देहरादून, उत्तराखण्ड के लाल, देहरादून निवासी अमर शहीद मेजर भूपेन्द्र कण्डारी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी पहुंचे। शहीद मेजर कण्डारी राजपूताना राईफल्स में थे और वर्ष 2003 में राजौरी में आंतवादियों से एक मुठभेड़ के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। शहीद को भारत सरकार द्वारा मरणोपरंत सेना मेडल से सम्मानित किया गया।
शहीद को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य वीरों की, देशभक्तों की भूमि है। प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर आज तक राज्य के हजारों रणबांकुरे भातर माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं। हमारी सरकार की संस्कृति में है कि शहीदों को उनका वाजिब सम्मान दिलवाया जाए। शहीद हमारे समाज के अमूल्य रत्न हैं। राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि राज्य के समस्त 1734 शहदों को समाजिक सम्मान दिलाने और उनका आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए इन शहीदों आंगन से पवित्र माटी एकत्रित कर सैन्यधाम में लाई गई।
दिल्ली में प्रधानमंत्री नदेन्द्र मोदी की प्रेदणा से भव्य राष्ट्रीय स्मारक बनाया गया है। उसी तर्ज पर राज्य के पांचवे धाम अर्थात सैन्यधाम का निर्माण देहरादून में करवाया जा रहा है। देश के प्रथम सीडीएस स्व0 विपिन रावत जी के नाम पर सैन्यधाम का मुख्य प्रवेश द्वार बनाया जा रहा है। मैं स्थानीय लोगों से भी आह्वान करुंगा की शहीदों की याद को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाए। अगले साल शहीद कण्डारी की पुण्यतिथि को ज्यादा बेहतर तरीके से अयोजित किया जाना चाहिए।
शहीद कण्डारी के पिता ने सैनिक कल्याण मंत्री से आग्रह किया कि अग्निपथ योजना के तहत भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को भर्ती के लिए प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस पर मंत्री ने कहा कि भर्ती पूर्व प्रशिक्षण की व्यवस्था पूर्व से ही की जा रही है।
इस दौरान शहीद के पिता गजेंद्र सिंह कंडारी, पूनम नौटियाल, सुरेन्द्र राणा अनुज रोहिला, अशोक गुप्ता, टीटू तथा व्यापार हाथीबड़कला के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।
महिलाओं के एसएचजी को आर्थिक रुप से सशक्त बनाना हमारी प्राथमिकता : ग्राम्य विकास मंत्री
महिला एसएचजी को बांटे रिवाल्विंग फण्ड के चैक, राज्य स्तरीय आउटलेट और मार्केटिंग ऐप का किया उद्घाटन
देहरादून, राज्य ग्राम्य विकास विभाग की पहल पर महिला एसएचजी के उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए आज राजधानी के रायपुर ब्लॉक परिसर में ‘‘राज्य स्तरीय उत्तरा विपणन केन्द्र’’ का लोकार्पण सूबे के ग्राम्य विकास मंत्री द्वारा किया गया। ग्राम्य विकास मंत्री तथा स्थानीय विधायक उमेश शर्मा ‘‘काऊ’’ द्वारा विकास और पर्यावरण का संतुलन बनाने का संदेश देते हुए रायपुर ब्लॉक परिसर में नीम का पौधा भी लगाया। इसके उपरांत ब्लॉक सभागार में आयोजित कार्यक्रम में विभागीय मंत्री द्वारा विकासखण्ड रयपुर, सहसपुर तथा डोईवाला के तकरीबन 30 महिला स्वयं सहायता समूहों को आर एफ (रिवाल्विंग फण्ड),सी आई एफ (कम्यूनिटी इन्वेस्टमेंट फण्ड) व सी सी एल (कैश क्रेडिट लिमिट के चैक भेंट किए। इसके अलावा महिला समूहों के उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए ‘‘युकेएसआरएलएम एमआईएस एप’’ तथा त्रैमासिक पत्रिका ‘‘आजीविका दर्पण’’ को भी लोकार्पित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रायपुर विधानसभा के माननीय विधायक श्री उमेश शर्मा काऊ द्वारा की गई। विशिष्ट अतिथि के रुप में रायपुर विकास खण्ड़ की ब्लॉक प्रमुख श्रीमती ममता देवी उपस्थित रहीं।
