान,शैलेन्द्र नौटियाल, सत्यानंद बडोनी, कुलभूषण नैथानी, राकेश कुमार,सुंदर सिंह बिष्ट, हरिओम पाली, अरविन्द प्रकृति प्रेमी, देवेंद्र कुमार कांडपाल, डॉ. वी क़े डोभाल, सोमेश्वर पांडे, शशि भूषण बडोनी, प्रेमी साहिल सहित पाठकगण, लेखक, साहित्यकार व अन्य लोग उपस्थित थे।
मामूली विवाद में बच्चे को थप्पड़ मारने से भड़का तनाव, पथराव में दो घायल, क्षेत्र में पैरा मिलिट्री तैनात
हल्द्वानी, जनपद के वनभूलपुरा क्षेत्र में रविवार की देर रात गांधीनगर इलाके में एक मामूली विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। एक नशे में धुत युवक द्वारा सड़क पर खेल रहे बच्चे को थप्पड़ मारने की घटना ने दो समुदायों के बीच तनाव को जन्म दिया, जो जल्द ही मारपीट और पथराव में बदल गया। इस घटना में दो लोग घायल हो गए। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए लाठीचार्ज कर स्थिति को नियंत्रित किया और एक बड़ी घटना को टाल दिया। फिलहाल, क्षेत्र में हालात सामान्य हैं, लेकिन एहतियातन पैरामिलिट्री फोर्स तैनात कर दी गई है।
पुलिस के अनुसार, घटना रात करीब 9:30 बजे शुरू हुई, जब लाइन नंबर आठ का एक युवक नशे की हालत में गांधीनगर पहुंचा। उसने सड़क पर खेल रहे एक बच्चे को थप्पड़ मार दिया। रोते हुए बच्चे ने अपने परिजनों को घटना की जानकारी दी, जिससे गुस्साए परिजनों ने युवक को पकड़कर उसकी पिटाई शुरू कर दी। देखते ही देखते विवाद बढ़ गया, और दोनों समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए। कुछ ही देर में मारपीट और पथराव शुरू हो गया, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। पथराव में दो लोगों को चोटें आईं, और तनावपूर्ण माहौल बन गया।
सूचना मिलते ही वनभूलपुरा थाने के एसओ नीरज भाकुनी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया। शहर के अन्य थानों से अतिरिक्त पुलिस बल तुरंत घटनास्थल पर भेजा गया। स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। सिटी मजिस्ट्रेट एपी बाजपेयी ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बवाल में शामिल चार से पांच लोगों को हिरासत में लिया। क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती की गई है, और खुफिया विभाग को भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अलर्ट कर दिया गया है।
एसओ नीरज भाकुनी ने बताया कि पूरे घटनाक्रम की जांच शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि युवक नशे की हालत में था, और उसकी हरकत ने विवाद को भड़काया। दोषियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा), 323 (मारपीट), और 504 (अपमानजनक उकसाव) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।
यह घटना हल्द्वानी में सामाजिक तनाव का कारण बन गई है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई और क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने की मांग की है। प्रशासन ने स्थिति को पूरी तरह नियंत्रण में बताया है।
सरकार सतर्क : कोविड-19 की स्थिति पर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
* स्वास्थ्य सचिव ने दिए सभी तैयारियां चाक-चौबंद रखने के निर्देश
* स्वास्थ्य सचिव बोले अफवाहों पर ध्यान न दें, राज्य सरकार हर स्तर पर आपके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध
देहरादून, देशभर में कोविड-19 के मामलों में हालिया वृद्धि को देखते हुए उत्तराखंड सरकार सतर्क हो गई है। राज्य के सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, डॉ. आर. राजेश कुमार ने विभागीय उच्च अधिकारियों के साथ कोविड-19 प्रबंधन को लेकर एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की।
बैठक में उन्होंने अधिकारियों को किसी भी संभावित आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी रखने और किसी भी स्तर पर कोताही न बरतने के निर्देश दिए। डॉ. कुमार ने कहा कि कोविड-19 प्रबंधन की सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह से सक्रिय और दुरुस्त रहनी चाहिए।
बैठक में महानिदेशक चिकित्सा डॉ सुनीता टम्टा, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ आशुतोष सयाना, असिस्टेंट डारेक्टर डॉ पंकज सिंह, सीएमओ देहरादून डॉ मनोज शर्मा, सीएमएस दून मेडिकल कॉलेज डॉ आरएस बिष्ट, सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
स्वास्थ्य सचिव बोले : हर संभावित चुनौती के लिए हम तैयार
