Saturday, September 21, 2024
HomeTrending Nowपहाड़ और नदियां हमारी पहचान हैं, इनकी सुरक्षा के हरसंभव प्रयास हों...

पहाड़ और नदियां हमारी पहचान हैं, इनकी सुरक्षा के हरसंभव प्रयास हों : विद्या भूषण रावत

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज सायं सामाजिक चिंतक व लेखक विद्या भूषण रावत की सचित्र वार्ता आयोजन किया गया। यह वार्ता हिमालयी विकास या हिमालयी आपदा ? के सन्दर्भ उत्तराखंड के संकट को समझने पर केन्द्रित थी। विद्या भूषण रावत उपस्थित श्रोताओं को स्लाइड चित्रों व वार्ता के माध्यम से हिमालय की संवेदनशीलता और यहां हो रहे अनियंत्रित विकास को रेखांकित करते स्थानीय समाज व पर्यावरण के समक्ष आ रही गम्भीर समस्याओं व चुनौतियों की तथ्यात्मक जानकारी दी। अपनी वार्ता में विद्या भूषण रावत ने पिछले 10-11 सालों के दरम्यान केदारनाथ व रैणी आपदा सहित जोशीमठ भू-ध्ंासाव जैसे अन्य तमाम घटनाओं का उदाहरण देते हुए चिन्ता व्यक्त की और कहा कि उत्तराखंड न केवल अपने भूगोल अपितु अपनी पहचान से जुड़े गंभीर संकट से भी जूझ रहा है। धार्मिक पर्यटकों की भरकम आमद, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे व बड़े विकास एजेंडे ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या यही वास्तविक विकास की परिभाषा है।
उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य, अनियंत्रित पर्यटन, स्थानीय समुदायों से वंचित वन क्षेत्रों में रिसॉर्ट और होटलों के खुलने से उत्तराखण्ड पर्यावरण के साथ ही लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है।
उत्तराखंड के तराई और मैदानी इलाकों में बेतहाशा आबादी बढ़ने और हिमालयी क्षेत्रों में आबादी कम होने से असंतुलन पैदा होगा। नये परिसीमन में पहाड़ अल्पमत में आ आकर अपनी विधानसभा की सीटों को भी खो सकता है। पहले से ही, पर्वतीय लोगों और उनके मैदान में बसे समकक्षों के बीच आय का अंतर बहुत बड़ा है। ऐसे में हिमालयी क्षेत्रों की विशिष्ट सांस्कृतिक भौगोलिक प्रकृति को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
विद्या भूषण रावत ने आगे यह भी कहा कि उत्तराखंड को अपने भूमि कानूनों और अधिवास नीतियों को बदलना होगा।
पहाड़ और नदियाँ हमारी पहचान हैं इनकी सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। उत्तराखंड के सामाजिक सांस्कृतिक जीवन पर खतरा सीधे तौर पर इसकी प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से जुड़ा है इसलिए हमें लीक से हटकर भी सोचने की जरूरत है। हिमालय और इसकी समृद्ध नदी घाटी प्रणाली की रक्षा के लिए स्थानीय समुदायों और लोगों को शामिल कर इस मुद्दे पर गम्भीर बहस शुरू करने की जरूरत है।
विद्या भूषण रावत एक सक्रिय लेखक हैं जिनकी प्राकृतिक विरासत और उससे जुड़े समुदायों में विशेष रुचि है।
उन्होंने भूमि और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर काम किया है और बड़ी संख्या में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बात की है। रावत ने लगभग 25 पुस्तकें लिखी हैं। उन्होंने उत्तराखंड के पर्यावरण संकट के साथ-साथ हिमालय में हमारी नदियों की स्थिति पर विस्तार से लिखा है। उन्होंने गंगा, यमुना और काली नदी पर कई वृत्तचित्र बनाए हैं। वर्तमान में, विद्या भूषण रावत गंगा और उत्तराखंड के सामाजिक सांस्कृतिक जीवन पर इसके प्रभाव पर काम कर रहे हैं।
इस अवसर पर दयानन्द अरोड़ा,प्रवीन कुमार भट्ट, जितेंद्र भारती, बिजू नेगी, प्रोफेसर राजेश पाल, सुरेंद्र एस सजवान, चंद्रशेखर तिवारी, निकोलस, सुंदर सिंह बिष्ट सहित शहर के अनेक सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक ,पत्रकार, साहित्यकार व पुस्तकालय के कुछ युवा पाठक उपस्थित रहे।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments