Thursday, May 29, 2025
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केदारनाथ यात्रा- हैलीकॉप्टर कर्मचारी और पुलिसकर्मी की नोक-झोंक, पुलिस अधीक्षक ने दिए जांच के निर्देश

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रुद्रप्रयाग- केदारनाथ धाम में वीआईपी दर्शनों को लेकर श्रद्धालुओं में हुए विवाद के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो का पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग ने संज्ञान लेते हुए जांच बिठा दी है। वहीं वीडियो में हेली कंपनी के कर्मचारियों के साथ नोंक-झोंक करने वाले पुलिस कर्मी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा रही है।

पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग अक्षय प्रहलाद कोंडे ने बताया कि बुधवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा था, जिसमें पुलिस कर्मचारियों एवं हेली कंपनी के कर्मचारियों में नोंक-झोंक होती दिख रही है। वीडियो का तुरन्त संज्ञान लेते हुए सीओ केदारनाथ से मामले की पूरी जानकारी ली गई एवं पूरे मामले पर जांच बैठा दी गई है। प्रथमदृष्टया दोनों पक्षों को चोट लगने की जानकारी मिली है। पूरे क्षेत्र में लगे कैमरों की फुटेज देखने के निर्देश सीओ केदारनाथ को दिए गए हैं जिससे निष्पक्ष रूप से जांच हो सके। वहीं हैली कम्पनी के कर्मचारी के साथ नोक-झोंक करने वाले पुलिस कर्मी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।

बता दें कि श्री केदारनाथ धाम में देश विदेश से दर्शन को पहुंच रहे श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बुधवार को 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए जिसके बाद अब तक कुल दर्शन करने वाले भक्तों का आंकड़ा 6,25,837 पहुंच गया है। केदारनाथ यात्रा सुव्यवस्थित रूप से संचालित हो रही है एवं बाबा केदारनाथ के दर्शनों को पहुंच रहे श्रद्धालुओं को शासन प्रशासन की ओर से हर सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

डिजिटल पहचान का सफर : यूपीआई के बाद अब डिजिटल एड्रेस आईडी

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देहरादून, देश में आधार कार्ड से शुरू हुआ डिजिटल पहचान का सफर अब जल्द ही एक नए युग में प्रवेश करने वाला है। केंद्र सरकार अब प्रत्येक नागरिक को एक यूनिक डिजिटल एड्रेस आईडी देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। यह पहल डिजिटल इंडिया मिशन के तहत भारत को एक पूर्णत: डिजिटल समाज में परिवर्तित करने की एक और महत्वपूर्ण कड़ी होगी। जिस तरह से आधार कार्ड ने हर भारतीय को एक विशिष्ट पहचान प्रदान की और यूपीआई ने डिजिटल लेनदेन को आमजन तक पहुंचाया, उसी तरह यह नई योजना लोगों के भौतिक पते को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हो सकती है। बता दे कि डिजिटल एड्रेस आईडी एक ऐसी यूनिक पहचान संख्या होगी जो किसी व्यक्ति या संस्थान के स्थायी पते से लिंक होगी। यह न केवल व्यक्ति की पहचान का हिस्सा बनेगा, बल्कि सरकारी सेवाओं, डिलीवरी, ई-केवाईसी, आपदा प्रबंधन, और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में भी उपयोगी होगा।

इस डिजिटल एड्रेस सिस्टम से पते की सटीकता बढ़ेगी। किसी भी स्थान की पहचान अब केवल लिखित पते तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वह एक यूनिक डिजिटल कोड के रूप में मान्यता पाएगी। इससे सरकारी सेवाओं में तेजी आएगी जैसे राशन डिलीवरी, डाक सेवा, आपातकालीन सेवाएं। भ्रम और गलत पते की समस्याएं खत्म होंगी। डिजिटल मैपिंग, ई-कॉमर्स डिलीवरी और लोकेशन आधारित सेवाएं अधिक प्रभावी होंगी। सरकार इस नई प्रणाली को भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर मैट्रिक्स के अंतर्गत विकसित करने की योजना बना रही है। यानी यह नया डिजिटल एड्रेस सिस्टम आधार, डिजिलॉकर, यूपीआई जैसे मौजूदा डिजिटल ढांचे से जुड़ेगा, जिससे यह तकनीकी रूप से मजबूत और स्केलेबल हो सके। एक अधिकारी के अनुसार सरकार चाहती है कि जैसे हर व्यक्ति की डिजिटल पहचान है, वैसे ही हर स्थान की भी एक सटीक डिजिटल पहचान हो, जिससे सेवाओं का अंतिम व्यक्ति तक कुशलतापूर्वक वितरण सुनिश्चित हो सके।
सरकार का मानना है कि आज भी देश में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिससे किसी व्यक्ति के पते को सटीकता से डिजिटल रूप में देखा या साझा किया जा सके। अक्सर हम पते में कोई लैंडमार्क जोड़ देते हैं। लेकिन वो लैंडमार्क हर किसी को न पता हो तो लोकेशन ढूंढने में मुश्किल होती है। इसी कारण डिलिवरी लेट होती है। सरकारी डॉक्यूमेंट्स पहुंचने में समय लगता है और कूरियर या फूड सर्विस में दिक्कत आती है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के पते की उलझनों से देश को हर साल लगभग 10 से 14 बिलियन रुपए का नुकसान होता है। जो जीडीपी का करीब 0.5% है। इसी को सुधारने के लिए सरकार अब डिजिटल एड्रेस आईडी की योजना बना रही है।

पोस्ट विभाग बना रहा ड्राफ्ट :

डिजिटल एड्रेस सिस्टम को डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट्स तैयार कर रहा है। इस पर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर है। इस सिस्टम का एक ड्राफ्ट वर्जन जल्द ही जनता के सामने लाया जाएगा ताकि लोग इस पर अपनी राय दे सकें। उम्मीद की जा रही है कि साल के अंत तक इसका फाइनल वर्जन तैयार हो जाएगा। संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर कानून भी लाया जा सकता है। इसके बाद एक नई अथॉरिटी बनाई जाएगी। जो देशभर में डिजिटल पते की व्यवस्था को देखेगी और लागू करेगी।
हर व्यक्ति या जगह का एक यूनिक डिजिटल एड्रेस आईडी होगा। जिसे आप अपनी मर्जी से किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म को दे सकेंगे। ये आईडी पूरी तरह से सुरक्षित होगी और बिना आपकी इजाजत के कोई भी इस पते को एक्सेस नहीं कर पाएगा। इसका फायदा ये होगा कि कोई भी ऑनलाइन ऑर्डर, दस्तावेज या सेवा बिल्कुल सही लोकेशन पर समय पर पहुंचेगी। सरकार इस बार डेटा शेयरिंग को लेकर भी सतर्क है। कई कंपनियां यूजर्स का एड्रेस बिना इजाजत के थर्ड पार्टी को दे देती हैं। जिससे यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में पड़ती है। नए डिजिटल एड्रेस सिस्टम में इस तरह की मनमानी पर रोक लगेगी। आपका एड्रेस तभी शेयर होगा जब आप खुद इसकी इजाजत देंगे। ये पहल भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करेगी। जिस तरह आधार ने केवाईसी और पहचान के तरीके को बदला। साथ ही यूपीआई ने लेन-देन का तरीका आसान किया। अब यह डिजिटल एड्रेस आईडी सरकारी योजनाओं, डिलिवरी सिस्टम और हर डिजिटल सेवा के लिए एक नया रास्ता खोलेगी।

प्राधिकरण द्वारा मसूरी रोड पुरकुल में विभिन्न स्थानों पर लगभग 150 बिघा में अवैध रूप से की जा प्लॉटिंग को ध्वस्त किया