“कोविड-19 के मामलों में देशभर में आई हालिया वृद्धि को देखते हुए उत्तराखंड राज्य सरकार पूरी तरह सतर्क है। राज्य में अभी स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन हमें किसी भी संभावित चुनौती के लिए तैयार रहना चाहिए। इस समय घबराने की नहीं, बल्कि सतर्कता बरतने और सजग रहने की आवश्यकता है। हमारा प्रयास है कि राज्य के हर अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र और मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 से संबंधित सभी आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित रहे-चाहे वह आइसोलेशन बेड हों, ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था हो या प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता। इसके अलावा हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि सर्विलांस सिस्टम मजबूत हो, जांच व्यवस्था में कोई कमी न हो और जरूरत पड़ने पर तेजी से कार्रवाई की जा सके। हमारी रैपिड रिस्पांस टीमें प्रशिक्षित और तैयार हैं। मैं राज्य के नागरिकों से अपील करता हूं कि वे किसी भी प्रकार की अफवाहों से दूर रहें और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। कोविड-19 से बचाव के लिए मास्क पहनना, हाथों की स्वच्छता बनाए रखना, भीड़भाड़ से बचना और लक्षण होने पर समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना बेहद जरूरी है।
हम सभी को एकजुट होकर जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभानी है ताकि हम न केवल खुद को, बल्कि अपने परिवार और समाज को भी सुरक्षित रख सकें। यह समय अनुशासन और सहयोग का है, न कि लापरवाही का। राज्य सरकार हर स्तर पर आपके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
चिकित्सालयों और मेडिकल कॉलेजों में पूर्ण व्यवस्थाओं के निर्देश :
राज्य के सभी सरकारी और निजी चिकित्सालयों व मेडिकल कॉलेजों को निर्देशित किया गया है कि वे कोविड मरीजों के उपचार के लिए आइसोलेशन बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, बाइपैप मशीन, वेंटिलेटर, ICU बेड, ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट और आवश्यक दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करें।
सर्विलांस और जांच व्यवस्था सुदृढ़ करने के निर्देश :
सभी जिलों को कोविड-19 के संभावित मामलों की निगरानी को और अधिक सुदृढ़ करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही सभी जांच केंद्रों में रैपिड टेस्ट किट और आरटी-पीसीआर किट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
ईएलआई (इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षण), SARI (गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण) और कोविड मामलों की अनिवार्य रिपोर्टिंग की जाएगी और इस पर निरंतर निगरानी रखी जाएगी। सभी सरकारी और निजी अस्पतालों एवं लैब को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि वे प्रतिदिन इन मामलों की रिपोर्ट इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉर्मेशन पोर्टल (IHIP) पर साझा करें।
रैपिड रिस्पांस टीम पूरी तरह तैयार रहे :
IDSP कार्यक्रम के अंतर्गत गठित रैपिड रिस्पांस टीमों को किसी भी असामान्य परिस्थिति के लिए प्रशिक्षित और तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। कोविड लक्षणों वाले सभी रोगियों की जांच अनिवार्य रूप से की जाएगी और कोविड पॉजिटिव नमूनों को Whole Genome Sequencing (WGS) के लिए संबंधित प्रयोगशालाओं में भेजा जाएगा।
जनजागरूकता और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी :
सभी स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड-19 प्रबंधन और प्रतिक्रिया के लिए पुनः प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही, जनता को सतर्क करने के लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जिसमें कोविड-19 से बचाव के लिए अपनाए जाने वाले व्यवहार (Do’s & Don’ts) के बारे में जानकारी दी जाएगी। राज्य सरकार कोविड-19 से बचाव के लिए पूरी तरह सतर्क और तैयार है, और जनता से अपील करती है कि वह जिम्मेदारी से उचित व्यवहार अपनाएं तथा अफवाहों से बचें।
*कोविड-19 से बचाव हेतु क्या करें और क्या न करें :
1. छींकते/खांसते समय नाक और मुंह को रूमाल या टिश्यू से ढकें।
2. भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचें।
3. हाथों को साबुन-पानी से बार-बार धोएं।
4. पर्याप्त मात्रा में पानी व पौष्टिक आहार लें।
5. लक्षण होने पर चिकित्सकीय परामर्श लें और उसी अनुसार दवा लें।
6. संक्रमित होने की आशंका पर दूसरों से दूरी बनाए रखें।
7. बच्चों, बुजुर्गों और गंभीर रोगियों का विशेष ध्यान रखें।
क्या न करें :
1. प्रयोग किए गए टिश्यू या रूमाल का दोबारा उपयोग न करें।
2. हाथ मिलाने से बचें।
3. लक्षणग्रस्त लोगों के संपर्क में न आएं।
4. बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न लें।
5. बार-बार आंख, नाक और मुंह न छुएं।
6. सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से बचें।
पदमश्री प्रीतम भरतवाण की नई सौगात – ध्याणी बल फोटू की मशीन…!
