देहरादून, कृषि जागरण संस्था द्वारा नई दिल्ली में आयोजित मिलेट्स पर आधारित विशेष संस्करण का अनावरण कार्यक्रम में प्रदेश के कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मंत्री जोशी ने राज्य में मिलेट फसलों का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में छोटी एवं बिखरी जोते तथा वर्षा आधारित कृषि हेतु मिलेट फसले बहुत ही उपयोगी है। इसके अतिरिक्त पोषण संबंधी असुरक्षा विश्व की आबादी के लिए एक बड़ा खतरा है। अधिकतर जनसंख्या अनाज आधारित आहार पर अत्यधिक निर्भर है जिनमें सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है। मिलेट पौष्टिक रूप से धनी है क्योंकि इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन, खनिज और विटामिन होते हैं।
उन्होंने कहा प्रदेश की प्रमुख मिलेट फसलों में मण्डुवा, झंगोरा रामदाना आदि सम्मिलित हैं। ये सभी मिलेट पोषक तत्वों से भरपूर हैं तथा चार महीनों में अपना जीवन चक्र पूरा करते हैं। मंत्री जोशी ने कहा भारत सरकार द्वारा मण्डुवा, साँवा आदि फसलों को पौष्टिक अनाज घोषित किया गया है। उत्तराखण्ड प्रदेश में मिलेट फसलों के रूप में मण्डुवा, साँवा मुख्य फसलों में से एक है। मण्डुवा फसल मे कैल्शियम गेहूँ एवं चावल की तुलना में काफी अधिक है। पारम्परिक रूप से मंडुवा का प्रयोग चपाती, हलवा, वाटी आदि बनाने में किया जाता है। मिलेट फसलो का सेवन मधुमेह रोगियों के लिये अत्यन्त लाभकारी है। उन्होंने कहा राज्य के 13 जनपदों में से 11 जनपदों के पर्वतीय क्षेत्रों में मण्डुवा की खेती पिचासी हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में तथा झंगोरा फसल की खेती चालीस हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में खेती की जाती है।
उत्तराखंड सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य मिलेट्स मिशन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य भर के छोटे और सीमांत किसानों को मिलेट्स उगाने के लिए कृषि निवेश के साथ-साथ उन्नत तकनीकों का उपयोग एवं विपणन आवश्यकताओं को पूरा करना है, जिससे खेतों में और आम जनमानस के आहार में मिलेट्स को प्रोत्साहित किया जा सके। मंत्री जोशी नेंखा पिछले 2 – 3 वर्षों से सरकार द्वारा मिलेटस के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। मिलेटल फसलों के अन्तर्गत सर्वाधिक जैविक खेती की जा रही है. जो इन फसलों को उचित मूल्य प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो रहा है।
मंत्री ने कहा वर्ष 2023-24 से सप्ताह में एक बार मिड डे मिल (मध्याहन भोजन योजना) में झंगोरा को खीर के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। मंत्री जोशी ने कहा इस वर्ष से प्रथम बार मण्डुवा फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य रु0 3578 प्रति कुन्तल पर सरकार द्वारा क्रय किया गया है। उन्होंने कहा राज्य सरकार एक विजन के साथ कार्य कर रही है।हमारा संकल्प है कि जब राज्य 25 वर्ष का होगा तो हम किसानों की आय दोगनी करने के साथ -साथ अपने उत्पादों को भी दोगना करेंगे।
इस अवसर पर पशुपालन मंत्री, भारत सरकार पुरूषोत्तम रूपाला, कृषि राज्य मंत्री, भारत सरकार कैलाश चौधरी, कृषि जागरण के संस्थापक एम.सी. डोमनिक सहित देश के विभिन्न सम्मानित संस्थाओं से जुडे़ वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद रहे।
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