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देहरादून, बिना अनुमति और नियमों के विरुद्ध चल रही प्लाटिंग में मसूरी रोड के पुरकुल गांव में विक्रम सिंह, द्वारा लगभग 40 से 50 बिघा भूमि पर अवैध प्लाटिंग की जा रही थी, जिसे एमडीडीए की टीम ने रोकते हुए जेसीबी के माध्यम से ध्वस्त कर दिया। इसके अलावा एक अन्य प्रकरण में मसूरी रोड के पास, पुरकुल गांव में राज सेठी द्वारा लगभग 100 बिघा भूमि को समतल कर प्लाटिंग की जा रही थी, जहां भी प्राधिकरण ने कड़ी कार्रवाई करते हुए प्लाटिंग का ध्वस्तीकरण किया।

कार्यवाही में सहायक अभियंता शैलेन्द्र सिंह रावत, अवर अभियंता उमेश वर्मा, सुपरवाइजर सत्यनारायण भट्ट तथा पुलिस बल की उपस्थिति रही

चारधाम यात्रा सुरक्षा व्यवस्था की ग्राउंड समीक्षा हेतु एडीजी अपराध एवं कानून व्यवस्था पहुंचे श्री बद्रीनाथ

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“जवानों से संवाद, श्रद्धालुओं से फीडबैक और सुरक्षा को लेकर दिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश”

रुद्रप्रयाग, चारधाम यात्रा के सुचारू संचालन और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के मद्देनजर, बुधवार 28 मई को वी. मुरुगेशन, अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था श्री बद्रीनाथ धाम पहुँचे। जहां उन्होंने श्री बद्रीनाथ मंदिर परिसर और इसके आसपास की सुरक्षा व्यवस्थाओं का बारीकी से जायजा लिया। विशेष रूप से मंदिर के भीतर और बाहर बढ़ती भीड़ को कुशलतापूर्वक नियंत्रित करने के लिए किए गए पुलिस प्रबंधन की विस्तृत जानकारी प्राप्त की और महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए।

जवानों से संवाद, जानीं समस्याएं और बढ़ाया हौसला

निरीक्षण के दौरान, एडीजी महोदय प्रत्येक ड्यूटी प्वांइट पर जाकर तैनात पुलिस के जवानों से व्यक्तिगत रूप से मिले। उन्होंने जवानों से परिचय प्राप्त किया और उनसे ड्यूटी के उनके अनुभवों और सामने आ रही संभावित समस्याओं के बारे में जानकारी ली। विषम परिस्थितियों में भी मुस्तैदी से कर्तव्य निभा रहे इन जवानों का हौसला अफजाई करते हुए महोदय ने उन्हें महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए।

‘अतिथि देवो भव:’ का दिया मंत्र

जवानों को संबोधित करते हुए, एडीजी महोदय ने ‘अतिथि देवो भव:’ के भाव पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा पर आने वाला प्रत्येक श्रद्धालु हमारे लिए अतिथि के समान है। पुलिस का प्राथमिक दायित्व है कि इस भावना के साथ यात्रियों को सुरक्षित और सुगम यात्रा प्रदान की जाए। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं के साथ हमेशा मधुर और विनम्र व्यवहार किया जाए। पुलिस कर्मियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि श्रद्धालु व्यवस्थित और कतारबद्ध तरीके से श्री हरि के दर्शन कर सकें, जिससे उनकी यात्रा सुखद बनी रहे।

‘अलर्ट मोड’ पर रहने के दिए निर्देश :

सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के उपरांत उन्होंने अधिकारियों को सतर्क रहने एवं संभावित भीड़ प्रबंधन के लिए अग्रिम रूप से तैयार रहने के निर्देश दिए। उन्होंने दोहराया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है और सभी कार्मिक अपनी नियुक्ति स्थल पर मुस्तैद रहते हुए, स्वयं की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए भी यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करें।

सीसीटीवी कंट्रोल रूम का निरीक्षण :
एडीजी महोदय ने यात्रा मार्ग और मंदिर के आसपास की गतिविधियों पर चौबीसों घंटे निगरानी रखने वाले अत्याधुनिक सीसीटीवी कंट्रोल रूम का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कंट्रोल रूम की कार्यप्रणाली और उसकी तकनीकी क्षमताओं के बारे में जानकारी ली।

