देहरादून, उत्तराखण्ड कांग्रेस की गढवाल मण्डल मीडिया प्रभारी गरिमा महरा दसौनी ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का परिसम्पतियों के सम्बन्ध में मुलाकात करना एवं परिसम्पतियों के सम्बन्ध में दोनों प्रदेषो में आम सहमति बन जाने की घोषणा करना मात्र उत्तराखण्ड की भोली-भाली जनता को ठगने का प्रयास बताया है।
दसौनी ने कहा कि पिछले वर्ष भी 19 नवम्बर 2020 को अपनी बद्रीनाथ एवं केदारनाथ दौरे पर आये योगी आदित्यनाथ तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के साथ प्रेसवर्ता कर इसी तरह से उत्तराखण्ड की आंखों में धूल झोकने का काम किया था। उस वक्त दोनों नेताओं ने परिसम्पति पर दोनों राज्यों के बीच सहमति की बात पुरजोर तरीके से कही थी लेकिन आज पूरे एक वर्ष बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस है।
दसौनी ने बताया उत्तर प्रदेष के पास उत्तराखण्ड के सिचाई विभाग के 13 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि एवं 4 हजार से अधिक भवनों पर कब्जा है। हरिद्वार के कुम्भ मेला क्षेत्र जहॉ कावड़ मेला भी लगता है वहां की 697 हेक्टेयर मेला भूमि पर उत्तर प्रदेष के सिचाई विभाग का कब्जा है जिसे लोटाने पर उत्तर प्रदेष सिचाई विभाग साफ इंन्कार कर चूका है। उत्तराखण्ड आवास विकास की भूमि को लोटाने के बजाए उत्तर प्रदेष खुद उस भूमि का मालिक बने रहना चाहता है।
दसौनी ने कहा कि हरिद्वार भीमगोडा बैराज, बनबसा लोहिया हैड बैराज, कालागढ का रामगंगा बैराज, अभी भी उत्तर प्रदेष के कब्जे में है। टिहरी बॉध के जिस हिस्से का मालिक उत्तराखण्ड को होना चाहिए था उत्तर प्रदेष अभी भी उसका मालिक बना हुआ है और 1 हजार करोड सालाना राजस्व ले रहा है। इतना ही नही 11 विभागों की भूमि भवन तथा उत्तराखण्ड की सीमा के अन्दर कई अन्य परिसम्पतियों पर उत्तर प्रदेष का कब्जा है। और तो और उत्तराखण्ड परिवहन विभाग की 700करोड की देनदारी उत्तर प्रदेष पर है जिस कारण उत्तराखण्ड परिवहन विभाग भारी कर्जे में डूबा हुआ है। आज अपने कर्मचारियों को तन्खवाह देने के लिए भी उत्तराखण्ड परिवहन विभाग को अपनी सम्पतियॉ बेचने को मजबूर होना पड रहा है।
ऐसे में जब प्रदेष में चुनाव को कुछ ही समय बाकी रह गया हो तो जनता को भ्रमित करने के लिए दोनों ही मुख्या इस तरह की लोक लुभावन बाते कर रहे हैं। दसौनी ने कहा कि भाजपा के पास इससे अधिक सुनहरा मौका नही था जब वह परिसम्पतियों का मामला सुलझा सकते थे। आज जब केन्द्र से लेकर दोनों राज्यों उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेष में भाजपा की सरकार है तब यह मामला आसानी से सुलझाया जा सकता था परन्तु ट्रिपल ईजंन की सरकार होने के बावजूद आज भी उत्तराखण्ड की जनता अपनी सम्पत्तियों से वंचित है जिसके लिए पूर्णतया भाजपा नेतृत्व जिम्मेदार है। दसौनी ने कहा कि यह विडमबना ही कही जा सकती है कि उत्तराखण्ड में तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने के बावजूद परिसम्पतियों को लेकर असमंजस और उदासीनता ही देखने को मिली। दसौनी ने कहा यह राज्य का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि इस गम्भीर मुददे पर कोई भी नेता दृढ ईच्छाषक्ति और साहस नही दिखा पाया।
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