पचास साल पहले मसूरी के आँचलिक परिवेश में कैमरे की धमक और किस्से”
देहरादून, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के मधुर कंठ से निकला नया गीत ” कैमरा ” यू टयूब पर दस लाख का रिकार्ड पार कर गया है। पद्मश्री प्रीतम भरतवाण द्वारा रचित यह लोकगीत आधुनिक बिंब को लोकपरिवेश में सजोने में एकदम सफल है।
उत्तराखंड राज्य में लोकगीत संगीत, नृत्य संवर्धन का बीड़ा उठाये प्रीतम भरतवाण आफिसियल बैनर ने इस वीडियो लोकगीत का निर्माण किया है।
पचास साल पहले उत्तराखंड के ग्रामीण अंचल में कैमरे का कौतुक इस गीत में फिल्माया गया है। प्रीतम भरतवाण अपने बालपन की याद करते हुए तत्कालीन कैमरे का महात्मय लोकजीवन में दोहराते हैं। मसूरी के आंचलिक परिवेश में एक कुशल कारीगर दर्जी के शिल्प को सराहते अंग्रेज फोटोग्राफर की पृष्ठभूमि में यह गीत उभरा है। गढ़वाली फिल्म के अग्रणी कलाकार रमेश रावत ने अपने सजीव अभिनय से इस वीडियो लोकगीत को कालजयी बनाया है। उन के साथ डैनी और रूचि रावत ने भी अपनी भूमिका से पूरा न्याय किया है।
“ध्याणी बल – फोटू की मशीन” के बोल व कर्णप्रिय संगीत के साथ, अब नए – नए लोक नृत्य प्रयोग शुरू हो चुके हैं और यह प्रीतम भरतवाण द्वारा रचित गीत की स्वाभाविक स्वीकार्यता का द्योतक भी है।
फोटू की मशीन – कैमरा, लोकगीत सहसा बचपन का वह दौर स्मरण कराता है, जब मशीन को छूना करंट का तार पकड़ना होता था। कैमरा, फाँउटनपैन, रेडियो, साइकिल यह सब वीआईपी श्रेणी की तब न छूने वाली मशीन मानी जाती थी।
प्रीतम भरतवाण कैमरा और केमरामैन के ग्लैमर को शालीनता से स्थापित करते हैं। कैमरे के किस्से एक गीत में उतार पाना बड़ी चुनौती है और प्रीतम भरतवाण के गीत में शालीन लोकनृत्य और प्रभावी दृश्यांकन सोने में सुहागा साबित हुए हैं।
वर्ष 2025 में जागर सम्राट और मधुरकंठ के धनी लोकगायक प्रीतम भरतवाण की लोकगीत कृति ” कैमरा ” नए कीर्तिमान स्थापित करने की ओर अग्रसर है।
हाईवे पर कार अनियंत्रित होकर सड़क पर पलटी, परिवार के सभी लोग सुरक्षित
ऋषिकेश, रविवार को बदरीनाथ हाईवे पर एक सड़क हादसा हो गया, मिली जानकारी के मुताबिक हादसा पंतगांव के पास हुआ, जहां नोएडा के यात्रियों की एक कार अनियंत्रित होकर सड़क पर पलट गई। कार के पलटते ही चीख पुकार मच गई। गनीमत रही कि कार खाई की तरफ नहीं गिरी, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। परिवार के लोग सुरक्षित हैं।
थानाध्यक्ष महिपाल सिंह रावत के अनुसार ॠषिकेश बदरीनाथ हाईवे पर नोएडा निवासी अनुभव प्रसाद डिमरी पुत्र वीरेंद्र प्रसाद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ श्रीकोट गंगानली, श्रीनगर की ओर आ रहे थे। पंतगांव के पास ड्राइवर अनुभव को अचानक झपकी आ गई, जिसके बाद उन्होंने हैंडब्रेक खींच लिया। इससे कार अनियंत्रित होकर सड़क पर पलट गई। मौके पर पहुंची पुलिस और स्थानीय लोगों ने क्रेन की मदद से कार को सीधा कर सड़क किनारे खड़ा कर दिया। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि रात के समय लंबी यात्रा करने से बचें, खासकर थकान या नींद आने की स्थिति में रुक जायें और ऐसी अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए यात्रा के दौरान ब्रेक लेना और सतर्क रहना जरूरी है।
स्थायी निवास प्रमाण पत्र की प्रतियां भागीरथी में की प्रवाहित, जब तक मूल निवास का अधिकार नही मिलेगा, संघर्ष जारी रहेगा