श्रद्धालुओं से किया सीधा संवाद :

उन्होंने मंदिर परिसर में मौजूद श्रद्धालुओं से सीधा संवाद स्थापित कर उनके यात्रा अनुभवों, सुरक्षा व्यवस्था और व्यवस्थागत पहलुओं पर फीडबैक प्राप्त किया। उन्होंने यात्रियों से यह भी पूछा कि क्या यात्रा के दौरान उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई हुई या वे कोई सुझाव देना चाहेंगे। श्रद्धालुओं ने भी खुलकर अपने अनुभव साझा किए—कई ने पुलिस और प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की सराहना की, वहीं कुछ ने भीड़ प्रबंधन सहित अन्य सुझाव दिए।
एडीजी महोदय ने सभी प्रतिक्रियाएं गंभीरता से सुनीं और संबंधित अधिकारियों को इन पर तत्काल कार्यवाही कर आवश्यक सुधार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
इस दौरान पुलिस उपाधीक्षक मदन सिंह बिष्ट, पुलिस उपाधीक्षक अखिलेश सिंह, थानाध्यक्ष नवनीत भंडारी व अन्य पुलिसकर्मी मौजूद रहे।

उत्तराखण्ड़ राज्य आंदोलनकारी मंच का शिष्टमण्डल अधीनस्थ चयन आयोग के अध्यक्ष मर्तोलिया से मिला

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देहरादून, उत्तराखण्ड़ राज्य आंदोलनकारी मंच का शिष्टमण्डल उत्तराखंड़ अधीनस्थ चयन आयोग के अध्यक्ष जीoएसo मर्तोलिया से मिला। शिष्टमंड़ल ने वार्ता के दौरान उन्हें अवगत कराया गया कि सोमवार से प्रमाण पत्रों की जांच करते हुये आयोग के किसी कर्मचारी द्वारा प्रमाण पत्र में तिथि का हवाला देकर नकार दिया गया जिससे कुछ परीक्षार्थी रोने लगे। जब मामला राज्य आंदोलनकारी मंच के संज्ञान में आया तो तत्काल प्रदेश प्रवक्ता व जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने आयोग के अध्यक्ष जी एस मर्तोलिया से दूरभाष पर बात की एवं सारे मामले से अवगत कराया। अध्यक्ष ने बताया कि यह उनके संज्ञान में नहीं हैं अतः इसे में स्वयं देखता हूं।
उसी क्रम मेँ आज शिष्टमण्डल आयोग के कार्यालय पहुंचकर जी एस मर्तोलिया से मिला औऱ काफी देर चर्चा हुई। मर्तोलिया जी द्वारा विश्वास दिलाया कि अब किसी भी राज्य आंदोलनकारी आश्रित को बेवजह परेशान नहीं होना पड़ेगा। राज्य आंदोलनकारी मंच एवं आयोग कें अध्यक्ष कें साथ रोजगार कें साथ ही राज्य कें कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर सार्थक चर्चा हुई।
आयोग के अध्यक्ष द्वारा भी आंदोलनकारी मंच को यह भी सुझाव दिया कि राज्य आंदोलनकारी साथी जब अपने बच्चें के आश्रितों के प्रमाण पत्रों को बनाएं तो उसमें ही पिता के चिन्हीकरण का वर्ष दर्शा दें या अपने जिले के अधिकारी से अलग से भी स्वयं (व्यक्तिगत) का व्यक्तिगत राज्य आंदोलनकारी प्रमाण पत्र बनवा लें और उसकी छाया प्रति अपने बच्चें के आश्रित प्रमाण पत्र के साथ संलग्न कर दें।
आज शिष्टमण्डल में प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी , प्रदेश प्रवक्ता व जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, संयोजक महेन्द्र सिंह रावत एवं चन्द्रकिरण राणा मौजूद रहे।

पेड़ काटने के खिलाफ पीडब्ल्यूडी ऑफिस पर प्रदर्शन

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“सीएफजीडी की अगुवाई में अधिशासी अभियंता का घेराव किया”

