Monday, November 25, 2024
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सरकार अपनी लापरवाही का ठीकरा सरकारी अधिवक्ताओं के सर पर फोड़ रही : महेन्द्र सिंह

कोटद्वार, उत्तराखण्ड़ राज्य निर्माण सेनानी मोर्चा ने कोटद्वार के पदमपुर सुखरौ में एक पत्रकार वार्ता आयोजित की, जिसमें राज्य निर्माण आंदोलनकारी मोर्चा के अध्यक्ष तथा पृथक उत्तराखण्ड आंदोलन की नींव कहलाने वाले नेता महेन्द्र सिंह रावत तथा उत्तराखण्ड़ आंदोलनकारी अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एडवोकेट रमन शाह द्वारा संयुक्त रूप से प्रेस को सम्बोधित किया गया। जिसमें अधिवक्ता रमन शाह ने राज्य आंदोलनकारियों के दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर सरकार द्वारा नैनीताल उच्च न्यायालय 1403 दिन के बाद जाने पर नाराजगी जताई जबकि उच्च न्यायालय द्वारा 2018 में इसके विरुद्ध फैसला दिया गया था | उन्होंने बताया कि आंदोलनकारियों ने नैनीताल उच्च न्यायालय से फैसला आने के 30 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर कर दी गई थी। उन्होनें कहा कि यदि सरकार उत्तराखण्ड़ राज्य आंदोलनकारियों के हित के लिए सोचती तो 2015 का क्षैतिज आरक्षण विधेयक को राज्यपाल से हस्ताक्षर करवाकर मंगवाती या आंदोलनकारियों के समर्थन में सुप्रीमकोर्ट मे पैरवी करती जबकी सरकार अपनी लापरवाही का ठीकरा सरकारी अधिवक्ताओं के सर पर फोड़ रही है जो उचित नही है। उन्होने कहा कि 10प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के तहत मिली नौकरियों में सचिव राधा रतूड़ी द्वारा नोटिस देना पूर्णतः असंवैधानिक है क्योंकि इसको लेकर आंदोलनकारी सुप्रीम कोर्ट में पंहुचे हैं तथा यह कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है आंदोलनकारी इस संबध में भारत के महान्यायवादी को नोटिस देगा व एक माह व्यतीत होने सुप्रीम कोर्ट में सचिव के खिलाफ कटैम्ट दायर करेंगे इसके साथ ही मुजफ्फरनगर आंदोलनकारी संगठन व बार एशोसिएशन मुजफ्फरनगर के साथ मिलकर न्यायिक संघर्ष आगे बढ़ाने के लिए कौर्डिनेटर एडवोकेट अनुराग वर्मा व नीरज को नियुक्त किया गया है।

वहीं उत्तराखण्ड आंदोलन की नीव कहलाने वाले नेता महेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि चिन्हीकरण और दूसरे आंदोलनकारियों के हितों के लिए सरकारें चुनाव के दौरान शासनादेश तो जारी कर देती हैं किंतु उस पर ठोस कार्यवाही नही होती, सितम्बर 2019 में सरकार चिन्हीकरण व मृतक आश्रित पेंशन के सम्बंध में शासनादेश तो जारी कर दिया गया किंतु उस पर ठोस कार्यवाही नही हुई, जबकि कई जिलों मे जिलाधिकारियों द्वारा आवेदकों के आवेदन पर भी कोई कार्यवाही तक नही की गई। जब इस संदर्भ में हम जिला प्रशासन से वार्ता करते हैं तो उनका रटा रटाया जवाब होता है कि आवेदकों की राजस्व जांच हो रही है जबकि शासनादेश को सात माह से अधिक का समय हो चला है जबकि उनका संगठन इस संदर्भ में लम्बें समय से मांग करता रहा है, उन्होने कहा कि सरकार आंदोलनकारियों के लिए स्पष्ट नीति बनाये,सरकार एडवोकेट जनरल उत्तराखण्ड स्थाई महाधिवक्ता ,उत्तराखण्ड सरकार व राज्य चिन्हित आंदोलनकारियों और अधिवक्ताओं की एक कमेटी बनाये जो आंदोलनकारियों से सम्बंधित कोर्ट की कार्यवाही के साथ दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण व मुजफ्फरनगर कांड पर कार्यवाहक कर सकें आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेस में आचार्य राकेश लखेड़ा, बीरेन्द्र सिंह रावत ,गुलाब सिंह रावत आदि नेता उपस्थित थे |

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