टिहरी (देवप्रयाग), मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के संयोजक लूशुन टोडरिया के नेतृत्व में समिति के पदाधिकारी एवं स्थानीय लोगों ने स्थायी निवास प्रमाण पत्र की प्रतियों को भागीरथी में प्रवाहित कर मूल निवास की मांग की । इस अवसर पर समिति के संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि ‘यह प्रवाह केवल कागज़ का नहीं, इस राज्य के मूल निवासियों की पीड़ा है। जब तक उत्तराखंड में हज़ारों वर्षों से रह रहे निवासियों को मूल निवास का दर्जा नही मिलेगा, हम हर नदी, हर संगम और हर अग्नि में इन प्रतियों को प्रवाहित करते रहेंगे – ताकि हर नीति-निर्माता हमारी पुकार को सुन सके।
गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी ने कहा कि पूरा उत्तराखंड 1950 को कटऑफ वर्ष मानने की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार स्थायी निवास को अपनाकर मूल निवासियों के अधिकारों का हनन कर रही है । मूल निवास के अधिकारों पर कुठाराघात बिल्कुल भी बर्दाश्त नही किया जाएगा ।
महिला प्रकोष्ठ संयोजक कुशुम जोशी ने आरोप लगाया कि भू-माफियाओं ने सरकारी संरक्षण में उत्तराखंड की जमीनों पर कब्जा कर लिया है, जिससे स्थानीय लोग अपने ही घरों में नौकर बन गए हैं। अब जल, जंगल, जमीन और गंगा की संस्कृति को बचाने के लिए मूल निवासी एकजुट हो चुके हैं और बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं l
जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र भट्ट ने कहा कि 25 वर्षों से उत्तराखण्ड के मूल निवासियों पर हो रहे अत्याचार का जवाब देने के लिए जनता तैयार है ।
समाजिक कार्यकर्ता सीएम चौहान ने कहा कि जल्द ही अब टिहरी क्षेत्र से एक बड़ी यात्रा शुरू कर मूल निवासियों के अधिकारों की क्रांति का आगाज़ होगा ।
केंद्रीय सचिव मनोज कोठियाल ने कहा कि आज देवप्रयाग की लहरों में जो दस्तावेज़ बहे, वे इतिहास के पन्नों में एक चेतावनी बनकर दर्ज होंगे। मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति आने वाले दिनों में प्रत्येक ज़िले में इसी प्रकार के प्रतीकात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से जनजागरण अभियान चलाएगी और राज्य सरकार से मूल निवास कानून की पुनर्बहाली की मांग को और अधिक मुखरता से उठाएगी।
समिति की एक विशेष बैठक भी आयोजित की गई। जहां समिति के सभी कार्यकारिणी सदस्यों और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों की उपस्थिति ममें संपन्न हुई । समिति के नरेंद्रनगर ब्लाक संयोजक विकास रयाल ने कहा कि यह संघर्ष केवल ज़मीन का नहीं, पीढ़ियों की पहचान, संस्कृति, और अधिकारों की रक्षा का है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रत्येक जनपद में जनसंपर्क व जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार में सदस्य अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।
बैठक में जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र भट्ट, यूकेडी जिलाध्यक्ष अर्जुन नेगी,सीएम चौहान, महिला प्रकोष्ठ सह संयोजक उषा डोभाल,सभासद विमल मिश्रा,सभासद राहुल कोटियाल, सोहन लाल तिवाड़ी,दिनेश टोडरिया, हेमा रावल, गढ़वाल युवा प्रकोष्ठ सह संयोजक आशुतोष कोठारी,अनिल दत्त तिवारी,राकेश बिष्ट,डोईवाला ब्लाक प्रभारी विनोद चौहान,देवेंद्र दत्त बेलवाल,विधि प्रकोष्ठ प्रभारी आशुतोष शर्मा,अनिल तिवारीअभिषेक सिंह नेगी,जसपाल सिंह,महावीर भण्डारी,मातबर सिंह नेगी,गुलाब नेगी,राकेश सिंह नेगी आदि मौजूद रहे ।
हेमकुंड साहिब के कपाट खुले