देहरादून, फुटओवर ब्रिज बनाने के नाम पर राष्ट्रपति एस्टेट के बाहर पेड़ काटे जाने के खिलाफ बुधवार को सिटीजन फॉर ग्रीन दून और अन्य संगठनों ने कचहरी के पास पीडब्ल्यूडी ऑफिस में प्रदर्शन किया और अधिशासी अभियंता का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकारी विभाग पेड़ काटने पर उसके बदले पेड़ काटने की बात कहते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में देहरादून में हजारों पेड़ काट दिये गये हैं और एक भी पेड़ नहीं लगाया गया।
प्रदर्शनकारी सुबह पीडब्ल्यूडी ऑफिस पहुंचे और पेड़ काटे जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया। डॉ. रवि चोपड़ा, कमला पंत, हिमांशु अरोड़ा, इरा चौहान, जगमोहन मेहंदीरत्ता, विजय भट्ट, त्रिलोचन भट्ट आदि ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति एस्टेट के एक भी पेड़ न काटे जाने की मांग काफी समय से नागरिक संगठनों की ओर से की जा रही थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। अब एस्टेट के बाहर में फुट ओवर ब्रिज के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं।
वक्ताओं ने कहा कि ऐसे दौर में जब कि पूरा हिमालय क्षेत्र ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित है, देहरादून में लगातार गर्मी बढ़ रही है, हरियाली लगातार कम हो रही है, इसके बावजूद लगातार विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं। यदि सरकार इसे विकास कहती है तो देहरादून के लोगों को ऐसा विकास नहीं चाहिए। यह शहर हम सबका है, किसी सरकार अथवा किसी अधिकारी को यह अधिकार नहीं है कि वे शहर के लोगों को पूछे बिना पेड़ काटें और हरियाली खत्म करें। यह सिर्फ सांकेतिक प्रदर्शन है, यदि अब भी पेड़ काटने का सिलसिला जारी रहा तो देहरादून के हजारों लोग सड़कों पर उतर आएंगे।
प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने आये अधिशासी अभियंता जितेन्द्र त्रिपाठी बाहर आये तो उनका घेराव कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने पूछा कि बार बार पेड़ काटने के बदले पेड़ लगाने की बात कही जाती है, अधिकारी शहर में एक भी ऐसा पेड़ बताएं, जो काटे गये पेड़ के बदले लगाया गया हो, जबकि हाल के वर्षों में लगाया गया हो। डॉ. रवि चोपड़ा सहस्रधारा रोड पर काटे गये पेड़ों को मामला उठाया और कहा कि वहां के पेड़ उन लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए काटे गये, जो पहले इस क्षेत्र में चूना भट्ठा चलाते थे। इस क्षेत्र में उनकी बड़ी-बड़ी जमीनें हैं, उस जमीन में मॉल और होटल खोले जा सकें, इसलिए पेड़ काटकर सड़क चौड़ी की गई।
अधिशासी अभियंता और प्रदर्शनकारियों के बीच देर तक तीखी बहस हुई। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि देहरादून में एक भी पेड़ शहर के लोगों को पूछे बिना एक भी पेड़ काटा गया तो इसका नतीजा ठीक नहीं होगा। अधिशासी अभियंता ने आश्वासन दिया कि अब से कोई भी ऐसी योजना बनानी हो, जिसमें पेड़ काटने पड़ें तो शहर के लोगों से जरूर बात की जाएगी।
प्रदर्शन में नन्द नंदन पांडेय, परमजीत सिंह, निर्मला बिष्ट, प्रो. राघवेन्द्र, इंद्रेश नौटियाल, रुचि सिंह, अनंत आकाश आदि भी मौजूद थे।

