हमारे देश में क्रांति से ज्यादा संक्रांति का महत्व : श्री संजय श्रीहर्ष
‘स्व’ के तंत्र की ओर बढ़ रहा भारत : बहन शशि बघेल
हमें अपने आत्मविश्वास को जगाने की जरूरत: डा. पी.के. सेठ
आजादी के लिए बलिदान हुए महापुरुषों को याद करने की जरूरत : सूबेदार मेजर चंचल सिंह
लखनऊ, स्वतन्त्रता किसी अमृत कम नहीं होती है, जब व्यक्ति स्वतन्त्र होता है तो उसे हमेशा अमृत वाला ही भाव ही महसूस होता है। हमें अपनी शिक्षा को ऐसा बनाना चाहिए जो राष्ट्र भाव को जगाए और युवा पीढ़ी को सामाजिक व राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए प्रेरित कर सके। इसके साथ ही देश व समाज का आर्थिक विकास कर सके। उक्त उद्गार मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के सलाहकार श्री दुर्गेश उपाध्याय जी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित राष्ट्रहित सर्वोपरि कार्यक्रम के 9वें अंक में व्यक्त किए। यह कार्यक्रम सरस्वती कुंज, निराला नगर के प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केन्द्र में विद्या भारती, एकल अभियान, इतिहास संकलन समिति अवध, पूर्व सैनिक सेवा परिषद एवं विश्व संवाद केन्द्र अवध के संयुक्त अभियान में चल रहा है।
कार्यक्रम अध्यक्ष अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के सह संगठन मंत्री श्री संजय श्रीहर्ष जी ने कहा कि भैया बहनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप जो कुछ बनना है उसके लिए अपने लक्ष्य तो करिए ही लेकिन आपको सबसे पहले भरतीय बनना होगा। हमारे देश में क्रांति से ज्यादा महत्व संक्राति का रहा है। आज जो कुछ हमें मिला है, उसके लिए कई पीढ़ियों ने अपना योगदान दिया है। आज हम जिस भी क्षेत्र में हैं, उसमें जागरुकता लाने की जरूरत है। भारत की संस्कृति कभी नष्ट होने वाली नहीं है, क्योंकि भारत हमेशा मृत्युंजय राष्ट्र है। विश्व में भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृतियां जन्मीं और समाप्त हो गई, लेकिन हमारे देश की संस्कृति हमेशा से अमर रही है। भारत की संस्कृति सदैव से विश्व के कल्याण की रही है। विश्व कल्याण के इस संकल्प को जब-जब भंग करने के लिए आक्रमणकारी आए, तब-तब वीर अमर बलिदानियों ने उसकी संस्कृति को अक्षुण्य और अमर बनाने के लिए बलिदान दिया।
विशिष्ट वक्ता राष्ट्र सेविका समिति पूर्वी उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय प्रचारिका बहन शशी बघेल जी ने कहा कि आज के छात्र-छात्राएं हमारे देश का भविष्य नहीं बल्कि वर्तमान हैं, जो अपने वर्तमान के कृत्यों से ही भारत के भविष्य का निर्माण में करने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हम स्वतंत्र भारत में पैदा हुए हैं और आज भारत के 75वें वर्ष पर आजादी के अमृत महोत्सव को देख पा रहे हैं, लेकिन यह आज़ादी अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के बाद ही मिल पाई। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के लिए किए गए त्याग और बलिदान को युवा पीढ़ी को बताने की जरूरत है। इसके साथ ही इस आजादी को अक्षुण्य बनाए रखने में युवा पीढ़ी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश ‘स्व’ तंत्र की ओर अग्रसर है।
विशिष्ट वक्ता वैज्ञानिक डॉ. पी.के. सेठ ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने वैक्सीन बनाने के लिए वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाया, उसी का परिणाम है कि हम स्वदेशी वैक्सीन बनाने आत्मनिर्भर हुए। इसके साथ अन्य देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध करा सके। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य को करने के लिए अच्छे नेतृत्व की आवश्यकता होती है। इसलिए युवा पीढ़ी को अपने महापुरुषों से प्रेरित होकर नेतृत्व के लिए खुद को तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि नेतृत्व विकास के साथ-साथ हमें अपने अंदर आत्मविश्वास को जगाना होगा। यह अमृत महोत्सव हमें इस बात को याद दिलाता है कि हमने 75 वर्षों में कितनी तरक्की की है और मुझे विश्वास है कि जब हम आज़ादी का 100वां वर्ष मना रहे होंगे तो हमारा देश विश्व गुरु बन चुका होगा।
विशिष्ट वक्ता सूबेदार मेजर चंचल सिंह ने कहा सैन्य क्षेत्र में नेतृत्व बहुत महत्त्व रखता है। युद्ध हो या किसी अन्य कार्य में सैनिक अपने नेतृत्वकर्ता के आदेश पर जान देने के लिए तैयार रहता है। उन्होंने कहा कि एक निर्भीक और अच्छा नेतृत्वकर्ता ही अपने जवानों में जोश भरता है और वह बहादुरी दिखाने में पीछे नहीं हटते हैं। उन्होंने कहा कि आज हम स्वतंत्र हवा में सांस ले रहे हैं, लेकिन 75 साल पहले हमारा देश के गुलाम था। जिसकी आज़ादी के लिए अनेकों बलिदान हुए, उन्हें आज हम याद कर रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन के अनुभव भी साझा किए।
विशिष्ट वक्ता राजेन्द्र बाबू जी ने कहा कि भैया बहनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर आपने कुछ ठान लिया है कि हमें कुछ बनना है तो निश्चित ही आपको सफलता मिलेगी। इसके लिए आपको धैर्य रखने व परिश्रम करने की जरूरत है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि आपने जो भी रास्ता चुना है, उस पर आगे बढ़ते रहें।
कार्यक्रम की प्रस्ताविकी पूर्व सैनिक सेवा परिषद के अध्यक्ष मेजर जनरल एन. बी. सिंह ने रखी। उन्होंने कहा कि यदि भावी पीढ़ी की मानसिक विकास की दिशा सही है तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सेवा सिर्फ सैनिक, समाजसेवी या नेता बनकर ही नहीं बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन से भी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश विभिन्न क्षेत्र में अच्छे नेतृत्व की कमी के कारण ही पिछड़ा हैं, राष्ट्रहित के लिए हमें अच्छा नेतृत्व देने की आवश्यकता है।]
कार्यक्रम में आए अतिथियों का परिचय भारतीय शिक्षा परिषद के सचिव श्री दिनेश जी ने कराया और आभार ज्ञापन इतिहास संकलन समिति, अवध प्रान्त के श्री राकेश मंजुल ने किया। कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख श्री सौरभ मिश्रा जी ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र जी, बालिका शिक्षा प्रमुख श्री उमाशंकर मिश्रा जी, केजीएमयू के चिकित्सक डॉ. संदीप भट्टाचार्य, लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. ओ.पी. शुक्ला, नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर मानेसर गुड़गांव के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. पंकज सेठ जी, कार्यक्रम संयोजक डॉ. मुकेश जी, क्षेत्रीय सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे व सरस्वती विद्या मंदिर, मॉडल हाउस, लखनऊ के छात्र सहित कई लोग मौजूद रहे।
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