उपस्थित एसएचजी सदस्यों को संबोधित करते हुए ग्राम्य विकास मंत्री ने कहा कि, मेरा यह मानना है कि यह राज्य मातृशक्ति के अथक प्रयासों की देन है। इसलिए राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें एक गरिमापूर्ण जीवन जीने में सहायता करना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) उत्पादों के विपणन के लिए एनआरएलएम कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को पर्याप्त कौशल और अवसर उपलब्ध कराने और टिकाऊ सूक्ष्म उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एसएचजी और उनके संगठनों में एकजुट करने का काम किया जा रहा है।
आजीविका मिशन के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रदीप पाण्डेय ने मिशन की उपल्बधियों के बार में जानकारी देते हुए बताया कि 13 जनपदों के 95 विकासखण्डों में चरणबद्ध तरीके से संचालित की जा रही है। राज्य में 39,116 स्वयं सहायता समूह में 3 लाख पांच हजार महिलाओं को संगठित कर 4310 ग्राम संगठन तथा 259 कलस्टर स्तरीय संगठनों का गठन किया गया है। वर्तमान समय तक 4310 ग्राम संगठन तथा 259 कलस्टर स्तरीय संगठन का गठन किया गया है। 34471 समूहों को रिवोल्विंग फण्ड 19429 समूहों को सामुदायिक निवेश निधि 31148 समूहों को सीसीएल तैयार कर बैंक लिंकेज किया गया है।
महिला समूहों के उत्पादों को बाजार दिलाने के लिए ग्राम्य विकास विभाग की अन्य गतिविधियां :
2 राज्य स्तरीय आउटलेट स्थापित किए जा चुके हैं। 13 जिला स्तरीय आउटलेट (सरस सेन्टर) तथा 09 कलस्टर/विकासखण्ड स्तरीय आउटलेट एवं 33 नैनो पैकेजिंग यूनिट, 24 ग्रोथ सेन्टरों की स्थापना की गई है। जॉलीग्रांटएयर पोर्ट पर भी एक आउटलेट बनाया गया है। इसके अलावा चारधाम यात्रा रूटों पर 17 अस्थायी आउटलेट बनाए गए हैं।
अधिकारियों की पीठ भी थपथपाई और पाठ भी पढ़ाया :
ग्राम्य विकास मंत्री ने यह भी कहा कि एनआरएलएम की सफलताओं के लिए यहां उपस्थित विभागीय अधिकारीगण बधाई के पात्र हैं। परंतु मुझे लगता है कि आपको बॉक्स से बाहर आकर भी सोचना चाहिए। ताकि राज्य के उत्पादों को राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी बजार मिले। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के उत्पादों को उचित बाजार दिलवाए जाने के लिए अमेजन, फ्लिपकार्ट, मंतरा, पे-टीएम मॉल जैसी ई-कॉमर्स वेबसाईटों और गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (जेम) से टाईअप किया जाए।
इस दौरान रायपुर विधायक उमेश शर्मा ‘‘काऊ’’, ब्लॉक प्रमुख ममता देवी, अपर आयुक्त ग्राम्य विकास आनंद वर्धन, अपरायुक्त ग्राम्य विकास एके राजपूत, जिला विकास अधिकारी सुशील मोहन डोभाल, पूनम नौटियाल, वीर सिंह चौहान, मंजीत रावत, वीर सिंह चौहान, इतवार सिंह रमोला विभागीय अधिकारीगण एवं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं भी उपस्थित रहीं।
उद्यान की ही तरह रेशम उत्पादन के लिए राज्य में असीम संभावनाएं : कृषि मंत्री गणेश जोशी
“सिल्क समग्र – 2 योजना की कार्यशाला में पहुचे उद्घाटन”