सीएम ने “अहिल्या स्मृति मैराथन” में लिया हिस्सा, युवाओं का बढ़ाया उत्साह

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देहरादून, बुधवार को दून के पवेलियन ग्राउंड में आयोजित अहिल्या स्मृति मैराथन का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम “एक विरासत-एक संकल्प” के तहत आयोजित किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में जागरूकता, एकता और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है। इस मैराथन में बड़ी संख्या में युवाओं और स्थानीय नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे यह आयोजन और भी यादगार बन गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मैराथन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो इस आयोजन की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक था। इसके बाद, उन्होंने स्वयं युवाओं के साथ दौड़ लगाई और उनका उत्साहवर्धन किया। उनकी यह सक्रिय भागीदारी न केवल प्रतिभागियों के लिए प्रेरणादायक थी, बल्कि इससे यह संदेश भी गया कि स्वस्थ समाज के निर्माण में हर व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज में जागरूकता और एकता लाने के साथ-साथ स्वस्थ समाज का भी निर्माण करते हैं। यह मैराथन न केवल एक खेल आयोजन है, बल्कि हमारी साझा विरासत और संकल्प का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा कि युवा हमारे समाज का भविष्य हैं। हमें उन्हें स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली की ओर प्रेरित करना चाहिए।मुख्यमंत्री ने युवाओं से आग्रह किया कि वे ऐसे आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और समाज के विकास में अपना योगदान दें।

कार्यक्रम का विवरण और महत्व :

“अहिल्या स्मृति मैराथन” एक वार्षिक आयोजन है, जो समाज में जागरूकता और एकता को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जाता है। इस वर्ष मैराथन की दूरी 10 किलोमीटर थी, जिसमें लगभग 500 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम स्थानीय प्रशासन और भाजपा युवा मोर्चा के सहयोग से आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना था, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को भी मजबूत करना था।
इस मौके पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, मेयर सौरभ थपलियाल, महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल, विधायक भरत चौधरी, दायित्वधारी अनिल डब्बू, श्याम अग्रवाल, हेम बजरंगी, और भाजपा युवा मोर्चा महानगर अध्यक्ष देवेंद्र सिंह बिष्ट शामिल थे।

धामी सरकार की कैबिनेट में11 प्रस्तावों पर लगी मुहर : प्रदेश में योग नीति को मंजूरी

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देहरादून, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक संपन्न हो गई है।
कैबिनेट मंत्रिमंडल की बैठक में 11 प्रस्ताव पर मुहर लगी है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण उत्तराखंड़ की पहली योग नीति को मंजूरी मिलना है। योग नीति के जरिए प्रदेश के पांच क्षेत्र को योग हब के रूप में विकसित किया जाएगा। इसी के साथ राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को 75 करोड़ रुपए लोन देना का निर्णय भी लिया। प्रिक्योरमेंट नियमावली में किया गया संशोधन। राज्य में 10 करोड़ रुपए रुपए तक के विभागीय कार्यों को स्थानीय ठेकेदारों के माध्यम से कराया जाएगा। हर श्रेणी में बढ़ाई गई स्थानीय ठेकेदारों के काम करने की सीमा। स्थानीय लोगों और स्थानीय उत्पादों पर विशेष जोर दिया गया है।

कैबिनेट के अन्य फैसलों पर भी एक नजर :

+उत्तराखंड़ मेगा एवं इंडस्ट्रियल नीति 2025 को मिली मंजूरी। अगले पांच सालों के लिए बनाई गई नीति। उद्योगों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। उद्योग लगाने के लिहाज से प्रदेश को चार कैटेगरी में बांटा गया है।
+उत्तराखंड़ विष कब्जा और विक्रय नियमावली में किया गया संशोधन। इस नियमावली में मिथाइल अल्कोहल को भी किया गया शामिल।
+राजकीय विभाग अधीनस्थ लेखा संवर्ग राजपत्रित नियमावली 2019 में किया गया संशोधन।
राज्य बाढ़ सुरक्षा का वार्षिक प्रतिवेदन को सदन में रखने पर मिली मंजूरी।
+उत्तराखंड़ निबंध लिपिकवर्गीय कर्मचारी सेवा नियमावली 2025 बनाए जाने को मंत्रिमंडल दी मंजूरी। उत्तराखंड निबंध लिपिकवर्गीय कर्मचारी सेवा नियमावली 1978 की जगह बनेगी नई नियमावली।
+उत्तराखंड सेवा क्षेत्र नीति 2024 में किया गया संशोधन।
+उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के ढांचे के किया गया संशोधन।
+योगा नीति 2025 को मिली मंजूरी। पांच नए योग हब स्थापित किए गए जाएंगे।

