देहरादून, उत्तराखण्ड़ विधान सभा का 14 जून से शुरू हुए सत्र का आज तीसरा दिन है। सदन की कार्रवाई शुरू हो गई है। जिला विकास प्राधिकरणों पर नियम 58 में सबसे पहले चर्चा शुरू हई है। विपक्ष ने कहा कि सरकार ने जो जिला विकास प्राधिकरण बनाए थे, वह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए हैं। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण खत्म करने को लेकर विपक्ष ने सदन में हंगामा किया।
विधानसभा सत्र के पहले दिन धामी सरकार ने मंगलवार को 65571.49 करोड़ का बजट सदन में पेश किया था। बुधवार को उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन बजट पर परिचर्चा हुई। साथ ही बजट सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और चंदन रामदास विपक्ष के सवालों से घिरते नजर आए।
दोनों ही मंत्रियों ने विपक्ष के अनुपूरक सवालों के जवाब दिए, लेकिन विपक्ष इससे संतुष्ट नजर नहीं आया। विपक्षी सदस्यों का आरोप था कि मंत्री सवालों के जवाब देने के बजाय तर्क-वितर्क करके सदन का समय खराब कर रहे हैं। सीधे जवाब देने के बजाय बातों को घुमाया जा रहा है। वहीं आज सत्र के तीसरे दिन विपक्ष एक बार फिर सरकार को घेर रहा है।
कांग्रेसियों ने बजट की कॉपी फाड़ी
जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण समाप्त करने की मांग को लेकर विपक्ष का जोरदार हंगामा जारी है। इस बीच विधायक अनुपमा रावत और सुमित हृदयेश की मार्शल से धक्का-मुक्की हुई। वहीं कांग्रेसियों ने सदन में बजट की कॉपी फाड़ी। विधानसभा स्पीकर के कई बार कहने के बावजूद विपक्ष शांत नहीं बैठा। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को समाप्त करने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायकों का धरना जारी है। इसी बीच कांग्रेस विधायक बात सुनने की जिद पर अड़े। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पहले धरना खत्म करें, तब बात सुनूंगी। विधायक धरने से उठे, लेकिन फिर बात नहीं सुने जाने पर आक्रोश जताते हुए वेल में आकर धरने पर शुरू कर दिया।
सदन में धरने पर बैठे विपक्षी नेता
जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण खत्म करने को लेकर विपक्ष ने सदन में पहले हंगामा किया। अब कांग्रेस विधायक वेल में धरने पर बैठ गए हैं। विपक्ष ने कहा पूर्व में विधानसभा से जो कमेटी चंदन रामदास की अध्यक्षता में गठित हुई थी, उसकी रिपोर्ट कहां गई। कांग्रेस के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही कुछ देर रुकी।
संसदीय कार्य मंत्री ने दिए विपक्ष के सवालों के जवाब
संसदीय कार्य मंत्री एवं शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जो पैसा प्राधिकरण कमाते हैं, उस क्षेत्र में अवस्थापना से जुड़े कामों में लगता है। 2016 के बाद जो क्षेत्र जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण में शामिल हुए थे, वहां मानचित्र की कोई अनिवार्यता नहीं है। इसके बाद मंत्रिमंडलीय उप समिति की रिपोर्ट के आधार पर तमाम राहत दी गई। तय किया गया था कि अगर 2016 के बाद विकास प्राधिकरण में शामिल होने वाले नए क्षेत्रों को नक्शा पास कराने की स्वेच्छा से आजादी होगी, बाध्यता नहीं होगी। मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया था कि 2016 से पूर्व के बने हुए विकास प्राधिकरण को छोड़कर नए जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को स्थगित किया गया था। उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा कि प्राधिकरण की जरूरत क्यों है? पालिका, नगर पंचायत से नक्शे पास होते थे। जब प्राधिकरण इतना पैसा वसूल रहा है तो उसके बदले जनता को क्या सुविधा दे रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में शुल्क दो फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में शुल्क पांच फीसदी। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण बेतुका निर्णय है। गरीबों से यह मात्र वसूली का जरिया है। उप नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पिछली कमेटी की रिपोर्ट को पटल पर रक्खकर प्राधिकरण को समाप्त किया जाए।
प्राधिकरण से आम लोग परेशान : विपक्ष