देहरादून, कृषि मंत्री गणेश जोशी द्वारा आज पटेलनगर स्थित एक होटल में ‘‘सिल्क समग्र -2’’ विषय पर आयोजित कार्याशाला में रेशम बोर्ड के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा केन्द्रीय रेशम बोर्ड के प्रतिनिधियों को संबोधित किया। कृषि मंत्री द्वारा सिल्क उत्पादों के प्रदर्शनी स्टॉल का भी अवलोकन किया।
अपने संबोधन में कृषि मंत्री ने कहा कि यह अति प्रसन्नता का विषय है कि आज हमारे प्रदेश में केन्द्रीय रेशम बोर्ड (भारत सरकार) की सहायता से आगामी पांच वर्षों के लिए संचालित की जाने वाली रोजगारोन्मुखी ‘‘सिल्क समग्र-2‘‘ योजना को सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। इस योजना के तहत प्रदेश के कृषकों को रेशम क्लस्टरों के माध्यम से जोड़ते हुए लाभान्वित किया जाएगा। राज्य की पर्यावरणीय अनुकूलता तथा छोटी कृषि जोतों, पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योगशून्यता के लिहाज से देखें तो रेशम उद्योग एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। सहायक कृषि पर आधारित यह योजना ग्रामीण आर्थिकी को सुदृढ करने व रोजगार के अवसर जुटाने के साथ ही पलायन रोकने में मददगार होगी।
रेशम उत्पादन का कार्य किसानों द्वारा अन्य गतिविधियों जैसे – कृषि, पशुपालन इत्यादि के साथ सुगमतापूर्वक किया जा सकता है। सिल्क समग्र -2 योजना के अन्तर्गत रेशम उद्योग के विभिन्न कार्यकलापों से जुड़ने वाले लाभार्थियों को नर्सरी, पौध रोपण, प्रशिक्षण से लेकर कोया बाजार व्यवस्था तक का प्राविधान किया गया है।
अधिकारियों को कहा कि आकड़ों के खेल से बचें :
केन्द्रीय रेशम बोर्ड के अधिकारी बता रहे हैं कि राज्य को इस बार पिछली बार की तुलना में 3 गुना बजट दिया जा सकता है। बजट तो केन्द्र से आ जाएगा। पर उसका सही प्रयोग करना और उससे किसानों की आय में भौतिक तौर पर बृद्धि सुनिश्चित करवाना आपका काम है। इसे आंकड़ों के खेल में उलझाने के बजाए वास्तविकता में लाएं। राज्य में रेशम उद्योग के सर्वांगीण विकास एवं प्रसार की पूरी जिम्मेदारी आप सभी के कधों पर है। आप सभी अधिकारी/कर्मचारीगण अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करेंगे तो निश्चित तौर पर किसानों की आय भी बढ़ेगी और प्रदेश का भी भला होगा।
विभाग के मुखिया के तौर पर मैं अपनी ओर से आपको विश्वास दिलाता हूॅ कि विभाग एवं किसानों के हित के लिए जब भी मेरी आवश्यकता होगी मैं हर समय तत्पर हूॅ।
निदेशक रेशम बोर्ड आनंद कुमार यादव ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य रेशम उत्पादन में अब हिमाचल की बराबरी पर आ गया है। राज्य में सिल्क उत्पादन की शानदार संभावनाएं हैं। ऐसी उम्मीद है कि इस बार राज्य को 15-20 करोड़ तक बजट मिल जाए। हम चाहते हैं कि सिल्क समग्र – 2 के बाद उत्तराखण्ड रेशम उत्पादन में शीर्ष राज्यों में आए। अधिकांशतः हम देखते हैं कि किसान फसलों का उत्पादन तो कर लेता है लेकिन समुचित बाजार व्यवस्था न होने के कारण उसे अपनी मेहनत के अनुसार उचित दाम नहीं मिल पाता है। इस योजना का सबसे अच्छा पक्ष यह है कि इसमें बाजार व्यवस्था को मजबूत करने के लिए भी सहायता का प्रावधान किया गया है।
कार्यक्रम में केन्द्रीय रेशम बोर्ड के उप सचिव तकनीकी, आरके सिन्हा, उपनिदेशक गढ़वाल प्रदीप कुमार, सहायक निदेशक नरेश कुमार तथा सहायक निदेशक हेम चन्द्र आर्या एवं अन्य विभागीय कार्मिक भी उपस्थित रहे।
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