वहीं धामी सरकार की कैबिनेट ने अटल आयुष्मान योजना को लेकर भी बड़ा फैसला लिया है। बैठक में सरकार ने स्वास्थ्य योजना के तहत अस्पतालों को होने वाले भुगतान में विभाग को आ रही दिक्कत को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को 75 करोड़ रुपए बतौर लोन देने को मंजूरी दी है। इसके जरिये अस्पतालों को भुगतान किया जा सकेगा। इसके साथ ही देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में तीमारदारों के लिए रहने खाने की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए सरकार जमीन उपलब्ध कराएगी। साथ ही सीएसआर फंड के जरिए निर्माण करवाया जाएगा।

देहरादून में FDA की बड़ी कार्रवाई, 500 किलो मिलावटी पनीर जब्त

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देहरादून. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बुधवार को खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया, जिसमें 500 किलो मिलावटी पनीर जब्त किया गया। यह पनीर न केवल खाद्य सुरक्षा मानकों के खिलाफ था, बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक साबित हो सकता था।

 

सूचना के आधार पर जिला FDA अधिकारी मनीष सयाना और रमेश सिंह ने स्थानीय पुलिस चौकी इंचार्च निरंजनपुर मंडी, देहरादून श्री प्रमोद भंडारी की टीम के साथभंडारी बाग क्षेत्र में चेकिंग अभियान चला रही थी, तभी उन्हें एक सफेद हुंडई इयोन कार वैन संदिग्ध हालत में दिखाई दी। कर को रोका गया और उसकी तलाशी ली गई।तलाशी के दौरान कार के डिग्गी तथा सीट मै से बिना किसी ठंडा रखने की व्यवस्था के लगभग 500 किलो पनीर बरामद किया गया, जिसे बेहद अस्वच्छ प्लास्टिक की बोरियों से ढककर और खुले में ढोया जा रहा था। मौके पर पनीर की भौतिक जांच की गई और प्रारंभिक दृष्टया यह मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त पाया गया।

 

वाहन मै पनीर स्वामी मोहम्मद इरशाद पुत्र खलील अहमद नामक व्यक्ति मौजूद था, जो कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका — न निर्माण स्थल का प्रमाण, न ही वितरण का रजिस्ट्रेशन अथवा ब्रांडिंग संबंधी जानकारी।

 

FDA अधिकारियों के अनुसार, पनीर जैसे दुग्ध उत्पादों को उचित तापमान (2°C से 8°C) में संग्रहित और परिवहन किया जाना अत्यंत आवश्यक होता है। यदि ऐसा न किया जाए तो यह उत्पाद जल्दी खराब हो सकते हैं और उसमें हानिकारक बैक्टीरिया उत्पन्न हो सकते हैं, जो फूड पॉयजनिंग, डायरिया, टायफॉइड, और हड्डियों की कमजोरी जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। पनीर के सैंपल मौके पर लेकर परीक्षण के लिए राज्य खाद्य विश्लेषण प्रयोगशाला भेज दिए गए हैं, बाकी लगभग 500 kg पनीर को ट्रेचिंग ग्राउंड कारगी चौक में नष्ट किया। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 

*FDA आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा होगी कड़ी कार्रवाई*

 