चमोली(आरएनएस)। सिखों के तीर्थ श्री हेमकुंड साहिब के कपाट रविवार प्रातः दस बजे विधि विधान से खुल गए हैं। पहले दिन लगभग साढ़े चार हजार सिख तीर्थ यात्रियों ने पवित्र हिम सरोवर मे स्नान कर दरबार साहिब में मत्था टेका। सुबह साढ़े नौ बजे हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने की प्रकियाएं शुरू हुईं। पंच प्यारों की अगुवाई में पौने दस बजे सच खंड से गुरुग्रंथ साहिब को बाहर लाया गया। इसके बाद मौके पर मौजूद हजारों की संख्या में भक्तों ने पुष्प वर्षा कर गुरुग्रंथ साहिब का स्वागत किया। ठीक दस बजे गुरुग्रंथ साहिब को दरबार साहिब में सुशोभित किया गया। मुख्य ग्रंथी मिलाप सिंह ने गुरुग्रंथ साहिब को दरबार साहिब में सुशोभित किया। इसके बाद कुलवंत सिंह ने सुखमनी साहिब का पाठ किया। साढ़े ग्यारह से साढ़े बारह बजे तक मौजूद जत्थों के द्वारा सबद कीर्तन किया गया। साढ़े बारह बजे वर्ष की पहली अरदास और ठीक एक बजे वर्ष का पहला हुक्मनामा लिया गया। हुक्मनामें के साथ ही हेमकुंड साहिब की यात्रा का आगाज हो गया है। कपाट खुलने पर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेन्द्र जीत सिंह बिन्द्रा ने सेना के नार्दन कमांड के मेजर जरनल सीजे चन्द्रन , ब्रिगेडियर एमएस डिल्लोन एवं जीतेन्द्र मल व अमरदीप सिंह की पूरी टीम जिन्होंने एक महीने की मेहनत के बाद हेमकुंड साहिब तक बर्फ एवं ग्लेशियर हटाकर ट्रेक बनाया है को स्वरूपा पहनाकर सम्मानित किया गया। साथ ही सभी श्रद्धालुओं एवं सहयोग करने वाले समस्त विभागों का आभार जताया। मुख्य प्रबंधक सेवा सिंह ने बताया कि सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद में घी का बना हुआ हलवा दिया गया। बताया कि सभी लोगों के लिए गुरुद्वारे के लंगर में भोजन के साथ ही खिचड़ी, चाय, ब्रेड पकोड़े, दूध आदि की समुचित व्यवस्था की गई है। एसओ गोविन्दघाट विनोद रावत, पुलिस चौकी इंचार्ज घांगरिया अमन दीप सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुगम यात्रा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग के मुख्य पड़ावों पर पुलिस एवं एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं।
उत्तराखंड में यूसीसी में चार माह में डेढ लाख से अधिक आवेदन मिले : सीएम धामी
– राज्य के लगभग 98 प्रतिशत गाँवो से आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं
– यूसीसी लागू करने में मार्गदर्शन और सहयोग के लिए सीएम धामी ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को धन्यवाद दिया
– मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड में लागू यूसीसी पर प्रस्तुतिकरण दिया
देहरादून(आरएनएस)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में लागू समान नागरिक संहिता पर प्रस्तुतिकरण देते हुए कहा कि यूसीसी लागू करने के लिए मजबूत सिस्टम का निर्माण किया गया है। प्रक्रिया को जनसामान्य के लिए अधिक सुलभ और सहज बनाने के लिए एक पोर्टल और समर्पित मोबाइल ऐप भी विकसित किया गया है। साथ ही ग्राम स्तर पर 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी) को इससे जोड़ा गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के समय आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए ऑटो एस्केलेशन और ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम भी लागू किया गया है। व्यापक डिजिटल और भौतिक नेटवर्किंग के परिणामस्वरूप केवल चार माह की अवधि में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत राज्यभर से लगभग डेढ़ लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। इतना ही नहीं, राज्य के लगभग 98 प्रतिशत गाँवो से आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं, जो ये दर्शाता है कि यूसीसी को जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने यूसीसी के सफलतापूर्वक लागू करने में मार्गदर्शन और सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने दृष्टिपत्र के माध्यम से राज्य की जनता को ये वचन दिया था कि यदि जनादेश मिला, तो उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। चुनावों में विजय के पश्चात पहले दिन से ही उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने के लिए अपना कार्य प्रारंभ कर दिया। यूसीसी के बिल का मसौदा तैयार करने के लिए 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई जी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। समिति द्वारा उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में व्यापक जन-परामर्श किया गया।
