नई दिल्ली (पीजीआई), ओएनजीसी के अधिकारियों की एक यूनियन ने कंपनी के सबसे बड़े तेल एवं गैस क्षेत्र (मुंबई हाई) को ‘थाली में सजाकर’ विदेशी कंपनियों को देने के पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। यूनियन का कहना है कि सरकार को ऐसा कदम उठाने के बजाय कंपनी को मजबूत करना चाहिए और उसे समान अवसर उपलब्ध कराना चाहिए।
ओएनजीसी की अधिकारियों की यूनियन ‘वैज्ञानिक और तकनीकी कार्यालय संघ’ ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (खोज) अमर नाथ द्वारा मुंबई हाई की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी और परिचालन अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को देने के प्रस्ताव के खिलाफ पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी से गुहार लगाई है। अतिरिक्त सचिव ने उत्पादन बढ़ाने के लिए बेसिन और सैटेलाइट (बीएंडएस) अपतटीय संपत्तियों में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को देने का प्रस्ताव किया है। यह यूनियन ओएनजीसी के 17,000 अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करती है | यूनियन ने कहा कि कंपनी और उसके कर्मचारी आयात में कटौती के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने के सरकारी उद्देश्य के साथ पूरी तरह से जुड़े हैं।
इसे हासिल करने के लिए ओएनजीसी को तेल एवं गैस खोज के लिए निजी क्षेत्र के समान वित्तीय और नियामकीय व्यवस्था उपलब्ध कराई जानी चाहिए। यूनियन ने 11 नवंबर को पुरी को लिखे पत्र में कहा है कि ओएनजीसी के क्षेत्रों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित बाजार मूल्य से नीचे गैस मूल्य निर्धारण की समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि छोटे और दूरदराज के क्षेत्रों से उत्पादन को व्यवहारिक बनाया जा सके। साथ ही ओएनजीसी को प्राकृतिक गैस के छोटे पूल के विपणन की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए, जो वर्तमान मूल्य व्यवस्था में व्यवहार्य नहीं है | पत्र में कहा गया है कि ओएनजीसी के लिए सांविधिक मंजूरी और प्राधिकरणों को महत्तम करने के अलावा दूसरे प्रक्रियागत पहलुओं को बदलने की जरूरत है ताकि कंपनी को तेजी से फैसले लेने में मदद मिल सके। दरअसल, निजी और विदेशी कंपनियां तेल खोज में अरबों डालर का निवेश करने का जोखिम नहीं लेना चाहती हैं। इसके बजाय वे स्थापित क्षेत्रों में प्रवेश करना चाहती हैं।
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