ज्वालापुर कांग्रेस विधायक रवि बहादुर ने कहा कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण लूट का अड्डा बन चुके हैं। हरिद्वार जिले में नजूल भूमि बहुत हैं। उन सबसे 25-25 हजार की रसीद काटी जा रही है। वहीं झबरेड़ा के कांग्रेस विधायक विरेन्द्र सिंह ने कहा कि प्राधिकरण में नक्शे की स्वीकृति की जो प्रक्रिया है, वह सुगम नहीं है। इसे सुगम किया जाए। प्राधिकरण की जो आय है उसे उसी क्षेत्र में विकास कार्यों पर खर्च किया जाए। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण से आम लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही झबरेड़ा, मंगलौर, खटीमा आदि को जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण से अलग किया जाए।
जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण लूटपाट का जरिया बन गया : अनुपमा रावत
सदन में कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत ने कहा कि हरिद्वार ग्रामीण में लोगों से नक्शा मांगा जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण लूटपाट का जरिया बन गया है। लोगों में दहशत का माहौल है। ग्रामीण क्षेत्रों से प्राधिकरण को खत्म करना चाहिए। वहीं कांग्रेस विधायक सुमित ह्रदयेश ने कहा कि नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया होनी चाहिए। प्राधिकरण इन लोगों पर कार्रवाई करता है।
खास खबर : प्रदेश के तीन नगर निगमों के अधिकारियों को पैैनल्टी नोटिस
काशीपुर, नगर निगमों द्वारा सूचना का अधिकार को गंभीरता से न लेने पर सूचना आयुक्त अर्जुन सिंह ने कड़ा रूख अपनाते हुये उत्तराखंड के तीन प्रमुख नगर निगमों देहरादून, हल्द्वानी तथा रूड़की के लोक सूचना अधिकारियों को निगमों की सड़कों की चौड़ाई सम्बन्धी सूचना, सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को न उपलब्ध कराने पर पैैनल्टी लगाने हेतु नोटिस दिया हैै।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड के सभी नगर निगमों की सड़कों की चौड़ाई व सम्पत्ति कर सम्बन्धी 8 बिन्दुओं पर सूचनायें मांगी थी। नगर निगम देहरादून, रूड़की तथा हल्द्वानी-काठगोदाम के लोक सूचना अधिकारियों द्वारा वांछित पूर्ण सूचनायें न उपलब्ध कराने पर प्रथम अपीलीय अधिकारियों को अपीलें की गयी। उनके द्वारा भी सूचना न उपलब्ध करवाने पर उत्तराखंड सूचना आयोग को द्वितीय अपील की गयी।
उत्तराखंड सूचना आयोग में नगर निगम हल्द्वानी-काठगोदाम के विरूद्व अपील सं0 33030, रूड़की के विरूद्व 33032 तथा नगर निगम देहरादून के विरूद्व अपील संख्या 33034 पंजीकृत की गयी। इन सभी अपीलोें की सुनवाई सूचना आयुक्त अर्जुन सिंह के समक्ष हुई।
सूचना आयुक्त अर्जुन सिंह नेे सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन की अपील के आधारों से सहमत होते हुये संबंधित लोक सूचना अधिकारियों को समय से सूचना न उपलब्ध कराने का दोषी माना और उनका कृत्य प्रथम दृष्टया धारा 20(1) के अन्तर्गत पैनल्टी लगाने योग्य लगने पर तीनों नगर निगमों के लोक सूचना अधिकारियों को 250 रूपये प्रतिदिन की दर से अधिकतम 25,000 तक की पैनल्टी लगाने हेतु नोटिस जारी किया गया है। साथ ही नदीम द्वारा वांछित सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
सूचना आयुक्त अर्जुन सिंह ने अपील सं0 33030 के अन्तर्गत नगर निगम हल्द्वानी-काठगोदाम के लोक सूचना अधिकारी/अवर अभियंता को 25 हजार का पैनल्टी नोटिस जारी करते हुये अगली सुनवाई तिथि 06 जुलाई तक जवाब तलब किया हैै।
अपील संख्या 33032 के अन्तर्गत हरिद्वार जिले के रूड़की नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी/सहायक नगर आयुक्त को 8500 रूपये ;आठ हजार पांच सौैद्ध की पैनल्टी के लिये नोटिस जारी करते हुये अगली सुनवाई तिथि 30 जून तक जवाब मांगा हैै।
अपील संख्या 33034 के अन्तर्गत देहरादून नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी/कर अधीक्षक (भूमि) को 25 हजार रूपये की पैनल्टी का नोटिस जारी करते हुये 06 जुलाई तक जवाब तलब किया है। इस अपील में सूचना आयुक्त अर्जुन सिंह ने यह भी स्पष्ट लिखा है कि सड़कों की संख्या व चौड़ाई का वार्डवार रिकार्ड नगर निगम में सुरक्षित होना चाहिये। इस प्रकरण को नगर आयुक्त नगर निगम देहरादून के संज्ञान में भी लाया जाता है।
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