FDA आयुक्त डॉ आर राजेश कुमार ने कहा “मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ हमारी नीति स्पष्ट और कठोर है। ऐसी सामग्री उपभोक्ताओं की जान से खिलवाड़ है। हम प्रदेश भर में नियमित अभियान चला रहे हैं और यह बरामदगी हमारे उसी प्रयास का हिस्सा है। विभाग ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर काम कर रहा है। यह कार्रवाई न केवल एक बड़ी खेप को बाजार में पहुँचने से रोकने में सफल रही, बल्कि यह भी दर्शाती है कि राज्य प्रशासन अब खाद्य सुरक्षा को लेकर अत्यधिक संवेदनशील और सख्त हो चुका है। गर्मी के मौसम में जब खाद्य पदार्थ जल्दी खराब होते हैं, ऐसे में मिलावटखोरी और लापरवाही से स्वास्थ्य पर जोखिम और अधिक बढ़ जाता है।

 

*FDA के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी का बयान*

 

FDA के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने कहा “यह बरामदगी इस बात का प्रमाण है कि कुछ लोग अभी भी गैरकानूनी तरीके से बाजार में नकली और घटिया खाद्य उत्पाद खपाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन विभाग सतर्क है और ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। देहरादून सहित समूचे राज्य में खाद्य सुरक्षा पर निगरानी और तेज़ की जा रही है।”

 

 

*FDA ने की जनभागीदारी की अपील*

 

विभाग ने आमजन से यह भी अपील की है कि यदि उन्हें किसी दुकान, ढाबे, होटल, डेयरी या अन्य खाद्य इकाई में संदिग्ध गतिविधि नज़र आती है, तो वे तत्काल FDA की हेल्पलाइन या नजदीकी खाद्य सुरक्षा अधिकारी को इसकी सूचना दें। किसी भी शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाएगी और शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस कस्टडी में समधी के साथ मारपीट करने पर भाजपा विधायक को एक साल की सजा

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हरिद्वार, जनपद के रानीपुर से भाजपा विधायक आदेश चौहान को सीबीआई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। सीबीआई के स्पेशल मजिस्ट्रेट संदीप भंडारी की अदालत ने 2009 के एक सनसनीखेज मामले में विधायक को पुलिस हिरासत में मारपीट और अवैध हिरासत के आरोप में एक साल की सजा सुनाई है। उनके साथ उनकी भतीजी दीपिका चौहान और तीन पुलिसकर्मियों—रिटायर्ड सीओ आरके चमोली, इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह रौतेला और दिनेश कुमार—को भी एक-एक साल की सजा दी गई है। हालांकि, तीन में से एक पुलिसकर्मी की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। यह मामला विधायक की भतीजी के पति के साथ मारपीट और अवैध हिरासत से जुड़ा है, जिसने क्षेत्र में हलचल मचा दी है।
मामला वर्ष 2009 का है, जब विधायक की भतीजी दीपिका चौहान ने अपने पति मनीष पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया था। शिकायतकर्ता डीएस चौहान, जो मनीष के पिता हैं, ने बताया कि दीपिका की शादी उनके बेटे मनीष से हुई थी। दंपती के बीच मनमुटाव के बाद मामला गंगनहर थाने पहुंचा। 11 जुलाई 2009 को डीएस चौहान को पांच लाख रुपये लेकर थाने बुलाया गया। जब वे थाने पहुंचे, तो वहां विधायक आदेश चौहान, उनकी भतीजी दीपिका और पुलिसकर्मी मौजूद थे। आरोप है कि विधायक और पुलिसकर्मियों ने मिलकर डीएस चौहान को दो दिन तक अवैध रूप से हिरासत में रखा और उनके साथ मारपीट की। तीसरे दिन उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।
डीएस चौहान ने पुलिस की जांच से असंतुष्ट होकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। सीबीआई ने गहन जांच के बाद विधायक आदेश चौहान, दीपिका चौहान और तीन पुलिसकर्मियों को दोषी पाया। जांच में सामने आया कि डीएस चौहान, जो एक रिटायर्ड प्रोफेसर हैं, को बिना किसी वैध कारण के हिरासत में रखा गया और उनके साथ मारपीट की गई। सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को भ्रष्टाचार और आपराधिक धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए एक-एक साल की सजा सुनाई।
यह फैसला हरिद्वार जिले में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। विधायक के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई से क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। अब देखना होगा कि क्या विधायक इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।