जिसके माध्यम से समिति को लगभग 2 लाख 32 हजार सुझाव प्राप्त हुए। समिति ने न केवल आम नागरिकों से परामर्श किया, बल्कि सभी राजनीतिक दलों और विभिन्न वैधानिक आयोगों के प्रमुखों से भी बातचीत की।
राज्य सरकार ने 7 फरवरी, 2024 को समान नागरिक संहिता विधेयक को राज्य विधानसभा में पारित कर मा. राष्ट्रपति महोदया को भेजा। मा. राष्ट्रपति महोदया ने 11 मार्च, 2024 को इस ऐतिहासिक विधेयक को अपनी स्वीकृति प्रदान की। आवश्यक नियमावली एवं प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए, 27 जनवरी, 2025 को पूरे उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता को विधिवत रूप से लागू कर दिया गया। इस प्रकार उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने संविधान के अनुच्छेद 44 की भावना को मूर्त रूप देते हुए समान नागरिक संहिता को व्यवहारिक धरातल पर लागू किया।
मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता जाति, धर्म, लिंग आदि में अन्तर के आधार पर कानूनी मामलों में होने वाले भेदभाव को खत्म करने का एक संविधानिक उपाय है।
इसके द्वारा सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का प्रयास किया गया है। इसके लागू होने से प्रदेश में सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित हो सकेगा।इसके द्वारा अब हलाला, इद्दत, बहुविवाह, बाल विवाह, तीन तलाक आदि कुप्रथाओं पर पूर्णतः रोक लगाई जा सकेगी।
संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे कि उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके।
समान नागरिक संहिता किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं बल्कि ये समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर सभी नागरिकों में समानता से समरसता स्थापित करने का एक कानूनी प्रयास है। जिसकी परिकल्पना हमारे संविधान निर्माताओं ने भी की थी और राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में इसे सम्मिलित किया था।
यूसीसी के माध्यम से किसी भी धर्म की मूल मान्यताओं और प्रथाओं को नहीं बदला गया है, केवल कुप्रथाओं को दूर किया गया है। यूसीसी के अंतर्गत सभी धर्मों के नागरिकों के लिए विवाह, तलाक और उत्तराधिकार से संबंधित मामलों में एक समान विधिक प्रक्रिया निर्धारित की गई है। अब पति-पत्नी को विवाह विच्छेद के लिए निर्धारित न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा तथा बहुविवाह की प्रथा पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इन कानूनों के अंतर्गत सभी धर्म और समुदायों में बेटी को भी संपत्ति में समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही, संपत्ति के अधिकार में बच्चों में किसी भी प्रकार का भेद नहीं किया गया है, अर्थात प्राकृतिक संबंधों के आधार पर, सहायक विधियों द्वारा या लिव इन संबंधों द्वारा जन्मे बच्चों का भी संपत्ति में बराबर अधिकार माना जाएगा। यूसीसी के अंतर्गत बच्चों की संपत्ति में माता-पिता को भी अधिकार प्रदान किया गया है, जिससे बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन यापन का अधिकार प्राप्त हो।
वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, युवा पीढ़ी विशेष रूप से युवक-युवतियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन्हें संभावित सामाजिक जटिलताओं एवं अपराधों से बचाने के उद्देश्य से इसमें लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार उनके माता-पिता या अभिभावक को देगा, ये जानकारी पूर्णतः गोपनीय रखी जाएंगी। यूसीसी के माध्यम से जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण की भांति विवाह और विवाह-विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा। समान नागरिक संहिता लागू करने के साथ ही इसके क्रियान्वयन हेतु एक प्रभावी एवं स्पष्ट नियमावली को भी लागू कर दिया है।
गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलाधिपति बने सुरेंद्र कुमार आर्य
हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में जेबीएम ग्रुप के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार आर्य को विश्वविद्यालय का कुलाधिपति बनाया गया है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की प्रायोजक तीनों आर्य प्रतिनिधि सभाओं ने विवि के कुलाधिपति पद पर सुरेंद्र कुमार आर्य का चयन किया है। विश्वविद्यालय की प्रायोजक आर्य प्रतिनिधि सभाओं के नामित व्यक्ति विनय आर्य की ओर से विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद पर सुरेंद्र कुमार आर्य के चयन को लेकर विवि की कुलपति और कुलसचिव को पत्र प्रेषित किया गया है। विनय आर्य ने बताया कि 22 अप्रैल 2025 को गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद पर नामांकन के लिए बैठक आयोजित की गई थी।
बैठक में आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब, आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा और आर्य प्रतिशत सभा दिल्ली के प्रधान शामिल हुए थे। बैठक में सर्व सहमति से जेबीएम ग्रुप के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार आर्य को विश्वविद्यालय का कुलाधिपति चयनित किया गया था। इस संबंध में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय कि कुलपति और कुलसचिव को 21 मई को पत्र भेजकर अवगत करा दिया गया है। सुरेंद्र कुमार आर्य 21 मई 2030 तक 5 वर्षों के लिए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रहेंगे। उधर, गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने बताया कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद पर चयन को लेकर सरकार की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई है। आर्य प्रतिनिधि सभाओं की ओर से सुरेंद्र कुमार आर्य को कुलाधिपति बनाया गया है।
विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने जताया विरोध :
विश्वविद्यालय की प्रायोजक आर्य प्रतिनिधि सभाओं की ओर से बनाए गए कुलाधिपति का विवि के कर्मचारियों ने विरोध किया है। विश्वविद्यालय कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रजनीश भारद्वाज और महामंत्री नरेंद्र मलिक ने बताया कि आर्य प्रतिनिधि सभाओं की ओर से सुरेंद्र कुमार आर्य को कुलाधिपति बनाया गया है। जिसका वह विरोध करते हैं। आर्य प्रतिनिधि सभाओं की ओर से विश्वविद्यालय में यूजीसी रेगुलेशन 2019 को लागू कराए जाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके तहत सरकार से विश्वविद्यालय को 100% अनुदान नहीं मिल पाएगा। ऐसे में विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों को वेतन के भी लाले पड़ जाएंगे। विश्वविद्यालय के कर्मचारी विश्वविद्यालय में यूजीसी रेगुलेशन 2023 लागू किए जाने की पुरजोर मांग कर रहे हैं। सभाएं अपने लाभ के लिए विवि और कर्मचारियों के हितों को अनदेखा कर रही है।